For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

AMAN SINHA's Blog (146)

पश्चाताप

तोड़े थे यकीन मैंने मुहल्ले की हर गली में

चैन हम कैसे पाते इतनी आहें लेकर

मौत हो जाए मेहरबा हमपे नामुमकिन है

ठोकरे हीं हमको मिलेंगी उसके दरवाज़े पर

हर परत रंग मेरा यूँ ही उतरता गया

ज़मी थी सख्त मैं मगर बस धंसता हीं गया

गुनाह जो मैंने किये थे बे-खयाली में

याद करके उन सबको मैं बस गिनता…

Continue

Added by AMAN SINHA on May 6, 2022 at 12:54pm — 1 Comment

जी चाहता है

है फूलों सी खुशबू तेरे इस बदन में

जी चाहता है मैं साँसों में भर लूँ

अधूरा रहेगा ये इकरार मेरा

पहलू में अपने जो तुझको ना भर लूँ

हंसी से तेरी खिल जाती है कलियाँ

जगमग सी हो जाती है तेरे आने से दुनिया

है किसने मिलाया नशा इस समा में

कदम लड़खड़ाते है देख कर तेरी गालियां

मैं ज़िंदा हूँ साँसे लिए जा रहा…

Continue

Added by AMAN SINHA on April 30, 2022 at 12:01pm — No Comments

आरज़ू

आरज़ू है ये दिल की इस कदर तुझको चाहूँ

आँखों से तुझको छू लूँ प्यास अपनी बुझा लूँ

तमन्ना है यही तुझको बाहों में भर लूँ

ज़रा ही सही प्यार तुझसे मैं कर लूँ

आशिक़ी में तेरी आज खुदको मिटा दूँ

दिल की जो लगी है आज तुझको बता दूँ

कोई कह सके ना ये मैं हूँ के तू है

आज खुदको तुझी में इस कदर मैं मिला…

Continue

Added by AMAN SINHA on April 29, 2022 at 11:28am — No Comments

कुछ याद सम्हाले रखा है

कुछ याद सम्हाले रखा है,

हमने दर्द को पाले रक्खा है

हँसते चेहरे के आड़ में हमने,

दिल के छालों को रक्खा है

 

सब कहते है हम हँसते हैं,

हम अपने अंदर ही बसते हैं  

अब सबको हम बतलाएं क्या,

हम तनहाई से कैसे बचते है

 

अब रोना धोना छोड़…

Continue

Added by AMAN SINHA on April 28, 2022 at 11:42am — No Comments

पहचाना सा एक चेहरा

वर्षों हुए

एक बार देखे उसको

तब वो पूरे श्रृंगार में होती थी

बात बहुत

करती थी अपनी गहरी आँखों से

शब्द कहने से उसे उलझने तमाम होती थी

इमली चटनी…

Continue

Added by AMAN SINHA on April 27, 2022 at 11:30am — 1 Comment

मैं थक गया हूँ

थक गया हूँ झूठ खुद से और ना कह पाऊंगा

पत्थरों सा हो गया हूँ शैल ना बन पाऊंगा

 

देखते है सब यहाँ मुझे अजनबी अंदाज़ से

पास से गुजरते है तो लगते है नाराज़ से

 

बेसबर सा हो रहा हूँ जिस्म के लिबास में

बंद बैठा हूँ मैं कब से अक्स के लिहाफ में

 

काटता है खालीपन अब मन कही लगता नहीं

वक़्त इतना है पड़ा के वक़्त ही मिलता…

Continue

Added by AMAN SINHA on April 22, 2022 at 10:30am — 1 Comment

अधूरा ख़्वाब

ख़्वाब देखे जो भी मैंने सब अधूरे रह गए

मिटटी के बर्तन थे कच्चे, पानी के संग बह गए

रेत की दीवार थी और दलदली सी छतरही

मौज़ों के टकराव से वो अंत तक लड़ती रही

साल सोलह कर लिए जो पूरे अपने उम्र के

कैद में घिरने लगी मैं बिन किये एक जुर्म के

स्कूल का बस्ता भी मेरा कोने में था पड गया

सांस लेती किताबों पर भी धूल सा एक जम…

Continue

Added by AMAN SINHA on April 7, 2022 at 3:12pm — 2 Comments

अंतिम सफ़र

मैं जहाँ पर खड़ा हूँ

वहाँ से हर मोड़ दिखता है

इस जहाँ से उस जहाँ का

हरेक छोर दिखता है 

ये वो किनारा है जहां

सब खत्म हुआ समझो

सभी भावनाओं का जैसे

अब अंत हुआ समझो

दर्द मुझे है बहुत मगर

अब उसका कोई इलाज नहीं

मैं ना लगूँ खुश…

Continue

Added by AMAN SINHA on April 6, 2022 at 10:33am — No Comments

पल दो पल का साथ

बोल जो हमने लिखे थे गीत तेरे हो गए

साथी मेरे जो भी थे सब मीत तेरे हो गए

वो हया थी या भरम था हम थे जिस पर मर गए

आज भी हम सोचते है क्या ख़ता हम कर गए

चाह थी हंसी की हमको आंसुओ से भर गए

पास थे मंज़िल के अपने गुमशूदा तुम कर गए

एक तेरी खातिर हमतो इस जहाँ से लड़ गए

रस्मों रिवाज़ तोरे हद से हम गुज़र गए

क़तार…

Continue

Added by AMAN SINHA on April 5, 2022 at 10:00am — No Comments

बेग़ैरत

वो मेरा करीबी था, मैं मगर फरेबी था

इश्क़ वो वफा ओं वाली चाह बन के रह गयी

जो भी सितम हुए, सब मैंने ही सनम किए

टोकरी दुआओं वाली, आह बनके रह गयी

था मेरा गुरूर उसको, मेरा था शुरूर उसको

साथ जब मैंने छोड़ा, आंखे नम रह गयी

सपनों का था एक क़िला, मिलने का वो…

Continue

Added by AMAN SINHA on April 4, 2022 at 11:28am — 2 Comments

बस बहुत हुआ अब जाने दो

बस बहुत हुआ अब जाने दो, सांस जरा तो आने दो

घुटन भरे इस कमरे मे, जरा धूप तो छंटकर आने दो

बस बहुत हुआ अब जाने दो

बहुत सुनी कटाक्ष तेरी, बात-बात पर दुत्कार तेरी

शुल के जैसे बोल तेरे, चुन-चुन कर मुझे हटाने दो

खामोशी में है प्यार मेरा, ना मुझपर कुछ उपकार तेरा

मुझको जो गरजू समजा…

Continue

Added by AMAN SINHA on April 1, 2022 at 12:50pm — 1 Comment

अंध विश्वास

मैंने देखा है जहाँ में लोग दो तरह के है

हाँ यहाँ पर हर किसी को रोग दो तरह के है

एक को लगता है जैसे सब देवता के हाथ है

एक को लगता सबकुछ दानवो के साथ है

 

मन के विश्वास को कोई आस्था बता रहा

दूसरा अपने भरम को सत्य से छिपा रहा

लोगों के आस्था का यहाँ हो रहा व्यापार है

हर गली में पाखंडियों का लग रहा बाज़ार है…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 31, 2022 at 10:14am — 2 Comments

बस कुछ दिनों की बात है

बस कुछ दिनों की बात है, ये वक़्त गुज़र जाएगा

मौत के अंधेरे को चीर के फिर उजला सवेरा आएगा

समय सब्र रखने का है, एक व्रत रखने का है

अगर संयम से चले हम तो फिर ये संकट भी टल जाएगा

बस कुछ ................................................

है प्रार्थना सभी से मिलकर साथ रहो तुम सब

बहूत देख लिया जग हमने, बस घर मे रहो सारे…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 30, 2022 at 10:20am — 3 Comments

सब कुछ पहले जैसा

कजरा वही गज़रा वही आँखों में है नर्मी वही

पायल वही झुमका वही साँसों में है गर्मी वही

टिका वही बिंदी वही गालो में है लाली वही

काजल वही कंगन वही कानो में है बाली वही

चुनड़ वही घागर वही कमर पर है गागर वही

ताल वही और चाल वही घुँघराले से बाल वही

रूप वही और रंग वही चोली अबी भी तंग वही

अंग वही और ढंग वही रहती हरदम है संग…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 29, 2022 at 10:25am — 12 Comments

नारी जीवन

किवाड़ के खड़कने के आवाज़ पर

दौड़ कर वो कमरे में चली गयी

आज बाबूजी कुछ कह रहे थे माँ से

अवाज़ थी, पर जरा दबी हुई

 

बात शादी की थी उसकी चल पड़ी

सुनकर ये ख़बर जरा शरमाई थी

आठवीं जमात हीं बस वो पढ़ी थी

चौदह हीं तो सावन देख पाई थी

 

हाथ पिले करना उसके तय रहा

बात ये बाबूजी जी ने उससे कह…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 28, 2022 at 10:25am — 2 Comments

ज़िंदगी की तलाश

ना खबर है राह की ना मजिंल का ठिकाना है

खुद की तलाश में हम खुद को भुलाए जा रहे है

नज़्म है कोई ना कोई गुंज़ाइश-ए तराना है

अंजान अल्फ़ाज़ को खुदका बताए जा रहे है

फलक के अक्स में हम तैरते हुए

उस पार हो भी…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 25, 2022 at 10:30am — No Comments

चरित्रहीन

चार दिन भी हुए नहीं ब्याह के उसको आए हुए

उसके नाम की चर्चा में हैं मनचले बौहराये हुए

बस्ती में चर्चा है काफी उसके लम्बे बालों की

लोग तारीफे कर रहे हैं उसके गोरे गालों की

पति प्रेम है उसका सच्चा, तन से है वो थोड़ा कच्चा

अगन प्यास की बुझा ना पाए, है अकल से पूरा बच्चा

तन की प्यास बुझाने को वो दिल ही दिल में व्याकुल…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 24, 2022 at 10:55am — No Comments

घर वापसी

आज का दिन है बड़ा सुहाना, हवा में खुशियां फैली है

आओ मिलकर ख़ुशी मनाए, घाटी ने बाहें खोली है

सत्तर साल से जिन पैरों को, जंजीरों ने जकड़ा था

घाटी के दामन को अब तक, जिन धाराओं ने पकड़ा था

ख़त्म हुआ अनुच्छेद आज वो, अब तुम खुलकर साँसे लो

कदम बढ़ाओ तुम भी आगे, इस राष्ट्र पुरुष (अखण्ड भारत) के संग हो लो

शायद थोड़ी देर हुई है, ये पहले ही हो जाना…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 23, 2022 at 10:04am — 2 Comments

नेता के बोल

(वोट के पहले)

वोट माँगने आए हैं, जोड़ कर दोना हाथ

बोले कभी न छोड़ेंगे, हम जनता का साथ

इस जनता का साथ, कभी जो हमने छोड़ा

उम्मीदों का तार, जैसे हो हम हीं ने तोड़ा

भूखा होगा कोई ना, ना सोएगा खाली पेट

हर कोई शिक्षा पाएगा, विद्यालय में…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 22, 2022 at 10:30am — No Comments

यम का ग़म

भैंसे पर बैठे हुए आ धमके यमराज

बोले बच्चा खत्म हुए सकल तुम्हारे काज

अपने सभी परिजन को देख ले अंतिम बार

यमलोक को जाने को तुम अब हो जाओ तैयार

 

वो बोली मैं चलती हूँ बस काम पड़े है चार 

कपडे, बर्तन बाकि है धर दूँ मैं आचार

रसोई अभी तक हुई नहीं, नहीं बना आहार

कैसे अभी मैं चल पडू छोड कर ये…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 18, 2022 at 12:29pm — No Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
4 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी, आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत है। 5 में प्रकाश की नहीं बल्कि उष्मा की बात है। दोनों…"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी। आप की मूल्यवान राय का स्वागत है।  2 मय और निश्तर पीड़ित हृदय के पुराने उपचार…"
5 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र कुमार जी नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी ।सादर अभिवादन स्वीकार कीजिए। अच्छी ग़ज़ल हेतु आपको हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,सादर अभिवादन स्वीकार कीजिए।  ग़ज़ल हेतु बधाई। कंटकों को छूने का.... यह…"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा यादव जी ।सादर नमस्कार।ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।गुणीजनों के इस्लाह से और निखर गई है।"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय euphonic amit जी आपको सादर प्रणाम। बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय त्रुटियों को इंगित करने व…"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका इतनी बारीक़ी से हर बात बताने समझाने कनलिये सुधार का प्रयास…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय, अमित जी, आदाब आपने ग़ज़ल तक आकर जो प्रोत्साहन दिया, इसके लिए आपका आभारी हूँ ।// आज़माता…"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service