"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-53 - Open Books Online2024-03-29T11:06:29Zhttp://www.openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/53?commentId=5170231%3AComment%3A699587&feed=yes&xn_auth=noइस सफल आयोजन के लिए आयोजक और…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-19:5170231:Comment:6998282015-09-19T18:29:04.670ZPankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"http://www.openbooksonline.com/profile/PankajKumarMishraVatsyayan
इस सफल आयोजन के लिए आयोजक और समस्त सहभागियों को हार्दिक बधाई और यथोचित अभिवादन।
इस सफल आयोजन के लिए आयोजक और समस्त सहभागियों को हार्दिक बधाई और यथोचित अभिवादन। जी सर "संकलन के समय" लिखना भू…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-19:5170231:Comment:7000112015-09-19T18:26:58.932ZPankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"http://www.openbooksonline.com/profile/PankajKumarMishraVatsyayan
जी सर "संकलन के समय" लिखना भूल गया था।।<br />
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प्रणाम्
जी सर "संकलन के समय" लिखना भूल गया था।।<br />
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प्रणाम् आयोजन के कुशल संचालन हेतु आपक…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-19:5170231:Comment:7000102015-09-19T18:26:28.059Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p>आयोजन के कुशल संचालन हेतु आपका हार्दिक आभार एवं आयोजन की सफलता हेतु सभी सदस्यों को हार्दिक बधाई </p>
<p>आयोजन के कुशल संचालन हेतु आपका हार्दिक आभार एवं आयोजन की सफलता हेतु सभी सदस्यों को हार्दिक बधाई </p> आपका सादर आभार आदरणीय अशोकजी.…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-19:5170231:Comment:7000092015-09-19T18:25:03.316ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आपका सादर आभार आदरणीय अशोकजी.. </p>
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<p>आपका सादर आभार आदरणीय अशोकजी.. </p>
<p></p> ओबीओ ’चित्र से काव्य तक’ छंदो…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-19:5170231:Comment:6999132015-09-19T18:20:52.457ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>ओबीओ ’चित्र से काव्य तक’ छंदोत्सव" अंक- 53 के आयोजन के लिए सभी सहभागियों और पाठओं को मेरा सादर प्रणाम</p>
<p>शुभ-शुभ</p>
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<p>ओबीओ ’चित्र से काव्य तक’ छंदोत्सव" अंक- 53 के आयोजन के लिए सभी सहभागियों और पाठओं को मेरा सादर प्रणाम</p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p> जी, आदरणीय
tag:www.openbooksonline.com,2015-09-19:5170231:Comment:6997342015-09-19T18:19:41.610ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>जी, आदरणीय </p>
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<p>जी, आदरणीय </p>
<p></p> भाई वात्स्यायनजी, संसोधन का क…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-19:5170231:Comment:6998272015-09-19T18:19:00.201ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>भाई वात्स्यायनजी, संसोधन का कार्य संकलन के पोस्ट पर होता है. आप इस आयोजन की भूमिका भी पढ़ लिया करें. यह आयोजन का अन्योन्याश्रय भाग होता है.</p>
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<p>भाई वात्स्यायनजी, संसोधन का कार्य संकलन के पोस्ट पर होता है. आप इस आयोजन की भूमिका भी पढ़ लिया करें. यह आयोजन का अन्योन्याश्रय भाग होता है.</p>
<p> </p> आदरणीय सौरभ सर, यह संभवतः मैं…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-19:5170231:Comment:7000072015-09-19T18:10:55.282Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीय सौरभ सर, यह संभवतः मैंने पहली बार 'सीधी बात' कही है और इसका सीधा सा कारण आयोजन की गरिमा के अनुरूप (नियमानुसार विधा अनुरूप भी) अपने अग्रज साथी से प्रस्तुति की आशा करना है. सादर </p>
<p>आदरणीय सौरभ सर, यह संभवतः मैंने पहली बार 'सीधी बात' कही है और इसका सीधा सा कारण आयोजन की गरिमा के अनुरूप (नियमानुसार विधा अनुरूप भी) अपने अग्रज साथी से प्रस्तुति की आशा करना है. सादर </p> इस शानदार प्रस्तुति पर शानदार…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-19:5170231:Comment:6999112015-09-19T18:03:55.460Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p>इस शानदार प्रस्तुति पर शानदार काव्यमयी प्रतिक्रिया </p>
<p>इस शानदार प्रस्तुति पर शानदार काव्यमयी प्रतिक्रिया </p> आदरणीय सौरभ सर; मेरी प्रस्तुत…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-19:5170231:Comment:6998262015-09-19T18:02:41.639ZPankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"http://www.openbooksonline.com/profile/PankajKumarMishraVatsyayan
आदरणीय सौरभ सर; मेरी प्रस्तुति में कुछ संसोधनों हेतु सुझाव थे; जिन्हें निम्नवत् परिमार्जित करें; साभार=<br />
<br />
कजरारे नैना लिये मनमोहक यह रूप।<br />
अधरों की मुस्कान भी आकर्षक है खूब।।<br />
<br />
को निम्नवत् परिवर्तित करें-<br />
कजरारे नैना लिये मनमोहक यह रूप।<br />
अधरों की मुस्कान है; ज्यों सर्दी की धूप।।<br />
=================================<br />
मनुजों के हिय में पले स्वाप रूप धर नाग।<br />
कलि मर्दन को चल दिए देखो फिर से नाथ।।<br />
<br />
को निम्नवत् परिवर्तित करें-<br />
मनुजों के हिय में पले स्वाप रूप धर नाग।<br />
कलि मर्दन को चल दिये, छेड़ प्रीत की राग।।
आदरणीय सौरभ सर; मेरी प्रस्तुति में कुछ संसोधनों हेतु सुझाव थे; जिन्हें निम्नवत् परिमार्जित करें; साभार=<br />
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कजरारे नैना लिये मनमोहक यह रूप।<br />
अधरों की मुस्कान भी आकर्षक है खूब।।<br />
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को निम्नवत् परिवर्तित करें-<br />
कजरारे नैना लिये मनमोहक यह रूप।<br />
अधरों की मुस्कान है; ज्यों सर्दी की धूप।।<br />
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मनुजों के हिय में पले स्वाप रूप धर नाग।<br />
कलि मर्दन को चल दिए देखो फिर से नाथ।।<br />
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को निम्नवत् परिवर्तित करें-<br />
मनुजों के हिय में पले स्वाप रूप धर नाग।<br />
कलि मर्दन को चल दिये, छेड़ प्रीत की राग।।