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Naveen Mani Tripathi's Blog – April 2020 Archive (2)

ग़ज़ल - जो दिल तुझसे वो तेरा मांगता है

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निगाहों से हुई कोई ख़ता है ।

जो दिल तुझसे वो तेरा मांगता है ।।

रवानी जिस मे होती है समंदर ।

उसी दरिया से रिश्ता जोड़ता है ।।

हमारी ज़िन्दगी को रफ्ता रफ्ता ।

कोई सांचे में अपने ढालता है ।।

तुम्हारे हुस्न के दीदार ख़ातिर ।

यहाँ शब भर ज़माना जागता है ।।

कभी तुम हिचकियों से पूछ तो लो ।

तुम्हे अब कौन इतना चाहता है ।।

ठहर जाती हैं नज़रें…

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Added by Naveen Mani Tripathi on April 25, 2020 at 12:35pm — 4 Comments

ग़ज़ल

2122 2122 212

जाने कैसी तिश्नगी है ज़िंदगी ।

ख्वाहिशों की बेबसी है जिंदगी ।।

हर तरफ़ मजबूरियों का दौर है ।

ज़ह्र कितना पी रही है जिंदगी ।।

फ़िक्र किसको है सियासत तू बता ।

भूख से दम तोड़ती है जिंदगी ।।

दर्दो ग़म मत पूछिए मेरा सनम ।

बेवफ़ा सी हो गयी है ज़िन्दगी ।।

इस वबा के जश्न में तू देख तो ।

क्यूँ बहुत सहमी हुई है ज़िन्दगी ।।

है तबाही का नया मंज़र यहां…

Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on April 25, 2020 at 12:27pm — 1 Comment

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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