For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sushil Sarna's Blog – April 2021 Archive (6)

आशा ......



आशा .......

बहुत कोशिश की

मगर हार गई मैं

उस अनुपस्थिति से

जो हर लम्हा मेरे जहन में जीती है

एक खौफ के लिबास में

मुझे ठेंगा दिखाते हुए

भोर से लेकर साँझ तक

दिनभर की व्यस्ततम गतिविधियों के बीच

हमेशा झकझोरती है

किसी ग़ैर की मौजूदगी

मेरे अंतःस्थल को

उस की अनुपस्थिति के लिए

निराशा की स्वर वीचियों के बीच कहाँ लुप्त होते हैं

आशा को प्रज्वलित करते अनुपस्थिति के स्वर

थकान की पराकाष्ठा पर

जब बदन निढाल होकर…

Continue

Added by Sushil Sarna on April 30, 2021 at 4:15pm — 3 Comments

पाकीज़गी .......

पाकीज़गी ......

मैं

जिस्म से रूह तक

तुम्हारी हूँ

मेरी नींदें तुम्हारी हैं

मेरे ख़्वाब तुम्हारे हैं

मेरी आस भी तुम हो

मेरी प्यास भी तुम हो

मेरी साँसों का विश्वास भी तुम हो

मेरे प्राणों का मधुमास भी तुम हो

मगर ख़याल रहे

मेरे जिस्म को

दिखावटी पर्दों से नफ़रत है

मेरे पास आना तो

ज़माने के बेबस लिबास को

ज़माने में ही छोड़ आना

क्योंकि

मेरे जिस्म को

पाकीज़गी पसंद है

सुशील सरना

मौलिक एवं…

Continue

Added by Sushil Sarna on April 28, 2021 at 12:57pm — No Comments

काँटा

मैं काँटा हूँ
जाने कितने काँटे चुभा दिये लोगों ने
मेरे बदन में अपने शूल शब्दों के
जमाने ने देखी तो सिर्फ
मुझसे मिलने वाली वेदना को देखा
मेरी तीक्ष्ण नोक को देखा…
Continue

Added by Sushil Sarna on April 19, 2021 at 8:30pm — 4 Comments

कहानी.........

कहानी ..........

पढ़ सको तो पढ़कर देखो

जिन्दगी की हर परत

कोई न कोई कहानी है

कल्पना की बैसाखियों पर

यथार्थ की हवेलियों में

शब्दों की खोलियों में

दिल के गलियारों में

टहलती हुई

कोई न कोई कहानी है

पत्थरों के बिछौनों पर

लाल बत्ती के चौराहों पर

बसों पर लटकी हुई

रोटी के लिए भटकी हुई

आँखों के बिस्तर पर बे-आवाज

कोई न कोई कहानी है

सच

पढ़ सको…

Continue

Added by Sushil Sarna on April 16, 2021 at 5:09pm — 2 Comments

मन पर दोहे ...........

मन पर दोहे ...........

मन माने तो भोर है, मन माने तो शाम ।
मन के सारे खेल हैं, मन के सब संग्राम । 1।
हर मन को मिलता नहीं, मन वांछित परिणाम ।
मन फल की चिन्ता करे, मन अशांति का धाम ।2।…
Continue

Added by Sushil Sarna on April 13, 2021 at 1:30pm — 6 Comments

गरीबी ........

गरीबी..........
कैसी होती है गरीबी
शायद
तिमिर के गहन आवरण को
भेदने में असफल होती
जुगनू की
क्षीण सी रोशनी…
Continue

Added by Sushil Sarna on April 11, 2021 at 12:00pm — 4 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
3 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service