For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

KALPANA BHATT ('रौनक़')'s Blog – September 2016 Archive (3)

गुमान (कविता )

क्यों करते

खुदकी वाह वाही

होती उसकी

फिर बुराई

माना बहुत कुछ

जान गये हो

खुद को भी

पहचान गये हो

न इतना

गुमान करो

खुद का खुद

सम्मान हरो

अच्छे हो

जानो खुदको

इन्सां हो

मानो खुदको ।

चलो भले

अपनी ही चाल

न खींचों

दूसरों की खाल

धीरे धीरे

चलना है

दौड़ना नहीं

बस चलना है ।

जय हो जय हो

का नारा छोड़ो

स्व तारीफ़ से

नाता तोडो ।

एक दिन

पेड़ क्या

बन जाओगे

ज़मीन…

Continue

Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 29, 2016 at 10:30pm — 12 Comments

ख़ामोशी ( कविता )

क्यों खामोश हो

कुछ बोलते भी नहीं

कुछ कहते भी नहीं

कुछ सुनते भी नहीं



वो देखो वहाँ

क्षितिज के किनारे

आकार ले रहा है

प्यार बादलों में



वो देखो  वहाँ

उन लहरों को

जो कर रही है बयां

प्यार चट्टानों से



वो देखो वहाँ

उन परिंदो को

जो उड़ते हुए भी

कर रहे बातें बादलों से



वो देखो वहाँ

रंग बदलते आस्मां को

किस तरह रंग बदलता है

बिलकुल तुम्हारी ही तरह



गुलाबी फ़ज़ाओं…

Continue

Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 22, 2016 at 3:00pm — 10 Comments

मैं बंजारन (कविता )

मैं बंजारन खोज रही हूँ

तेरे निशाँ

यह रेत के टीले

मिटा रहें है जो  निशानियाँ ,

घूम घूम कर तलाश रही हूँ

तेरे कदमों के चिह्न

जो कभी हुआ करते थे

इन्हीं  रेतीली ज़मीन पर |



आती थी आवाज़ तुम्हारी

दूर से ही

पुकारते हुए दौड़े चले आते थे ,

तुम अपने घर से

मुझसे मिलने को ,

गवाह है -

यह यहाँ की  सर ज़मीं |



वो कटीले पौधे

जो चुभ जाते थे तुम्हें

आज भी यहीं हैं

देखती हूँ इनपर

तुम्हारा सुखा…

Continue

Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 20, 2016 at 3:30pm — 10 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"    शिकस्त-ए-नारवा     ------------------ रिवाज के विरुद्ध काम, शायरी का एक ऐब…"
23 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें  ग़ज़ल — 212 1222…"
27 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। भाई-चारा का…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी, ऐसा करना मुनासिब होगा। "
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ इस्लाह भी ख़ूब हुई आ अमित जी की"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ रिचा अच्छी ग़ज़ल हुई है इस्लाह के साथ अच्छा सुधार किया आपने"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु हार्दिक बधाई आपको ।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Sanjay Shukla जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service