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आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार पैंसठवाँ आयोजन है.

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

16 सितम्बर 2016 दिन शुक्रवार से 17 सितम्बर 2016 दिन शनिवार तक

इस बार पिछले कुछ अंकों से बन गयी परिपाटी की तरह ही दोहा छन्द तो है ही, इसके साथ ताटंक छन्द को रखा गया है. - 

दोहा छन्द और ताटंक छन्द

 

ताटंक छन्द पर आधारित रचनाओं के लिए बच्चन की मधुशाला का उदाहरण ले सकते हैं. 

 

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.

इन छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना करनी है. 

प्रदत्त छन्दों को आधार बनाते हुए नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.  

[प्रस्तुत चित्र अंतरजाल से प्राप्त हुआ है]

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो दोनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.   

 

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

दोहा छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

  

ताटंक छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

 

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 16 सितम्बर 2016  दिन शुक्रवार से 17 सितम्बर 2016 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों केलिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  5. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  6. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  7. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष :

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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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आपकी 8सलाह के बाद इन दोहों का मेयार वाक़ई बुलन्द हो गया है,आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
संकलन आने के बाद इन्हें ऐसे ही कर लूंगा ।
वाह.. प्रदत्त चित्र में दिए गए व्यञ्जनों के बेहतरीन इस्तेमाल के साथ बेहतरीन ज्ञानवर्धक, प्रेरक, शिक्षाप्रद दोहा-छंद प्रस्तुति के लिए तहे दिल से बहुत बहुत मुबारकबाद मोहतरम जनाब समर कबीर साहब।
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब आदाब,दोहे आपको पसंद। आये लिखना सार्थक हुआ,दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।

आदरणीय समीर कबीर साहिब आदाब , बहुत बढ़िया दोहे रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें | एक बार देख लीजिये शब्द "रेन है या रैन है" -बेचैन या बेचेन "

आदाब  

जनाब कालीपद प्रसाद जी आदाब,दोहों की सराहना के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।
'रैन'और 'बेचैन'में टंकण त्रुटि के लिये क्षमा प्रार्थी हूँ,ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद ।
आदरणीय समर कबीर साहब आदाब। चित्र की सार्थकता को सिद्ध करते बहुत ही सुन्दर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई स्वीकार करें । सादर ।
जनाब सुरेश कुमार'कल्याण'जी आदाब,दोहों की सराहना के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।

वाह्ह्ह्ह  वाह आद०  समर भाई जी वर्णों  को  परिभाषित करते हुए दोहे ये प्रयोग अतिसुन्दर सराहनीय है | सभी दोहे शिल्पगत शानदार लगे इन दो दोहों के विषम चरणों में अटकाव लगा सो दुरुस्त करने का प्रयास किया है 

'ख' से खुल गये द्वार सब---'ख' से खुले हैं  द्वार सब---ऐसा कर लीजिये 

ग' ये हमको सिखा रहा--ग' हमें शिक्षा  दे  रहा  

इस अद्दभुत दोहावली के लिए दिल से बधाई लीजिये |

बहना राजेश कुमारी जी आदाब,आपको मेरा प्रयास पसन्द आया मेरा लिखना सार्थक हुआ,सराहना के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।
आपने जो मार्गदर्शन दिया है उसे अवश्य ध्यान में रखूंगा।

आदरणीय समर कबीर भाई

नाम किशन था प्यार से ,नटवर कहते लोग
जो उससे मिलता उसे,लगा प्रेम का रोग.........सुंदर भाव

पूरे चित्र को सार्थक कर दिया आपने इन दोहों के माध्यम से, हर दोहे में एक सीख भी है। हृदय से बधाई

जनाब अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी आदाब,मेरा प्रयास आपको पसंद आया लिखना सार्थक हुआ,सराहना के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।

आ0 भाई समर जी प्रदत्तचित्रानुसार बहुत सुंदर दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई स्वीकारें ।

 

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"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
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