Dr. Sanjay dani's Posts - Open Books Online2024-03-28T18:00:37ZDr. Sanjay danihttp://www.openbooksonline.com/profile/DrSanjaydanihttp://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2890118648?profile=RESIZE_48X48&width=48&height=48&crop=1%3A1http://www.openbooksonline.com/profiles/blog/feed?user=3iylq84br1abs&xn_auth=noबेवफ़ाओं से दोस्तीtag:www.openbooksonline.com,2011-05-31:5170231:BlogPost:847152011-05-31T01:38:39.000ZDr. Sanjay danihttp://www.openbooksonline.com/profile/DrSanjaydani
<p>मुझसे तन्हाई मेरी ये पूछती है,</p>
<p>बेवफ़ाओं से तेरी क्यूं दोस्ती है।</p>
<p> </p>
<p>चल पड़ा हूं मुहब्बत के सफ़र में,</p>
<p>पैरों पर छाले रगों में बेखुदी है।</p>
<p> </p>
<p>पानी के व्यापार में पैसा बहुत है,</p>
<p>अब तराजू की गिरह में हर नदी है।</p>
<p> </p>
<p>एक तारा टूटा है आसमां पर,</p>
<p>शौक़ की धरती सुकूं से सो रही है।</p>
<p> </p>
<p>बिल्डरों के द्वारा संवरेगा नगर अब,</p>
<p>सुन ये, पेड़ों के मुहल्ले में ग़मी है।</p>
<p> </p>
<p>हां अंधेरों का मुसाफ़िर चांद भी है,</p>
<p>चांदनी के…</p>
<p>मुझसे तन्हाई मेरी ये पूछती है,</p>
<p>बेवफ़ाओं से तेरी क्यूं दोस्ती है।</p>
<p> </p>
<p>चल पड़ा हूं मुहब्बत के सफ़र में,</p>
<p>पैरों पर छाले रगों में बेखुदी है।</p>
<p> </p>
<p>पानी के व्यापार में पैसा बहुत है,</p>
<p>अब तराजू की गिरह में हर नदी है।</p>
<p> </p>
<p>एक तारा टूटा है आसमां पर,</p>
<p>शौक़ की धरती सुकूं से सो रही है।</p>
<p> </p>
<p>बिल्डरों के द्वारा संवरेगा नगर अब,</p>
<p>सुन ये, पेड़ों के मुहल्ले में ग़मी है।</p>
<p> </p>
<p>हां अंधेरों का मुसाफ़िर चांद भी है,</p>
<p>चांदनी के ज़ुल्फ़ों की आवारगी है।</p>
<p> </p>
<p>अब खिलौनों वास्ते बच्चा न रोता,</p>
<p>टीवी के दम से जवानी चढ गई है।</p>
<p> </p>
<p>दिल की कश्ती को किनारों ने डुबाया,</p>
<p>इसलिये मंझधार से मिलने चली है।</p>
<p> </p>
<p>मत लगाना हुस्न पर इल्ज़ाम दानी,</p>
<p>ऐसे केसों में गवाहों की कमी है।</p>
<p>--</p>