"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-112 - Open Books Online2024-03-28T10:42:48Zhttp://www.openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/112?xg_source=activity&xg_raw_resources=1&feed=yes&xn_auth=noआदरणीय सतविन्द्र कुमार जी साद…tag:www.openbooksonline.com,2020-08-23:5170231:Comment:10156182020-08-23T18:29:27.309ZAshok Kumar Raktalehttp://www.openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी सादर, सुंदर हरिगीतिका छंद रचा है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. यति चिन्हों का प्रयोग भी किया जाना चाहिए था. सादर </p>
<p>आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी सादर, सुंदर हरिगीतिका छंद रचा है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. यति चिन्हों का प्रयोग भी किया जाना चाहिए था. सादर </p> आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प…tag:www.openbooksonline.com,2020-08-23:5170231:Comment:10156172020-08-23T18:27:17.198ZAshok Kumar Raktalehttp://www.openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुत छंद रचना प्रयास को सराहने के लिए आपका हृदय से आभार.सादर </p>
<p>आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुत छंद रचना प्रयास को सराहने के लिए आपका हृदय से आभार.सादर </p> आदरणीय सत्विन्द्र कुमार जी,…tag:www.openbooksonline.com,2020-08-23:5170231:Comment:10155402020-08-23T18:14:42.962ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p></p>
<p>आदरणीय सत्विन्द्र कुमार जी, आप का आना ... फिर भी मेरा मन प्यासा .. :-))</p>
<p>शुभातिशुभ</p>
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<p>आदरणीय सत्विन्द्र कुमार जी, आप का आना ... फिर भी मेरा मन प्यासा .. :-))</p>
<p>शुभातिशुभ</p>
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<p></p> आदरणीय अशोक भाईजी, कमल को अध…tag:www.openbooksonline.com,2020-08-23:5170231:Comment:10156162020-08-23T18:08:19.316ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p></p>
<p>आदरणीय अशोक भाईजी, कमल को अधार बनाने के बावज़ूद चित्र को जिस तरह से आपने शीर्षक बनाया है. यह भी कौशल और काव्य-सोच का परिचायक है. </p>
<p>इस उत्तम रचना के लिए हार्दिक बधाई तथा अशेष शुभकामनाएँ </p>
<p>शुभातिशुभ</p>
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<p>आदरणीय अशोक भाईजी, कमल को अधार बनाने के बावज़ूद चित्र को जिस तरह से आपने शीर्षक बनाया है. यह भी कौशल और काव्य-सोच का परिचायक है. </p>
<p>इस उत्तम रचना के लिए हार्दिक बधाई तथा अशेष शुभकामनाएँ </p>
<p>शुभातिशुभ</p>
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<p></p> आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्म…tag:www.openbooksonline.com,2020-08-23:5170231:Comment:10156152020-08-23T18:01:37.581ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p></p>
<p>आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी, बहुत खूब ! आपने कमल को विषय बना कर पठनीय छंद रचना की है. हार्दिक बधाइयाँ </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
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<p>आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी, बहुत खूब ! आपने कमल को विषय बना कर पठनीय छंद रचना की है. हार्दिक बधाइयाँ </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p> आपकी इस टिप्पणी से मन आह्लादि…tag:www.openbooksonline.com,2020-08-23:5170231:Comment:10156142020-08-23T17:49:06.149Zअजय गुप्ता 'अजेयhttp://www.openbooksonline.com/profile/3tuckjroyzywi
<p>आपकी इस टिप्पणी से मन आह्लादित हुआ। आप तथा अन्य साथियों द्वारा इंगित तुकान्तता का संज्ञान अवश्य लूंगा।</p>
<p>आभार</p>
<p>आपकी इस टिप्पणी से मन आह्लादित हुआ। आप तथा अन्य साथियों द्वारा इंगित तुकान्तता का संज्ञान अवश्य लूंगा।</p>
<p>आभार</p> वाह ! बहुत खूब !!
आदरणीय अ…tag:www.openbooksonline.com,2020-08-23:5170231:Comment:10156132020-08-23T17:26:47.959ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>वाह ! बहुत खूब !! </p>
<p></p>
<p>आदरणीय अजय जी,</p>
<p>आपका रचना-कर्म शिल्प सम्बन्धी बाधाओं को पार करने के स्थान पर उन्हें समाहित करता हुआ पद-रचना का कारण बना रहा है.</p>
<p></p>
<p>तुकान्तता के विधान के अनुसार आधार-पंक्ति को एक बार पुनः देख लेना उचित होगा. </p>
<p>’पुष्प हूँ’ वस्तुतः तुकान्तता में पदान्त के लिए शब्द-समुच्चय है. इस हिसाब से समान्त शब्द या शब्द-समुच्चय क्या हुआ ? बस इसी सुधार को लेकर मैं सचेत करना चाह रहा हूँ. </p>
<p></p>
<p>बहरहाल, आपकी काव्य-प्रतिभा निखर कर समक्ष आयी…</p>
<p>वाह ! बहुत खूब !! </p>
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<p>आदरणीय अजय जी,</p>
<p>आपका रचना-कर्म शिल्प सम्बन्धी बाधाओं को पार करने के स्थान पर उन्हें समाहित करता हुआ पद-रचना का कारण बना रहा है.</p>
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<p>तुकान्तता के विधान के अनुसार आधार-पंक्ति को एक बार पुनः देख लेना उचित होगा. </p>
<p>’पुष्प हूँ’ वस्तुतः तुकान्तता में पदान्त के लिए शब्द-समुच्चय है. इस हिसाब से समान्त शब्द या शब्द-समुच्चय क्या हुआ ? बस इसी सुधार को लेकर मैं सचेत करना चाह रहा हूँ. </p>
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<p>बहरहाल, आपकी काव्य-प्रतिभा निखर कर समक्ष आयी है.</p>
<p>शुभातिशुभ</p>
<p></p> हरिगीतिका छन्द
कितनी भले हो…tag:www.openbooksonline.com,2020-08-23:5170231:Comment:10155372020-08-23T17:16:45.487Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://www.openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
<p>हरिगीतिका छन्द</p>
<p></p>
<p>कितनी भले हो गाद रहती जिंदगी मौजूद पर<br/>सुन्दर कमल खिलते वहीं यह देखते सब ध्यान धर<br/>यह देखना निर्भर करे अपनी नजर पर जान लो<br/>इससे हुआ संधान स्थिर रख बुद्धि को सब मान लो</p>
<p>मौलिक अप्रकाशित</p>
<p>हरिगीतिका छन्द</p>
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<p>कितनी भले हो गाद रहती जिंदगी मौजूद पर<br/>सुन्दर कमल खिलते वहीं यह देखते सब ध्यान धर<br/>यह देखना निर्भर करे अपनी नजर पर जान लो<br/>इससे हुआ संधान स्थिर रख बुद्धि को सब मान लो</p>
<p>मौलिक अप्रकाशित</p> आदरणीय मुकुल जी, छंदो के विन्…tag:www.openbooksonline.com,2020-08-23:5170231:Comment:10155362020-08-23T17:12:00.071ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय मुकुल जी, छंदो के विन्यास में शब्दों को सजाने का अभ्यास करना उत्तम प्रयास-प्रक्रिया है. विश्वास है, आप इस प्रक्रिया के बाद सार्थक वाक्य-रचना करनेु लगेंगे. </p>
<p>आपकी तार्किक रचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी. </p>
<p>अग्रिम शुभकामनाएँ.</p>
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<p>आदरणीय मुकुल जी, छंदो के विन्यास में शब्दों को सजाने का अभ्यास करना उत्तम प्रयास-प्रक्रिया है. विश्वास है, आप इस प्रक्रिया के बाद सार्थक वाक्य-रचना करनेु लगेंगे. </p>
<p>आपकी तार्किक रचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी. </p>
<p>अग्रिम शुभकामनाएँ.</p>
<p></p> आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्त…tag:www.openbooksonline.com,2020-08-23:5170231:Comment:10156112020-08-23T17:00:34.781ZAshok Kumar Raktalehttp://www.openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रस्तुत छंदों को सराहने केलिए आपका हृदयतल से आभार. सादर </p>
<p>आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रस्तुत छंदों को सराहने केलिए आपका हृदयतल से आभार. सादर </p>