"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-46 - Open Books Online2024-03-28T17:10:32Zhttp://www.openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/46?commentId=5170231%3AComment%3A620046&feed=yes&xn_auth=no//एक सरीखी प्रात: संध्या, जीव…tag:www.openbooksonline.com,2015-02-21:5170231:Comment:6206132015-02-21T18:30:25.037ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://www.openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>//एक सरीखी प्रात: संध्या, जीवन की सच्चाई रे</p>
<p>एक सूर्य को आमंत्रण दे , दूजी करे विदाई रे</p>
<p>कालचक्र की आवा-जाही, देती किसे दिखाई रे</p>
<p>तालमेल का ताना-बाना, सुन्दर बुनना भाई रे //</p>
<p></p>
<p>क्या कहने, सच कहूँ तो इस बंद की जो खूबसूरती है उसको कहने के लिए शब्द कम पड़ रहें है, कथ्य शिल्प प्रवाह गज़ब का युग्मित हुआ है और यह "रे" कमाल है कमाल, मन मुग्ध है बस बधाई प्रेषित है.</p>
<p>//एक सरीखी प्रात: संध्या, जीवन की सच्चाई रे</p>
<p>एक सूर्य को आमंत्रण दे , दूजी करे विदाई रे</p>
<p>कालचक्र की आवा-जाही, देती किसे दिखाई रे</p>
<p>तालमेल का ताना-बाना, सुन्दर बुनना भाई रे //</p>
<p></p>
<p>क्या कहने, सच कहूँ तो इस बंद की जो खूबसूरती है उसको कहने के लिए शब्द कम पड़ रहें है, कथ्य शिल्प प्रवाह गज़ब का युग्मित हुआ है और यह "रे" कमाल है कमाल, मन मुग्ध है बस बधाई प्रेषित है.</p> मार्मिक व उत्कृष्ट छन्द हेतु…tag:www.openbooksonline.com,2015-02-21:5170231:Comment:6205122015-02-21T18:30:10.150Zअरुण कुमार निगमhttp://www.openbooksonline.com/profile/arunkumarnigam
<p><strong>मार्मिक व उत्कृष्ट छन्द हेतु बधाइयाँ.....</strong></p>
<p><strong>मार्मिक व उत्कृष्ट छन्द हेतु बधाइयाँ.....</strong></p> द्वितीय प्रस्तुति मेरी भायी आ…tag:www.openbooksonline.com,2015-02-21:5170231:Comment:6208072015-02-21T18:30:06.295Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p>द्वितीय प्रस्तुति मेरी भायी आप बताये, अच्छा है </p>
<p>छंदों के इस नवप्रयास को आप सहारे ,अच्छा है </p>
<p>मुक्त कंठ से आप सराहे कब इसका अधिकारी हूँ </p>
<p>आज बधाई पाकर सबकी दिल से मैं आभारी हूँ </p>
<p>द्वितीय प्रस्तुति मेरी भायी आप बताये, अच्छा है </p>
<p>छंदों के इस नवप्रयास को आप सहारे ,अच्छा है </p>
<p>मुक्त कंठ से आप सराहे कब इसका अधिकारी हूँ </p>
<p>आज बधाई पाकर सबकी दिल से मैं आभारी हूँ </p> आप सभी इष्ट-मित्रों, शुभ-चिंत…tag:www.openbooksonline.com,2015-02-21:5170231:Comment:6207082015-02-21T18:28:26.655Zअरुण कुमार निगमhttp://www.openbooksonline.com/profile/arunkumarnigam
<p><strong>आप सभी इष्ट-मित्रों, शुभ-चिंतकों के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ, स्नेह बनाये रखें. सीखने सिखाने का क्रम निर्बाध रहे.</strong></p>
<p><strong>आप सभी इष्ट-मित्रों, शुभ-चिंतकों के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ, स्नेह बनाये रखें. सीखने सिखाने का क्रम निर्बाध रहे.</strong></p> इस तकनीक को साझा करने हेतु आ…tag:www.openbooksonline.com,2015-02-21:5170231:Comment:6205112015-02-21T18:26:25.303ZSatyanarayan Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/satyanarayanShivramSingh
<p></p>
<p>इस तकनीक को साझा करने हेतु आपका आभारी हूँ. आ. मिथिलेश जी </p>
<p></p>
<p>इस तकनीक को साझा करने हेतु आपका आभारी हूँ. आ. मिथिलेश जी </p> इस सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दि…tag:www.openbooksonline.com,2015-02-21:5170231:Comment:6206102015-02-21T18:23:38.757ZSatyanarayan Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/satyanarayanShivramSingh
<p>इस सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें आ. रमेश कुमार जी </p>
<p>इस सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें आ. रमेश कुमार जी </p> इस सुन्दर मार्मिक प्रस्तुति प…tag:www.openbooksonline.com,2015-02-21:5170231:Comment:6207072015-02-21T18:21:14.224ZSatyanarayan Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/satyanarayanShivramSingh
<p>इस सुन्दर मार्मिक प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें. आ. दिनेश कुमार जी </p>
<p>इस सुन्दर मार्मिक प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें. आ. दिनेश कुमार जी </p> मनोबल बढ़ाने के लिए बहुत बहुत…tag:www.openbooksonline.com,2015-02-21:5170231:Comment:6205102015-02-21T18:16:28.699ZSatyanarayan Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/satyanarayanShivramSingh
<p><span lang="AR-SA" xml:lang="AR-SA">मनोबल बढ़ाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय बागी जी</span></p>
<p><span lang="AR-SA" xml:lang="AR-SA">मनोबल बढ़ाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय बागी जी</span></p> जहाँ न पहुँचे रवि की किरणें…tag:www.openbooksonline.com,2015-02-21:5170231:Comment:6205092015-02-21T18:16:02.176Zअरुण कुमार निगमhttp://www.openbooksonline.com/profile/arunkumarnigam
<p></p>
<p><strong>जहाँ न पहुँचे रवि की किरणें , वहाँ आपने देखा है</strong></p>
<p><strong>रोमांचक यह प्रश्न अधूरा , शायद विधि का लेखा है</strong></p>
<p><strong>यह अनुभव से ही संभव है, नमन हमारा स्वीकारें</strong></p>
<p><strong>ऐसे भावों पर दिल क्या है, हम अपना सबकुछ हारें</strong></p>
<p></p>
<p><strong>जहाँ न पहुँचे रवि की किरणें , वहाँ आपने देखा है</strong></p>
<p><strong>रोमांचक यह प्रश्न अधूरा , शायद विधि का लेखा है</strong></p>
<p><strong>यह अनुभव से ही संभव है, नमन हमारा स्वीकारें</strong></p>
<p><strong>ऐसे भावों पर दिल क्या है, हम अपना सबकुछ हारें</strong></p> आपकी सराहना से आत्मिक प्रसन्…tag:www.openbooksonline.com,2015-02-21:5170231:Comment:6205082015-02-21T18:15:37.590ZSatyanarayan Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/satyanarayanShivramSingh
<p><span lang="AR-SA" xml:lang="AR-SA">आपकी सराहना से</span><span lang="EN-IN" xml:lang="EN-IN"> </span><span lang="AR-SA" xml:lang="AR-SA">आत्मिक</span><span lang="EN-IN" xml:lang="EN-IN"> </span> <span lang="AR-SA" xml:lang="AR-SA">प्रसन्नता हुई हार्दिक आभार आदरणीया डॉ प्राची जी</span></p>
<p><span lang="AR-SA" xml:lang="AR-SA">आपकी सराहना से</span><span lang="EN-IN" xml:lang="EN-IN"> </span><span lang="AR-SA" xml:lang="AR-SA">आत्मिक</span><span lang="EN-IN" xml:lang="EN-IN"> </span> <span lang="AR-SA" xml:lang="AR-SA">प्रसन्नता हुई हार्दिक आभार आदरणीया डॉ प्राची जी</span></p>