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All Blog Posts Tagged 'कविता' (987)

"मजदूर"(१ मई मजदूर दिवस पर विशेष)

देह के चमड़ी धुप मे जलावेला,

खून के पसीना बनाके बहावेला,

रुखा सूखा खाके पेट के आग बुझावेला,

सुते खातीर धरती के बिछवना,

अकाश के ओढ़ना बनावेला,

लोग उनका सम्मान मे,

मजदूर दिवस मनावेला ।



सूई से लेके जहाज ले,

सब कुछ मजदूर बनावेला,

ओकरा बादो उनकर नाम,

कबो सामने ना आवेला,

सृजन करीहे मजदूर,

अफसर काटेले फिता,

फिर भी मजदूर आपन,

सेवा हम सब के देता।



सेठ जी जबरन काम करावेले,

मजदूरी मांगे पर डंडा देखावेले,

बंधुवा… Continue

Added by Mahesh Jee on April 30, 2010 at 10:00pm — 5 Comments

लोग...

ऐसे लोग.. वैसे लोग..

मिरे जैसे नहीं होते अब,

मिरे चेहरे जैसे लोग..

किताबों में ढूढ़ते..

गुजरते वक़्त को,

कब के गुजर गए;

गुजरे वक़्त जैसे लोग..

ये काबा तेरा;

ये शिवाला मेरा,

नींदों में कंधा बाँटते..

ये सरहदों जैसे लोग..

मंदिर की चौखट पे;

होती थी बैठकबाजी,

जाने कब मुसलमाँ बने;

ये मज़हबों जैसे लोग..

अजमत-ए-खुदा थी;

जो रंग-ए-सुर्ख दिया,

कल ज़मीन से निकलते;

नीले-पीले से लोग..

लिखता हूँ नज़्म;

बन जाती है… Continue

Added by विवेक मिश्र on April 13, 2010 at 9:55am — 7 Comments

बाह रे भगवान तहार अजबे बा माया ,

बाह रे भगवान तहार अजबे बा माया ,

कही बाटे धुप त कही बाटे छाया ,

जेकरा लागे बाटे,

ओके खूब देत बारs ,

जेकरा लागे नइखे ,

ओकर पेटो ना भरत बारs ,

बाह रे भगवान तहार अजबे बा माया ,

कही बाटे धुप त कही बाटे छाया ,

जेकरा लागे पाईसा बा ,

उ भगवान के जइसन बा

तहरे अइसन इहो ,

अब कम त करत बा ,

जेकरा लागे बाटे ,

ओकरे के पूछत बा ,

जेकरा लागे नइखे ,

ओके दूर से नमस्कार ,

बाह रे भगवान तहार अजबे बा माया ,

कही बाटे धुप त कही बाटे… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 31, 2010 at 4:11pm — 4 Comments

दोस्त बनाई किस्मत चमकाई,

( इ कविता बा हमारा उ सब भाई लोग खातीर जे एड देख के दोस्ती करे ला लोग ओ

लोग के सावधान करे खातीर अंत में जिगोलो सब्द आइल बा जिगोलो मर्द बेस्या के

कहल जाला धन्यवाद राउर आपन रवी कुमार गिरी गुरु )



दोस्त बनाई किस्मत चमकाई,

अइसन एड अक्सर ,

न्यूज़ पेपर में आवे ला ,

जवन मन के भावे ला ,

भईया इ मन भावन एड से ,

रहीआ दुरी बनाई ,

इ किस्मत ना चमकाई ,

एक जाना इ एड के देखी ,

दिहले फोन मिलाई ,

दूसरा तरफ से आवाज ,

खनखनात महिला के आइल… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 31, 2010 at 2:26pm — 4 Comments

"एक था और एक थी"

This poem is not written by me......This is my one of favourite poem

एक था’…

Continue

Added by Raju on March 31, 2010 at 1:57pm — 4 Comments

अइसन तू दिहलू ग़म प्यार में

अइसन तू दिहलू ग़म प्यार में हमके सनम
जीयल अब जाई ना बिन तोहरा…
Continue

Added by PREETAM TIWARY(PREET) on March 31, 2010 at 11:04am — 8 Comments


मुख्य प्रबंधक
-माई तनिक बतावS मोहे, का हो गईल हमसे कसूर.

आज रात के बात, पुरी तरह से बावे याद,

एक छोटी सी,नन्ही सी, प्यारी सी गुड़िया,

करत रहल बहुत ही कातर गुहार,

माई तनिक बतावS मोहे, का हो गईल हमसे कसूर,

दुनिया मे आवे से पहिले, कईल चाहेलू तू अपना से दूर,



तोहरे खून से सिचिंत बानी, तोहरे हई हम त अंश,

अपने हाथ से अपना के मिटा के, कईसे सहबू इ पाप के दंश,

अपने से ही बनावल गुड़िया, कईसे देबू हपने से तूर,

माई तनिक बतावS मोहे, का हो गईल हमसे कसूर,

दुनिया मे आवे से पहिले, कईल चाहेलू तू अपना से दूर,…

Continue

Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 30, 2010 at 2:30pm — 7 Comments

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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