Asif zaidi's Posts - Open Books Online
2024-03-28T15:59:07Z
Asif zaidi
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चाँद बता तू कौन हमारा लगता है
tag:www.openbooksonline.com,2019-05-25:5170231:BlogPost:984818
2019-05-25T19:00:00.000Z
Asif zaidi
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<p>चौदहवीं पे कितना प्यारा लगता है।<br></br> कितना दिलकश ये नज़्ज़ारा लगता है।।</p>
<p></p>
<p>आँख मिलाए और कभी शर्माए तू।<br></br> चांद बता तू कौन हमारा लगता है।।</p>
<p></p>
<p>चांदनी हरदम पास हमारे रहती है।<br></br> चांद मगर क्यों हमसे पराया लगता है।।</p>
<p></p>
<p>तुझसे पहले आंखों में यह चुभते हैं।<br></br> तुझ पे क्यों तारों का पहरा लगता है।।</p>
<p></p>
<p>उसका अक्स जो पलकों में धर लेते हैं।<br></br> क़ैदी सा फिर चांद हमारा लगता है।।</p>
<p></p>
<p>आसिफ़ तुम दरिया बन जाते हो जो कभी।<br></br> उसमें तुम्हारा चांद…</p>
<p>चौदहवीं पे कितना प्यारा लगता है।<br/> कितना दिलकश ये नज़्ज़ारा लगता है।।</p>
<p></p>
<p>आँख मिलाए और कभी शर्माए तू।<br/> चांद बता तू कौन हमारा लगता है।।</p>
<p></p>
<p>चांदनी हरदम पास हमारे रहती है।<br/> चांद मगर क्यों हमसे पराया लगता है।।</p>
<p></p>
<p>तुझसे पहले आंखों में यह चुभते हैं।<br/> तुझ पे क्यों तारों का पहरा लगता है।।</p>
<p></p>
<p>उसका अक्स जो पलकों में धर लेते हैं।<br/> क़ैदी सा फिर चांद हमारा लगता है।।</p>
<p></p>
<p>आसिफ़ तुम दरिया बन जाते हो जो कभी।<br/> उसमें तुम्हारा चांद नहाया लगता है।।</p>
<p>मौलिक व अप्रकाशित</p>