"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-39 - Open Books Online2024-03-29T10:27:08Zhttp://www.openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/39?commentId=5170231%3AComment%3A560198&feed=yes&xn_auth=noअपनी प्रतिभागिता से इस आयोजन…tag:www.openbooksonline.com,2014-07-19:5170231:Comment:5602842014-07-19T18:26:50.111Zयोगराज प्रभाकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
<p>अपनी प्रतिभागिता से इस आयोजन को सफल बनाने के लिए सभी सुधिजनो को हार्दिक साधुवाद।</p>
<p>अपनी प्रतिभागिता से इस आयोजन को सफल बनाने के लिए सभी सुधिजनो को हार्दिक साधुवाद।</p> सुन्दर प्रतिक्रया के लिए आपका…tag:www.openbooksonline.com,2014-07-19:5170231:Comment:5603732014-07-19T18:26:47.815ZAshok Kumar Raktalehttp://www.openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>सुन्दर प्रतिक्रया के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीया कल्पना रामानी जी. सादर. </p>
<p>सुन्दर प्रतिक्रया के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीया कल्पना रामानी जी. सादर. </p> सुन्दर प्रतिक्रया के लिए आपका…tag:www.openbooksonline.com,2014-07-19:5170231:Comment:5605422014-07-19T18:26:11.214ZAshok Kumar Raktalehttp://www.openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>सुन्दर प्रतिक्रया के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय सत्यनारायण सिंह जी. सादर. </p>
<p></p>
<p>सुन्दर प्रतिक्रया के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय सत्यनारायण सिंह जी. सादर. </p>
<p></p> आदरणीय गोपाल जी!
शब्द भीने भ…tag:www.openbooksonline.com,2014-07-19:5170231:Comment:5604512014-07-19T18:20:46.181Zवेदिकाhttp://www.openbooksonline.com/profile/vedikagitika
आदरणीय गोपाल जी!<br />
<br />
शब्द भीने भाव से हैं गीतिका निर्मल बनी<br />
इंद्र के सत रंग जैसी एक रंगोली घनी<br />
पेट की पापी दशा का यूँ किया वर्णन यहाँ<br />
और ऐसी गीतिका का दर्श होना था कहाँ<br />
<br />
सादर!!
आदरणीय गोपाल जी!<br />
<br />
शब्द भीने भाव से हैं गीतिका निर्मल बनी<br />
इंद्र के सत रंग जैसी एक रंगोली घनी<br />
पेट की पापी दशा का यूँ किया वर्णन यहाँ<br />
और ऐसी गीतिका का दर्श होना था कहाँ<br />
<br />
सादर!! यथा संशोधितtag:www.openbooksonline.com,2014-07-19:5170231:Comment:5604502014-07-19T18:19:28.154Zयोगराज प्रभाकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
<p><strong>यथा संशोधित</strong></p>
<p><strong>यथा संशोधित</strong></p> आदरणीय अरुण निगम जी सादर
र…tag:www.openbooksonline.com,2014-07-19:5170231:Comment:5605392014-07-19T18:15:35.250ZSatyanarayan Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/satyanarayanShivramSingh
<p></p>
<p>आदरणीय अरुण निगम जी सादर </p>
<p></p>
<p>रचना को मान देने के लिए हार्दिक आभार</p>
<p>सादर</p>
<p></p>
<p>आदरणीय अरुण निगम जी सादर </p>
<p></p>
<p>रचना को मान देने के लिए हार्दिक आभार</p>
<p>सादर</p> खूब उकेरा चित्र , छन्द - रोला…tag:www.openbooksonline.com,2014-07-19:5170231:Comment:5604492014-07-19T18:15:26.144Zअरुण कुमार निगमhttp://www.openbooksonline.com/profile/arunkumarnigam
<p><strong>खूब उकेरा चित्र , छन्द - रोला में सुन्दर</strong></p>
<p><strong>गागर में है कैद , लग रहा एक समुन्दर</strong></p>
<p><strong>अंतिम का तुक अंत,देखिये फिर से थोड़ा</strong></p>
<p><strong>खाकर जोकर साथ,अटपटा लगा निगोड़ा ..............</strong></p>
<p></p>
<p><strong>क्षमा याचना सहित...............सादर............</strong></p>
<p></p>
<p></p>
<p><strong>खूब उकेरा चित्र , छन्द - रोला में सुन्दर</strong></p>
<p><strong>गागर में है कैद , लग रहा एक समुन्दर</strong></p>
<p><strong>अंतिम का तुक अंत,देखिये फिर से थोड़ा</strong></p>
<p><strong>खाकर जोकर साथ,अटपटा लगा निगोड़ा ..............</strong></p>
<p></p>
<p><strong>क्षमा याचना सहित...............सादर............</strong></p>
<p></p>
<p></p> हर कहमुकरी लगी निराली
मानों ह…tag:www.openbooksonline.com,2014-07-19:5170231:Comment:5605262014-07-19T17:56:02.360Zअरुण कुमार निगमhttp://www.openbooksonline.com/profile/arunkumarnigam
<p><strong>हर कहमुकरी लगी निराली</strong></p>
<p><strong>मानों हो मदिरा की प्याली</strong></p>
<p><strong>कौन दिखाये ऐसे करतब</strong></p>
<p><strong>क्या सखि साजन,ना सिंह साहब..........</strong></p>
<p></p>
<p><strong>सादर..............</strong></p>
<p><strong>हर कहमुकरी लगी निराली</strong></p>
<p><strong>मानों हो मदिरा की प्याली</strong></p>
<p><strong>कौन दिखाये ऐसे करतब</strong></p>
<p><strong>क्या सखि साजन,ना सिंह साहब..........</strong></p>
<p></p>
<p><strong>सादर..............</strong></p> आदरणीया कल्पना दीदी जी!
आपक…tag:www.openbooksonline.com,2014-07-19:5170231:Comment:5602832014-07-19T17:52:23.187Zवेदिकाhttp://www.openbooksonline.com/profile/vedikagitika
आदरणीया कल्पना दीदी जी!<br/>
<br />
<br />
आपका आशिष मिले तो गीतिका फूले फले<br/>
शीश नत हो गीतिका तो कल्पना मिलती गले<br/>
भाव धारा औ' विचारों का सुखद संयोग हो<br/>
गीतिका की गीतिका में कल्पना का योग हो<br/>
<br/>
सादर!!
आदरणीया कल्पना दीदी जी!<br/>
<br />
<br />
आपका आशिष मिले तो गीतिका फूले फले<br/>
शीश नत हो गीतिका तो कल्पना मिलती गले<br/>
भाव धारा औ' विचारों का सुखद संयोग हो<br/>
गीतिका की गीतिका में कल्पना का योग हो<br/>
<br/>
सादर!! आभार आदरणीय सत्यनारायण भाई...…tag:www.openbooksonline.com,2014-07-19:5170231:Comment:5605252014-07-19T17:49:32.228Zअरुण कुमार निगमhttp://www.openbooksonline.com/profile/arunkumarnigam
<p>आभार आदरणीय सत्यनारायण भाई...............</p>
<p>आभार आदरणीय सत्यनारायण भाई...............</p>