"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 87 - Open Books Online2024-03-28T16:35:23Zhttp://www.openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/87?commentId=5170231%3AComment%3A940604&xg_source=activity&feed=yes&xn_auth=noसुधीजनों को आयोजन में भागीदार…tag:www.openbooksonline.com,2018-07-21:5170231:Comment:9412192018-07-21T18:32:32.833ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>सुधीजनों को आयोजन में भागीदारी निभाने के लिए हार्दिक धन्यवाद. </p>
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<p>सुधीजनों को आयोजन में भागीदारी निभाने के लिए हार्दिक धन्यवाद. </p>
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<p></p> आदरणीय़ सतविन्दर जी, आपकी भागी…tag:www.openbooksonline.com,2018-07-21:5170231:Comment:9409512018-07-21T18:30:58.315ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय़ सतविन्दर जी, आपकी भागीदारी से कुछ और अपेक्षा थी. बहरहाल आपकी भागीदारी के लिए हृदयतल से धन्यवाद </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
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<p>आदरणीय़ सतविन्दर जी, आपकी भागीदारी से कुछ और अपेक्षा थी. बहरहाल आपकी भागीदारी के लिए हृदयतल से धन्यवाद </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p> वाह वाह वाह १
भाई शिज्जू शकू…tag:www.openbooksonline.com,2018-07-21:5170231:Comment:9412172018-07-21T18:29:16.566ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>वाह वाह वाह १ </p>
<p>भाई शिज्जू शकूर जी का प्रयास मोहित और मुग्ध कर रहा है. </p>
<p>शुभातिशुभ</p>
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<p>वाह वाह वाह १ </p>
<p>भाई शिज्जू शकूर जी का प्रयास मोहित और मुग्ध कर रहा है. </p>
<p>शुभातिशुभ</p>
<p></p> बहुत खूब आदरणीय
tag:www.openbooksonline.com,2018-07-21:5170231:Comment:9409502018-07-21T18:28:22.906ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>बहुत खूब आदरणीय </p>
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<p>बहुत खूब आदरणीय </p>
<p></p> आदरणीय अजय जी, आपके प्रयास और…tag:www.openbooksonline.com,2018-07-21:5170231:Comment:9412162018-07-21T18:27:56.912ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय अजय जी, आपके प्रयास और आपकी भागीदारी के लिए साधुवाद. बेहतर प्रयास के लिए बधाइयाँ </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
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<p>आदरणीय अजय जी, आपके प्रयास और आपकी भागीदारी के लिए साधुवाद. बेहतर प्रयास के लिए बधाइयाँ </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p> आदरणीय अजय गुप्ता जी कुकुभ छ…tag:www.openbooksonline.com,2018-07-21:5170231:Comment:9411292018-07-21T18:26:32.107ZSatyanarayan Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/satyanarayanShivramSingh
<p>आदरणीय अजय गुप्ता जी कुकुभ छंद पर आधारित प्रदत्त चित्र के अनुकूल सुन्दर रचना हार्दिक बधाई स्वीकार करें गुनीजनों द्वारा इंगित किये दोष को अवश्य संज्ञान में लीजियेगा </p>
<p>आदरणीय अजय गुप्ता जी कुकुभ छंद पर आधारित प्रदत्त चित्र के अनुकूल सुन्दर रचना हार्दिक बधाई स्वीकार करें गुनीजनों द्वारा इंगित किये दोष को अवश्य संज्ञान में लीजियेगा </p> जय जय ..
भागीदारी के लिए हार…tag:www.openbooksonline.com,2018-07-21:5170231:Comment:9409482018-07-21T18:25:47.871ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>जय जय .. </p>
<p>भागीदारी के लिए हार्दिक धन्यवाद और शुभकामनाएँ आदरणीय दंड पाणी जी.</p>
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<p>जय जय .. </p>
<p>भागीदारी के लिए हार्दिक धन्यवाद और शुभकामनाएँ आदरणीय दंड पाणी जी.</p>
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<p></p> आदरणीय दंडपानी नाहक जी कुंडलि…tag:www.openbooksonline.com,2018-07-21:5170231:Comment:9411272018-07-21T18:22:44.020ZSatyanarayan Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/satyanarayanShivramSingh
<p>आदरणीय दंडपानी नाहक जी कुंडलिया छंद पर सुन्दर एवं सार्थक प्रयास हेतु हार्दिक बधाई </p>
<p>आदरणीय दंडपानी नाहक जी कुंडलिया छंद पर सुन्दर एवं सार्थक प्रयास हेतु हार्दिक बधाई </p> आदरणीय डॉ छोटेलाल सिंह जी इस…tag:www.openbooksonline.com,2018-07-21:5170231:Comment:9410382018-07-21T18:17:08.790ZSatyanarayan Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/satyanarayanShivramSingh
<p>आदरणीय डॉ छोटेलाल सिंह जी इस सुन्दर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें </p>
<p>आदरणीय डॉ छोटेलाल सिंह जी इस सुन्दर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें </p> आदरणीय अशोक रक्ताले जी सादर …tag:www.openbooksonline.com,2018-07-21:5170231:Comment:9409472018-07-21T18:14:32.884ZSatyanarayan Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/satyanarayanShivramSingh
<p>आदरणीय अशोक रक्ताले जी सादर </p>
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<p> प्र्दत्त्त चित्रानुकुल सुन्दर कुकुभ छंद की प्रस्तुति एवं सुन्दर संशोधन हेतु सादर बधाई स्वीकार करें </p>
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<p>प्यास लगी हो तब लगता जल, बहती सी इक मधु धारा |</p>
<p>चापानल ही अक्सर बनते , बीच सफ़र में एक सहारा || सही कहा आदरणीय अति सुन्दर </p>
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<p>आदरणीय अशोक रक्ताले जी सादर </p>
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<p> प्र्दत्त्त चित्रानुकुल सुन्दर कुकुभ छंद की प्रस्तुति एवं सुन्दर संशोधन हेतु सादर बधाई स्वीकार करें </p>
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<p>प्यास लगी हो तब लगता जल, बहती सी इक मधु धारा |</p>
<p>चापानल ही अक्सर बनते , बीच सफ़र में एक सहारा || सही कहा आदरणीय अति सुन्दर </p>
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