'ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव’ अंक 135 - Open Books Online2024-03-29T09:40:44Zhttp://www.openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/135?commentId=5170231%3AComment%3A1087363&xg_source=activity&feed=yes&xn_auth=noआदरणीय अशोक भाई साहब,
आपने मे…tag:www.openbooksonline.com,2022-07-24:5170231:Comment:10872672022-07-24T17:34:32.890ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय अशोक भाई साहब,</p>
<p>आपने मेरे कहे का इंगित समझा.</p>
<p>मेरे कहे का अशय इतना है, कि शक्ति छंद का द्विकल को वर्णमाला के अक्षरों पर स्वर मात्रा के कारण ही स्थापित नहीं होता, बल्कि दो लघु वर्णॊ का समुच्चय भी द्विकल का प्रभाव बनाता है. चूँकि आपने अपने लिए कठिन कसौटी नियत कर ली थी, अतः उसका सम्मान करते हुए मैंने उपर्युक्त इशारा किया था. </p>
<p>सादर धन्यवाद</p>
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<p>आदरणीय अशोक भाई साहब,</p>
<p>आपने मेरे कहे का इंगित समझा.</p>
<p>मेरे कहे का अशय इतना है, कि शक्ति छंद का द्विकल को वर्णमाला के अक्षरों पर स्वर मात्रा के कारण ही स्थापित नहीं होता, बल्कि दो लघु वर्णॊ का समुच्चय भी द्विकल का प्रभाव बनाता है. चूँकि आपने अपने लिए कठिन कसौटी नियत कर ली थी, अतः उसका सम्मान करते हुए मैंने उपर्युक्त इशारा किया था. </p>
<p>सादर धन्यवाद</p>
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<p></p> हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी।…tag:www.openbooksonline.com,2022-07-24:5170231:Comment:10873652022-07-24T17:26:41.742Zpratibha pandehttp://www.openbooksonline.com/profile/pratibhapande
<p>हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी। आपकी सलाह का भविष्य में अवश्य ध्यान रहेगा</p>
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<p>हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी। आपकी सलाह का भविष्य में अवश्य ध्यान रहेगा</p>
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<p></p> आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, प…tag:www.openbooksonline.com,2022-07-24:5170231:Comment:10872652022-07-24T17:25:04.544ZAshok Kumar Raktalehttp://www.openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करता सुन्दर सृजन हुआ है आपके क़लम से. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर</p>
<p>आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करता सुन्दर सृजन हुआ है आपके क़लम से. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर</p> आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी साद…tag:www.openbooksonline.com,2022-07-24:5170231:Comment:10873642022-07-24T17:22:30.614ZAshok Kumar Raktalehttp://www.openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्र पर रचे छंदों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर</p>
<p>आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्र पर रचे छंदों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर</p> आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सा…tag:www.openbooksonline.com,2022-07-24:5170231:Comment:10873632022-07-24T17:21:17.474ZAshok Kumar Raktalehttp://www.openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत छंदों को चित्रानुरूप पाने के लिए आपका अतिशय आभार. सादर</p>
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत छंदों को चित्रानुरूप पाने के लिए आपका अतिशय आभार. सादर</p> आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, ज…tag:www.openbooksonline.com,2022-07-24:5170231:Comment:10872632022-07-24T17:20:23.090ZAshok Kumar Raktalehttp://www.openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! आपके कहे का मैं ध्यान रखूँगा. प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदयतल से आभार. सादर</p>
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<p>आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! आपके कहे का मैं ध्यान रखूँगा. प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदयतल से आभार. सादर</p>
<p></p> आदरणीय दयाराम मेठानी जी सादर,…tag:www.openbooksonline.com,2022-07-24:5170231:Comment:10873622022-07-24T17:18:41.857ZAshok Kumar Raktalehttp://www.openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय दयाराम मेठानी जी सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करते सुन्दर शक्ति छंद रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर.</p>
<p>आदरणीय दयाराम मेठानी जी सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करते सुन्दर शक्ति छंद रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर.</p> आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी साद…tag:www.openbooksonline.com,2022-07-24:5170231:Comment:10871512022-07-24T17:17:04.693ZAshok Kumar Raktalehttp://www.openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्र अनुकूल तीनों ही छंद आपने सुन्दर रचे हैं.</p>
<p></p>
<div dir="auto">मदन पास छाता बड़ा है नया।</div>
<div dir="auto">घुसेंगे यहीं सब मजा आ गया।।.....वाह ! बाल मानसिकता को उद्धृत करती सुन्दर पंक्तियाँ.</div>
<div dir="auto">एक बात अवश्य कहना चाहूँगा कि 'मगर' शब्द का प्रयोग पंक्ति के प्रारम्भ में ही किया करें. सादर</div>
<div dir="auto"></div>
<p>आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्र अनुकूल तीनों ही छंद आपने सुन्दर रचे हैं.</p>
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<div dir="auto">मदन पास छाता बड़ा है नया।</div>
<div dir="auto">घुसेंगे यहीं सब मजा आ गया।।.....वाह ! बाल मानसिकता को उद्धृत करती सुन्दर पंक्तियाँ.</div>
<div dir="auto">एक बात अवश्य कहना चाहूँगा कि 'मगर' शब्द का प्रयोग पंक्ति के प्रारम्भ में ही किया करें. सादर</div>
<div dir="auto"></div> आदरणीय मुकुल कुमार जी सादर, प…tag:www.openbooksonline.com,2022-07-24:5170231:Comment:10871492022-07-24T17:11:33.657ZAshok Kumar Raktalehttp://www.openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय मुकुल कुमार जी सादर, प्रदत्त चित्र बहुत सुन्दरता से परिभाषित हुआ है. बहुत बधाई स्वीकारें. किन्तु तुकांतता के नियम का कहीं-कहीं पालन नहीं हो सका है. थेली/थैली. सादर</p>
<p>आदरणीय मुकुल कुमार जी सादर, प्रदत्त चित्र बहुत सुन्दरता से परिभाषित हुआ है. बहुत बधाई स्वीकारें. किन्तु तुकांतता के नियम का कहीं-कहीं पालन नहीं हो सका है. थेली/थैली. सादर</p> आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सा…tag:www.openbooksonline.com,2022-07-24:5170231:Comment:10874092022-07-24T17:06:48.379ZAshok Kumar Raktalehttp://www.openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करते बहुत ही उत्तम शक्ति छंद रचे हैं आपने.</p>
<p></p>
<p>चले बाल वापस सभी गेह को।<br/>शरारत उठी मन तभी मेह को।।........वाह ! स्कूली बच्चों के चित्र के लिए कितनी मोहक पंक्तिया.</p>
<p></p>
<p>इसी को चले बाल धेरा किए।<br/>सरकते रहे एक छतरी लिए।।........चित्र जैसे इस अंतिम पंक्ति से जीवन्त हो उठा है. बहुत-बहुत बधाई. सादर</p>
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करते बहुत ही उत्तम शक्ति छंद रचे हैं आपने.</p>
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<p>चले बाल वापस सभी गेह को।<br/>शरारत उठी मन तभी मेह को।।........वाह ! स्कूली बच्चों के चित्र के लिए कितनी मोहक पंक्तिया.</p>
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<p>इसी को चले बाल धेरा किए।<br/>सरकते रहे एक छतरी लिए।।........चित्र जैसे इस अंतिम पंक्ति से जीवन्त हो उठा है. बहुत-बहुत बधाई. सादर</p>