"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक - 32 (Now Closed) - Open Books Online2024-03-29T13:52:52Zhttp://www.openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/32?groupUrl=pop&xg_source=activity&id=5170231%3ATopic%3A467326&feed=yes&xn_auth=noओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्…tag:www.openbooksonline.com,2013-11-24:5170231:Comment:4772492013-11-24T18:30:43.775ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://www.openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p><span>ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक- 32 को सफल बनाने हेतु आप सभी छन्द प्रेमियों को बहुत बहुत धन्यवाद | </span></p>
<p><span>ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक- 32 को सफल बनाने हेतु आप सभी छन्द प्रेमियों को बहुत बहुत धन्यवाद | </span></p> मन्त्र एकता का बतलातीं, और…tag:www.openbooksonline.com,2013-11-24:5170231:Comment:4770932013-11-24T18:29:14.821ZAVINASH S BAGDEhttp://www.openbooksonline.com/profile/AVINASHSBAGDE
<p><span>मन्त्र एकता का बतलातीं, और सिखाती हैं सद्भाव ।...</span><span>बहुत सशक्त आल्हा छ्ंद <strong>अरुण कुमार निगम</strong><span> BHAI</span></span></p>
<p><span><span>नन्हें - नन्हें जीव सिखाते , आओ मिलकर करें विचार </span><br/><span>मन्त्र एकता का अपनायें , करें देश का हम उद्धार ।</span></span></p>
<p><span>मन्त्र एकता का बतलातीं, और सिखाती हैं सद्भाव ।...</span><span>बहुत सशक्त आल्हा छ्ंद <strong>अरुण कुमार निगम</strong><span> BHAI</span></span></p>
<p><span><span>नन्हें - नन्हें जीव सिखाते , आओ मिलकर करें विचार </span><br/><span>मन्त्र एकता का अपनायें , करें देश का हम उद्धार ।</span></span></p> शुभरात्री tag:www.openbooksonline.com,2013-11-24:5170231:Comment:4771712013-11-24T18:29:05.269Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://www.openbooksonline.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>शुभरात्री </p>
<p>शुभरात्री </p> आभार प्रिय राम भैया!
आपके संश…tag:www.openbooksonline.com,2013-11-24:5170231:Comment:4770922013-11-24T18:28:38.202Zवेदिकाhttp://www.openbooksonline.com/profile/vedikagitika
<p>आभार प्रिय राम भैया!</p>
<p>आपके संशय पर मैंने आपको रचना सुनाई है, किन्तु यदि और आवश्यकता है तो और समय दूँगी रचना पर| </p>
<p>आभार प्रिय राम भैया!</p>
<p>आपके संशय पर मैंने आपको रचना सुनाई है, किन्तु यदि और आवश्यकता है तो और समय दूँगी रचना पर| </p> बहुत ही सुन्दर मदिरा सवैया…tag:www.openbooksonline.com,2013-11-24:5170231:Comment:4770912013-11-24T18:26:53.758ZAVINASH S BAGDEhttp://www.openbooksonline.com/profile/AVINASHSBAGDE
<p><span> बहुत ही सुन्दर </span><span> मदिरा सवैया और दुरमिल सवैया 0 रविकर जी!</span></p>
<p><span> बहुत ही सुन्दर </span><span> मदिरा सवैया और दुरमिल सवैया 0 रविकर जी!</span></p> सुन्दर प्रस्तुति आदरणीया गीति…tag:www.openbooksonline.com,2013-11-24:5170231:Comment:4770902013-11-24T18:24:40.694Zram shiromani pathakhttp://www.openbooksonline.com/profile/ramshiromanipathak
<p>सुन्दर प्रस्तुति आदरणीया गीतिका जी। . बहुत बधाई आपको <br/> <span style="text-decoration: underline;">आपा तज हुई एकरूपता</span>।।।।। इस पंक्ति में गेयता भंग लगी .... सादर</p>
<p>सुन्दर प्रस्तुति आदरणीया गीतिका जी। . बहुत बधाई आपको <br/> <span style="text-decoration: underline;">आपा तज हुई एकरूपता</span>।।।।। इस पंक्ति में गेयता भंग लगी .... सादर</p> राहें कितनी हो कठिन, कभी न छो…tag:www.openbooksonline.com,2013-11-24:5170231:Comment:4772482013-11-24T18:24:19.407ZAVINASH S BAGDEhttp://www.openbooksonline.com/profile/AVINASHSBAGDE
<p>राहें कितनी हो कठिन, कभी न छोडो आस</p>
<p>धुन के पक्के हो अगर, होत सफल प्रयास !!3!!..............सफल प्रयास !</p>
<p>राहें कितनी हो कठिन, कभी न छोडो आस</p>
<p>धुन के पक्के हो अगर, होत सफल प्रयास !!3!!..............सफल प्रयास !</p> सेतु को बना रही उठा विशाल काष…tag:www.openbooksonline.com,2013-11-24:5170231:Comment:4770892013-11-24T18:22:42.010ZAVINASH S BAGDEhttp://www.openbooksonline.com/profile/AVINASHSBAGDE
<p>सेतु को बना रही उठा विशाल काष्ठ खंड</p>
<p>शक्ति एकता रखे समाज को सिखा रहीं</p>
<p><span>बहुत ही सुन्दर घनाक्षरी रची है </span><span>संदीप पटेल “दीप”</span></p>
<p>सेतु को बना रही उठा विशाल काष्ठ खंड</p>
<p>शक्ति एकता रखे समाज को सिखा रहीं</p>
<p><span>बहुत ही सुन्दर घनाक्षरी रची है </span><span>संदीप पटेल “दीप”</span></p> स्वागत है आपका tag:www.openbooksonline.com,2013-11-24:5170231:Comment:4773292013-11-24T18:22:03.203Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://www.openbooksonline.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>स्वागत है आपका </p>
<p>स्वागत है आपका </p> दो मिल करती संतुलन, करें नियं…tag:www.openbooksonline.com,2013-11-24:5170231:Comment:4770882013-11-24T18:20:42.742ZAVINASH S BAGDEhttp://www.openbooksonline.com/profile/AVINASHSBAGDE
<p><span>दो मिल करती संतुलन, करें नियंत्रण चार । </span><br/><span>देख उठाती चींटियाँ, अधिक स्वयं से भार ।२।...<span>सुन्दर और सार्थक </span><span>दोहे <a href="http://www.openbooksonline.com/group/pop/forum/topic/listForContributor?user=0xjyc27rkoxdg" class="fn url">अरुन शर्मा 'अनन्त'</a><span> JI</span></span></span></p>
<p><span>दो मिल करती संतुलन, करें नियंत्रण चार । </span><br/><span>देख उठाती चींटियाँ, अधिक स्वयं से भार ।२।...<span>सुन्दर और सार्थक </span><span>दोहे <a href="http://www.openbooksonline.com/group/pop/forum/topic/listForContributor?user=0xjyc27rkoxdg" class="fn url">अरुन शर्मा 'अनन्त'</a><span> JI</span></span></span></p>