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Hariom Shrivastava's Blog (45)

दुमदार दोहे --

जिसको जो मिलता नहीं, वही लगे बस खास।
वह सब लगता तुच्छ सा, जो है जिसके पास।।
कभी संतुष्टि न होती।

जीवनभर होता नहीं, इच्छाओं का अंत।
जो इनको वश में करे, उसे मानिए संत।।
सुखी रहता संतोषी।
(मौलिक व अप्रकाशित)
**हरिओम श्रीवास्तव**

Added by Hariom Shrivastava on June 27, 2017 at 11:44pm — 10 Comments

कुण्डलिया छंद

पाकिस्तानी टीम को, मिली करारी हार।
दौडा़ दौड़ाकर उन्हें, भारत ने दी मार।।
भारत ने दी मार, मैच इकतरफा जीता।
यूवी और विराट, , लगाते रहे पलीता।।
हारा पाकिस्तान, पड़ी है मुँह की खानी।
जंग रहे या मैच, पिटेंगे पाकिस्तानी।।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)
**हरिओम श्रीवास्तव**

Added by Hariom Shrivastava on June 5, 2017 at 12:07am — No Comments

दोहे -

सैनिक हुए शहीद फिर, और हुआ उपहास।
अपनी ही सरकार से, रही न कोई आस।।1।।

इसमें कोई शक नहीं, हम हैं निंदा वीर।
अगली निंदा के लिए, दिल्ली का प्राचीर।।2।।

कोई पत्थर मारता, कोई काटे शीश।
विजयी भव का क्यों नहीं, दे देते आशीष।।3।।

समय वार्ता का नहीं, होने दें यलगार।
बिना मार करता नहीं, गलती वह स्वीकार।।4।।
(मौलिक व अप्रकाशित)
**हरिओम श्रीवास्तव**

Added by Hariom Shrivastava on May 2, 2017 at 4:30pm — 6 Comments

कुण्डलिया छंद -- (अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर विशेष)

1-

उत्पादन को चाहिए, पाँच प्रमुख जो तत्व।

उनमें श्रम का मानिए, सबसे अधिक महत्व।।

सबसे अधिक महत्व, भूमि श्रम साहस पूँजी।

और संगठन खास, बात मैं खरी कहूँ जी।।

श्रमिक दिवस पर आज, करें उनका अभिनंदन।

करता देश विकास, तभी जब हो उत्पादन।।

2-

रोटी की खातिर खटे, श्रम साधक मजदूर।

सुख सुविधाओं से परे, रहता जो मजबूर।।

रहता जो मजबूर, और भूखा सो जाता।

उसके श्रम का मोल,नहीं उसको मिल पाता।।

श्रम के भी कानून, मगर नीयत है खोटी।

इस कारण भरपेट, न उसको… Continue

Added by Hariom Shrivastava on May 1, 2017 at 1:28pm — 8 Comments

कुण्डलिया छंद

1-

पीने में आनंद है, मिथ्या है संसार।

पीने से बढ़ता सदा, आपस में है प्यार।।

आपस में है प्यार,भेद सारे मिट जाते।

टकराते जब जाम,स्वर्ग का सुख तब पाते।।

मदिरा के बिन यार,मजा क्या है जीने में।

जीवन है दिन चार, हर्ज फिर क्या पीने में।।

2-

किसने पाई आजतक, मद्यपान से शांति।

पीने वाला पालता, मन में फिर क्यों भ्रांति।।

मन में फिर क्यों भ्रांति'शांति देगी ये हाला।

खोकर अपना होश,बने फिर क्यों मतवाला।।

हुआ नशे से मुक्त, विचारा मन में जिसने।…

Continue

Added by Hariom Shrivastava on April 18, 2017 at 6:00pm — 8 Comments

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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