बह्र-221/2121/1221/212
वो शह्र-ए-दिल सदा के लिए छोड़ क्या गयाआँखों से मेरी प्यार का मौसम चला गया [1]
उस को ख़बर थी ख़ौफ़ मुझे तीरगी से हैजलते हुए चराग़ तभी तो बुझा गया [2]
आँखों में था मलाल वो रुख़सत हुआ था जबमुड़ मुड़ के दूर तक वो मुझे देखता गया [3]
अपने बदन से उस को रिहा करने के लिए खंज़र से हाथों की नसों को चीरता गया [4]
हम रो रहे हैं और उन्हें कोई ग़म नहींअल्लाह हमारे प्यार में क्या मोड़ आ गया [5]…