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कफ़स को तोड़ बहारों में आज ढल तो सही ।। तू इस नकाब से बाहर कभी निकल तो सही ।।
तमाम उम्र गुजारी है इश्क में हमने । करेंगे आप हमें याद एक पल तो सही ।।
सियाह रात में आये वो चाँद भी कैसे । अदब के साथ ये लहज़ा ज़रा बदल तो सही ।।
बड़े लिहाज़ से पूंछा है तिश्नगी उसने । आना ए हुस्न पे इतरा के कुछ उबल तो सही ।।
झुकी नज़र में अदाओं पे मुस्कुरा देना । ऐ दिल सनम की शरारत पे कुछ मच…