चन्द्रयान-दो चल पड़ा, ले विक्रम को साथ। दुखी हुआ बेचैन भी, छूट गया जब हाथ।।1
चन्द्रयान का हौसला, विक्रम था भरपूर। क्रूर समय ने छीन कर, उसे किया मजबूर।।2
माँ की ममता देखिए, चन्द्रयान में डूब।ढूँढ अँधेरों में लिया, जिसने विक्रम खूब।।3
चन्द्रयान दो का सफर, हुआ बहुत मशहूर।सराहना कर विश्व ने, दिया मान भरपूर।।4
चन्द्रयान दो के लिए, विक्रम प्राण समान। छीन लिया यमराज से, साध प्रेम-विज्ञान।।5…