"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 67 - Open Books Online2024-03-28T22:02:40Zhttp://www.openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/67?groupUrl=pop&id=5170231%3ATopic%3A812732&feed=yes&xn_auth=no"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत…tag:www.openbooksonline.com,2016-11-19:5170231:Comment:8149422016-11-19T18:27:53.016ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 67 में सहभागिता के लिए सुधीजनों के प्रति हार्दिक धन्यवाद </p>
<p></p>
<p>"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 67 में सहभागिता के लिए सुधीजनों के प्रति हार्दिक धन्यवाद </p>
<p></p> जी ! सादर आभार.
tag:www.openbooksonline.com,2016-11-19:5170231:Comment:8147842016-11-19T18:11:41.682ZAshok Kumar Raktalehttp://www.openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>जी ! सादर आभार.</p>
<p></p>
<p>जी ! सादर आभार.</p>
<p></p> आदरणीय भाई रमेश कुमार चौहान ज…tag:www.openbooksonline.com,2016-11-19:5170231:Comment:8147812016-11-19T18:05:26.889ZAshok Kumar Raktalehttp://www.openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय भाई रमेश कुमार चौहान जी सादर, प्रदत्त चित्र पर सुंदर छंद रचे हैं. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें.यह अवश्य है कुछ जगह तुक गड़बड़ाया है.सादर.</p>
<p>आदरणीय भाई रमेश कुमार चौहान जी सादर, प्रदत्त चित्र पर सुंदर छंद रचे हैं. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें.यह अवश्य है कुछ जगह तुक गड़बड़ाया है.सादर.</p> आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी साद…tag:www.openbooksonline.com,2016-11-19:5170231:Comment:8148502016-11-19T18:01:16.990ZAshok Kumar Raktalehttp://www.openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी सादर, आपकी यह प्रस्तुति भी प्रदत्त चित्र पर सुंदर हुई है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. फिरभी दुसरे छंद में "झे" शायद "झेलते" के लिए लिखा है. तृतीय छंद में कुछ छूट गया है "करें कार्य सब भले". देख लें. सादर.</p>
<p>आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी सादर, आपकी यह प्रस्तुति भी प्रदत्त चित्र पर सुंदर हुई है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. फिरभी दुसरे छंद में "झे" शायद "झेलते" के लिए लिखा है. तृतीय छंद में कुछ छूट गया है "करें कार्य सब भले". देख लें. सादर.</p> कितना सुन्दर खेल है, नमक लगे…tag:www.openbooksonline.com,2016-11-19:5170231:Comment:8148492016-11-19T17:57:00.454ZAshok Kumar Raktalehttp://www.openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>कितना सुन्दर खेल है, नमक लगे ना तेल है।<br/> झूम रहे ये फूल हैं, मस्ती में मशगूल हैं।।..........वाह ! सुंदर.</p>
<p></p>
<p>आदरणीय सुरेश कुमार जी सादर, उल्लाला छंद पर बहुत सुंदर प्रयास हुआ है. कुछ कमियाँ रह गई हैं. फिरभी इस प्रयास के लिए बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. सादर.</p>
<p>कितना सुन्दर खेल है, नमक लगे ना तेल है।<br/> झूम रहे ये फूल हैं, मस्ती में मशगूल हैं।।..........वाह ! सुंदर.</p>
<p></p>
<p>आदरणीय सुरेश कुमार जी सादर, उल्लाला छंद पर बहुत सुंदर प्रयास हुआ है. कुछ कमियाँ रह गई हैं. फिरभी इस प्रयास के लिए बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. सादर.</p> आदरणीय रमेश चौहान जी, चित्र अ…tag:www.openbooksonline.com,2016-11-19:5170231:Comment:8148472016-11-19T17:56:51.889Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p><span>आदरणीय रमेश चौहान जी, चित्र अनुरूप इस प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई. सादर </span></p>
<p><span>आदरणीय रमेश चौहान जी, चित्र अनुरूप इस प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई. सादर </span></p> आदरणीय सतविन्द्र जी, उल्लाला…tag:www.openbooksonline.com,2016-11-19:5170231:Comment:8148462016-11-19T17:55:13.920Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीय सतविन्द्र जी, उल्लाला छंद में द्वितीय प्रस्तुति बहुत बढ़िया है. बाकी गुनीजनों ने मार्गदर्शन दे ही दिया है. इस प्रस्तुति हेतु बहुत बहुत बधाई. सादर </p>
<p>आदरणीय सतविन्द्र जी, उल्लाला छंद में द्वितीय प्रस्तुति बहुत बढ़िया है. बाकी गुनीजनों ने मार्गदर्शन दे ही दिया है. इस प्रस्तुति हेतु बहुत बहुत बधाई. सादर </p> आदरणीय तस्दीक एहमद खान साहब स…tag:www.openbooksonline.com,2016-11-19:5170231:Comment:8150322016-11-19T17:52:12.907ZAshok Kumar Raktalehttp://www.openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय तस्दीक एहमद खान साहब सादर, उल्लाला छंद पर आपका यह भी सुंदर प्रयास है किन्तु अभी भी शिल्प सही नहीं है. सादर.</p>
<p>आदरणीय तस्दीक एहमद खान साहब सादर, उल्लाला छंद पर आपका यह भी सुंदर प्रयास है किन्तु अभी भी शिल्प सही नहीं है. सादर.</p> आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी,…tag:www.openbooksonline.com,2016-11-19:5170231:Comment:8150312016-11-19T17:51:50.911Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p><span>आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, यह प्रस्तुति भी चित्र को सार्थक करती हुई है. जहाँ तक शिल्पगत त्रुटियों का प्रश्न है गुनीजनों ने मार्गदर्शन कर ही दिया है. इस प्रस्तुति हेतु बहुत बहुत बधाई. सादर </span></p>
<p><span>आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, यह प्रस्तुति भी चित्र को सार्थक करती हुई है. जहाँ तक शिल्पगत त्रुटियों का प्रश्न है गुनीजनों ने मार्गदर्शन कर ही दिया है. इस प्रस्तुति हेतु बहुत बहुत बधाई. सादर </span></p> आदरणीय समर साहब , आपने छन्दोत…tag:www.openbooksonline.com,2016-11-19:5170231:Comment:8147802016-11-19T17:51:21.254ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय समर साहब , आपने छन्दोत्सव की भूमिका क्यों नहीं पढ़ी. चित्र तो आपने वहीं से देखा होगा. वहाँ प्रदत्त चित्र के साथ सम्मिलित छन्दों के नाम और उनके लिंक भी दिये गये होते हैं. </p>
<p></p>
<p>आप दोहा में सहज हो चुके हैं तो रोला, कुण्डलिया, उल्लाला, सोरठा, छप्पय आदि छन्दों में आसानी से रचना कर कर सकते हैं.</p>
<p></p>
<p>आदरणीय समर साहब , आपने छन्दोत्सव की भूमिका क्यों नहीं पढ़ी. चित्र तो आपने वहीं से देखा होगा. वहाँ प्रदत्त चित्र के साथ सम्मिलित छन्दों के नाम और उनके लिंक भी दिये गये होते हैं. </p>
<p></p>
<p>आप दोहा में सहज हो चुके हैं तो रोला, कुण्डलिया, उल्लाला, सोरठा, छप्पय आदि छन्दों में आसानी से रचना कर कर सकते हैं.</p>
<p></p>