आदरणीय काव्य-रसिको,
सादर अभिवादन !
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार बावनवाँ आयोजन है.
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ – 14 अगस्त 2015 दिन शुक्रवार से 15 अगस्त 2015 दिन शनिवार तक
इस बार भी गत अंक की तरह वही तीन छन्द रखे गये हैं - दोहा छन्द, रोला छन्द और कुण्डलिया छन्द.
हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.
इन तीनों छन्दों में से किसी एक या दो या सभी छन्दों में प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द रचना करनी है.
इन छन्दों में से किसी उपयुक्त छन्द पर आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.
रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो तीनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.
[प्रयुक्त चित्र अंतरजाल (Internet) के सौजन्य से प्राप्त हुआ है]
जैसा कि विदित ही है, छन्दों के विधान सम्बन्धी मूलभूत जानकारी इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.
दोहा छन्द की मूलभूत जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें.
रोला छ्न्द की मूलभूत जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें
कुण्डलिया छन्द की मूलभूत जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें
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दोहा छन्द पर आधारित गीत के उदाहरण केलिए यहाँ क्लिक करें.
दोहा छन्द आधारित नवगीत के उदाहरण केलिए यहाँ क्लिक करें.
आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 14 अगस्त 2015 से 15 अगस्त 2015 यानि दो दिनों के लिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...
विशेष :
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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बढ़िया बात समझी है..... चित्र देखते समय और छंद सोचते समय गिनती का ध्यान रखना बेहद जरूरी है ।
//समझ गये एक और बात //
अब तक टोटल समझ गये बातों की गिनती भी बता ही दीजिये आदरणीया :-))))
हृदय तिरंगा थाम के, दोहे हो जब पाँच
पढ़कर ये गिरिराज सर, कैसे आये आँच
कितनी गहरी बात ये, कह दी सर गिरिराज
दूध ख़टाई ना पड़े, यही दुआ है आज
बालक मन बहके नहीं, इसका यही निदान
दिल से दिल की बात हो, सबको अपना मान
इच्छा बदले भाव में, कर्म बने वह बाद
दोहा पढ़कर आ गई, जयशंकर की याद
कब कहते है खाय लो, खाओ कहते आज
फिर क्यों दोहों में बने, अपनी ये आवाज ?
सुन्दर दोहे पांच है, सुन्दर इनके भाव
बहुत बधाई आपको, बतलाया सद्भाव
वाह !!!!! छंदों के मेले में छंदों पर छंदों की रवानी छा गई ।
क्या बात है ! आदरणीय मिथिलेश भाई , आपको खूबसूरत प्रतक्रिया छंदो के लिये आपका हार्दिक आभार । आपकी सहभागिता , उत्साह और प्रयास को नमन ।
वाह वाह की राह है, वाह वाह की चाह
भायी जो सहभागिता, ये प्रयास उत्साह
आ. गिरिराज भंडारी जी प्रदत्त चित्र पर देश - प्रेम से ओत-प्रोत इन शानदार दोहों पर हार्दिक बधाई आपको !
// हाथ तिरंगा थाम के , बैठे बालक पाँच
मन कहता इस भाव को , आये ना अब आँच // देश हित मैं इस नेक दुआ को दोहे मैं व्यक्त कर के मन प्रफुल्लित किया आपने आदरणीय !
आदरणीय सचिन भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ॥
वाह ! वाह ! क्या सुमधुर पंक्तियाँ बनी है । एक डर बना रहा मन में हमेशा जो ,इसे व्यक्त करते हुए सच में क्या खूब कहा है कि ...... राजनीति ना घेर ले , इनके कोमल भाव दूध ख़टाई ना पड़े , बचा रहे सद्भाव........ अति सुंदर !!! बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरीराज भंडारी जी ।
आदरणीया कांता जी , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ॥
प्रिय भाई गिरिराज
हाथ तिरंगा थाम के , बैठे बालक पाँच
मन कहता इस भाव को , आये ना अब आँच
इच्छा बदले भाव में , भाव बने तब कर्म
थामें झंडा बस तभी , देश प्रेम हो धर्म
चारों पंक्तियाँ बहुत ही सुंदर भाव लिए, और अन्य छंद भी, हार्दिक बधाई
आदरणीय बड़े भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ ।
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