आदरणीय प्रधान सम्पादक जी ,
नमस्कार
मेरा मानना है कि हमारा ओबीओ मंच साहित्य के विविध रंगों से सरोबार है। इसको इतना फीका , उदास -सा रंग यानी रंगहीन-सा बिलकुल नहीं होना चाहिए। मेंबर होने के नाते ये सिर्फ मेरा सुझाव है ।
सादर ।
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