For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Amita tiwari's Blog (76)

वक्त बड़ा ही शरारती बच्चा

वक्त बड़ा ही शरारती बच्चा…

Continue

Added by amita tiwari on May 10, 2016 at 7:30pm — 3 Comments

ज़िद्दी बालक से अश्रु

अश्रु जब बागी हो जाते हैं 
तो  सुनते ही नहीं 
किसी भी बहाने से 
 बहलाने से …
Continue

Added by amita tiwari on April 29, 2016 at 10:00pm — 9 Comments

आज़ादी का भ्रम छलावा है

आज़ादी का भ्रम छलावा है

कौन यहाँ आज़ाद हो सका…
Continue

Added by amita tiwari on April 25, 2016 at 8:00pm — 3 Comments

अहिल्या के लिए मत सोचना

प्राण तो प्राण हैं दृष्टि के गुलाम हैं
वजह नहीं हैं कदापि ,वजह के अंजाम हैं  
कभी प्रेम पुचकार प्रगाढ़ से
पाषाणी अजन्ता युगवाणी  बना गए
कभी तिरस्कार का तीर भेद  
प्रेयसी अहिल्या को पाषाणी बना गए
अहिल्या के लिए
कभी भी मत सोचना
जैसे ऋषिवर ने नहीं सोचा
परमात्मा ने तो हरगिज़ नहीं  
कि प्रतिलांच्छित पतिव्रता
निरपराध ,निराश्रय अहिल्या
आदतन नारी -धर्म तो…
Continue

Added by amita tiwari on April 12, 2016 at 11:06pm — 4 Comments

उफान नहीं होते

दिखा दे आईना मिला दे खुदी से

अब ऐसे कोई इम्तहान नहीं होते ......

मसीहा के घर न उगे ज्यों मसीहा



बेईमान के हमेशा बेईमान नहीं होते.......

गलियों के ज़िम्मे वो मासूम बचपन

जिनके सर निगेहबान नहीं होते ........

किस्से उनके भी कम नहीं होते

जिनके कभी दर्ज़े बयान नहीं होते ......

महलों में ही चलती हैं…

Continue

Added by amita tiwari on March 26, 2016 at 8:04pm — 9 Comments

निःशब्द

कल सोते सोते

मेरी बांह को अश्रू से भिगोते
मेरे लाल ने जगा दिया
सकते में ला…
Continue

Added by amita tiwari on March 25, 2016 at 8:30pm — 2 Comments

हम भी होली खेलते जो होते अपने देश

हम भी होली खेलते जो होते अपने देश
विधि ने ऐसा वैर निकला भेज दिया परदेश
भेज दिया परदेश लेकिन भेजी न  सोगातें
अपने हिस्से में बस आई भूली बिसरी बातें
 …
Continue

Added by amita tiwari on March 3, 2016 at 11:42pm — 7 Comments

आहत करने से पहले कितना आहत होना पड़ता है

एक आस थी बावरी
बहुत दिन धकिया गयी 
उदास होने ही नहीं दिया  मन
आखिर आज
जब पहुंच ही गए हो
ले के अपने तंज ,दंश
तो आस का क्या
मन का तो बिलकुल ही क्या
मजाल कि बिन झुलसे रह जाए
कोई चूं भी कर जाए
आप तो  बस आप हैं 
सब आप की सौगात है
बहुत बधाई…
Continue

Added by amita tiwari on March 1, 2016 at 1:30am — 2 Comments

तुम्हारा काम इतना भर है

जवाब मेरे पास हैं
और बहुत खास हैं
तुम्हारा काम इतना भर है
कि सवाल भर बनाना है
भुरभुरी रेत पे लिखना है
कोई नाम ही तो मिटाना है
हालत मेरे पास हैं
और बहुत खास हैं
तुम्हारा काम इतना भर है
कि उनको उलझाना है
एक अफवाह फैंकनी है
बस्ती को ही तो  जलवाना है
विश्वास मेरे पास है
और बहुत खास है
तुम्हारा काम इतना भर है
कि बस तोड़ते जाना…
Continue

Added by amita tiwari on February 25, 2016 at 9:04pm — No Comments

गिरने से गुम जात हैं

 गिरने से गुम जात हैं मान अश्रू और ओस
समय धार में वही टिकें जिनके ह्रदय निर्दोष
.
बहते रहिये गंगा सम   जल पीवे संसार
ठहर गए जो जलधि सम हो जाए जल खार
.…
Continue

Added by amita tiwari on February 23, 2016 at 11:30pm — 4 Comments

बस दृष्टा बने रहो

तोड़ कर आरोपित बन्धन 
जब जब
बंधना चाहा जी चाहे बंधन में
पूरी तरह असफलता केवल मिली
न कल न आज
सम्भव ही नहीं स्वंय का स्वंय से मुक्त होना
कभी दलील ने
कभी दहलीज़ ने
कभी सीखी सिखाई
नसों में दौड़ती तहज़ीब ने
रोक लिए कदम
बस केवल हो पाया  इंतज़ार
तारों के जागने का
धूप के भागने का
कि  एक मैं  रहूँ एक मेरा संसार
मेरा आकाश…
Continue

Added by amita tiwari on February 22, 2016 at 10:30pm — 4 Comments

चाणक्य को सज़ा है

नन्द की सभा है

चाणक्य को सज़ा है

बाकी सब ठीक है ......

...

कान्हा जेलों में हैं

कंस मेलों में हैं

बाकी सब ठीक है ........

ताज बहरा है

राज़ गहरा है

बाकी सब ठीक है...........

अखबार झूठी है

तराज़ू देवी रूठी है

बाकी सब ठीक…

Continue

Added by amita tiwari on February 18, 2016 at 10:53pm — 4 Comments

निर्भया का गुनाहगार बाइज़्ज़त बरी

आज फिर भीष्म शर्मसार है

बंद मुठियां भींचती है…

Continue

Added by amita tiwari on February 5, 2016 at 9:30pm — 3 Comments

मुरलिया का मन पहचाना नहीं ......

वंशी बजाते जीता किये जग



मुरलिया का मन पहचाना नहीं ......



कह के गए थे लौटंगे लौटेंगे ...



कहना हमारा तो माना नहीं ......



जिनके पैरों में बादल छिपे हों



उनका तो कोई ठिकाना नहीं .......



जोड़ा कभी दिल ले तोडा कभी



बातों में तेरी अब आना नहीं .........



सौगंध का क्या ले…
Continue

Added by amita tiwari on February 5, 2016 at 9:30pm — 4 Comments

समा गया तुम में

कभी कभी ऐसा भी होता है एहसास
की सचमुच है सचमुच के आस पास
ऐसे ही जैसे स्वास निःस्वास
हवा पानी ये समूचा आकाश
हालाँकि मालूम है
की ये खाली एहसास है
 …
Continue

Added by amita tiwari on February 5, 2016 at 9:00pm — 5 Comments

गावं के घर का एक छोटा द्वार

गावं के घर का एक छोटा द्वार



मेरे गावं के घर में एक छोटा द्वार था

जिससे आ जाया करते थे पाहुने

नाते के रिश्ते के जाने अनजान

घर के गावं के और मेहमान



उसी दरवाज़े से आते थे गावं के बच्चे

लस्सी लेने

खबरें देने

कि किसकी गाय ने

भूरा या कि काला जाया है

और कि रतिया की ससुराल से कौन आया है

खबर ये भी कि रतिया की रसोई में धुंआ है

पकवानों की बारी है

रतिया के ससुराल जाने की तयारी है



इसी द्वार से आई थी माँ

नई नवेली… Continue

Added by amita tiwari on March 10, 2015 at 10:45pm — 8 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service