For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव's Blog – January 2015 Archive (8)

जुकाम

‘अजी सुनते हो ---

‘हाँ सुनाओ, ‘

‘वह मिसेज मल्होत्रा की बहू, जिसके फरवरी में बेटा हुआ था I वह बेटा निमोनिया से मर गया और हमारी जो महरिन है इसकी ननद के भी लल्ला हुआ था, वह भी तीन दिन पहले डायरिया से मर गया और अपनी बेटी की सहेली -----‘

‘--- उसका बच्चा भी मर गया होगा I’

‘हां बिलकुल ---- ‘

‘मगर यह स्टैटिक्स तुम मुझे क्यों बता रही हो ?’

‘किसे बताऊँ, एक वह अपनी पोती है I छह महीने की हो गयी, उसे जुकाम तक न हुआ I’

(मौलिक व् अप्रकाशित…

Continue

Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 24, 2015 at 9:10pm — 32 Comments

विकल नारी आत्मा के स्वर -एक फैंटेसी

 घुप अँधेरे में

रात के सन्नाटे में

मै अकेला बढ़ गया

गंगा के तीर

नदी की कल-कल से

बाते करता

पूरब से आता समीर

न धूल न गर्द

वात का आघात बर्फ सा सर्द

मैंने मन से पूछा –

किस प्रेरणा से तू यहाँ आया ?

क्या किसी अज्ञात संकेत ने बुलाया

अँधेरा इतना कि नाव तक न दिखती

कोई करुणा उस वात में विलखती 

मैं लौटने को था

वहां क्या करता

पवन निर्द्वंद

एक उच्छ्वास सा भरता

तभी मै…

Continue

Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 21, 2015 at 4:00pm — 14 Comments

त्रिपथगा

 दुपट्टा

भारत के वक्ष पर

सलीके से पड़ा

सफ़ेद दुपट्टा

वायुयान से दिखी

धवल गंगा !

गंगा अब यहाँ नहीं बहती

साधु ने बालक से कहा…

Continue

Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 18, 2015 at 2:00pm — 14 Comments

कुछ माह पहले

 

कुछ माह पहले

 

पैरों में लिपटते थे सांप

कीचड में सनते थे

पैर और वाहन

पसीने से चुभते थे वपुष में कांटे

धुप में झुलसी जाती थी देह

कुछ माह पहले  

 

नभ से बरसता था

थका-थका मेह

पुरवा से ऐठती थी ठाकुर की देह

क्वार की धूप में हांफता था बैल   

कुछ माह पहले

 

हवा में नमी थी

चलता न वात 

पंखा हांकने से सूखता न गात

बरगद के नीचे भी ठंढी…

Continue

Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 14, 2015 at 12:05pm — 13 Comments

सच्चाई

‘पता चला है सेठ से तुम्हारे पुराने सम्बन्ध थे ?’- इंस्पेक्टर ने कड़क कर पूंछा I

‘जी हाँ ----I’

‘कैसे सम्बन्ध थे ?’

‘एक समय मै रखैल थी उसकी I’

‘तब तूने उसकी हत्या क्यों की ?’

‘क्योंकि वह मनुष्य नहीं राक्षस था I वह मेरी बेटी को भी अपनी हवस का शिकार बनाने जा रहा था I मैंने साले को वही चाकू से गोद दिया I’

‘तो तेरी बेटी क्या सती सावित्री थी ?’

‘नहीं साहिब , हम जैसे लोग पेट के लिए देह बेचते है I सती -सावित्री होना हमारे…

Continue

Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 10, 2015 at 7:30pm — 31 Comments

जीवन वृत्त

सिमट रहा है जीवन का वृत्त

परिधि कम ही होगी धीरे- धीरे

 

लोगों के टोकने पर

जाने लगा हूँ पार्क में टहलने 

मन बहलता तो नहीं है

पर देता हूँ बहलने

शरीर को मेन्टेन रख्नना है

पर गलेगी देह भी धीरे-धीरे

वृत्त की परिधि कम होगी धीरे-धीरे

 

पढ़ना चाहता हूँ

किताबे दशको तक मित्र रही है मेरी

पर अब सब धुन्धला जाता है

चश्मा भी अब काम नहीं आता है

लिखना…

Continue

Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 7, 2015 at 1:48pm — 22 Comments

कविता के ब्याज से

कमल-नैन या कंज-लोचन है वह  

कहते है शोक-विमोचन है वह  

पद्म -पांखुरी जैसे है अधर

रक्त-नलिन से कपोल है सुघर

 

नील-नीरज सा मोहक वदन

वपुष नीलोत्पल सुषमा-सदन

है दीर्घ बाहे अम्बुज की नाल

पाद-पुष्ट मानो है पंकज मृणाल

 

हाथ की हथेली है राजीव-दल

विकसित है कर में श्याम-शतदल

चरण-सरोज की है महिमा अनूप

सांवले सरोरुह सा खिला-खिला रूप…

Continue

Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 4, 2015 at 7:30pm — 14 Comments

कोई नहीं जानता ....?

कोई नहीं जानता

क्या होने वाला है ?

 

उत्तर से आ रही है

लाल हवायें

जीभ लपलपाती

गर्म सदायें

हिमालय बदहवास बिलकुल बेदम है

हवा में आक्सीजन शायद कुछ कम है

दो कपोत हैं अब हर घर में रहते

गुटरगूं करते जाने क्या कहते !

एक है श्वेत दूसरा काला है

कोई नहीं जानता

क्या होने वाला है ?

 

दर्पण हाथों से छूट रहे है

मखमल पर…

Continue

Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 1, 2015 at 7:42pm — 14 Comments

Monthly Archives

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service