सभी पंक्तियाँ 16-16 मात्राभार के क्रम में
घर के किस कोने में रख के भूल गया तस्वीर तुम्हारी
रोज सवेरे से सिर धुनते शाम ढले तक याद संभाली एक सिरा न हाथ में आया टुकड़े टुकड़े रात खंगाली
आँगन ढूढ़ा कमरा ढूढ़ा ढूढ़ लिए दालान अटारी घर के किस कोने में रख के भूल गया तस्वीर तुम्हारी
देख पपीहे की अकुलाहट आसमान में बादल आये बुलबुल छेड़े खूब तराना भँवरे फूलों पे मंडराये
तू भी कोयल बड़ी निठुर है क्या समझेगी पीर…