Anita Maurya's Posts - Open Books Online2024-03-29T05:36:13ZAnita Mauryahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnitaMauryahttp://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2991284811?profile=RESIZE_48X48&width=48&height=48&crop=1%3A1http://www.openbooksonline.com/profiles/blog/feed?user=2608818io45s6&xn_auth=noआँसूtag:www.openbooksonline.com,2022-07-15:5170231:BlogPost:10869632022-07-15T14:14:41.000ZAnita Mauryahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnitaMaurya
<p><br/>2122 1212 22</p>
<p></p>
<p>उसकी आँखों से जूझते आँसू<br/>मैंने देखे हैं बोलते आँसू</p>
<p></p>
<p>कैसे आँखों में बाँध रक्खोगे,<br/>हिज्र की शब में काँपते आँसू,</p>
<p></p>
<p>राज़ कितने छुपाये हैं मन में,<br/>उस की पलकों से झाँकते आँसू</p>
<p></p>
<p>कैसे तस्लीम कर लिये जायें<br/>बेवफ़ा तेरे वास्ते आँसू,</p>
<p></p>
<p>इब्तिदा इश्क़ की हँसाती थी,<br/>इंतिहा में हैं टूटते आँसू</p>
<p></p>
<p>मौलिक व अप्रकाशित</p>
<p><br/>2122 1212 22</p>
<p></p>
<p>उसकी आँखों से जूझते आँसू<br/>मैंने देखे हैं बोलते आँसू</p>
<p></p>
<p>कैसे आँखों में बाँध रक्खोगे,<br/>हिज्र की शब में काँपते आँसू,</p>
<p></p>
<p>राज़ कितने छुपाये हैं मन में,<br/>उस की पलकों से झाँकते आँसू</p>
<p></p>
<p>कैसे तस्लीम कर लिये जायें<br/>बेवफ़ा तेरे वास्ते आँसू,</p>
<p></p>
<p>इब्तिदा इश्क़ की हँसाती थी,<br/>इंतिहा में हैं टूटते आँसू</p>
<p></p>
<p>मौलिक व अप्रकाशित</p>ग़ज़लtag:www.openbooksonline.com,2022-07-11:5170231:BlogPost:10863412022-07-11T02:43:53.000ZAnita Mauryahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnitaMaurya
<p></p>
<p>212 212 212 212</p>
<p></p>
<p>साथ यादों के उनके ज़माने चले<br/>हम ग़ज़ल कोई जब गुनगुनाने चले</p>
<p></p>
<p>है मुहब्बत का दुश्मन ज़माना तो क्या<br/>हीर राँझा को दरया मिलाने चले</p>
<p></p>
<p>हाथ थामो मेरा और चलो उस तरफ़<br/>जिस तरफ़ दुनिया भर के दिवाने चले</p>
<p></p>
<p>चाह सुहबत की है इसलिए आज हम<br/>चाय पर दोस्तो को बुलाने चले</p>
<p></p>
<p>दाद महफ़िल में जब ख़ूब मिलने लगी<br/>यूँ लगा शेर सारे ठिकाने चले</p>
<p></p>
<p><span>मौलिक व अप्रकाशित</span></p>
<p></p>
<p>212 212 212 212</p>
<p></p>
<p>साथ यादों के उनके ज़माने चले<br/>हम ग़ज़ल कोई जब गुनगुनाने चले</p>
<p></p>
<p>है मुहब्बत का दुश्मन ज़माना तो क्या<br/>हीर राँझा को दरया मिलाने चले</p>
<p></p>
<p>हाथ थामो मेरा और चलो उस तरफ़<br/>जिस तरफ़ दुनिया भर के दिवाने चले</p>
<p></p>
<p>चाह सुहबत की है इसलिए आज हम<br/>चाय पर दोस्तो को बुलाने चले</p>
<p></p>
<p>दाद महफ़िल में जब ख़ूब मिलने लगी<br/>यूँ लगा शेर सारे ठिकाने चले</p>
<p></p>
<p><span>मौलिक व अप्रकाशित</span></p>ग़ज़लtag:www.openbooksonline.com,2022-07-08:5170231:BlogPost:10864262022-07-08T13:16:14.000ZAnita Mauryahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnitaMaurya
<p>२२२ २२२ २२ <br/>***************</p>
<p>ये मत पूछो क्या-क्या निकला, <br/>आँसू का इक दरया निकला</p>
<p></p>
<p>हम उसके दिल से यूँ निकले <br/>जैसे कोई काँटा निकला</p>
<p></p>
<p>जिसको जितना गहरा समझे <br/>वो उतना ही उथला निकला</p>
<p></p>
<p>हिज्र की शब की बात बताऊँ ? <br/>सदियों जैसा लम्हा निकला</p>
<p></p>
<p>दुनिया का ग़म, आहें, तड़पन <br/>दिल से कितना मलबा निकला ....</p>
<p></p>
<p>मौलिक व अप्रकाशित</p>
<p>२२२ २२२ २२ <br/>***************</p>
<p>ये मत पूछो क्या-क्या निकला, <br/>आँसू का इक दरया निकला</p>
<p></p>
<p>हम उसके दिल से यूँ निकले <br/>जैसे कोई काँटा निकला</p>
<p></p>
<p>जिसको जितना गहरा समझे <br/>वो उतना ही उथला निकला</p>
<p></p>
<p>हिज्र की शब की बात बताऊँ ? <br/>सदियों जैसा लम्हा निकला</p>
<p></p>
<p>दुनिया का ग़म, आहें, तड़पन <br/>दिल से कितना मलबा निकला ....</p>
<p></p>
<p>मौलिक व अप्रकाशित</p>एक साँचे में ढाल रक्खा हैtag:www.openbooksonline.com,2021-10-20:5170231:BlogPost:10712632021-10-20T14:00:00.000ZAnita Mauryahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnitaMaurya
<p>२१२२ १२१२ २२<br/> फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन<br/> <br/> एक साँचे में ढाल रक्खा है <br/> हम ने दिल को सँभाल रक्खा है</p>
<p></p>
<p>तेरी दुनिया की भीड़ में मौला <br/> ख़ुद ही अपना ख़याल रक्खा है</p>
<p></p>
<p>दर्द अब आँख तक नहीं आता <br/> दर्द को दिल में पाल रक्खा है</p>
<p></p>
<p>चल के उल्फ़त की राह में देखा <br/> हर क़दम पर <span>वबाल</span> रक्खा है</p>
<p><br/> मौलिक व अप्रकाशित</p>
<p>२१२२ १२१२ २२<br/> फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन<br/> <br/> एक साँचे में ढाल रक्खा है <br/> हम ने दिल को सँभाल रक्खा है</p>
<p></p>
<p>तेरी दुनिया की भीड़ में मौला <br/> ख़ुद ही अपना ख़याल रक्खा है</p>
<p></p>
<p>दर्द अब आँख तक नहीं आता <br/> दर्द को दिल में पाल रक्खा है</p>
<p></p>
<p>चल के उल्फ़त की राह में देखा <br/> हर क़दम पर <span>वबाल</span> रक्खा है</p>
<p><br/> मौलिक व अप्रकाशित</p>नज़्म - कहाँ जाऊँ के तेरी याद काtag:www.openbooksonline.com,2018-10-17:5170231:BlogPost:9539322018-10-17T03:30:00.000ZAnita Mauryahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnitaMaurya
<p>कहाँ जाऊँ के तेरी याद का झोंका नहीं आये, <br></br> कि तेरे साथ का गुज़रा कोई लम्हा न तड़पाये,</p>
<p></p>
<p>कभी कपड़ों में मिल जाते हैं तेरे रंग के जादू, <br></br> मुझे महका के जाती हैं तेरे ही ब्राण्ड की ख़ुश्बू ,</p>
<p></p>
<p>मेरे हाथों की मेहंदी में तेरा ही अक़्स उभरे है, <br></br> मेरी साँसों में भी जानां तेरी ही साँस महके है,</p>
<p></p>
<p>पसंदीदा तुम्हारा जब कोई खाना बनाती हूँ, <br></br> तुम्हारे नाम की थाली अलग से मैं लगाती हूँ,</p>
<p></p>
<p>मिला कर दर्द में आँसू तेरा चेहरा बनाती हूँ, <br></br> मैं…</p>
<p>कहाँ जाऊँ के तेरी याद का झोंका नहीं आये, <br/> कि तेरे साथ का गुज़रा कोई लम्हा न तड़पाये,</p>
<p></p>
<p>कभी कपड़ों में मिल जाते हैं तेरे रंग के जादू, <br/> मुझे महका के जाती हैं तेरे ही ब्राण्ड की ख़ुश्बू ,</p>
<p></p>
<p>मेरे हाथों की मेहंदी में तेरा ही अक़्स उभरे है, <br/> मेरी साँसों में भी जानां तेरी ही साँस महके है,</p>
<p></p>
<p>पसंदीदा तुम्हारा जब कोई खाना बनाती हूँ, <br/> तुम्हारे नाम की थाली अलग से मैं लगाती हूँ,</p>
<p></p>
<p>मिला कर दर्द में आँसू तेरा चेहरा बनाती हूँ, <br/> मैं अक्सर चाँद तारों को तेरे क़िस्से सुनाती हूँ,</p>
<p></p>
<p>खुदाया अबके जब लिखा यही तहरीर लिख देना, <br/> उसे तुम मेरी हाथों में सजी तस्वीर लिख देना</p>
<p>!!अनुश्री!!</p>
<p><br/> मौलिक व अप्रकाशित</p>बोल देती है बेज़ुबानी भीtag:www.openbooksonline.com,2018-02-16:5170231:BlogPost:9141522018-02-16T10:30:00.000ZAnita Mauryahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnitaMaurya
<p>2122 1212 22 </p>
<p></p>
<p>बोल देती है बेज़ुबानी भी,</p>
<p>ख़ामशी के कई म'आनी भी,</p>
<p></p>
<p>वो मरासिम बढ़ा के छोड़ गया,</p>
<p>दर्द होता है जाविदानी भी</p>
<p></p>
<p>वक़्त - बेवक़्त ही निकल आये</p>
<p>है अजब आँख का ये पानी भी,</p>
<p></p>
<p>वो सबब है मेरी उदासी का,</p>
<p>उससे है दोस्ती पुरानी भी,</p>
<p></p>
<p>जन्म देकर क़ज़ा तलक लायी,</p>
<p>ज़िन्दगी तेरी मेज़बानी भी,</p>
<p></p>
<p>आज फिर क़ैस को ही मरना पड़ा,</p>
<p>हो गयी ख़त्म ये कहानी भी। .. ...</p>
<p></p>
<p>मौलिक व् अप्रकाशित</p>
<p>2122 1212 22 </p>
<p></p>
<p>बोल देती है बेज़ुबानी भी,</p>
<p>ख़ामशी के कई म'आनी भी,</p>
<p></p>
<p>वो मरासिम बढ़ा के छोड़ गया,</p>
<p>दर्द होता है जाविदानी भी</p>
<p></p>
<p>वक़्त - बेवक़्त ही निकल आये</p>
<p>है अजब आँख का ये पानी भी,</p>
<p></p>
<p>वो सबब है मेरी उदासी का,</p>
<p>उससे है दोस्ती पुरानी भी,</p>
<p></p>
<p>जन्म देकर क़ज़ा तलक लायी,</p>
<p>ज़िन्दगी तेरी मेज़बानी भी,</p>
<p></p>
<p>आज फिर क़ैस को ही मरना पड़ा,</p>
<p>हो गयी ख़त्म ये कहानी भी। .. ...</p>
<p></p>
<p>मौलिक व् अप्रकाशित</p>मुहब्बत के सफ़रtag:www.openbooksonline.com,2018-02-10:5170231:BlogPost:9134012018-02-10T13:11:24.000ZAnita Mauryahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnitaMaurya
<p>1222 1222 122</p>
<p></p>
<p>मुहब्बत के सफ़र की दास्ताँ है,</p>
<p>तू मेरी जान है मेरा जहाँ है,</p>
<p></p>
<p>मेरी मुस्कान होठों पर सजी और,</p>
<p>मेरा ग़म मेरी आँखों में निहां है,</p>
<p></p>
<p>शबे -ग़म हिज्र का तुझको सताये,</p>
<p>वो मेरी ज़िन्दगी में भी रवां है,</p>
<p></p>
<p>सफ़र में साथ मेरे तुम हो जानां,</p>
<p>मेरे कदमों के नीचे आसमां है,</p>
<p></p>
<p>लबों से कुछ नहीं कहता कभी वो,</p>
<p>बस उसके लम्स से सबकुछ अयाँ है..</p>
<p></p>
<p>मौलिक व् अप्रकाशित</p>
<p>1222 1222 122</p>
<p></p>
<p>मुहब्बत के सफ़र की दास्ताँ है,</p>
<p>तू मेरी जान है मेरा जहाँ है,</p>
<p></p>
<p>मेरी मुस्कान होठों पर सजी और,</p>
<p>मेरा ग़म मेरी आँखों में निहां है,</p>
<p></p>
<p>शबे -ग़म हिज्र का तुझको सताये,</p>
<p>वो मेरी ज़िन्दगी में भी रवां है,</p>
<p></p>
<p>सफ़र में साथ मेरे तुम हो जानां,</p>
<p>मेरे कदमों के नीचे आसमां है,</p>
<p></p>
<p>लबों से कुछ नहीं कहता कभी वो,</p>
<p>बस उसके लम्स से सबकुछ अयाँ है..</p>
<p></p>
<p>मौलिक व् अप्रकाशित</p>रंगtag:www.openbooksonline.com,2017-10-25:5170231:BlogPost:8918752017-10-25T13:57:53.000ZAnita Mauryahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnitaMaurya
<p>२१२२ १२१२ २२</p>
<p>फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन</p>
<p>******************************</p>
<p>रंग ख़ुशियों के कल बदलते ही,</p>
<p>ग़म ने थामा मुझे फिसलते ही,</p>
<p></p>
<p>मैं जो सूरज के ख़्वाब लिखती थी,</p>
<p>ढल गयी हूँ मैं शाम ढलते ही,</p>
<p></p>
<p>राह सच की बहुत ही मुश्किल है,</p>
<p>पाँव थकने लगे हैं चलते ही</p>
<p></p>
<p>वो मुहब्बत पे ख़ाक डाल गया</p>
<p>बुझ गया इक चराग़ जलते ही,</p>
<p></p>
<p>ख़्वाब नाज़ुक हैं काँच के जैसे,</p>
<p>टूट जाते हैं आँख मलते ही…</p>
<p>२१२२ १२१२ २२</p>
<p>फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन</p>
<p>******************************</p>
<p>रंग ख़ुशियों के कल बदलते ही,</p>
<p>ग़म ने थामा मुझे फिसलते ही,</p>
<p></p>
<p>मैं जो सूरज के ख़्वाब लिखती थी,</p>
<p>ढल गयी हूँ मैं शाम ढलते ही,</p>
<p></p>
<p>राह सच की बहुत ही मुश्किल है,</p>
<p>पाँव थकने लगे हैं चलते ही</p>
<p></p>
<p>वो मुहब्बत पे ख़ाक डाल गया</p>
<p>बुझ गया इक चराग़ जलते ही,</p>
<p></p>
<p>ख़्वाब नाज़ुक हैं काँच के जैसे,</p>
<p>टूट जाते हैं आँख मलते ही ...!!अनुश्री!!</p>
<p></p>
<p>स्वरचित व अप्रकाशित </p>ग़ज़ल - जो तेरे इश्क़ की खुमारी है,tag:www.openbooksonline.com,2017-08-18:5170231:BlogPost:8743242017-08-18T03:39:36.000ZAnita Mauryahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnitaMaurya
<p>जो तेरे इश्क़ की खुमारी है,</p>
<p>हमने तो रूह में उतारी है,</p>
<p></p>
<p>दर्द पलकों से टूट बिखरा है,</p>
<p>इन दिनों ग़म से मेरी यारी है,</p>
<p></p>
<p>तू मेरी सांस में उतर आया,</p>
<p>इश्क़ है या कोई बीमारी है ,</p>
<p></p>
<p>तू निगाहों में या कि दिल में रहे,</p>
<p>मेरी मुझसे ही जंग जारी है,</p>
<p></p>
<p>वस्ल के नाम नींद को रख कर,</p>
<p>हमने शब आँख में गुजारी है !!अनुश्री!!</p>
<p></p>
<p>मौलिक व् अप्रकाशित</p>
<p>जो तेरे इश्क़ की खुमारी है,</p>
<p>हमने तो रूह में उतारी है,</p>
<p></p>
<p>दर्द पलकों से टूट बिखरा है,</p>
<p>इन दिनों ग़म से मेरी यारी है,</p>
<p></p>
<p>तू मेरी सांस में उतर आया,</p>
<p>इश्क़ है या कोई बीमारी है ,</p>
<p></p>
<p>तू निगाहों में या कि दिल में रहे,</p>
<p>मेरी मुझसे ही जंग जारी है,</p>
<p></p>
<p>वस्ल के नाम नींद को रख कर,</p>
<p>हमने शब आँख में गुजारी है !!अनुश्री!!</p>
<p></p>
<p>मौलिक व् अप्रकाशित</p>गीतtag:www.openbooksonline.com,2017-02-07:5170231:BlogPost:8345992017-02-07T23:18:00.000ZAnita Mauryahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnitaMaurya
<p><span>ओ मेरे जीवन के सृंगार, मेरे पहले पहले प्यार,</span></p>
<p><span>तुम आओ तो हो जाये, मेरा हर सपना साकार</span></p>
<p></p>
<p><span>खेतों में सरसों लहराई, चलने लगी बैरन पुरवाई,</span></p>
<p><span>तन - मन में है आग लगाये, सुने न मेरी वो हरजाई,</span></p>
<p><span>तुम बिन सूना - सूना लागे, मुझको ये संसार।।</span></p>
<p><span>तुम आओ तो हो जाये, मेरा हर सपना साकार। ....</span></p>
<p></p>
<p><span>फागुन ने है पंख पसारे, रस्ता देखे नैन तिहारे,</span></p>
<p><span>चूड़ी, काजल, बिंदिया, पायल,…</span></p>
<p><span>ओ मेरे जीवन के सृंगार, मेरे पहले पहले प्यार,</span></p>
<p><span>तुम आओ तो हो जाये, मेरा हर सपना साकार</span></p>
<p></p>
<p><span>खेतों में सरसों लहराई, चलने लगी बैरन पुरवाई,</span></p>
<p><span>तन - मन में है आग लगाये, सुने न मेरी वो हरजाई,</span></p>
<p><span>तुम बिन सूना - सूना लागे, मुझको ये संसार।।</span></p>
<p><span>तुम आओ तो हो जाये, मेरा हर सपना साकार। ....</span></p>
<p></p>
<p><span>फागुन ने है पंख पसारे, रस्ता देखे नैन तिहारे,</span></p>
<p><span>चूड़ी, काजल, बिंदिया, पायल, सब मिल तेरा नाम पुकारे,</span></p>
<p><span>अपने रंग में रंग ले मुझको, करती हूँ मनुहार।।</span></p>
<p><span>तुम आओ तो हो जाये, मेरा हर सपना साकार। ...</span></p>
<p></p>
<p><span>तुम कान्हा, मैं राधिका सी, तेरे दरस को अँखिया प्यासी,</span></p>
<p><span>चहुँ ओर खिलते चेहरे हैं, मुझपर ही है छायी उदासी,</span></p>
<p><span>मेरे दिल का है आमन्त्रण, कर लेना स्वीकार। .</span></p>
<p><span>तुम आओ तो हो जाये, मेरा हर सपना साकार। ...</span></p>
<p></p>
<p><span>मौलिक व अप्रकाशित </span></p>गीतtag:www.openbooksonline.com,2017-01-28:5170231:BlogPost:8322112017-01-28T09:53:14.000ZAnita Mauryahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnitaMaurya
<p>जब भी गाया तुमको गाया , तुम बिन मेरे गीत अधूरे, <br></br>तुमको ही बस ढूंढ रहा मन, तुम बिन मेरे सपने कोरे,</p>
<p></p>
<p>तुमको ही अपने जीवन के नस नस में बहता ज्वार कहा, <br></br>मेरे मन की सीपी के तुम ही हो पहला प्यार कहा, <br></br>एकाकी मन के आँगन में, बरसो बन कर मेघ घनेरे,</p>
<p>तुमको ही बस ढूंढ रहा मन, तुम बिन मेरे सपने कोरे,</p>
<p></p>
<p>तुम इन्हीं पुरानी राहों के राही हो कैसे भूल गये, <br></br>आँखों से आँखों में गढ़ना सपन सुहाने भूल गये, <br></br>तुमको ही मन गुनता रहता हर दिन, हर पल, शाम सवेरे,…</p>
<p>जब भी गाया तुमको गाया , तुम बिन मेरे गीत अधूरे, <br/>तुमको ही बस ढूंढ रहा मन, तुम बिन मेरे सपने कोरे,</p>
<p></p>
<p>तुमको ही अपने जीवन के नस नस में बहता ज्वार कहा, <br/>मेरे मन की सीपी के तुम ही हो पहला प्यार कहा, <br/>एकाकी मन के आँगन में, बरसो बन कर मेघ घनेरे,</p>
<p>तुमको ही बस ढूंढ रहा मन, तुम बिन मेरे सपने कोरे,</p>
<p></p>
<p>तुम इन्हीं पुरानी राहों के राही हो कैसे भूल गये, <br/>आँखों से आँखों में गढ़ना सपन सुहाने भूल गये, <br/>तुमको ही मन गुनता रहता हर दिन, हर पल, शाम सवेरे, <br/>तुमको ही बस ढूंढ रहा मन, तुम बिन मेरे सपने कोरे,</p>
<p><br/>जो पल तुम संग बीत गया, वो पल मेरे मधुमास प्रिय, <br/>ये जो तुम बिन बीत रहा, ये पल मेरे वनवास प्रिय, <br/>मैं मीरा सी प्रेम दीवानी, आन मिलो घनश्याम मेरे <br/>तुमको ही बस ढूंढ रहा मन, तुम बिन मेरे सपने कोरे,</p>
<p></p>
<p>मौलिक व अप्रकाशित</p>ग़ज़ल : दिल के पन्नों परtag:www.openbooksonline.com,2016-12-10:5170231:BlogPost:8194172016-12-10T04:30:00.000ZAnita Mauryahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnitaMaurya
<div><div class="_1mf _1mj"><span>2122 2122 2122 212</span></div>
<div class="_1mf _1mj"></div>
<div class="_1mf _1mj"><span>दिल के पन्नों पर तुम्हारी याद उभरी जाय है,</span></div>
</div>
<div><div class="_1mf _1mj"><span>तुम नहीं तो हर ख़ुशी अब ग़म में ढलती जाय है,</span></div>
</div>
<div><div class="_1mf _1mj"><span> </span></div>
</div>
<div><div class="_1mf _1mj"><span>मैंने मुठ्ठी में कभी बाँधा नहीं पर जिन्दगी,</span></div>
</div>
<div><div class="_1mf _1mj"><span>रेत की मानिंद हाथों से…</span></div>
</div>
<div><div class="_1mf _1mj"><span>2122 2122 2122 212</span></div>
<div class="_1mf _1mj"></div>
<div class="_1mf _1mj"><span>दिल के पन्नों पर तुम्हारी याद उभरी जाय है,</span></div>
</div>
<div><div class="_1mf _1mj"><span>तुम नहीं तो हर ख़ुशी अब ग़म में ढलती जाय है,</span></div>
</div>
<div><div class="_1mf _1mj"><span> </span></div>
</div>
<div><div class="_1mf _1mj"><span>मैंने मुठ्ठी में कभी बाँधा नहीं पर जिन्दगी,</span></div>
</div>
<div><div class="_1mf _1mj"><span>रेत की मानिंद हाथों से फिसलती जाय है,</span></div>
</div>
<div><div class="_1mf _1mj"><span> </span></div>
</div>
<div><div class="_1mf _1mj"><span>आज क्यूँ मौसम भी हँसता गुनगुनाता जा रहा,</span></div>
</div>
<div><div class="_1mf _1mj"><span>क्या तेरी खुशबू फ़िज़ा महसूस करती जाय है,</span></div>
</div>
<div><div class="_1mf _1mj"><span> </span></div>
</div>
<div><div class="_1mf _1mj"><span>आँख की डिबिया में कितने ख़्वाब मेरी बन्द थे,</span></div>
</div>
<div><div class="_1mf _1mj"><span>अब जरुरत के तले हर चाह मरती जाय है,</span></div>
</div>
<div><div class="_1mf _1mj"><span> </span></div>
</div>
<div><div class="_1mf _1mj"><span>कैसे अपने मुल्क को महफूज़ रक्खें हम जहाँ,</span></div>
</div>
<div><div class="_1mf _1mj"><span>जिन्दगी ही जिन्दगी का क़त्ल करती जाय है... !!अनुश्री!!</span></div>
<div class="_1mf _1mj"></div>
<div class="_1mf _1mj"><span>मौलिक और अप्रकाशित .... </span></div>
</div>ग़ज़ल - जिन्दगी फिर जिन्दगी लगने लगीtag:www.openbooksonline.com,2016-11-23:5170231:BlogPost:8153832016-11-23T11:00:00.000ZAnita Mauryahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnitaMaurya
<p>2122 2122 212 </p>
<p></p>
<p>जिन्दगी फिर जिन्दगी लगने लगी,<br/>तुम मिले दुनिया नयी लगने लगी,</p>
<p></p>
<p>तुमने सींचा जब वफ़ा और प्यार से,<br/>फिर जमीं दिल की हरी लगने लगी,</p>
<p></p>
<p>रात के कोसे में चमका चाँद जब,<br/>हर घड़ी तेरी कमी लगने लगी,</p>
<p></p>
<p>तुमने देखा जब नज़र भर प्यार से,<br/>रूह अपनी अज़नबी लगने लगी,</p>
<p></p>
<p>कबसे आँखों ने सहर देखी नहीं,<br/>दीद तेरी लाजिमी लगने लगी..... !!अनुश्री!!</p>
<p></p>
<p>मौलिक और अप्रकाशित...</p>
<p>2122 2122 212 </p>
<p></p>
<p>जिन्दगी फिर जिन्दगी लगने लगी,<br/>तुम मिले दुनिया नयी लगने लगी,</p>
<p></p>
<p>तुमने सींचा जब वफ़ा और प्यार से,<br/>फिर जमीं दिल की हरी लगने लगी,</p>
<p></p>
<p>रात के कोसे में चमका चाँद जब,<br/>हर घड़ी तेरी कमी लगने लगी,</p>
<p></p>
<p>तुमने देखा जब नज़र भर प्यार से,<br/>रूह अपनी अज़नबी लगने लगी,</p>
<p></p>
<p>कबसे आँखों ने सहर देखी नहीं,<br/>दीद तेरी लाजिमी लगने लगी..... !!अनुश्री!!</p>
<p></p>
<p>मौलिक और अप्रकाशित...</p>ग़ज़लtag:www.openbooksonline.com,2014-04-27:5170231:BlogPost:5350352014-04-27T15:07:58.000ZAnita Mauryahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnitaMaurya
<p><span>ये न सोचों कि खुशियों में बसर होती है,</span></p>
<p><span>कई महलों में भी फांके की सहर होती है !</span></p>
<p></p>
<p><span>उसकी आँखों को छलकते हुए आँसूं ही मिले,</span></p>
<p><span>वो तो औरत है, कहाँ उसकी कदर होती है</span></p>
<p></p>
<p><span><span>कहीं मासूम को खाने को निवाला न मिला,</span></span></p>
<p><span><span>कहीं पकवानों से कुत्तों की गुजर होती है,</span></span></p>
<p></p>
<p><span><span>वो तो मजलूम था, तारीख पे तारीख मिली,</span></span></p>
<p><span><span>जहाँ दौलत हो…</span></span></p>
<p><span>ये न सोचों कि खुशियों में बसर होती है,</span></p>
<p><span>कई महलों में भी फांके की सहर होती है !</span></p>
<p></p>
<p><span>उसकी आँखों को छलकते हुए आँसूं ही मिले,</span></p>
<p><span>वो तो औरत है, कहाँ उसकी कदर होती है</span></p>
<p></p>
<p><span><span>कहीं मासूम को खाने को निवाला न मिला,</span></span></p>
<p><span><span>कहीं पकवानों से कुत्तों की गुजर होती है,</span></span></p>
<p></p>
<p><span><span>वो तो मजलूम था, तारीख पे तारीख मिली,</span></span></p>
<p><span><span>जहाँ दौलत हो इनायत भी उधर होती है,</span></span></p>
<p></p>
<p><span><span>दिन गुजरता है काम करते, रात सपनों में,</span></span></p>
<p><span><span>जिंदगी ग़रीब की ऐसे ही बसर होती है </span></span>!!अनुश्री!!</p>
<p></p>
<p></p>
<p>मौलिक व अप्रकाशित</p>बसंतtag:www.openbooksonline.com,2014-02-05:5170231:BlogPost:5080802014-02-05T03:55:16.000ZAnita Mauryahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnitaMaurya
<p>'लो' <br></br>फिर आ गया बसन्त, <br></br>प्रेम का उन्माद लिए, <br></br>प्रियतम की याद लिए,</p>
<p></p>
<p>'बसन्त' तो मेरे <br></br>मन का भी था, <br></br>रह गया उम्र के <br></br>उसी मोड़ पर, <br></br>लौटा ही नहीं, <br></br>जिंदगी उस <br></br>फफोले की मानिंद है, <br></br>जो रिसता है <br></br>आहिस्ता आहिस्ता, <br></br>बेइंतहां दर्द के साथ, <br></br>परन्तु सूखता नहीं,</p>
<p></p>
<p>नहीं खिलता <br></br>मेरे चेहरे पर, <br></br>सरसों के फूल का <br></br>पीला रंग, <br></br>पलाश के फूल <br></br>हर बार की तरह <br></br>इस बार भी <br></br>मुझे रिझाने में <br></br>नाकामयाब…</p>
<p>'लो' <br/>फिर आ गया बसन्त, <br/>प्रेम का उन्माद लिए, <br/>प्रियतम की याद लिए,</p>
<p></p>
<p>'बसन्त' तो मेरे <br/>मन का भी था, <br/>रह गया उम्र के <br/>उसी मोड़ पर, <br/>लौटा ही नहीं, <br/>जिंदगी उस <br/>फफोले की मानिंद है, <br/>जो रिसता है <br/>आहिस्ता आहिस्ता, <br/>बेइंतहां दर्द के साथ, <br/>परन्तु सूखता नहीं,</p>
<p></p>
<p>नहीं खिलता <br/>मेरे चेहरे पर, <br/>सरसों के फूल का <br/>पीला रंग, <br/>पलाश के फूल <br/>हर बार की तरह <br/>इस बार भी <br/>मुझे रिझाने में <br/>नाकामयाब रहे,</p>
<p></p>
<p>तुम्हारी यादों के <br/>चंद आँसूं, <br/>पलकों पर सजा <br/>'कभी कभी' <br/>इतरा लेती हूँ <br/>'मैं भी'</p>
<p></p>
<p>ओ मेरे जीवन के श्रृंगार, <br/>मेरे पहले प्यार, <br/>'तुम' आओ <br/>तो बसंत आये। .!!अनु!!</p>
<p></p>
<p>(मौलिक एवं अप्रकाशित )</p>प्रेम गीतtag:www.openbooksonline.com,2014-01-12:5170231:BlogPost:4990872014-01-12T17:00:00.000ZAnita Mauryahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnitaMaurya
<p>प्रीत की चली पवन, <br></br>जब मिले धरा गगन, <br></br>मेघों के गर्जन, <br></br>संगीत बन गए, <br></br>बज उठे नूपुर, <br></br>प्रेम गीत बन गए।</p>
<p></p>
<p>कान्हा की बंसी ने <br></br>प्रेम धुन बजाई <br></br>होके दीवानी देखो <br></br>राधा चली आई <br></br>अजनबी थे जो, <br></br>मन के मीत बन गए, <br></br>बज उठे नूपुर, <br></br>प्रेम गीत बन गए।</p>
<p></p>
<p>चंद्रमा के प्रेम में, <br></br>चांदनी पिघल रही, <br></br>बिन तुम्हारे नेह की, <br></br>रागिनी मचल रही, <br></br>प्रीत में यही, <br></br>जग की रीत बन गए, <br></br>बज उठे नूपुर, <br></br>प्रेम गीत बन…</p>
<p>प्रीत की चली पवन, <br/>जब मिले धरा गगन, <br/>मेघों के गर्जन, <br/>संगीत बन गए, <br/>बज उठे नूपुर, <br/>प्रेम गीत बन गए।</p>
<p></p>
<p>कान्हा की बंसी ने <br/>प्रेम धुन बजाई <br/>होके दीवानी देखो <br/>राधा चली आई <br/>अजनबी थे जो, <br/>मन के मीत बन गए, <br/>बज उठे नूपुर, <br/>प्रेम गीत बन गए।</p>
<p></p>
<p>चंद्रमा के प्रेम में, <br/>चांदनी पिघल रही, <br/>बिन तुम्हारे नेह की, <br/>रागिनी मचल रही, <br/>प्रीत में यही, <br/>जग की रीत बन गए, <br/>बज उठे नूपुर, <br/>प्रेम गीत बन गए।</p>
<p></p>
<p>मन का खुला साँकल है, <br/>ऐसा ये प्यार है, <br/>नैनो ने हामी भरी, <br/>अधरों पे इंकार है, <br/>हार थे जो वो, <br/>अब जीत बन गए, <br/>बज उठे नूपुर, <br/>प्रेम गीत बन गए।</p>
<p></p>
<p>(अनीता मौर्या)</p>
<p>"मौलिक व अप्रकाशित "</p>सरस्वती वंदनाtag:www.openbooksonline.com,2014-01-11:5170231:BlogPost:4985342014-01-11T09:30:00.000ZAnita Mauryahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnitaMaurya
<p>हे हंसवाहिनी, हे शारदे माँ, <br></br> विद्या का तू उपहार दे माँ,</p>
<p></p>
<p>जीवन पथ पर बढ़ती जाऊँ, <br></br> अपनों का विश्वास बनूँ माँ, <br></br> अंधियारे को दूर भगा दूँ, <br></br> ऐसी तेरी दास बनूँ माँ, <br></br> तेरी महिमा जग में गाउँ , <br></br> अधरों को तू उदगार दे माँ, <br></br> हे हंसवाहिनी, हे शारदे माँ, <br></br> विद्या का तू उपहार दे माँ,</p>
<p></p>
<p>मधु का स्वाद लिए है ज्यो अब, <br></br> विष का भी मैं पान करूँ माँ, <br></br> फूलों पर जैसे चलती हूँ, <br></br> शूलों को भी पार करूँ माँ, <br></br> तूफानों में राह बना…</p>
<p>हे हंसवाहिनी, हे शारदे माँ, <br/> विद्या का तू उपहार दे माँ,</p>
<p></p>
<p>जीवन पथ पर बढ़ती जाऊँ, <br/> अपनों का विश्वास बनूँ माँ, <br/> अंधियारे को दूर भगा दूँ, <br/> ऐसी तेरी दास बनूँ माँ, <br/> तेरी महिमा जग में गाउँ , <br/> अधरों को तू उदगार दे माँ, <br/> हे हंसवाहिनी, हे शारदे माँ, <br/> विद्या का तू उपहार दे माँ,</p>
<p></p>
<p>मधु का स्वाद लिए है ज्यो अब, <br/> विष का भी मैं पान करूँ माँ, <br/> फूलों पर जैसे चलती हूँ, <br/> शूलों को भी पार करूँ माँ, <br/> तूफानों में राह बना लूँ, <br/> ज्ञान का तू भण्डार दे माँ , <br/> हे हंसवाहिनी, हे शारदे माँ, <br/> विद्या का तू उपहार दे माँ.. </p>
<p></p>
<p>(Anita Maurya ) </p>
<p><strong>"मौलिक व अप्रकाशित" </strong></p>नयन तुम्हारेtag:www.openbooksonline.com,2011-07-13:5170231:BlogPost:1078132011-07-13T17:19:50.000ZAnita Mauryahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnitaMaurya
<p>कुछ कहते कहते रुक जाते हैं,</p>
<p>चंचल, मदभरे, नयन तुम्हारे...</p>
<p>पल - पल देखो डूब रहे हम,</p>
<p>झील से गहरे नयन तुम्हारे....</p>
<p> </p>
<p>मूक आमंत्रण तुमने दिया था,</p>
<p>अधरों से कुछ भी कहा नहीं,</p>
<p>मुझको अपने रंग में रंग गए,</p>
<p>हाथों से पर छुआ नहीं,</p>
<p>नैनो से सब बातें हो गयीं,</p>
<p>रह गए लब खामोश तुम्हारे....</p>
<p> </p>
<p>स्पर्श तुम्हारा याद है मुझको,</p>
<p>सदियों में भी भूली नहीं,</p>
<p>कोई ऐसा दिन नहीं जब,</p>
<p>यादों में तेरी झूली नहीं,</p>
<p>बिन परिचय…</p>
<p>कुछ कहते कहते रुक जाते हैं,</p>
<p>चंचल, मदभरे, नयन तुम्हारे...</p>
<p>पल - पल देखो डूब रहे हम,</p>
<p>झील से गहरे नयन तुम्हारे....</p>
<p> </p>
<p>मूक आमंत्रण तुमने दिया था,</p>
<p>अधरों से कुछ भी कहा नहीं,</p>
<p>मुझको अपने रंग में रंग गए,</p>
<p>हाथों से पर छुआ नहीं,</p>
<p>नैनो से सब बातें हो गयीं,</p>
<p>रह गए लब खामोश तुम्हारे....</p>
<p> </p>
<p>स्पर्श तुम्हारा याद है मुझको,</p>
<p>सदियों में भी भूली नहीं,</p>
<p>कोई ऐसा दिन नहीं जब,</p>
<p>यादों में तेरी झूली नहीं,</p>
<p>बिन परिचय ही बन बैठे,</p>
<p>दिल के तुम मेहमान हमारे....</p>
<p> </p>
<p> </p>मेरी भावनाएं ...tag:www.openbooksonline.com,2011-07-04:5170231:BlogPost:1017122011-07-04T10:16:30.000ZAnita Mauryahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnitaMaurya
<p>एक दिन ,</p>
<p>भावनाओ की पोटली बांध </p>
<p>निकल पड़ी घर से ,</p>
<p>सोचा,</p>
<p>समुद्र की गहराईयों में दफ़न कर दूंगी इन्हें ..</p>
<p>कमबख्तों की वजह से ..</p>
<p>हमेशा कमजोर पड़ जाती हूँ ..</p>
<p>फेक भी आई उन्हें ..</p>
<p>दूर , बहुत दूर</p>
<p>पर ये लहरें भी 'न' .--</p>
<p>कहाँ मेरा कहा <span id="13_TRN_1e">मानती </span> हैं ..</p>
<p>हर लहर ....</p>
<p>उसे उठा कर किनारे पर पटक जाती , </p>
<p>और वो दुष्ट पोटली ..</p>
<p>दौड़ती भागती मेरे ही …</p>
<p>एक दिन ,</p>
<p>भावनाओ की पोटली बांध </p>
<p>निकल पड़ी घर से ,</p>
<p>सोचा,</p>
<p>समुद्र की गहराईयों में दफ़न कर दूंगी इन्हें ..</p>
<p>कमबख्तों की वजह से ..</p>
<p>हमेशा कमजोर पड़ जाती हूँ ..</p>
<p>फेक भी आई उन्हें ..</p>
<p>दूर , बहुत दूर</p>
<p>पर ये लहरें भी 'न' .--</p>
<p>कहाँ मेरा कहा <span id="13_TRN_1e">मानती </span> हैं ..</p>
<p>हर लहर ....</p>
<p>उसे उठा कर किनारे पर पटक जाती , </p>
<p>और वो दुष्ट पोटली ..</p>
<p>दौड़ती भागती मेरे ही कदमो में आ रूकती … </p>
<p>उठा ले आई उसे, ये 'सोच कर '</p>
<p>कल फिर आउंगी , और फेंक दूंगी उन्हें </p>
<p>दूर 'बहुत दूर' .....</p>मेरे पापाtag:www.openbooksonline.com,2011-02-06:5170231:BlogPost:522372011-02-06T10:48:18.000ZAnita Mauryahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnitaMaurya
<p>'पापा'</p>
<p>आपका जाना</p>
<p>दे गया</p>
<p>इक रिक्तता</p>
<p>जीवन में,</p>
<p>असहनीय पीड़ा</p>
<p>मेरे मन में..</p>
<p> </p>
<p>'माँ'</p>
<p>आज भी</p>
<p>बातें करती है</p>
<p>लोगों से,</p>
<p>लेकिन उसकी</p>
<p>बातों में</p>
<p>होता है</p>
<p>इक 'खालीपन'</p>
<p>आज भी</p>
<p>उसकी निगाहें</p>
<p>देखती हैं</p>
<p>चहुँ ओर</p>
<p>'पर'</p>
<p>उसकी आँखों में हैं</p>
<p>इक 'सूनापन'... </p>
<p> </p>
<p>माँ के, दीदी के</p>
<p>छोटू के, भैया के ..</p>
<p>सबके मन में</p>
<p>आपकी याद बसी है</p>
<p>'वो'…</p>
<p>'पापा'</p>
<p>आपका जाना</p>
<p>दे गया</p>
<p>इक रिक्तता</p>
<p>जीवन में,</p>
<p>असहनीय पीड़ा</p>
<p>मेरे मन में..</p>
<p> </p>
<p>'माँ'</p>
<p>आज भी</p>
<p>बातें करती है</p>
<p>लोगों से,</p>
<p>लेकिन उसकी</p>
<p>बातों में</p>
<p>होता है</p>
<p>इक 'खालीपन'</p>
<p>आज भी</p>
<p>उसकी निगाहें</p>
<p>देखती हैं</p>
<p>चहुँ ओर</p>
<p>'पर'</p>
<p>उसकी आँखों में हैं</p>
<p>इक 'सूनापन'... </p>
<p> </p>
<p>माँ के, दीदी के</p>
<p>छोटू के, भैया के ..</p>
<p>सबके मन में</p>
<p>आपकी याद बसी है</p>
<p>'वो' दरख़्त</p>
<p>की जिसके नीचे </p>
<p>बरसों शाम</p>
<p>गुजारी थी आपने</p>
<p>उस दरख़्त के</p>
<p>हर पत्ते, हर बूटे में</p>
<p>आपकी याद बसी है,</p>
<p> </p>
<p>वो सुबह सवेरे</p>
<p>'आपका'</p>
<p>बरामदे में बैठना</p>
<p>'और'</p>
<p>घंटो अखबार के</p>
<p>पन्ने पलटना,</p>
<p>दरवाज़े की</p>
<p>उस चौखट पर,</p>
<p>अखबार के</p>
<p>हर पन्ने पर</p>
<p>आपकी याद बसी है..</p>
<p> </p>
<p>उस बिस्तर में</p>
<p>उस बर्तन में,</p>
<p>माँ की हर बात में</p>
<p>उसके हर जज्बात में,</p>
<p>आँगन के</p>
<p>हर कण कण में,</p>
<p>आपकी याद बसी है...</p>
<p> </p>
<p>जीवन तो</p>
<p>चलता रहेगा</p>
<p>'लोगों का'</p>
<p>पूर्ववत, यथावत</p>
<p>पर 'माँ' के</p>
<p>जीवन का एकाकीपन</p>
<p>बन जायेगा</p>
<p>'अंतहीन सफ़र'</p>जख्म, तकदीर और मैंtag:www.openbooksonline.com,2011-01-14:5170231:BlogPost:461602011-01-14T02:31:01.000ZAnita Mauryahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnitaMaurya
<p>जख्म भरता नहीं.. दर्द थमता नहीं,</p>
<p>कितनी भी कोशिश कर ले कोई,</p>
<p>तकदीर का लिखा मिटता नहीं ...</p>
<p>चलता ही रहता है, जिंदगी का सफ़र,</p>
<p>कोई किसी के लिए, यहाँ रुकता नहीं..</p>
<p> </p>
<p>खुद ही सहने होंगे सारे गम,</p>
<p>किसी की मौत पर कोई मरता नहीं,</p>
<p>हंसने पर तो दुनिया भी हंसती है संग,</p>
<p>हमारे अश्को पर, कोई पलकें भिगोता नहीं ...</p>
<p> </p>
<p>आज दर्द हद से गुजर जायेगा जैसे,</p>
<p>कोई बढ़कर साथ देता नहीं,</p>
<p>जिंदगी तुझसे गिला भी क्या करे,</p>
<p>वक़्त से पहले,…</p>
<p>जख्म भरता नहीं.. दर्द थमता नहीं,</p>
<p>कितनी भी कोशिश कर ले कोई,</p>
<p>तकदीर का लिखा मिटता नहीं ...</p>
<p>चलता ही रहता है, जिंदगी का सफ़र,</p>
<p>कोई किसी के लिए, यहाँ रुकता नहीं..</p>
<p> </p>
<p>खुद ही सहने होंगे सारे गम,</p>
<p>किसी की मौत पर कोई मरता नहीं,</p>
<p>हंसने पर तो दुनिया भी हंसती है संग,</p>
<p>हमारे अश्को पर, कोई पलकें भिगोता नहीं ...</p>
<p> </p>
<p>आज दर्द हद से गुजर जायेगा जैसे,</p>
<p>कोई बढ़कर साथ देता नहीं,</p>
<p>जिंदगी तुझसे गिला भी क्या करे,</p>
<p>वक़्त से पहले, तकदीर से ज्यादा,</p>
<p>किसी को कभी, मिलता भी नहीं ...</p>
<p> </p>
<p>!!अनु!!</p>प्रेम से : कुछ अलग ..कुछ जुदा, जीवन का सच ..tag:www.openbooksonline.com,2010-12-22:5170231:BlogPost:422112010-12-22T08:00:00.000ZAnita Mauryahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnitaMaurya
<div><p>ये पेट की आग भी</p>
<p>क्या क्या न कराती है ...</p>
<p> </p>
<p>चैन नहीं दिन में</p>
<p>रातें भी घबराती हैं ...</p>
<p> </p>
</div>
<div><p>जीवन जीने की इच्छा</p>
<p>मन को ललचाती है ...</p>
<p> </p>
<p>आगे बढ़ने की ख्वाइश</p>
<p>मेहनत खूब कराती है ...</p>
<p> </p>
<p>न गर्मी से तपता है तन</p>
<p>न ठण्ड डरा पाती है .....</p>
<p> </p>
<p>ये पेट की आग भी</p>
<p>क्या क्या न कराती है ...</p>
<div class="photo photo_none"><div class="photo_img"><img class="img" src="http://sphotos.ak.fbcdn.net/hphotos-ak-snc4/hs771.snc4/67179_10150111177648336_628193335_7450675_1029902_n.jpg" style="width: 393px;"></img></div>
<div class="caption">मेहनत नहीं…</div>
</div>
</div>
<div><p>ये पेट की आग भी</p>
<p>क्या क्या न कराती है ...</p>
<p> </p>
<p>चैन नहीं दिन में</p>
<p>रातें भी घबराती हैं ...</p>
<p> </p>
</div>
<div><p>जीवन जीने की इच्छा</p>
<p>मन को ललचाती है ...</p>
<p> </p>
<p>आगे बढ़ने की ख्वाइश</p>
<p>मेहनत खूब कराती है ...</p>
<p> </p>
<p>न गर्मी से तपता है तन</p>
<p>न ठण्ड डरा पाती है .....</p>
<p> </p>
<p>ये पेट की आग भी</p>
<p>क्या क्या न कराती है ...</p>
<div class="photo photo_none"><div class="photo_img"><img style="width: 393px;" class="img" src="http://sphotos.ak.fbcdn.net/hphotos-ak-snc4/hs771.snc4/67179_10150111177648336_628193335_7450675_1029902_n.jpg"/></div>
<div class="caption">मेहनत नहीं करेंगे .. तो आगे कैसे बढ़ेंगे ...</div>
</div>
</div>
<div class="mbl notesBlogText clearfix"></div>"मैं"tag:www.openbooksonline.com,2010-12-16:5170231:BlogPost:406872010-12-16T14:00:00.000ZAnita Mauryahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnitaMaurya
<div class="mbl notesBlogText clearfix"><div><p>"मैं"</p>
<p>इक भावुक, बहुत ही भावुक लड़की</p>
<p>किसी ने कहा</p>
<p>भावुकता निश्छलता का प्रतीक है</p>
<p>तो किसी ने कहा पवित्रता का ..</p>
<p> </p>
<p>'ना' भावुकता न तो निश्छलता का प्रतीक है</p>
<p>और न ही पवित्रता का ..</p>
<p>ये तो प्रतीक है</p>
<p>हर पल छले जाने की तत्परता का ..</p>
<p> </p>
<p>'हाँ'</p>
<p>छली जाती हूँ मैं , हर दम, हर कदम</p>
<p>कभी अपनों के हाथों, तो कभी गैरों के</p>
<p>कभी साहिलों से, तो कभी लहरों से,</p>
<p> </p>
<p>कई बार…</p>
</div>
</div>
<div class="mbl notesBlogText clearfix"><div><p>"मैं"</p>
<p>इक भावुक, बहुत ही भावुक लड़की</p>
<p>किसी ने कहा</p>
<p>भावुकता निश्छलता का प्रतीक है</p>
<p>तो किसी ने कहा पवित्रता का ..</p>
<p> </p>
<p>'ना' भावुकता न तो निश्छलता का प्रतीक है</p>
<p>और न ही पवित्रता का ..</p>
<p>ये तो प्रतीक है</p>
<p>हर पल छले जाने की तत्परता का ..</p>
<p> </p>
<p>'हाँ'</p>
<p>छली जाती हूँ मैं , हर दम, हर कदम</p>
<p>कभी अपनों के हाथों, तो कभी गैरों के</p>
<p>कभी साहिलों से, तो कभी लहरों से,</p>
<p> </p>
<p>कई बार चाहा ,</p>
<p>हो जाऊं 'धरा'</p>
<p>रहूँ 'अचल'</p>
<p>बन जाऊं 'दरिया'</p>
<div class="photo_img"><a target="_self" href="http://sphotos.ak.fbcdn.net/hphotos-ak-snc4/hs1395.snc4/164733_10150107761618336_628193335_7399067_4394315_n.jpg"><img class="align-left" src="http://sphotos.ak.fbcdn.net/hphotos-ak-snc4/hs1395.snc4/164733_10150107761618336_628193335_7399067_4394315_n.jpg?width=300" width="300"/></a></div>
<p>बहूँ 'अविरल'</p>
<p> </p>
<p>पर नहीं बन सकी मैं 'धरा'</p>
<p>और ना ही 'दरिया'</p>
<p>क्यूंकि</p>
<p>'मैं ' हूँ</p>
<p>इक भावुक, बहुत ही भावुक लड़की</p>
<div class="photo photo_none"><div class="caption">पग पग पर छली गयी मैं.. टूटती बिखरती मैं..</div>
</div>
</div>
</div>पल : जो तुम संग बिताये..tag:www.openbooksonline.com,2010-12-11:5170231:BlogPost:396672010-12-11T10:55:08.000ZAnita Mauryahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnitaMaurya
<p>आँखों में तुम बसे हो ऐसे ..</p>
<p>कोई अधुरा ख्वाब हो जैसे !</p>
<p></p>
<p>वो तुम्हारा कुछ पलों का साथ</p>
<p>और उन पलों में तुम्हारा असीमित प्यार</p>
<p>तमाम उम्र के लिए अपनी पलकों में</p>
<p>कैद कर के रख लिया ...</p>
<p></p>
<p>वो हसीन से लम्हे</p>
<p>शरीर से लम्हे .</p>
<p>जिन लम्हों को तुम संग जिया</p>
<p>सम्हाल के उनको रख लिया ...</p>
<p></p>
<p>न जाने क्या बात हुई</p>
<p>खफा हो गए मुझसे तुम</p>
<p>यूँ मुंह फेरे बैठे हो</p>
<p>'जैसे'</p>
<p>मैं 'हूँ' , कोई बीता हुआ पल</p>
<p>कोई गुजरा…</p>
<p>आँखों में तुम बसे हो ऐसे ..</p>
<p>कोई अधुरा ख्वाब हो जैसे !</p>
<p></p>
<p>वो तुम्हारा कुछ पलों का साथ</p>
<p>और उन पलों में तुम्हारा असीमित प्यार</p>
<p>तमाम उम्र के लिए अपनी पलकों में</p>
<p>कैद कर के रख लिया ...</p>
<p></p>
<p>वो हसीन से लम्हे</p>
<p>शरीर से लम्हे .</p>
<p>जिन लम्हों को तुम संग जिया</p>
<p>सम्हाल के उनको रख लिया ...</p>
<p></p>
<p>न जाने क्या बात हुई</p>
<p>खफा हो गए मुझसे तुम</p>
<p>यूँ मुंह फेरे बैठे हो</p>
<p>'जैसे'</p>
<p>मैं 'हूँ' , कोई बीता हुआ पल</p>
<p>कोई गुजरा हुआ कल</p>
<p></p>
<p>क्यों कर अपनी सुधियों से मुझको</p>
<p>तुमने ऐसे बिसार दिया ...</p>
<p></p>
<p>की मेरे आज में भी तुम हो .. मेरे कल में भी तुम थे ...<a href="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/3001458882?profile=original" target="_blank"><img class="align-left" src="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/3001458882?profile=original" alt="" width="400"/></a></p>तुम और तुम्हारी यादेंtag:www.openbooksonline.com,2010-11-19:5170231:BlogPost:345042010-11-19T13:02:29.000ZAnita Mauryahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnitaMaurya
तुम और तुम्हारी यादें .. दिल से जाती ही नहीं ...<br />
कई बार चाहा तुम चले जाओ..<br />
मेरे दिल से .. मेरे दिमाग से ...<br />
<br />
हर मुमकिन कोशिश कर के देख लिया ..<br />
पर नाकाम रहे ...<br />
कभी कभी सोचते हैं ..ऐसा क्या है हमारे बीच ...<br />
जिसने हमें बांध कर रक्खा है ..<br />
हमारा तो कोई रिश्ता भी नहीं ..<br />
<br />
फिर क्या है ये ...?<br />
"लेकिन नहीं" हैं न ..हमारे बीच एक सम्बन्ध ..<br />
एहसास का सम्बन्ध ..<br />
ये क्या है ..नहीं बता सकती मैं ..<br />
एहसास को शब्दों में नहीं बाँध सकती मैं ...<br />
उन्हें तो सिर्फ महसूस किया जाता है ...<br />
<br />
सालों बीत गए ...<br />
पर लगता है…
तुम और तुम्हारी यादें .. दिल से जाती ही नहीं ...<br />
कई बार चाहा तुम चले जाओ..<br />
मेरे दिल से .. मेरे दिमाग से ...<br />
<br />
हर मुमकिन कोशिश कर के देख लिया ..<br />
पर नाकाम रहे ...<br />
कभी कभी सोचते हैं ..ऐसा क्या है हमारे बीच ...<br />
जिसने हमें बांध कर रक्खा है ..<br />
हमारा तो कोई रिश्ता भी नहीं ..<br />
<br />
फिर क्या है ये ...?<br />
"लेकिन नहीं" हैं न ..हमारे बीच एक सम्बन्ध ..<br />
एहसास का सम्बन्ध ..<br />
ये क्या है ..नहीं बता सकती मैं ..<br />
एहसास को शब्दों में नहीं बाँध सकती मैं ...<br />
उन्हें तो सिर्फ महसूस किया जाता है ...<br />
<br />
सालों बीत गए ...<br />
पर लगता है जैसे कल ही की बात है ..<br />
तुम और मैं<br />
मैं और तुम<br />
कभी जुदा हुए ही नहीं ....