For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रोहित डोबरियाल "मल्हार"'s Blog – April 2017 Archive (7)

भूल गया जो मै खुद (कविता)"मल्हार"

भूल गया जो मै खुद को तुझको पाकर

ये क्या कर बैठा दिल मेरा तुझपे आकर,

बस गये जो तुम मेरे इस दिल में आकर

मर न जाऊँ कहीँ मै इतनी ख़ुशी पाकर,

तूने ये क्या कर दिया दिल में मेरे आकर

अब  तोड़ो ना दिल इस तरह से जाकर,

ख़ुदा मिल गया था जैसे तुझको पाकर

बता अब क्या कहूँ में ख़ुदा के घर जाकर,

पूछे जो क्यों भूल गया था किसी को पाकर

तू ही कुछ राह सूझा जा वापिस आकर,

कैसे बताऊँ मिल गया था क्या तुझको पाकर

ख़ुदा ही रूठ गया मेरा तो जैसे…

Continue

Added by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 29, 2017 at 6:26am — 3 Comments

"तेरा साथ" कविता (मल्हार)

तेरा मेरा साथ अगर हो जाये  

तो जीना मेरा पुख़्ता हो जाये

धूप कभी गर लगे जो मुझको

छांव तेरी जुल्फों का हो जाये

ना कोई वादा ना कोई कसमें

निभाते चलें बस प्यार की रस्में 

सांस अधूरी धड़कन अधूरी 

जब तुम ना थे तब हम अधूरे

पूरा है अब चाँद फलक पर

अब तू भी पूरा में भी पूरा।       

  रोहित डोबरियाल"मल्हार" 

    मौलिक व अप्रकाशित

 

 

 

Added by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 24, 2017 at 8:24pm — No Comments

"तन्हा" सपना (मल्हार)

तू ही तो मेरा अपना है

लगता यह इक सपना है 

कहता मेरा पागल दिल 

बस तेरे लिए धड़कना है

ना मेरे दिल ना मेरे में कोई बुराई है

लगता है किस्मत में  ही जुदाई है

चल दिल भी तेरा मैं भी तेरा 

यह सपना तू कर दे बस पूरा

अल्फ़ाज़ के कुछ तो कंकर फ़ेंको,

इस दिल में बड़ी गहराई  है

अब अकेला हूँ मैं यारों …. 

बस साथ मेरी तन्हाई  है 

बस साथ मेरी तन्हाई है 

                    "मल्हार"

  मौलिक व अप्रकाशित

Added by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 22, 2017 at 9:06pm — 4 Comments

नज़रें (कविता)मल्हार

नज़र से मेरी नज़र जो मिली तेरी

दिल की धड़कनें कुछ यूँ बढ़ी मेरी

ये दिल जो हो गया है अब तेरा

तू ही बता क्या कसूर इस में मेरा  

गा रहा ये दिल तराने अब तेरे 

बज रहा हो सितार जैसे दिल में मेरे

ख्यालों में डूबा हूं इस कदर अब तेरे

दिन गये चैन-ओ-सुकून वाले अब मेरे

बेवफ़ाई जो कर गयी नज़रें तेरी

किस्मत ही मुकर गयी जैसे मेरी

तुझे न पा सकूँ तो मेरी  क्या कमी है

बस आँखों में जिंदगी भर की नमी है 

मेरे दिल…

Continue

Added by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 21, 2017 at 11:30pm — 2 Comments

"मल्हारी" गीत (कविता)

तू गीत कोई "मल्हार"सा गा दे

जो मुझको तेरा मीत बना दे,

मुखड़े पर स्वर-संगीत उठा कर

स्थाई पर जैसे सम आकर,

तू गीत कोई "मल्हार" सा गा दे

कुछ एक नयी सी रीत बना दे,

फिर एक नई बंदिश तू लिख दे

जो दिल आकर घर सा कर दे,

मुझको अपनी मीत बना दे

मुझको अपनी जीत बता दे,

तू कुछ ऐसा गीत बना दे

जो तेरी मेरी प्रीत बता दे,

तू गीत कोई "मल्हार"सा गा दे

जो मुझको तेरा मीत बना दे,

तू गीत कोई "मल्हार"सा गा दे

जो…

Continue

Added by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 19, 2017 at 11:41am — 2 Comments

आँखों का दीवाना

तेरी आँखों ने

दीवाना बना दिया मुझको

में क्या था और

ये क्या बना दिया मुझको

क्या पता है हाल-ए-खबर तुझे

जो दे गयी है बेचैनी मुझे

क्यों समझते नही ख़ामोशी मेरी

क्या पता नहीं तुम्हें कहानी मेरी

कहते हैं सब ये शराफत है तेरी

पर कैसे बताऊँ तू ही तो मंज़िल है मेरी

सुनो ना जिसे सब लोग जिंदगी कहते हैं

तुम बिन उसे मैं अब क्या कहूँ

ये इश्क क्या है मालूम नहीं

पर इक दर्द सा सीने में है

दीवाना हूँ सादगी का तेरी

सुन ले आरजू इस दिल…

Continue

Added by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 17, 2017 at 8:17pm — 6 Comments

गलती

माना ये गलती मेरी थी पर

थोड़ी थोड़ी तेरी थी

ये दिल जो तेरा हो बैठा

कल तक ये जो मेरा था

तेरी वो बातूनी बातें

जैसे हो बरसात बिना छाते

होगा पश्चाताप तुम्हें तब

जिस दिन सोचे गलती तेरी थी

तुझसे महोब्बत कर बैठे

यही तो गलती मेरी थी

मेरी बातें तुम समझ ना पायी

यही तो गलती तेरी थी

यही तो गलती मेरी थी

मौलिक व अप्रकाशित

Added by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 15, 2017 at 8:49pm — No Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
3 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
3 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
3 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
3 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
3 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service