"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-55 - Open Books Online2024-03-19T07:35:11Zhttp://www.openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/55?commentId=5170231%3AComment%3A716415&feed=yes&xn_auth=noशुभ रात्रि
tag:www.openbooksonline.com,2015-11-21:5170231:Comment:7168912015-11-21T18:31:55.065ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>शुभ रात्रि </p>
<p></p>
<p>शुभ रात्रि </p>
<p></p> हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिले…tag:www.openbooksonline.com,2015-11-21:5170231:Comment:7170172015-11-21T18:30:23.444ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेशजी. </p>
<p>वैसे आपभी फ़ेलुन फ़ाइलुन वाले अभ्यासी हैं. लेकिन दोहा छन्दों के अभ्यास के क्रम में इस फ़ेलुन फ़ेलुन से तौबः कीजियेगा. </p>
<p>:-)))</p>
<p>हा हा हा हा....</p>
<p></p>
<p>हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेशजी. </p>
<p>वैसे आपभी फ़ेलुन फ़ाइलुन वाले अभ्यासी हैं. लेकिन दोहा छन्दों के अभ्यास के क्रम में इस फ़ेलुन फ़ेलुन से तौबः कीजियेगा. </p>
<p>:-)))</p>
<p>हा हा हा हा....</p>
<p></p> आयोजन की सफलता हेतु सभी सहभाग…tag:www.openbooksonline.com,2015-11-21:5170231:Comment:7170162015-11-21T18:28:08.863Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p><span>आयोजन की सफलता हेतु सभी सहभागियों को हार्दिक बधाई |</span></p>
<p>कुछ व्यस्तताओं के कारण इस बार मैं आयोजन में अधिक सक्रीय नहीं रह पाया, उसके लिए क्षमा चाहता हूँ. रचनाये तो सभी देख ली है किन्तु पूरी प्रतिक्रियाओं से नहीं गुजर सका. </p>
<p><span>आयोजन की सफलता हेतु सभी सहभागियों को हार्दिक बधाई |</span></p>
<p>कुछ व्यस्तताओं के कारण इस बार मैं आयोजन में अधिक सक्रीय नहीं रह पाया, उसके लिए क्षमा चाहता हूँ. रचनाये तो सभी देख ली है किन्तु पूरी प्रतिक्रियाओं से नहीं गुजर सका. </p> एक उम्दा कोशिश केलिए हार्दिक…tag:www.openbooksonline.com,2015-11-21:5170231:Comment:7169722015-11-21T18:25:41.474ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>एक उम्दा कोशिश केलिए हार्दिक बधाई आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानीजी. </p>
<p>छन्दों के चरण की मात्राओं पर सदा दृष्टि बनाये रखें. </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p>
<p>एक उम्दा कोशिश केलिए हार्दिक बधाई आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानीजी. </p>
<p>छन्दों के चरण की मात्राओं पर सदा दृष्टि बनाये रखें. </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p> बढ़िया बात साझा हुई है हार्दिक…tag:www.openbooksonline.com,2015-11-21:5170231:Comment:7170152015-11-21T18:23:56.277Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p>बढ़िया बात साझा हुई है हार्दिक आभार सर </p>
<p>बढ़िया बात साझा हुई है हार्दिक आभार सर </p> आदरणीय जयनित जी, आपकी कोशिश अ…tag:www.openbooksonline.com,2015-11-21:5170231:Comment:7168902015-11-21T18:22:49.485ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय जयनित जी, आपकी कोशिश अत्यंत संयत हुई है. आपसे दीर्घकालीन आभ्यास की अपेक्षा कर रहा हूँ. आपके छन्दों के कथ्य और शिल्पगत अभ्यास ध्यानाकृष्ट कर रहा है. हार्दिक बधाइयाँ </p>
<p>शुभेच्छाएँ </p>
<p></p>
<p>आदरणीय जयनित जी, आपकी कोशिश अत्यंत संयत हुई है. आपसे दीर्घकालीन आभ्यास की अपेक्षा कर रहा हूँ. आपके छन्दों के कथ्य और शिल्पगत अभ्यास ध्यानाकृष्ट कर रहा है. हार्दिक बधाइयाँ </p>
<p>शुभेच्छाएँ </p>
<p></p> बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदर…tag:www.openbooksonline.com,2015-11-21:5170231:Comment:7170142015-11-21T18:21:37.827ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी हौसला बढ़ाने के लिए।
बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी हौसला बढ़ाने के लिए। आदरणीय शेख शाहज़ाद उस्मानी जी,…tag:www.openbooksonline.com,2015-11-21:5170231:Comment:7170132015-11-21T18:18:31.735ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय शेख शाहज़ाद उस्मानी जी, आपके प्रयास और आपकी सहभागिता के लिए मैं हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ. दोहा छन्द पर आपका प्रयास उत्साहित कर रहा है. वैसे छन्दों की अपनी सत्ता होती है. और इस सत्ता के अपने व्यवहार हैं. इसी व्यवहार को समझना और साधना छन्दकर्म है. वैसे आपका यह आरम्भिक प्रयास है, अतः मैं आपको संयत प्रयास केलिए दिल से बधाई दे रहा हूँ. <br/>शुभेच्छाएँ</p>
<p></p>
<p>आदरणीय शेख शाहज़ाद उस्मानी जी, आपके प्रयास और आपकी सहभागिता के लिए मैं हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ. दोहा छन्द पर आपका प्रयास उत्साहित कर रहा है. वैसे छन्दों की अपनी सत्ता होती है. और इस सत्ता के अपने व्यवहार हैं. इसी व्यवहार को समझना और साधना छन्दकर्म है. वैसे आपका यह आरम्भिक प्रयास है, अतः मैं आपको संयत प्रयास केलिए दिल से बधाई दे रहा हूँ. <br/>शुभेच्छाएँ</p>
<p></p> आदरणीय उस्मानी जी बढ़िया प्रया…tag:www.openbooksonline.com,2015-11-21:5170231:Comment:7169712015-11-21T18:17:46.335Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीय उस्मानी जी बढ़िया प्रयास हुआ है हार्दिक बधाई</p>
<p>आदरणीय उस्मानी जी बढ़िया प्रयास हुआ है हार्दिक बधाई</p> शिक्षाप्रद दोहा छंद प्रस्तुति…tag:www.openbooksonline.com,2015-11-21:5170231:Comment:7168042015-11-21T18:15:15.655ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
शिक्षाप्रद दोहा छंद प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय जयनित कुमार मेहता जी ।
शिक्षाप्रद दोहा छंद प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय जयनित कुमार मेहता जी ।