1222 1222 122
सफलता के शिखर पर वे खड़े हैंसदा कठिनाइयों से जो लड़े हैं
बताओ नाम तो उन पर्वतों केहमारे हौसलों से जो बड़े हैं
नहीं हैं नैन ये गर सच कहूँ तोसुघर चंदा में दो हीरे जड़े हैं
जो प्यासी आत्मा को तृप्त कर देंनहीं हैं होंठ, वे मधु के घड़े हैं
ये सच है कर्मशीलों के लिए तोसितारे भूमि पर बिखरे पड़े हैं
ये दिल के घाव अब तक हैं हरे क्योंयकीनन शूल शब्दों के गड़े हैं
उन्हीं ने आँधियों के रुख हैं म…