"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 96 - Open Books Online2024-03-29T14:58:17Zhttp://www.openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/96?xg_source=activity&feed=yes&xn_auth=noसुधीजनों के प्रति हार्दिक आभा…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-21:5170231:Comment:9813032019-04-21T18:30:35.852ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>सुधीजनों के प्रति हार्दिक आभार</p>
<p></p>
<p>सुधीजनों के प्रति हार्दिक आभार</p>
<p></p> आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी साद…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-21:5170231:Comment:9814042019-04-21T18:28:42.608ZAshok Kumar Raktalehttp://www.openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी सादर, लोकतंत्र की महत्ता पर सुंदर रचना हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर. </p>
<p>आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी सादर, लोकतंत्र की महत्ता पर सुंदर रचना हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर. </p> आदरणीय शैख़ शहजाद उस्मानी साहब…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-21:5170231:Comment:9815642019-04-21T18:27:26.083ZAshok Kumar Raktalehttp://www.openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय शैख़ शहजाद उस्मानी साहब सादर, मतदाओं के प्रकार बताते सुंदर छंद रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर. </p>
<p>आदरणीय शैख़ शहजाद उस्मानी साहब सादर, मतदाओं के प्रकार बताते सुंदर छंद रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर. </p> पुराने शाइरों में कई उस्ताद श…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-21:5170231:Comment:9815632019-04-21T18:27:25.656ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>पुराने शाइरों में कई उस्ताद शाइरों ने इसका प्रयोग किया है,और ये उर्दू में क़तई ग़लत नहीं,हाँ हिन्दी में हो सकता है ।</p>
<p>पुराने शाइरों में कई उस्ताद शाइरों ने इसका प्रयोग किया है,और ये उर्दू में क़तई ग़लत नहीं,हाँ हिन्दी में हो सकता है ।</p> आदरणीय अशोक रक्ताले जी प्रस्त…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-21:5170231:Comment:9813022019-04-21T18:25:54.329ZSatyanarayan Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/satyanarayanShivramSingh
<p>आदरणीय अशोक रक्ताले जी प्रस्तुति पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय</p>
<p>आदरणीय अशोक रक्ताले जी प्रस्तुति पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय</p> नेता शायद भूल गए हैं, अब विक…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-21:5170231:Comment:9813012019-04-21T18:24:42.150ZAshok Kumar Raktalehttp://www.openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p><span>नेता शायद भूल गए हैं, अब विकास की बातें।</span></p>
<p><span>होड़ मची है सभी दलों में, देने की सौगातें।।</span></p>
<p><span>मर्यादा सबने ही त्यागी, नेता जहर उगलते।</span></p>
<p><span>सारे हथकंडे अपनाकर, जनता को ये छलते।।...........आज के परिदृश्य को सुन्दरता से छंदों में ढाला है साहब.</span></p>
<p></p>
<p>आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी सादर, प्रदत्त चित्र पर उत्तम छंद रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर. </p>
<p><span>नेता शायद भूल गए हैं, अब विकास की बातें।</span></p>
<p><span>होड़ मची है सभी दलों में, देने की सौगातें।।</span></p>
<p><span>मर्यादा सबने ही त्यागी, नेता जहर उगलते।</span></p>
<p><span>सारे हथकंडे अपनाकर, जनता को ये छलते।।...........आज के परिदृश्य को सुन्दरता से छंदों में ढाला है साहब.</span></p>
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<p>आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी सादर, प्रदत्त चित्र पर उत्तम छंद रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर. </p> छन्न पकैया छन्न पकैया, आज करो…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-21:5170231:Comment:9814842019-04-21T18:21:44.251ZAshok Kumar Raktalehttp://www.openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p><span>छन्न पकैया छन्न पकैया, आज करो इक वादा ।</span><br/><span>हारे जीते चाहे कोई, बची रहे मर्यादा।।.........................बिलकुल ! यही जरूरी है साहब. </span></p>
<p></p>
<p>आदरणीय बागी जी सादर नमस्कार, जन-जन का मार्ग दर्शन करती सुन्दर प्रस्तुति. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर.</p>
<p><span>छन्न पकैया छन्न पकैया, आज करो इक वादा ।</span><br/><span>हारे जीते चाहे कोई, बची रहे मर्यादा।।.........................बिलकुल ! यही जरूरी है साहब. </span></p>
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<p>आदरणीय बागी जी सादर नमस्कार, जन-जन का मार्ग दर्शन करती सुन्दर प्रस्तुति. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर.</p> कर के जिनने भी प्रयोग किया है…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-21:5170231:Comment:9814832019-04-21T18:20:21.852ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>कर के जिनने भी प्रयोग किया है वे जाने अनजाने ग़लत ही हैं। अब किसी बड़े ने बेहद कमज़ोर-सी कोई बात कर दी तो आने वाली नस्लों के लिए उसे मसल नहीं बन जाना। वह ग़लती आम अपवाद की तरह भरे मन से स्वीकार कर कोने में रख दिया जाता है। पद्य विधा में भी ऐसी ग़लतियाँ आर्ष वचन या आर्ष वाक्य के नाम से जानी जातीं हैं जिनका अनुकरण नहीं किया जाता। </p>
<p>सादर </p>
<p>कर के जिनने भी प्रयोग किया है वे जाने अनजाने ग़लत ही हैं। अब किसी बड़े ने बेहद कमज़ोर-सी कोई बात कर दी तो आने वाली नस्लों के लिए उसे मसल नहीं बन जाना। वह ग़लती आम अपवाद की तरह भरे मन से स्वीकार कर कोने में रख दिया जाता है। पद्य विधा में भी ऐसी ग़लतियाँ आर्ष वचन या आर्ष वाक्य के नाम से जानी जातीं हैं जिनका अनुकरण नहीं किया जाता। </p>
<p>सादर </p> छन्न पकैया छन्न पकैया, आतंकी…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-21:5170231:Comment:9813002019-04-21T18:18:37.089ZAshok Kumar Raktalehttp://www.openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>छन्न पकैया छन्न पकैया, आतंकी चकराते।</p>
<p>घाटी में वोटिंग में जब सब, डर को धता दिखाते।।.......वाह ! लोकतंत्र की शक्ति को दर्शाता सुंदर छंद रचा है आपने. </p>
<p></p>
<p>आदरणीया प्रतिभा पांडे जी सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करते सुंदर छंद रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर. </p>
<p>छन्न पकैया छन्न पकैया, आतंकी चकराते।</p>
<p>घाटी में वोटिंग में जब सब, डर को धता दिखाते।।.......वाह ! लोकतंत्र की शक्ति को दर्शाता सुंदर छंद रचा है आपने. </p>
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<p>आदरणीया प्रतिभा पांडे जी सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करते सुंदर छंद रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर. </p> किसी भुलावे और लोभ में,हरगिज…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-21:5170231:Comment:9814822019-04-21T18:15:44.634ZAshok Kumar Raktalehttp://www.openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p><span>किसी भुलावे और लोभ में,हरगिज ना बिक जाएं</span><br/><span>जनहित में मतदाता बनकर, अपना फर्ज निभाएं......वाह ! सुंदर सन्देश है. </span></p>
<p></p>
<p>आदरणीय डॉ छोटेलाल सिंह जी सादर, प्रदत्त चित्र को सार्थकता प्रदान करती उत्तम प्रस्तुति. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर. </p>
<p><span>किसी भुलावे और लोभ में,हरगिज ना बिक जाएं</span><br/><span>जनहित में मतदाता बनकर, अपना फर्ज निभाएं......वाह ! सुंदर सन्देश है. </span></p>
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<p>आदरणीय डॉ छोटेलाल सिंह जी सादर, प्रदत्त चित्र को सार्थकता प्रदान करती उत्तम प्रस्तुति. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर. </p>