Open Books Online2024-03-28T18:33:08ZAnanda Shrestahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnandaShrestahttp://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2991304347?profile=RESIZE_48X48&width=48&height=48&crop=1%3A1http://www.openbooksonline.com/group/kaksha/forum/topic/listForContributor?user=388q1ver0mhfi&feed=yes&xn_auth=noउर्दू शायरी में इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण - IItag:www.openbooksonline.com,2018-11-16:5170231:Topic:9613262018-11-16T14:08:04.036ZAnanda Shrestahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnandaShresta
<p>पहले भाग में मुफ़रद बह्रों के उदाहरण प्रस्तुत किए गए थे. इस भाग में मुरक़्क़ब बह्रों के उदाहरण हैं.</p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 12pt;"><strong>मज़ारे</strong></span></p>
<p></p>
<p><strong>मज़ारे मुसम्मन अख़रब मक्फ़ूफ़ महज़ूफ़</strong></p>
<p><strong>मफ़ऊलु फ़ाइलातु मुफ़ाईलु फ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>221 2121 1221 212</strong></p>
<p></p>
<p>हक़ फ़त्ह-याब मेरे ख़ुदा क्यूँ नहीं हुआ</p>
<p>तू ने कहा था तेरा कहा क्यूँ नहीं हुआ</p>
<p> </p>
<p>जो कुछ हुआ वो कैसे हुआ जानता हूँ…</p>
<p>पहले भाग में मुफ़रद बह्रों के उदाहरण प्रस्तुत किए गए थे. इस भाग में मुरक़्क़ब बह्रों के उदाहरण हैं.</p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 12pt;"><strong>मज़ारे</strong></span></p>
<p></p>
<p><strong>मज़ारे मुसम्मन अख़रब मक्फ़ूफ़ महज़ूफ़</strong></p>
<p><strong>मफ़ऊलु फ़ाइलातु मुफ़ाईलु फ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>221 2121 1221 212</strong></p>
<p></p>
<p>हक़ फ़त्ह-याब मेरे ख़ुदा क्यूँ नहीं हुआ</p>
<p>तू ने कहा था तेरा कहा क्यूँ नहीं हुआ</p>
<p> </p>
<p>जो कुछ हुआ वो कैसे हुआ जानता हूँ मैं</p>
<p>जो कुछ नहीं हुआ वो बता क्यूँ नहीं हुआ - इरफ़ान सिद्दीक़ी</p>
<p> </p>
<p>दीवार क्या गिरी मेरे ख़स्ता मकान की</p>
<p>लोगों ने मेरे सह्न में रस्ते बना लिए - सिब्त अली सबा</p>
<p></p>
<p>बुत-ख़ाना तोड़ डालिए मस्जिद को ढाइए</p>
<p>दिल को न तोड़िए ये ख़ुदा का मक़ाम है - हैदर अली आतिश</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>इतना न अपने जामे से बाहर निकल के चल</p>
<p>दुनिया है चल-चलाओ का रस्ता सँभल के चल - बहादुर शाह ज़फ़र</p>
<p> </p>
<p>लगता नहीं है दिल मेरा उजड़े दयार में</p>
<p>किस की बनी है आलम-ए-ना-पाएदार में</p>
<p></p>
<p>कितना है बद-नसीब 'ज़फ़र' दफ़्न के लिए <br/> दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में - बहादुर शाह ज़फ़र</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>शह-ज़ोर अपने ज़ोर में गिरता है मिस्ल-ए-बर्क़</p>
<p>वो तिफ़्ल क्या गिरेगा जो घुटनों के बल चले - मिर्ज़ा अज़ीम बेग 'अज़ीम'</p>
<p> </p>
<p>अपना ज़माना आप बनाते हैं अहल-ए-दिल</p>
<p>हम वो नहीं कि जिन को ज़माना बना गया - जिगर मुरादाबादी</p>
<p> </p>
<p>गुलशन-परस्त हूँ मुझे गुल ही नहीं अज़ीज़</p>
<p>काँटों से भी निबाह किए जा रहा हूँ मैं</p>
<p> </p>
<p>यूँ ज़िंदगी गुज़ार रहा हूँ तेरे बग़ैर</p>
<p>जैसे कोई गुनाह किए जा रहा हूँ मैं - जिगर मुरादाबादी</p>
<p> </p>
<p>हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं</p>
<p>हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं - जिगर मुरादाबादी</p>
<p> </p>
<p>कुछ इस अदा से आज वो पहलूनशीं रहे</p>
<p>जब तक हमारे पास रहे हम नहीं रहे - जिगर मुरादाबादी</p>
<p> </p>
<p>बस्ती में अपनी हिन्दू मुसलमाँ जो बस गए</p>
<p>इंसाँ की शक्ल देखने को हम तरस गए - कैफ़ी आज़मी</p>
<p> </p>
<p>लिक्खो सलाम ग़ैर के ख़त में ग़ुलाम को</p>
<p>बंदे का बस सलाम है ऐसे सलाम को - मोमिन ख़ाँ मोमिन</p>
<p> </p>
<p>हद से बढ़े जो इल्म तो है जहल दोस्तो</p>
<p>सब कुछ जो जानते हैं वो कुछ जानते नहीं - ख़ुमार बाराबंकवी</p>
<p> </p>
<p>इंसान जीते-जी करें तौबा ख़ताओं से</p>
<p>मजबूरियों ने कितने फ़रिश्ते बनाए हैं - ख़ुमार बाराबंकवी</p>
<p> </p>
<p>अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ल</p>
<p>लेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे - अल्लामा इक़बाल</p>
<p> </p>
<p>इक रात वो गया था जहाँ बात रोक के</p>
<p>अब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के - फ़रहत एहसास</p>
<p> </p>
<p>हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी</p>
<p>जिस को भी देखना हो कई बार देखना - निदा फ़ाज़ली</p>
<p> </p>
<p>बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई</p>
<p>इक शख़्स सारे शहर को वीरान कर गया - ख़ालिद शरीफ़</p>
<p> </p>
<p>इस बार राह-ए-इश्क़ कुछ इतनी तवील थी</p>
<p>उस के बदन से हो के गुज़रना पड़ा मुझे - अमीर इमाम</p>
<p> </p>
<p>मीठे थे जिन के फल वो शज़र कट कटा गए</p>
<p>ठंडी थी जिस की छाँव वो दीवार गिर गयी - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p>कुछ यादगार-ए-शहर-ए-सितमगर ही ले चलें</p>
<p>आए हैं इस गली में तो पत्थर ही ले चलें - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p>आ कर गिरा था कोई परिंदा लहू में तर</p>
<p>तस्वीर अपनी छोड़ गया है चटान पर - शकेब जलाली</p>
<p> </p>
<p>कुछ अक़्ल भी है बाइस-ए-तौक़ीर ऐ 'शकेब'</p>
<p>कुछ आ गए हैं बालों में चाँदी के तार भी - शकेब जलाली</p>
<p> </p>
<p>हर चंद राख हो के बिखरना है राह में</p>
<p>जलते हुए परों से उड़ा हूँ मुझे भी देख - शकेब जलाली</p>
<p> </p>
<p>इक्का उलट के रह गया घोड़ा भड़क गया</p>
<p>काली सड़क पे चाँद सा चेहरा चमक गया - मोहम्मद अल्वी</p>
<p> </p>
<p>इस शहर में कहीं पे हमारा मकाँ भी हो</p>
<p>बाज़ार है तो हम पे कभी मेहरबाँ भी हो - मोहम्मद अल्वी </p>
<p> </p>
<p>कल सू-ए-ग़ैर उस ने कई बार की निगाह</p>
<p>लाखों के बीच छुपती नहीं प्यार की निगाह - मुसहफ़ी</p>
<p> </p>
<p>क्या जाने क्या करेगा ये दीदार देखना</p>
<p>इक दिन में आईना उसे सौ बार देखना - मुसहफ़ी</p>
<p> </p>
<p>काम आ सकीं न अपनी वफ़ाएँ तो क्या करें</p>
<p>उस बेवफ़ा को भूल न जाएँ तो क्या करें- अख़्तर शीरानी</p>
<p> </p>
<p>पैदा हुआ वकील तो शैतान ने कहा</p>
<p>लो आज हम भी साहिब-ए-औलाद हो गए - अकबर इलाहाबादी</p>
<p> </p>
<p>इक नाम क्या लिखा तेरा साहिल की रेत पर</p>
<p>फिर उम्र भर हवा से मेरी दुश्मनी रही - परवीन शाकिर</p>
<p> </p>
<p>ये क्या जगह है दोस्तो ये कौन सा दयार है</p>
<p>हद-ए-निगाह तक जहाँ ग़ुबार ही ग़ुबार है - शहरयार</p>
<p> </p>
<p>कहिए तो आसमाँ को ज़मीं पर उतार लाएँ</p>
<p>मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिए - शहरयार</p>
<p> </p>
<p>शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं हैं हम</p>
<p>आंधी से कोई कह दे की औकात में रहें - राहत इन्दौरी</p>
<p> </p>
<p>सूरज से जंग जीतने निकले थे बेवकूफ</p>
<p>सारे सिपाही मोम के थे घुल के आ गए - राहत इन्दौरी</p>
<p> </p>
<p>पैगाम ये मिला है जनाबे हफ़ीज़ को</p>
<p>अंजाम पहले सोच लें तब शायरी करे - हफ़ीज़ मेरठी</p>
<p> </p>
<p>सुनता नहीं है मुफ़्त जहाँ बात भी कोई</p>
<p>मैं ख़ाली हाथ ऐसे ज़माने में रह गया</p>
<p> </p>
<p>बाज़ार-ए-ज़िंदगी से क़ज़ा ले गई मुझे</p>
<p>ये दौर मेरे दाम लगाने में रह गया - हफ़ीज़ मेरठी</p>
<p> </p>
<p>दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है</p>
<p>लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़</p>
<p> </p>
<p>दोनों जहान तेरी मुहब्बत में हार के</p>
<p>वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़</p>
<p> </p>
<p>और भी दुख हैं ज़माने में मुहब्बत के सिवा</p>
<p>राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़</p>
<p> </p>
<p>उठ कर तो आ गए हैं तेरी बज़्म से मगर</p>
<p>कुछ दिल ही जानता है कि किस दिल से आए हैं - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़</p>
<p> </p>
<p>आँखों में आँसुओं का कहीं नाम तक नहीं</p>
<p>अब जूते साफ़ कीजिए उन के रुमाल से - आदिल मंसूरी</p>
<p> </p>
<p>फूलों की सेज पर ज़रा आराम क्या किया</p>
<p>उस गुल-बदन पे नक़्श उठ आए गुलाब के</p>
<p> </p>
<p>किस तरह जम्अ' कीजिए अब अपने आप को</p>
<p>काग़ज़ बिखर रहे हैं पुरानी किताब के - आदिल मंसूरी</p>
<p> </p>
<p>मजमूआ' छापने तो चले हो मियाँ मगर</p>
<p>अशआर में तुम्हारे कोई बात भी तो हो - आदिल मंसूरी</p>
<p> </p>
<p>अल्लाह जाने किस पे अकड़ता था रात दिन</p>
<p>कुछ भी नहीं था फिर भी बड़ा बद-ज़बान था - आदिल मंसूरी</p>
<p> </p>
<p>वो चाय पी रहा था किसी दूसरे के साथ</p>
<p>मुझ पर निगाह पड़ते ही कुछ झेंप सा गया - आदिल मंसूरी</p>
<p> </p>
<p>हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी</p>
<p>जिस को भी देखना हो कई बार देखना - निदा फ़ाज़ली</p>
<p> </p>
<p>लाई हयात आये, कज़ा ले चली, चले</p>
<p>अपनी ख़ुशी न आये, न अपनी ख़ुशी चले</p>
<p> </p>
<p>बेहतर तो यही है कि न दुनिया से दिल लगे</p>
<p>पर क्या करें जो काम न बेदिल-लगी चले</p>
<p> </p>
<p>दुनिया ने किसका राहे फ़ना मे दिया है साथ</p>
<p>तुम भी चले चलो यूँ ही जब तक चली चले - मुहम्मद इब्राहिम ‘ज़ौक़’</p>
<p> </p>
<p>कोई घड़ी अगर वो मुलाएम हुए तो क्या</p>
<p>कह बैठेंगे फिर एक कड़ी दो घड़ी के बाद - मुहम्मद इब्राहिम ‘ज़ौक़’</p>
<p> </p>
<p>कैसे गुज़र गयी है जवानी न पूछिए</p>
<p>दिल रो रहा है क्यूँ ये कहानी न पूछिए - अल्ताफ़ हुसैन ‘हाली’</p>
<p> </p>
<p>बहला न दिल न तीरगी-ए-शाम-ए-ग़म गई</p>
<p>ये जानता तो आग लगाता न घर को मैं - फ़ानी बदायुनी</p>
<p> </p>
<p>अंगड़ाई भी वो लेने न पाए उठा के हाथ</p>
<p>देखा जो मुझ को छोड़ दिए मुस्कुरा के हाथ - निज़ाम रामपुरी</p>
<p> </p>
<p>पीरी में वलवले वो कहाँ हैं शबाब के</p>
<p>इक धूप थी कि साथ गई आफ़्ताब के - मुंशी ख़ुशवक़्त अली ख़ुर्शीद</p>
<p> </p>
<p>आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं</p>
<p>सामान सौ बरस का है पल की ख़बर नहीं - हैरत इलाहाबादी</p>
<p> </p>
<p>दिल के फफूले जल उठे सीने के दाग़ से</p>
<p>इस घर को आग लग गई घर के चराग़ से - महताब राय ताबां</p>
<p> </p>
<p>अब इत्र भी मलो तो मुहब्बत की बू नहीं</p>
<p>वो दिन हवा हुए कि पसीना गुलाब था - माधवराम जौहर</p>
<p> </p>
<p>नाज़ुक दिलों के ज़ख़्म को मरहम कभू न हो</p>
<p>पैराहने हुबाब फटे तो रफू न हो - हसरत </p>
<p> </p>
<p>जो कुछ कहो क़ुबूल है तकरार क्या करूं</p>
<p>शर्मिंदा अब तुम्हें सरे बाज़ार क्या करूं - अनवर शऊर</p>
<p> </p>
<p>मैं तो गज़ल सुना के अकेला खड़ा रहा</p>
<p>सब अपने अपने चाहने वालों में खो गए - कृष्ण बिहारी नूर</p>
<p> </p>
<p>ऊँची इमारतों से मकाँ मेरा घिर गया</p>
<p>कुछ लोग मेरे हिस्से का सूरज भी खा गए - जावेद अख़्तर</p>
<p> </p>
<p>जब मैं चलूँ तो साया भी अपना न साथ दे</p>
<p>जब तुम चलो ज़मीन चले आसमाँ चले - जलील मानिकपूरी</p>
<p></p>
<p><strong>मज़ारे मुसम्मन अख़रब मक्फ़ूफ़ मक्फ़ूफ़ मुख़न्नक सालिम</strong></p>
<p><strong>मफ़ऊलु फ़ाइलातुन मफ़ऊलु</strong><strong> </strong> <strong>फ़ाइलातुन</strong> <strong> </strong></p>
<p><strong>221 2122 221 2122 </strong></p>
<p> </p>
<p>दरिया की ज़िंदगी पर सदक़े हज़ार जानें</p>
<p>मुझ को नहीं गवारा साहिल की मौत मरना - जिगर मुरादाबादी</p>
<p></p>
<p>एहसास-ए-आशिक़ी ने बेगाना कर दिया है</p>
<p>यूँ भी किसी ने अक्सर दीवाना कर दिया है - जिगर मुरादाबादी</p>
<p> </p>
<p>अपनी तो इस चमन में नित उम्र यूँ ही गुज़री</p>
<p>याँ आशियाँ बनाया वाँ आशियाँ बनाया - मुसहफ़ी</p>
<p> </p>
<p>कहिए जो झूट तो हम होते हैं कह के रुस्वा</p>
<p>सच कहिए तो ज़माना यारो नहीं है सच का - मुसहफ़ी</p>
<p> </p>
<p>अंदाज़ हू-ब-हू तिरी आवाज़-ए-पा का था</p>
<p>देखा निकल के घर से तो झोंका हवा का था - अहमद नदीम क़ासमी</p>
<p> </p>
<p>कुछ तो लतीफ़ होतीं घड़ियाँ मुसीबतों की,</p>
<p>तुम एक दिन तो मिलते दो दिन की ज़िन्दगी में - सागर निजामी</p>
<p> </p>
<p>दुनिया के जो मज़े हैं हरगिज़ वो कम न होंगे</p>
<p>चर्चे यूँ ही रहेंगे अफ़्सोस हम न होंगे - आग़ा मोहम्मद तक़ी</p>
<p> </p>
<p>सब इख़्तियार मेरा तुज हात है पियारा</p>
<p>जिस हाल सूँ रखेगा है ओ ख़ुशी हमारा</p>
<p> </p>
<p>नैना अँझूँ सूँ धोऊँ पग अप पलक सूँ झाडूँ</p>
<p>जे कुइ ख़बर सो ल्यावे मुख फूल का तुम्हारा - क़ुली क़ुतुब शाह</p>
<p> </p>
<p>सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा</p>
<p>हम बुलबुलें हैं इसकी ये गुलसितां हमारा - अल्लामा इक़बाल</p>
<p></p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 12pt;"><strong>मुन्सरेह</strong></span></p>
<p> </p>
<p><strong>मुन्सरेह मुरब्बा मुजाइफ़ मतव्वी मतव्वी मक्सूफ़</strong></p>
<p><strong>मुफ़्तइलुन</strong><strong> </strong> <strong>फ़ाइलुन</strong> <strong> // </strong> <strong>मुफ़्तइलुन फ़ाइलुन</strong><strong> </strong></p>
<p><strong>2112 212 // 2112 212</strong></p>
<p> </p>
<p>बैठे हो क्यूँ हार के साए में दीवार के</p>
<p>शायरो सूरतगरो कुछ तो किया चाहिए</p>
<p> </p>
<p>मानो मेरी 'काज़मी' तुम हो भले आदमी</p>
<p>फिर वही आवारगी कुछ तो किया चाहिए - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p>और कोई चारा न था और कोई सूरत न थी</p>
<p>उस के रहे हो के हम जिस से मुहब्बत न थी</p>
<p> </p>
<p>अब तो किसी बात पर कुछ नहीं होता हमें</p>
<p>आज से पहले कभी ऐसी तो हालत न थी - मोहम्मद अल्वी</p>
<p> </p>
<p>मुंतज़िर उस के दिला ता-ब-कुजा बैठना</p>
<p>शाम हुई अब चलो सुब्ह फिर आ बैठना - नज़ीर अकबराबादी</p>
<p> </p>
<p>सिलसिला-ए-रोज़ो-शब नक्शबारे-हादिसात</p>
<p>सिलसिला-ए-रोज़ो शब अस्ले-हयातो-मुमात - अल्लामा इक़बाल</p>
<p> </p>
<p><strong>मुन्सरेह मुसम्मन मतव्वी मन्हूर</strong></p>
<p><strong>मुफ़्तइलुन फ़ाइलातु मुफ़्तइलुन फ़ा</strong></p>
<p><strong> 2112 2121 2112 2 </strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>कोई नहीं आस पास, खौफ़ नहीं कुछ</p>
<p>होते हो क्यूँ बेहवास, खौफ़ नहीं कुछ - इंशा अल्लाह ख़ान</p>
<p> </p>
<p>ऐश-ए-जहाँ बाइसे-निज़ात नहीं है</p>
<p>खंदा-ए-तस्वीर, इन्बिसात नहीं है - फ़ानी बदायुनी</p>
<p></p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 12pt;"><strong>मुक्तज़ब</strong></span></p>
<p> </p>
<p><strong>मुक्तज़ब मुसम्मन मतव्वी</strong><strong>,</strong> <strong>मतव्वी मुसक्किन</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातु</strong><strong> </strong> <strong>मफ़ऊलुन //</strong><strong> </strong> <strong>फ़ाइलातु</strong><strong> </strong> <strong>मफ़ऊलुन</strong><strong> </strong></p>
<p><strong>2121 222 // 2121 222</strong></p>
<p>(ये वज़न बह्रे हज़ज में भी मुमकिन हैं लेकिन हज़ज में यति(वक्फ़ा) के बाद एक अतिरिक्त लघु नहीं लिया जा सकता)</p>
<p></p>
<p>कार-गाह-ए-हस्ती में लाला दाग़-सामाँ है </p>
<p>बर्क़-ए-ख़िर्मन-ए-राहत ख़ून-ए-गर्म-ए-दहक़ाँ है</p>
<p> </p>
<p>इश्क़ के तग़ाफ़ुल से हर्ज़ा-गर्द है आलम</p>
<p>रू-ए-शश-जिहत-आफ़ाक़ पुश्त-ए-चश्म-ए-ज़िन्दाँ है - मिर्ज़ा ग़ालिब</p>
<p> </p>
<p><strong>मुक्तज़ब मुसम्मन मतव्वी</strong><strong>,</strong> <strong>मतव्वी मुसक्किन</strong> <strong>मुजाइफ़</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातु</strong><strong> </strong> <strong>मफ़ऊलुन //</strong><strong> </strong> <strong>फ़ाइलातु</strong><strong> </strong> <strong>मफ़ऊलुन // फ़ाइलातु</strong><strong> </strong> <strong>मफ़ऊलुन //</strong><strong> </strong> <strong>फ़ाइलातु</strong><strong> </strong> <strong>मफ़ऊलुन</strong><strong> </strong></p>
<p><strong>2121 222 // 2121 222 // 2121 222 // 2121 222</strong></p>
<p>(ये वज़न बह्रे हज़ज में भी मुमकिन हैं > 212 1222 212 1222 212 1222 212 1222)</p>
<p></p>
<p>शहर के दुकाँ-दारो कारोबार-ए-उल्फ़त में सूद क्या ज़ियाँ क्या है तुम न जान पाओगे</p>
<p>दिल के दाम कितने हैं ख़्वाब कितने महँगे हैं और नक़्द-ए-जाँ क्या है तुम न जान पाओगे</p>
<p> </p>
<p>जानता हूँ मैं तुम को ज़ौक़-ए-शाएरी भी है शख़्सियत सजाने में इक ये माहिरी भी है</p>
<p>फिर भी हर्फ़ चुनते हो सिर्फ़ लफ़्ज़ सुनते हो उन के दरमियाँ क्या है तुम न जान पाओगे - जावेद अख़्तर</p>
<p> </p>
<p><strong>मुक्तज़ब मुसम्मन मतुव्वी मर्फूअ</strong><strong>’</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातु</strong><strong> </strong><strong>फ़ाइलुन //</strong><strong> </strong><strong>फ़ाइलातु</strong><strong> </strong><strong>फ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>2121 212 // 2121 212</strong></p>
<p> </p>
<p>मैं अभी से किस तरह उन को बेवफ़ा कहूँ</p>
<p>मंज़िलों की बात है रास्ते में क्या कहूँ</p>
<p> </p>
<p>तर्जुमान-ए-राज़ हूँ ये भी काम है मिरा</p>
<p>उस लब-ए-ख़मोश ने मुझ से जो कहा कहूँ</p>
<p> </p>
<p>ग़ैर मेरा हाल-ए-ग़म पूछते रहे मगर</p>
<p>दोस्तों की बात है दुश्मनों से क्या कहूँ</p>
<p> </p>
<p>इम्तिहान-ए-शौक़ है ऐसी आशिक़ी 'नुशूर'</p>
<p>दिल का कोई हाल हो उन को दिलरुबा कहूँ - नुशुर वाहिदी </p>
<p> </p>
<p><strong>मुक्तज़ब मुसम्मन मख़्बून मर्फूअ</strong><strong>’</strong> <strong>मख़्बून मर्फूअ</strong><strong>’</strong> <strong>मुसक्किन</strong></p>
<p><strong>फ़ऊलु फ़ेलुन फ़ऊलु फ़ेलुन</strong></p>
<p><strong>121 22 121 22</strong></p>
<p> </p>
<p>वो ख़त के पुरज़े उड़ा रहा था</p>
<p>हवाओं का रुख दिखा रहा था</p>
<p></p>
<p>बताऊँ कैसे वो बहता दरिया <br/> जब आ रहा था तो जा रहा था</p>
<p></p>
<p>उसी का ईमाँ बदल गया है <br/> कभी जो मेरा ख़ुदा रहा था - गुलज़ार</p>
<p> </p>
<p>गिरह में रिश्वत का माल रखिए</p>
<p>ज़रूरतों को बहाल रखिए</p>
<p> </p>
<p>अरे ये दिल और इतना ख़ाली</p>
<p>कोई मुसीबत ही पाल रखिए - मोहम्मद अल्वी</p>
<p> </p>
<p>हमें भी आता है मुस्कराना</p>
<p>मगर किसे मुस्करा के देखें - मोहम्मद अल्वी</p>
<p> </p>
<p>सितारे हैरान हो रहे थे</p>
<p>चराग़ मिट्टी में जल रहा था</p>
<p> </p>
<p>दुआएँ खिड़की से झाँकती थीं</p>
<p>मैं अपने घर से निकल रहा था - हम्माद नियाज़ी</p>
<p> </p>
<p><strong>मुक्तज़ब मख़्बून मर्फूअ</strong><strong>’</strong> <strong>मख़्बून मर्फूअ</strong><strong>’</strong> <strong>मुसक्किन </strong><strong>12-</strong><strong>रुक्नी</strong></p>
<p><strong>फ़ऊलु फ़ेलुन फ़ऊलु फ़ेलुन फ़ऊलु फ़ेलुन</strong><strong> </strong></p>
<p><strong>121 22 121 </strong> <strong> </strong><strong>22 121 22 </strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>वो ढल रहा है तो ये भी रंगत बदल रही है</p>
<p>ज़मीन सूरज की उँगलियों से फिसल रही है</p>
<p> </p>
<p>जो मुझ को ज़िंदा जला रहे हैं वो बे-ख़बर हैं</p>
<p>कि मेरी ज़ंजीर धीरे धीरे पिघल रही है - जावेद अख़्तर</p>
<p> </p>
<p>कहीं तो पा-ए-सफ़र को राह-ए-हयात कम थी</p>
<p>क़दम बढ़ाया तो सैर को काएनात कम थी</p>
<p> </p>
<p>सिवाए मेरे किसी को जलने का होश कब था</p>
<p>चराग़ की लौ बुलंद थी और रात कम थी - मुज़फ़्फ़र हनफ़ी</p>
<p> </p>
<p>वो रात जिस में ज़वाल-ए-जाँ का ख़तर नहीं था</p>
<p>वो रात गहरे समुंदरों में उतर गई है - मुसव्विर सब्ज़वारी</p>
<p> </p>
<p><strong>मुक्तज़ब मुसम्मन मख़्बून मर्फ़ूअ</strong><strong>'</strong> <strong>मख़्बून मर्फ़ूअ</strong><strong>'</strong> <strong>मुसक्किन मुजाइफ़</strong></p>
<p><strong>फ़ऊलु फ़ेलुन फ़ऊलु फ़ेलुन</strong> <strong> // </strong> <strong>फ़ऊलु फ़ेलुन फ़ऊलु फ़ेलुन</strong></p>
<p><strong>121 22 121 22 // 121 22 121 22</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>ज़े-हाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल दुराय नैनाँ बनाए बतियाँ</p>
<p>कि ताब-ए-हिज्राँ नदारम ऐ जाँ न लेहू काहे लगाए छतियाँ</p>
<p></p>
<p>शाबान-ए-हिज्राँ दराज़ चूँ ज़ुल्फ़ ओ रोज़-ए-वसलत चूँ उम्र-ए-कोताह <br/> सखी पिया को जो मैं न देखूँ तो कैसे काटूँ अँधेरी रतियाँ - अमीर ख़ुसरो</p>
<p> </p>
<p>सितम की रस्में बहुत थीं लेकिन, न थी तेरी अंजुमन से पहले</p>
<p>सज़ा खता-ए-नज़र से पहले, इताब ज़ुर्मे-सुखन से पहले</p>
<p> </p>
<p>जो चल सको तो चलो के राहे-वफा बहुत मुख्तसर हुई है</p>
<p>मुक़ाम है अब कोई न मंजिल, फराज़े-दारो-रसन से पहले</p>
<p> </p>
<p>इधर तक़ाज़े हैं मसहलत के, उधर तक़ाज़ा-ए-दर्द-ए-दिल है</p>
<p>ज़बां सम्हाले कि दिल सम्हाले, असीर ज़िक्रे-वतन से पहले - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़</p>
<p> </p>
<p>अदम में रहते तो शाद रहते उसे भी फ़िक्र-ए-सितम न होता</p>
<p>जो हम न होते तो दिल न होता जो दिल न होता तो ग़म न होता - मोमिन ख़ाँ मोमिन</p>
<p> </p>
<p>क़रीब है यारो रोज़-ए-महशर छुपेगा कुश्तों का ख़ून क्यूँकर</p>
<p>जो चुप रहेगी ज़बान-ए-ख़ंजर लहू पुकारेगा आस्तीं का - अमीर मीनाई</p>
<p> </p>
<p>चमन के फूलों में ख़ून देने की एक तहरीक चल रही है</p>
<p>और इस लहू से ख़िज़ाँ की ख़ातिर ख़िज़ाब तय्यार हो रहा है</p>
<p> </p>
<p>मैं जब कभी उस से पूछता हूँ कि यार मरहम कहाँ है मेरा</p>
<p>तो वक़्त कहता है मुस्कुरा कर जनाब तय्यार हो रहा है - फ़रहत एहसास</p>
<p> </p>
<p>गए दिनों का सुराग़ ले कर किधर से आया किधर गया वो</p>
<p>अजीब मानूस अजनबी था मुझे तो हैरान कर गया वो - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p>तुम्हारी तहज़ीब अपने ख़ंज़र से आप ही खुदकशी करेगी</p>
<p>जो शाख़-ए-नाज़ुक पे आशियाना बनेगा ना-पायदार होगा</p>
<p> </p>
<p>ख़ुदा के आशिक तो हैं हज़ारों बनों में फिरते हैं मारे मारे</p>
<p>मैं उसका बन्दा बनूंगा जिस को ख़ुदा के बन्दों से प्यार होगा - अल्लामा इक़बाल</p>
<p> </p>
<p>चराग़ हाथों के बुझ रहे हैं सितारा हर रह-गुज़र में रख दे</p>
<p>उतार दे चाँद उस के दर पर सियाह दिन मेरे घर में रख दे - अतीक़ुल्लाह</p>
<p> </p>
<p>बहार आई है फिर चमन में नसीम इठला के चल रही है</p>
<p>हर एक ग़ुंचा चटक रहा है गुलों की रंगत बदल रही है</p>
<p> </p>
<p>तड़प रहा हूँ यहाँ मैं तन्हा वहाँ अदू से वो हम-बग़ल हैं</p>
<p>किसी के दम पर बनी हुई है किसी की हसरत निकल रही है - आग़ा शायर क़ज़लबाश</p>
<p> </p>
<p>ये हुस्न है आह या क़यामत कि इक भभूका भभक रहा है</p>
<p>फ़लक पे सूरज भी थरथरा कर मुँह उस का हैरत से तक रहा है</p>
<p> </p>
<p>खजूरी चोटी अदा में मोटी जफ़ा में लम्बी वफ़ा में छोटी</p>
<p>है ऐसी खोटी कि दिल हर इक का हर एक लट में लटक रहा है - नज़ीर अकबराबादी</p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 12pt;"><strong>मुज्तस</strong></span></p>
<p> </p>
<p><strong>मुज्तस मुसम्मन मख़्बून</strong></p>
<p><strong>मुफ़ाइलुन</strong> <strong> </strong><strong>फ़इलातुन</strong><strong> </strong> <strong>मुफ़ाइलुन</strong> <strong> </strong><strong>फ़इलातुन</strong></p>
<p><strong>1212 1122 1212 1122</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>अजब निशात से जल्लाद के चले हैं हम आगे</p>
<p>कि अपने साए से सर पाँव से है दो कदम आगे</p>
<p> </p>
<p>ग़म-ए-ज़माना ने झाड़ी नशात-ए-इश्क़ की मस्ती</p>
<p>वगरना हम भी उठाते थे लज़्ज़त-ए-अलम आगे - मिर्ज़ा ग़ालिब</p>
<p> </p>
<p><strong>मुज्तस मुसम्मन मख़्बून महज़ूफ़ मुसक्किन</strong></p>
<p><strong>मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन</strong></p>
<p><strong>1212 1122 1212 22</strong></p>
<p></p>
<p>उठो ये मंज़र-ए-शब-ताब देखने के लिए</p>
<p>कि नींद शर्त नहीं ख़्वाब देखने के लिए - इरफ़ान सिद्दीक़ी</p>
<p> </p>
<p>मेरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा</p>
<p>इसी सियाह समंदर से नूर निकलेगा - अमीर क़ज़लबाश</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>खड़ा हूँ आज भी रोटी के चार हर्फ़ लिए</p>
<p>सवाल ये है किताबों ने क्या दिया मुझ को - नज़ीर बाक़री</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>इक चीज़ थी ज़मीर जो वापस न ला सका</p>
<p>लौटा तो है ज़रूर वो दुनिया खरीद कर - क़मर इक़बाल</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठें</p>
<p>वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं - साहिर लुधियानवी</p>
<p> </p>
<p>तुम्हारे आने की उम्मीद बर नहीं आती</p>
<p>मैं राख होने लगा हूँ दिए जलाते हुए - अज़हर इक़बाल</p>
<p> </p>
<p>चकोर हुस्न-ए-मह-ए-चार-दह को भूल गया</p>
<p>मुराद पर जो तेरा आलम-ए-शबाब आया</p>
<p> </p>
<p>मुहब्बत-ए-मय-ओ-माशूक़ तर्क कर 'आतिश'</p>
<p>सफ़ेद बाल हुए मौसम-ए-ख़िज़ाब आया - हैदर अली आतिश</p>
<p> </p>
<p>अगरचे ज़ोर हवाओं ने डाल रक्खा है</p>
<p>मगर चराग़ ने लौ को सँभाल रक्खा है</p>
<p> </p>
<p>भरी बहार में इक शाख़ पर खिला है गुलाब</p>
<p>कि जैसे तू ने हथेली पे गाल रक्खा है - अहमद फ़राज़</p>
<p> </p>
<p>कल रात सूनी छत पे अजब सानेहा हुआ</p>
<p>जाने दो यार कौन बताए कि क्या हुआ - मोहम्मद अल्वी</p>
<p> </p>
<p>ग़ज़ल कही है कोई भाँग तो नहीं पी है</p>
<p>मुशाएरे में तरन्नुम से क्यूँ सुनाऊँ मैं</p>
<p> </p>
<p>अरे वो आप के दीवान क्या हुए 'अल्वी'</p>
<p>बिके न हों तो कबाड़ी को साथ लाऊँ मैं - मोहम्मद अल्वी</p>
<p> </p>
<p>वो कौन हैं जिन्हें तौबा की मिल गई फ़ुर्सत</p>
<p>हमें गुनाह भी करने को ज़िंदगी कम है - आनंद नारायण मुल्ला</p>
<p> </p>
<p>ये लोग इश्क़ में सच्चे नहीं हैं वर्ना हिज्र</p>
<p>न इब्तिदा न कहीं इंतिहा में आता है - सलीम कौसर</p>
<p> </p>
<p>बदल सको तो बदल दो ये बाग़बाँ वर्ना</p>
<p>ये बाग़ साया-ए-सर्व-ओ-समन को तरसेगा - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p>न जाने किस लिए उम्मीद-वार बैठा हूँ</p>
<p>इक ऐसी राह पे जो तेरी रहगुज़र भी नहीं - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़</p>
<p> </p>
<p>नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तुजू ही सही</p>
<p>नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़</p>
<p> </p>
<p>गुलों में रंग भरे वाद - ए - नौबहार चले</p>
<p>चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़</p>
<p> </p>
<p>इसी ख़याल में हर शाम-ए-इंतज़ार कटी</p>
<p>वो आ रहे हैं वो आए वो आए जाते हैं - नज़र हैदराबादी</p>
<p> </p>
<p>सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो</p>
<p>सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो</p>
<p> </p>
<p>यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता</p>
<p>मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो चलो - निदा फ़ाज़ली</p>
<p> </p>
<p>हर एक बात को चुप-चाप क्यूँ सुना जाए</p>
<p>कभी तो हौसला कर के नहीं कहा जाए - निदा फ़ाज़ली</p>
<p> </p>
<p>ग़ज़ब किया तेरे वादे पे एतबार किया</p>
<p>तमाम रात क़यामत का इंतज़ार किया - दाग़ देहलवी</p>
<p> </p>
<p>हज़ारों काम मुहब्बत में हैं मज़े के 'दाग़'</p>
<p>जो लोग कुछ नहीं करते कमाल करते हैं - दाग़ देहलवी</p>
<p> </p>
<p>रहा न दिल में वो बेदर्द और दर्द रहा</p>
<p>मुक़ीम कौन हुआ है मक़ाम किस का था - दाग़ देहलवी</p>
<p> </p>
<p>फ़सील-ए-जिस्म पे ताज़ा लहू के छींटे हैं</p>
<p>हुदूद-ए-वक़्त से आगे निकल गया है कोई - शकेब जलाली</p>
<p> </p>
<p>जहाँ तलक भी ये सहरा दिखाई देता है</p>
<p>मेरी तरह से अकेला दिखाई देता है</p>
<p> </p>
<p>न इतनी तेज़ चले सर-फिरी हवा से कहो</p>
<p>शजर पे एक ही पत्ता दिखाई देता है</p>
<p> </p>
<p>खिली है दिल में किसी के बदन की धूप 'शकेब'</p>
<p>हर एक फूल सुनहरा दिखाई देता है - शकेब जलाली</p>
<p> </p>
<p>किसी के तुम हो किसी का ख़ुदा है दुनिया में</p>
<p>मेरे नसीब में तुम भी नहीं ख़ुदा भी नहीं - अख़्तर सईद ख़ान</p>
<p> </p>
<p>मुझे ख़बर थी मेरा इंतज़ार घर में रहा</p>
<p>ये हादसा था कि मैं उम्र भर सफ़र में रहा - साक़ी फ़ारुक़ी</p>
<p> </p>
<p>मैं क्या भला था ये दुनिया अगर कमीनी थी</p>
<p>दर-ए-कमीनगी पे चोबदार मैं भी था - साक़ी फ़ारुक़ी</p>
<p> </p>
<p>तेरी दुआ है कि हो तेरी आरज़ू पूरी</p>
<p>मेरी दुआ है तेरी आरज़ू बदल जाए - अल्लामा इक़बाल</p>
<p> </p>
<p>तमाम उम्र तेरा इंतज़ार हम ने किया</p>
<p>इस इंतज़ार में किस किस से प्यार हम ने किया - हफ़ीज़ होशियारपुरी</p>
<p> </p>
<p>तमाम पैकर-ए-बदसूरती है मर्द की ज़ात</p>
<p>मुझे यक़ीं है ख़ुदा मर्द हो नहीं सकता - फ़रहत एहसास</p>
<p> </p>
<p>अजीब शख़्स था बारिश का रंग देख के भी</p>
<p>खुले दरीचे पे इक फूल-दान छोड़ गया</p>
<p> </p>
<p>उक़ाब को थी ग़रज़ फ़ाख़्ता पकड़ने से</p>
<p>जो गिर गई तो यूँही नीम-जान छोड़ गया</p>
<p> </p>
<p>न जाने कौन सा आसेब दिल में बसता है</p>
<p>कि जो भी ठहरा वो आख़िर मकान छोड़ गया - परवीन शाकिर</p>
<p> </p>
<p>मैं सच कहूँगी मगर फिर भी हार जाऊँगी</p>
<p>वो झूट बोलेगा और ला-जवाब कर देगा - परवीन शाकिर</p>
<p> </p>
<p>अंधेरा माँगने आया था रौशनी की भीक</p>
<p>हम अपना घर न जलाते तो और क्या करते - नज़ीर बनारसी</p>
<p> </p>
<p>अजीब सानेहा मुझ पर गुज़र गया यारो</p>
<p>मैं अपने साए से कल रात डर गया यारो</p>
<p> </p>
<p>वो कौन था वो कहाँ का था क्या हुआ था उसे</p>
<p>सुना है आज कोई शख़्स मर गया यारो - शहरयार</p>
<p> </p>
<p>सियाह रात नहीं लेती नाम ढलने का</p>
<p>यही तो वक़्त है सूरज तेरे निकलने का - शहरयार</p>
<p> </p>
<p>शदीद प्यास थी फिर भी छुआ न पानी को</p>
<p>मैं देखता रहा दरिया तेरी रवानी को - शहरयार</p>
<p> </p>
<p>रुके रुके से क़दम रुक के बार बार चले</p>
<p>क़रार दे के तेरे दर से बे-क़रार चले - गुलज़ार</p>
<p> </p>
<p>हज़ार शम्अ फ़रोज़ाँ हो रौशनी के लिए</p>
<p>नज़र नहीं तो अंधेरा है आदमी के लिए - नशूर वाहिदी</p>
<p> </p>
<p>अजीब रंग था मजलिस का, ख़ूब महफ़िल थी</p>
<p>सफ़ेद पोश उठे काएँ-काएँ करने लगे - राहत इन्दौरी</p>
<p> </p>
<p>जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे</p>
<p>किराएदार हैं ज़ाती मकान थोड़ी है</p>
<p> </p>
<p>सभी का ख़ून है शामिल यहाँ की मिट्टी में</p>
<p>किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है - राहत इन्दौरी</p>
<p> </p>
<p>ये खींच-तान तो हिस्सा है दोस्ती का मियाँ</p>
<p>तअल्लुक़ात में लेकिन दरार थोड़ी है </p>
<p> </p>
<p>उसे भी ज़िद है कि शादी करेगी तो मुझ से</p>
<p>जुनून मेरे ही सर पे सवार थोड़ी है - विकास शर्मा ‘राज़’</p>
<p> </p>
<p>हवा के वार पे अब वार करने वाला है</p>
<p>चराग़ बुझने से इंकार करने वाला है</p>
<p> </p>
<p>ज़मीन बेच के ख़ुश हो रहे हो तुम जिस को</p>
<p>वो सारे गाँव को बाज़ार करने वाला है - विकास शर्मा ‘राज़’</p>
<p> </p>
<p>इसी लहू में तुम्हारा सफ़ीना डूबेगा</p>
<p>ये क़त्ल-ए-आम नहीं तुमने ख़ुदकुशी की है - हफ़ीज़ मेरठी</p>
<p> </p>
<p>ज़रा विसाल के बाद आइना तो देख ऐ दोस्त</p>
<p>तेरे जमाल की दोशीज़गी निखर आई - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>न कोई वादा न कोई यक़ीं न कोई उमीद</p>
<p>मगर हमें तो तेरा इंतज़ार करना था - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>हजार बार ज़माना इधर से गुजरा है</p>
<p>नई नई सी है कुछ तेरी रहगुज़र फिर भी - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>दिखा तो देती है बेहतर हयात के सपने</p>
<p>खराब होके भी ये जिंदगी खराब नहीं - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए</p>
<p>अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए - उबैदुल्लाह अलीम</p>
<p> </p>
<p>सुतून-ए-दार पे रखते चलो सरों के चराग़</p>
<p>जहाँ तलक ये सितम की सियाह रात चले - मजरूह सुल्तानपुरी</p>
<p> </p>
<p>हयात ले के चलो काएनात ले के चलो</p>
<p>चलो तो सारे ज़माने को साथ ले के चलो - मख़दूम मुहिउद्दीन</p>
<p> </p>
<p>अगर पलक पे है मोती तो ये नहीं काफ़ी</p>
<p>हुनर भी चाहिए अल्फ़ाज़ में पिरोने का - जावेद अख़्तर</p>
<p> </p>
<p>कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता</p>
<p>कही जमीं तो कही आसमाँ नहीं मिलता - निदा फ़ाज़ली</p>
<p> </p>
<p>वो अक्स बन के मेरी चश्म-ए-तर में रहता है</p>
<p>अजीब शख़्स है पानी के घर में रहता है - बिस्मिल साबरी</p>
<p> </p>
<p>अज़ाब ये भी किसी और पर नहीं आया</p>
<p>कि एक उम्र चले और घर नहीं आया - इफ़्तिख़ार आरिफ़</p>
<p> </p>
<p>समन्दरों की तलाशी कोई नहीं लेता</p>
<p>गरीब लहरों पे पहरे बिठाये जाते हैं - वसीम बरेलवी</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>ये एक पेड़ है आ इस से मिल के रो लें हम</p>
<p>यहाँ से तेरे मिरे रास्ते बदलते हैं - बशीर बद्र</p>
<p> </p>
<p>छप्पर के चाए-ख़ाने भी अब ऊँघने लगे</p>
<p>पैदल चलो कि कोई सवारी न आएगी - बशीर बद्र</p>
<p> </p>
<p>मैं एक कतरा हूँ मेरा अलग वजूद तो है</p>
<p>हुआ करे जो समंदर मेरी तलाश में है</p>
<p> </p>
<p>मैं जिसके हाथ में एक फूल देके आया था</p>
<p>उसी के हाथ का पत्थर मेरी तलाश में है - कृष्ण बिहारी नूर</p>
<p> </p>
<p>मैं और मेरी तरह तू भी इक हक़ीक़त है</p>
<p>फिर इस के बाद जो बचता है वो कहानी है - अभिषेक शुक्ला</p>
<p> </p>
<p>वो टूटते हुए रिश्तों का हुस्न-ए-आख़िर था</p>
<p>कि चुप सी लग गई दोनों को बात करते हुए - राजेन्द्र मनचन्दा 'बानी' </p>
<p></p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 12pt;"><strong>सरीअ</strong></span></p>
<p> </p>
<p><strong>सरीअ</strong> <strong>मुसद्दस</strong><strong> </strong><strong>मतव्वी</strong> <strong>मक़्सूफ़</strong></p>
<p><strong>मुफ़्तइलुन मुफ़्तइलुन फ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>2112 2112 212 </strong></p>
<p></p>
<p>हाथ दिया उस ने मिरे हाथ में</p>
<p>मैं तो वली बन गया इक रात में</p>
<p> </p>
<p>शाम की गुल-रंग हवा क्या चली</p>
<p>दर्द महकने लगा जज़्बात में</p>
<p> </p>
<p>हाथ में काग़ज़ की लिए छतरियाँ</p>
<p>घर से न निकला करो बरसात में - क़तील शिफ़ाई</p>
<p> </p>
<p>दीदा-ए-हैराँ ने तमाशा किया</p>
<p>देर तलक वो मुझे देखा किया</p>
<p> </p>
<p>मर गए उस के लब-ए-जाँ-बख़्श पर</p>
<p>हम ने इलाज आप ही अपना किया</p>
<p> </p>
<p>जाए थी तेरी मेरे दिल में सो है</p>
<p>ग़ैर से क्यूँ शिकवा-ए-बेजा किया - मोमिन ख़ाँ मोमिन</p>
<p></p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 12pt;"><strong>मदीद</strong></span></p>
<p></p>
<p><strong>मदीद मुसम्मन सालिम <br/> फ़ाइलातुन फ़ाइलुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन<br/> 2122 212 2122 212</strong></p>
<p></p>
<p>हिज़्र में ये हाल है ज़िस्त की सूरत नहीं <br/> आओ जानी अब हमें ताक़ते फ़ुरकत नहीं - सफ़ी अमरोहवी</p>
<p></p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 12pt;"><strong>ज़दीद</strong></span></p>
<p></p>
<p><strong>ज़दीद मुसद्दस मख़्बून</strong></p>
<p><strong>फ़इलातुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>1122 1122 1212</strong></p>
<p></p>
<p>मुझे हासिल हो जो टुक भी फ़राग़े दिल <br/> तो रहे क्यूँ तपिश-ओ-दर्द दाग़े-दिल - इंशा अल्लाह ख़ान</p>
<p></p>
<p>जो कभी एक घड़ी हाँ भी हो गई <br/> तो रही फिर वही दो दो पहर नहीं - इंशा अल्लाह ख़ान</p>
<p></p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 12pt;"><strong>खफ़ीफ़</strong></span></p>
<p> </p>
<p><strong>खफ़ीफ़ मुसद्दस मख़्बून मजहूफ़</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ा</strong></p>
<p><strong>2122 1212 2 </strong></p>
<p> </p>
<p>थमते थमते थमेंगे आँसू</p>
<p>रोना है कुछ हँसी नहीं है - बुध सिंह कलंदर</p>
<p> </p>
<p><strong>खफ़ीफ़ मुसद्दस सालिम मख़्बून महज़ूफ़ मुसक्किन</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन</strong><strong> </strong></p>
<p><strong>2122 1212 22</strong></p>
<p></p>
<p>मुफ़लिसी सब बहार खोती है</p>
<p>मर्द का एतबार खोती है - वली मोहम्मद वली</p>
<p> </p>
<p>तुम मेरे पास होते हो गोया</p>
<p>जब कोई दूसरा नहीं होता - मोमिन ख़ाँ मोमिन</p>
<p> </p>
<p>याद-ए-माज़ी अज़ाब है या-रब</p>
<p>छीन ले मुझ से हाफ़िज़ा मेरा - अख़्तर अंसारी</p>
<p> </p>
<p>सुब्ह होती है शाम होती है</p>
<p>उम्र यूँही तमाम होती है - अमीरुल्लाह तस्लीम</p>
<p> </p>
<p>तंग-दस्ती अगर न हो 'सालिक'</p>
<p>तंदुरुस्ती हज़ार नेमत है - क़ुर्बान अली सालिक बेग</p>
<p> </p>
<p>दर्द हो तो दवा भी मुमकिन है</p>
<p>वहम की क्या दवा करे कोई - यास यगाना चंगेजी</p>
<p> </p>
<p>कुछ तुम्हारी निगाह काफ़िर थी</p>
<p>कुछ मुझे भी ख़राब होना था - असरार-उल-हक़ मजाज़</p>
<p> </p>
<p>आप का एतबार कौन करे</p>
<p>रोज़ का इंतज़ार कौन करे - दाग़ देहलवी</p>
<p> </p>
<p>हासिल-ए-कुन है ये जहान-ए-ख़राब</p>
<p>यही मुमकिन था इतनी उजलत में</p>
<p> </p>
<p>ऐ ख़ुदा जो कहीं नहीं मौजूद</p>
<p>क्या लिखा है हमारी क़िस्मत में - जौन एलिया</p>
<p> </p>
<p>अपना रिश्ता ज़मीं से ही रक्खो</p>
<p>कुछ नहीं आसमान में रक्खा - जौन एलिया</p>
<p> </p>
<p>जो गुज़ारी न जा सकी हम से</p>
<p>हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है - जौन एलिया</p>
<p> </p>
<p>क्या कहा इश्क़ जावेदानी है</p>
<p>आख़िरी बार मिल रही हो क्या - जौन एलिया</p>
<p> </p>
<p>ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता</p>
<p>एक ही शख़्स था जहान में क्या - जौन एलिया</p>
<p></p>
<p>कौन इस घर की देख-भाल करे <br/> रोज़ इक चीज़ टूट जाती है - जौन एलिया </p>
<p> </p>
<p>इतना ख़ाली था अंदरूँ मेरा</p>
<p>कुछ दिनों तो ख़ुदा रहा मुझ में - जौन एलिया </p>
<p> </p>
<p>ये हुनर भी बड़ा ज़रूरी है</p>
<p>कितना झुक कर किसे सलाम करो - हफ़ीज़ मेरठी</p>
<p> </p>
<p>इश्क़ बीनाई बढ़ा देता है</p>
<p>जाने क्या क्या नज़र आता है मुझे - विकास शर्मा राज़</p>
<p> </p>
<p>है मुहब्बत जो हमनशीं कुछ है</p>
<p>और इसके सिवा नहीं कुछ है</p>
<p> </p>
<p>दैरो-काबा में ढूंडता है क्या</p>
<p>देख दिल में कि बस यहीं कुछ है - बहादुर शाह ज़फ़र</p>
<p> </p>
<p>जो मिला उस ने बेवफ़ाई की</p>
<p>कुछ अजब रंग है ज़माने का - मुसहफ़ी</p>
<p> </p>
<p>जिस में लाखों बरस की हूरें हों</p>
<p>ऐसी जन्नत को क्या करे कोई - दाग़ देहलवी</p>
<p> </p>
<p>इस नहीं का कोई इलाज नहीं</p>
<p>रोज़ कहते हैं आप आज नहीं - दाग़ देहलवी</p>
<p> </p>
<p>ख़ुद चले आओ या बुला भेजो</p>
<p>रात अकेले बसर नहीं होती - अज़ीज़ लखनवी</p>
<p> </p>
<p>और क्या देखने को बाक़ी है</p>
<p>आप से दिल लगा के देख लिया - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़</p>
<p> </p>
<p>इश्क़ की उम्र कम ही होती है</p>
<p>बाक़ी जो कुछ है दोस्ताना है - निदा फाजली</p>
<p> </p>
<p>जब भी ये दिल उदास होता है</p>
<p>जाने कौन आस-पास होता है - गुलज़ार</p>
<p> </p>
<p>हर नए हादसे पे हैरानी</p>
<p>पहले होती थी अब नहीं होती - बाक़ी सिद्दीक़ी</p>
<p> </p>
<p>तमन्नाओं में उलझाया गया हूँ</p>
<p>खिलौने दे के बहलाया गया हूँ - शाद अज़ीमाबादी</p>
<p> </p>
<p>रात कितनी गुज़र गई लेकिन</p>
<p>इतनी हिम्मत नहीं कि घर जाएँ - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p>दिल तो मेरा उदास है 'नासिर'</p>
<p>शहर क्यूँ साएँ साएँ करता है - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p>नीयत-ए-शौक़ भर न जाए कहीं</p>
<p>तू भी दिल से उतर न जाए कहीं - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p>चाहे सोने के फ़्रेम में जड़ दो</p>
<p>आइना झूट बोलता ही नहीं - कृष्ण बिहारी नूर</p>
<p> </p>
<p>बुझ गया दिल हयात बाक़ी है</p>
<p>छुप गया चाँद रात बाक़ी है</p>
<p> </p>
<p>रात बाक़ी थी जब वो बिछड़े थे</p>
<p>कट गई उम्र रात बाक़ी है - ख़ुमार बाराबंकवी</p>
<p> </p>
<p>तुम ने सच बोलने की जुर्रत की</p>
<p>ये भी तौहीन है अदालत की - सलीम कौसर</p>
<p> </p>
<p>इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ</p>
<p>क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ - अहमद फ़राज़</p>
<p> </p>
<p>ज़िंदगी से यही गिला है मुझे</p>
<p>तू बहुत देर से मिला है मुझे - अहमद फ़राज़</p>
<p> </p>
<p>लोग यूँ कहते हैं अपने क़िस्से</p>
<p>जैसे वो शाह-जहाँ थे पहले</p>
<p> </p>
<p>टूट कर हम भी मिला करते थे</p>
<p>बेवफ़ा तुम भी कहाँ थे पहले - अज़हर इनायती</p>
<p> </p>
<p>ग़ज़लें अब तक शराब पीती थीं</p>
<p>नीम का रस पिला रहे हैं हम</p>
<p> </p>
<p>टेढ़ी तहज़ीब, टेढ़ी फ़िक्रो नज़र</p>
<p>टेढ़ी ग़ज़लें सुना रहे हैं हम - बशीर बद्र</p>
<p> </p>
<p>कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी</p>
<p>यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता - बशीर बद्र</p>
<p> </p>
<p>ख़ूबसूरत उदास ख़ौफ़ज़दा</p>
<p>वो भी है बीसवीं सदी की तरह - बशीर बद्र</p>
<p></p>
<p>तेरी जानिब से मुझ पे क्या न हुआ</p>
<p>ख़ैर गुज़री कि तू ख़ुदा न हुआ - इम्दाद इमाम असर</p>
<p> </p>
<p>क्यों डरें ज़िन्दगी में क्या होगा<br/> कुछ न होगा तो तज़्रिबा होगा - जावेद अख़्तर</p>
<p> </p>
<p>थोड़ी सर्दी ज़रा सा नज़ला है</p>
<p>शायरी का मिज़ाज पतला है</p>
<p> </p>
<p>देखिए तो सभी बराबर है</p>
<p>सोचिए तो अजीब घपला है - मोहम्मद अल्वी</p>
<p></p>
<p>मैं ने दुनिया समेट ली तो खुला</p>
<p>काम की कोई चीज़ थी ही नहीं - मुनीर सैफ़ी</p>
<p></p>
<p>दिल है वीरान शहर भी ख़ामोश</p>
<p>फ़ोन ही उस को कर लिया जाए - महमूद शाम</p>
<p> </p>
<p>हम से क्या हो सका मुहब्बत में</p>
<p>ख़ैर तुम ने तो बेवफ़ाई की - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>ज़िन्दगी क्या है आज इसे ऐ दोस्त</p>
<p>सोच लें और उदास हो जाएं - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>मौत का भी इलाज हो शायद</p>
<p>ज़िंदगी का कोई इलाज नहीं - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>कोई समझे तो एक बात कहूँ</p>
<p>इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>बन्दगी से कभी नहीं मिलती</p>
<p>इस तरह ज़िन्दगी नहीं मिलती</p>
<p> </p>
<p>लेने से ताज़ो-तख़्त मिलता है</p>
<p>मागे से भीख भी नहीं मिलती</p>
<p></p>
<p>एक दुनिया है मेरी नज़रों में<br/> पर वो दुनिया अभी नहीं मिलती - फ़िराक़ गोरखपुरी</p> उर्दू शायरी में इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण - Itag:www.openbooksonline.com,2018-11-08:5170231:Topic:9602312018-11-08T13:59:11.074ZAnanda Shrestahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnandaShresta
<p>कोशिश ये रही है कि प्रमुख शायरों के स्तरीय शेर ही चुने जाएँ. साथ ही हर दौर की शायरी के अच्छे शेरों का एक प्रतिनिधि चयन करने का भी प्रयास रहा है. बहुत कुछ अच्छा होते हुए भी विस्तार भय से छोड़ देना पड़ा है. </p>
<p></p>
<p><strong>मुतक़ारिब मुसम्मन सालिम</strong></p>
<p><strong>फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन</strong></p>
<p><strong>122 122 122 122</strong></p>
<p></p>
<p>ज़मीन-ए-चमन गुल खिलाती है क्या क्या</p>
<p>बदलता है रंग आसमाँ कैसे कैसे</p>
<p> </p>
<p>न गोर-ए-सिकंदर न है…</p>
<p>कोशिश ये रही है कि प्रमुख शायरों के स्तरीय शेर ही चुने जाएँ. साथ ही हर दौर की शायरी के अच्छे शेरों का एक प्रतिनिधि चयन करने का भी प्रयास रहा है. बहुत कुछ अच्छा होते हुए भी विस्तार भय से छोड़ देना पड़ा है. </p>
<p></p>
<p><strong>मुतक़ारिब मुसम्मन सालिम</strong></p>
<p><strong>फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन</strong></p>
<p><strong>122 122 122 122</strong></p>
<p></p>
<p>ज़मीन-ए-चमन गुल खिलाती है क्या क्या</p>
<p>बदलता है रंग आसमाँ कैसे कैसे</p>
<p> </p>
<p>न गोर-ए-सिकंदर न है क़ब्र-ए-दारा</p>
<p>मिटे नामियों के निशाँ कैसे कैसे - हैदर अली आतिश</p>
<p></p>
<p>हुए नामवर बे-निशाँ कैसे कैसे <br/> ज़मीं खा गई आसमाँ कैसे कैसे - अमीर मीनाई</p>
<p></p>
<p>ग़ज़ल उस ने छेड़ी मुझे साज़ देना<br/> ज़रा उम्र-ए-रफ़्ता को आवाज़ देना - सफ़ी लखनवी</p>
<p></p>
<p>ये क्या चीज़ तामीर करने चले हो</p>
<p>बिना-ए-मुहब्बत को वीरान कर के - अहमद जावेद</p>
<p> </p>
<p>ये कहना था उन से मुहब्बत है मुझ को</p>
<p>ये कहने में मुझ को ज़माने लगे हैं - ख़ुमार बाराबंकवी</p>
<p></p>
<p>बहारें लुटा दीं जवानी लुटा दी</p>
<p>तुम्हारे लिए ज़िंदगानी लुटा दी - जलील मानिकपूरी</p>
<p> </p>
<p>सलामत रहें दिल में घर करने वाले</p>
<p>इस उजड़े मकाँ में बसर करने वाले</p>
<p> </p>
<p>गले पर छुरी क्यूँ नहीं फेर देते</p>
<p>असीरों को बे-बाल-ओ-पर करने वाले</p>
<p> </p>
<p>अंधेरे उजाले कहीं तो मिलेंगे</p>
<p>वतन से हमें दर-ब-दर करने वाले</p>
<p> </p>
<p>गरेबाँ में मुँह डाल कर ख़ुद तो देखें</p>
<p>बुराई पे मेरी नज़र करने वाले - यास यगाना चंगेजी</p>
<p> </p>
<p>वही एक तबस्सुम चमन दर चमन है</p>
<p>वही पंखुरी है गुलिस्ताँ गुलिस्ताँ - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>सितारों के आगे जहाँ और भी हैं</p>
<p>अभी इश्क़ के इम्तिहां और भी हैं - अल्लामा इक़बाल</p>
<p> </p>
<p>न जाना कि दुनिया से जाता है कोई</p>
<p>बहुत देर की मेहरबाँ आते आते - दाग़ देहलवी</p>
<p> </p>
<p>मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी</p>
<p>किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी - बशीर बद्र</p>
<p></p>
<p>ज़माना बड़े शौक़ से सुन रहा था<br/> हमीं सो गए दास्ताँ कहते कहते - साक़िब लखनवी</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतक़ारिब सालिम</strong> <strong>10-</strong><strong>रुक्नी</strong></p>
<p><strong>फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन</strong></p>
<p><strong>122 122 122 122 122</strong></p>
<p> </p>
<p>ज़मीं चल रही है कि सुब्हे-ज़वाले-ज़माँ है</p>
<p>कहो ऐ मकीनो कहाँ हो ये कैसा मकाँ है</p>
<p> </p>
<p>कहीं तू मेरे इश्क़ से बदगुमाँ हो न जाए</p>
<p>कई दिन से होठों पे तेरे नहीं है न हाँ है - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतक़ारिब मुसम्मन महज़ूफ़</strong></p>
<p><strong>फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़अल</strong></p>
<p><strong>122 122 122 12</strong></p>
<p> </p>
<p>गिराना ही है तो मेरी बात सुन</p>
<p>मैं मस्जिद गिराऊँ तू मंदिर गिरा - मोहम्मद अल्वी </p>
<p> </p>
<p>अँधेरा है कैसे तेरा ख़त पढ़ूँ</p>
<p>लिफ़ाफ़े में कुछ रौशनी भेज दे - मोहम्मद अल्वी</p>
<p> </p>
<p>बहुत दूर तो कुछ नहीं घर मेरा</p>
<p>चले आओ इक दिन टहलते हुए - हफ़ीज़ जौनपुरी</p>
<p> </p>
<p>पिया बाज पयाला पिया जाये ना</p>
<p>पिया बाज यक तिल जिया जाये ना - मोहम्मद क़ुली क़ुतुबशाह</p>
<p> </p>
<p>लगी कहने 'इंशा' को शब वो परी</p>
<p>मुझे भूत हो ये निगोड़ा लगा - इंशा अल्लाह ख़ान</p>
<p> </p>
<p>न जी भर के देखा न कुछ बात की</p>
<p>बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की - बशीर बद्र .</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतक़ारिब मुसम्मन अस्लम मक़्बूज़ मुख़न्नक सालिम</strong></p>
<p><strong>फ़ेलुन फ़ऊलुन फ़ेलुन फ़ऊलुन</strong></p>
<p><strong>22 122 22 122</strong></p>
<p> </p>
<p>दिल और वो भी टूटा हुआ दिल</p>
<p>अब जिंदगी है जीने के काबिल - तस्कीं</p>
<p> </p>
<p>नै मुहरा बाक़ी नै मुहरा बाज़ी</p>
<p>जीता है रूमी हारा है काज़ी - अल्लामा इक़बाल</p>
<p> </p>
<p>ऊँचा हुआ सर नेज़ा-ब-नेज़ा</p>
<p>यारों का एहसान लब्बैक लब्बैक - मुज़फ़्फ़र हनफ़ी</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतक़ारिब मुसम्मन असरम मक़्बूज़ सालिम</strong></p>
<p><strong>फ़ेल फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलुन</strong></p>
<p><strong> 21 121 121 122</strong></p>
<p><strong>तख्नीक से हासिल अरकान</strong> <strong> :</strong></p>
<p><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong></p>
<p><strong>22 22 22 22 </strong></p>
<p> </p>
<p>काशी देखा,काबा देखा<br/> नाम बड़ा दरसन छोटा है</p>
<p></p>
<p>इश्क़ अगर सपना है, ऐ दिल<br/> हुस्न तो सपने का सपना है</p>
<p></p>
<p>यूँ तो हम खुद भी नहीं अपने<br/> यूँ तो जो भी है अपना है</p>
<p></p>
<p>एक वो मिलना,एक ये मिलना<br/> क्या तू मुझको छोड़ रहा है?</p>
<p></p>
<p>तू भी'फिराक़'अब आँख लगा ले<br/> सुबह का तारा डूब चला है - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p></p>
<p>दिल में और तो क्या रक्खा है</p>
<p>तेरा दर्द छुपा रक्खा है - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p>मैं हूँ रात का एक बजा है</p>
<p>ख़ाली रस्ता बोल रहा है - नासिर काज़मी</p>
<p></p>
<p><strong>मुतक़ारिब मुसम्मन असरम मक़्बूज़ महज़ूफ़</strong></p>
<p><strong>फ़ेल फ़ऊलु फ़ऊलु फ़अल</strong></p>
<p><strong>21 121 121 12</strong></p>
<p><strong>तख्नीक से हासिल अरकान</strong> <strong> :</strong></p>
<p><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ा</strong> <strong> </strong></p>
<p><strong> 22 22 22 </strong> <strong> 2 </strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>अच्छे दिन कब आएँगे</p>
<p>क्या यूँ ही मर जाएँगे</p>
<p> </p>
<p>अपने-आप को ख़्वाबों से</p>
<p>कब तक हम बहलाएँगे</p>
<p> </p>
<p>खिलते हैं तो खिलने दो</p>
<p>फूल अभी मुरझाएँगे - मोहम्मद अल्वी</p>
<p> </p>
<p>इस की बात का पाँव न सर</p>
<p>फिर भी चर्चा है घर घर</p>
<p> </p>
<p>चील ने अण्डा छोड़ दिया</p>
<p>सूरज आन गिरा छत पर</p>
<p> </p>
<p>अच्छा तो शादी कर ली</p>
<p>जा अब बच्चे पैदा कर</p>
<p> </p>
<p>बीवी अकेली डरती है</p>
<p>शाम हुई अब चलिए घर - मोहम्मद अल्वी</p>
<p> </p>
<p>पूरा दुख और आधा चाँद</p>
<p>हिज्र की शब और ऐसा चाँद</p>
<p> </p>
<p>मेरी करवट पर जाग उठ्ठे</p>
<p>नींद का कितना कच्चा चाँद - परवीन शाकिर</p>
<p> </p>
<p>तुम से बिछड़ कर ज़िंदा हैं</p>
<p>जान बहुत शर्मिंदा हैं - इफ़्तिख़ार आरिफ़</p>
<p> </p>
<p>कड़वे ख़्वाब गरीबों के</p>
<p>मीठी नींद अमीरों की</p>
<p> </p>
<p>रात गए तेरी यादें</p>
<p>जैसे बारिश तीरों की - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p>अपनी धुन में रहता हूँ</p>
<p>मैं भी तेरे जैसा हूँ - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p>रात घना जंगल और मैं</p>
<p>एक चना क्या फोड़े भाड़</p>
<p> </p>
<p>मजनूँ का अंजाम तो सोच</p>
<p>यार मेरे मत कपड़े फाड़ - मुज़फ़्फ़र हनफ़ी</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतक़ारिब मुसम्मन असरम मक़्बूज़ महज़ूफ़ मुजाइफ़</strong></p>
<p><strong>फ़ेल फ़ऊलु फ़ऊलु फ़अल // फ़ेल फ़ऊलु फ़ऊलु फ़अल</strong></p>
<p><strong>21 121 121 12 // 21 121 121 12</strong></p>
<p><strong>तख्नीक से हासिल अरकान</strong> <strong> :</strong></p>
<p><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ा</strong> <strong> // </strong> <strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन फ़ा</strong></p>
<p><strong>22 22 22 </strong> <strong> 2 </strong> <strong>//</strong> <strong> 22 </strong> <strong>22 </strong> <strong> 22 2 </strong></p>
<p> </p>
<p>सावन की रुत आ पहुँची काले बादल छाएँगे</p>
<p>कलियाँ रंग में भीगेंगी फूलों में रस आएँगे</p>
<p> </p>
<p>हस्ती की बद-मस्ती क्या हस्ती ख़ुद इक मस्ती है</p>
<p>मौत उसी दिन आएगी होश में जिस दिन आएँगे - साग़र निज़ामी</p>
<p> </p>
<p>दिल का उजड़ना सहल सही बसना सहल नहीं ज़ालिम</p>
<p>बस्ती बसना खेल नहीं बसते बसते बसती है - फ़ानी बदायुनी</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतक़ारिब असरम मक़्बूज़ सालिम उल आखिर</strong> <strong>10-</strong><strong>रुक्नी</strong></p>
<p><strong>फ़ेल फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़अलुन</strong></p>
<p><strong> 21 121 121 121 122</strong></p>
<p><strong>तख्नीक से हासिल अरकान</strong> <strong> :</strong></p>
<p><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong></p>
<p><strong>22 22 22 22 </strong> <strong> 22 </strong></p>
<p> </p>
<p>सब का ख़ुशी से फ़ासला एक क़दम है</p>
<p>हर घर में बस एक ही कमरा कम है - जावेद अख़्तर</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतक़ारिब असरम मक़्बूज़ महज़ूफ़</strong> <strong>12-</strong><strong>रुक्नी</strong></p>
<p><strong>फ़ेल फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़अल</strong></p>
<p><strong> 21 121 121 121 121 12</strong></p>
<p><strong>तख्नीक से हासिल अरकान</strong> <strong> :</strong></p>
<p><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ा</strong></p>
<p><strong>22 22 22 22 </strong> <strong> 22 2 </strong></p>
<p> </p>
<p>सूखा बाँझ महीना मौला पानी दे</p>
<p>सावन पीटे सीना मौला पानी दे</p>
<p> </p>
<p>फ़सलें आते जाते लश्कर काटेगा</p>
<p>अपने भाग पसीना मौला पानी दे - मुज़फ़्फ़र हनफ़ी</p>
<p> </p>
<p>इक इक पत्थर राह का 'ज़ेब' हटाता चल</p>
<p>पीछे आने वालों को आसानी दे - जेब गौरी</p>
<p> </p>
<p>धूप बहुत है मौसम जल-थल भेजो ना</p>
<p>बाबा मेरे नाम का बादल भेजो ना - राहत इन्दौरी</p>
<p> </p>
<p>सच ये है बे-कार हमें ग़म होता है</p>
<p>जो चाहा था दुनिया में कम होता है - जावेद अख़्तर</p>
<p> </p>
<p>इस उम्मीद पे रोज़ चराग़ जलाते हैं</p>
<p>आने वाले बरसों बाद भी आते हैं - ज़ेहरा निगाह</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतक़ारिब असरम मक़्बूज़ सालिम उल आखिर</strong><strong> 12-</strong><strong>रुक्नी</strong></p>
<p><strong>फ़ेल फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़अलुन</strong></p>
<p><strong>21 121 121 121 121 122</strong></p>
<p><strong>तख्नीक से हासिल अरकान</strong> <strong> :</strong></p>
<p><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong></p>
<p><strong>22 22 22 22 </strong> <strong> 22 </strong> <strong>22 </strong></p>
<p> </p>
<p>अब इस घर की आबादी मेहमानों पर है</p>
<p>कोई आ जाए तो वक़्त गुज़र जाता है - ज़ेहरा निगाह</p>
<p> </p>
<p>उस की आँखों में भी काजल फैल रहा है</p>
<p>मैं भी मुड़ के जाते जाते देख रहा हूँ - जावेद अख़्तर</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतक़ारिब असरम मक़्बूज़ महज़ूफ़</strong> <strong>14-</strong><strong>रुक्नी</strong></p>
<p><strong>फ़ेल फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़अल</strong></p>
<p><strong>21 121 121 121 121 121 12</strong></p>
<p><strong>तख्नीक से हासिल अरकान</strong> <strong> :</strong></p>
<p><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन फ़ा</strong></p>
<p><strong>22 22 22 22 </strong> <strong> 22 </strong> <strong>22 2 </strong></p>
<p> </p>
<p>जागता हूँ मैं एक अकेला दुनिया सोती है</p>
<p>कितनी वहशत हिज्र की लम्बी रात में होती है - शहरयार</p>
<p> </p>
<p>दीवारों से मिल कर रोना अच्छा लगता है</p>
<p>हम भी पागल हो जाएँगे ऐसा लगता है - क़ैसर-उल जाफ़री</p>
<p> </p>
<p>चाँदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल</p>
<p>इक तू ही धनवान है गोरी बाक़ी सब कंगाल - क़तील शिफ़ाई</p>
<p> </p>
<p>उसकी कत्थई आंखों में हैं जंतर मंतर सब</p>
<p>चाक़ू वाक़ू, छुरियां वुरियां, ख़ंजर वंजर सब</p>
<p> </p>
<p>जिस दिन से तुम रूठी, मुझ से, रूठे रूठे हैं</p>
<p>चादर वादर, तकिया वकिया, बिस्तर विस्तर सब</p>
<p> </p>
<p>तुलसी ने जो लिक्खा अब कुछ बदला बदला हैं</p>
<p>रावण वावण, लंका वंका, बन्दर वंदर सब - राहत इन्दौरी</p>
<p></p>
<p><strong>मुतक़ारिब असरम मक़्बूज़ मक़्सू्र</strong> <strong>14-</strong><strong>रुक्नी </strong></p>
<p><strong>फ़ेल फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊल</strong></p>
<p><strong>21 121 121 121 121 121 121</strong></p>
<p><strong>तख्नीक से हासिल अरकान</strong> <strong> :</strong></p>
<p><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन //</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन फ़ाअ</strong></p>
<p><strong>22 22 22 22 </strong> <strong> // 22 </strong> <strong>22 21</strong></p>
<p></p>
<p>(ये बह्र सरसी छंद के करीब है लेकिन इसमें मात्रा गिराने की छूट ली जा सकती है.</p>
<p>मिसरे के आखिर में 21(फ़ाअ)की जगह 2(फ़ा) का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.</p>
<p>सरसी में इस तरह की स्वतंत्रता नहीं ली जा सकती)</p>
<p></p>
<p>ऊंची जिसकी लहर नहीं है, वो कैसा दरिया<br/> जिसकी हवाएं तुंद नहीं हैं, वो कैसा तूफ़ान - अल्लामा इक़बाल</p>
<p></p>
<p>बिछड़ा साथी ढूँढ रही है कुंजों की इक डार <br/> भीगे भीगे नैन उठाए देख रही है शाम</p>
<p></p>
<p>छोड़ शिकारी अपनी घातें बदल गया संसार <br/> उड़ जाएँगे अब तो पंछी ले कर तेरा दाम</p>
<p></p>
<p>आँखों पर पलकों का साजन कब होता है बोझ <br/> दूर से आए हो तुम नैना बीच करो आराम - इरफ़ाना अज़ीज़</p>
<p></p>
<p>चुपके चुपके क्या कहते हैं तुझ से धान के खेत <br/> बोल री निर्मल निर्मल नदिया क्यूँ है चाँद उदास - इरफ़ाना अज़ीज़</p>
<p></p>
<p>नील-गगन पर सुर्ख़ परिंदों की डारों के संग <br/> बदली बन कर उड़ती जाए मेरी शोख़ उमंग</p>
<p></p>
<p>सपनों की डाली पर चमका एक सुनहरा पात <br/> चढ़ता सूरज देख के जिस का रूप हुआ है दंग - इरफ़ाना अज़ीज़</p>
<p></p>
<p><strong>मुतक़ारिब असरम मक़्बूज़ सालिम उल आखिर </strong><strong>14-</strong><strong>रुक्नी</strong></p>
<p><strong>फ़ेल फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़अलुन</strong></p>
<p><strong>21 121 121 121 121 121 122</strong></p>
<p><strong>तख्नीक से हासिल अरकान</strong> <strong> :</strong></p>
<p><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन फ़ेलुन</strong></p>
<p><strong>22 22 22 22 </strong> <strong> 22 </strong> <strong>22 22 </strong></p>
<p></p>
<p>रूप के पाँव चूमने वाले सुन ले मेरी बानी <br/> फूल की डाली बहुत ही ऊँची तू है बहता पानी</p>
<p></p>
<p>सोंधी सोंधी ख़ुश्बू के बहते हैं शीतल झरने <br/> खेतों पर लहराता है जब मेरा आँचल धानी - इरफ़ाना अज़ीज़</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतक़ारिब असरम मक़्बूज़ महज़ूफ़</strong> <strong>16-</strong><strong>रुक्नी</strong></p>
<p><strong>फ़अलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़अल</strong></p>
<p><strong> 21 121 121 121 121 121 121 12</strong></p>
<p><strong>तख्नीक से हासिल अरकान</strong> <strong> :</strong></p>
<p><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन फ़ा</strong></p>
<p><strong>22 22 22 22 22 22 22 2 </strong></p>
<p> </p>
<p>किन लफ़्ज़ों में इतनी कड़वी इतनी कसीली बात लिखूँ</p>
<p>शेर की मैं तहज़ीब निबाहूँ या अपने हालात लिखूँ</p>
<p> </p>
<p>तख़्त की ख़्वाहिश लूट का लालच कमज़ोरों पर ज़ुल्म का शौक़</p>
<p>लेकिन उन का फ़रमाना है मैं इन को जज़्बात लिखूँ</p>
<p> </p>
<p>क़ातिल भी मक़्तूल भी दोनों नाम ख़ुदा का लेते थे</p>
<p>कोई ख़ुदा है तो वो कहाँ था मेरी क्या औक़ात लिखूँ</p>
<p> </p>
<p>अपनी अपनी तारीकी को लोग उजाला कहते हैं</p>
<p>तारीकी के नाम लिखूँ तो क़ौमें फ़िरक़े ज़ात लिखूँ</p>
<p> </p>
<p>जाने ये कैसा दौर है जिस में जुरअत भी तो मुश्किल है</p>
<p>दिन हो अगर तो उस को लिखूँ दिन रात अगर हो रात लिखूँ - जावेद अख़्तर</p>
<p></p>
<p>जिस्म दमकता, ज़ुल्फ़ घनेरी, रंगीं लब, आँखें जादू</p>
<p>संग-ए-मरमर, ऊदा बादल, सुर्ख़ शफ़क़, हैराँ आहू - जावेद अख़्तर</p>
<p> </p>
<p>बात तुम्हारी सुनते सुनते ऊब गए हैं हम बाबा</p>
<p>अपनी जात के बाहर झांको बाहर भी है ग़म बाबा</p>
<p> </p>
<p>थोड़े से अलफ़ाज़ की ख़ातिर कितना ख़ून जलाते हो</p>
<p>इक दिन बातें हो जाती हैं बेमानी मुबहम बाबा - अनीस अंसारी</p>
<p> </p>
<p>नीची शाख़ का कच्चा फल थे, धूप की गोद में पलते थे</p>
<p>हाथ बढाकर उसने तोड़ा, चक्खा, बे-पहचान किया - ज़फ़र गौरी </p>
<p> </p>
<p>दरवाज़े पर आहट सुन कर उस की तरफ़ क्यूँ ध्यान गया</p>
<p>आने वाली सिर्फ़ हवा हो ऐसा भी हो सकता है</p>
<p> </p>
<p>हाल-ए-परेशाँ सुन कर मेरा आँख में उस की आँसू हैं</p>
<p>मैं ने उस से झूट कहा हो ऐसा भी हो सकता है - मलिकज़ादा मंज़ूर अहमद</p>
<p> </p>
<p>बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो</p>
<p>चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे - निदा फ़ाज़ली</p>
<p> </p>
<p>एक ठिकाना आगे आगे, पीछे एक मुसाफ़िर है</p>
<p>चलते चलते साँस जो टूटे, मंज़िल का एलान करें - सनाउल्ला खां डार 'मीराजी'</p>
<p> </p>
<p>नगरी नगरी फिरा मुसाफ़िर, घर का रस्ता भूल गया</p>
<p>क्या है तेरा क्या है मेरा, अपना पराया भूल गया - सनाउल्ला खां डार 'मीराजी'</p>
<p> </p>
<p>तुम क्या जानो अपने आप से, कितना मैं शर्मिंदा हूँ</p>
<p>छूट गया है साथ तुम्हारा, और अभी तक ज़िंदा हूँ - साग़र आज़मी</p>
<p> </p>
<p>हक़ अच्छा पर उस के लिए कोई और मेरे तो और अच्छा</p>
<p>तुम भी कोई मंसूर हो जो सूली पे चढ़ो ख़ामोश रहो</p>
<p> </p>
<p>उन का ये कहना सूरज ही धरती के फेरे करता है</p>
<p>सर-आँखों पर सूरज ही को घूमने दो ख़ामोश रहो - इब्ने इंशा</p>
<p> </p>
<p>दिल हिज्र के दर्द से बोझल है अब आन मिलो तो बेहतर हो</p>
<p>इस बात से हम को क्या मतलब ये कैसे हो ये क्यूँकर हो</p>
<p> </p>
<p>वो रातें चाँद के साथ गईं वो बातें चाँद के साथ गईं</p>
<p>अब सुख के सपने क्या देखें जब दुख का सूरज सर पर हो - इब्ने इंशा</p>
<p> </p>
<p>मोती के दो थाल सजाए आज हमारी आँखों ने</p>
<p>तुम जाने किस देस सिधारे भेंजें ये सौगात कहाँ - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>अब अक्सर चुप-चुप से रहे हैं यूँ ही कभी लब खोले हैं</p>
<p>पहले "फ़िराक़" को देखा होता अब तो बहुत कम बोले हैं - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>आतिश-ए-ग़म के सैल-ए-रवाँ में नींदें जल कर राख हुईं</p>
<p>पत्थर बन कर देख रहा हूँ आती जाती रातों को - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p>तूफानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो</p>
<p>मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो - राहत इन्दौरी</p>
<p> </p>
<p>देर लगी आने में तुम को शुक्र है फिर भी आए तो</p>
<p>आस ने दिल का साथ न छोड़ा वैसे हम घबराए तो - अंदलीब शादानी</p>
<p> </p>
<p>पीले पत्तों को सह-पहर की वहशत पुर्सा देती थी</p>
<p>आँगन में इक औंधे घड़े पर बस इक कव्वा ज़िंदा था - जौन एलिया</p>
<p> </p>
<p>मिट्टी हो कर इश्क़ किया है इक दरिया की रवानी से</p>
<p>दीवार-ओ-दर माँग रहा हूँ मैं भी बहते पानी से</p>
<p> </p>
<p>वो मजबूरी मौत है जिस में कासे को बुनियाद मिले</p>
<p>प्यास की शिद्दत जब बढ़ती है डर लगता है पानी से - मोहसिन असरार</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतक़ारिब असरम मक़्बूज़</strong><strong> </strong> <strong>सालिम अल आखिर</strong> <strong>16-</strong><strong>रुक्नी</strong></p>
<p><strong>फ़अलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलुन</strong></p>
<p><strong> 21 121 121 121 121 121 121 122</strong></p>
<p><strong>तख्नीक से हासिल अरकान</strong> <strong> :</strong></p>
<p><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> // </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन फ़ेलुन</strong></p>
<p><strong>22 22 22 22 // 22 22 22 22</strong></p>
<p></p>
<p>हर जंगल की एक कहानी वो ही भेंट वही क़ुर्बानी</p>
<p>गूँगी बहरी सारी भेड़ें चरवाहों की जागीरें हैं - निदा फ़ाज़ली</p>
<p></p>
<p>ये भी कोई बात है आख़िर दूर ही दूर रहें मतवाले <br/> हरजाई है चाँद का जोबन या पंछी को प्यार नहीं है - क़तील शिफ़ाई</p>
<p></p>
<p><strong>मुतक़ारिब मुसम्मन असरम मक़्बूज़ मुख़न्नक सालिम अल आख़िर मुजाइफ़</strong></p>
<p><strong><span>फ़ेल फ़ऊलुन फ़ेल फ़ऊलुन // फ़ेल फ़ऊलुन फ़ेल फ़ऊलुन</span></strong></p>
<p><strong><span>21 122 21 122 // 21 122 21 122 </span></strong></p>
<p>(इसे 'मुतक़ारिब मुसम्मन असरम सालिम मुजाइफ़' के नाम से भी जाना जाता है.लेकिन असरम सिर्फ़ पहले रुक्न के लिए</p>
<p>निर्धारित है यह मिसरे के हश्व(बीच) में नहीं आ सकता.ये बह्र 'मुतक़ारिब असरम मक़्बूज़ सालिम अल आखिर 16-रुक्नी'</p>
<p>पर तख्नीक से भी हासिल की जा सकती है.)<b><strong> </strong></b></p>
<p></p>
<p>हम को जुनूँ क्या सिखलाते हो हम थे परेशाँ तुम से ज़ियादा</p>
<p>चाक किए हैं हम ने अज़ीज़ो चार गरेबाँ तुम से ज़ियादा</p>
<p> </p>
<p>जाओ तुम अपने बाम की ख़ातिर सारी लवें शम्ओं की कतर लो</p>
<p>ज़ख़्म के मेहर-ओ-माह सलामत जश्न-ए-चराग़ाँ तुम से ज़ियादा - मजरूह सुल्तानपुरी</p>
<p></p>
<p></p>
<p><strong>मुतदारिक</strong></p>
<p> </p>
<p><strong>मुतदारिक मुसद्दस सालिम</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>212 212 212 </strong></p>
<p> </p>
<p>उस ने पूछा था क्या हाल है</p>
<p>और मैं सोचता रह गया - अजमल सिराज़</p>
<p> </p>
<p>आज जाने की ज़िद ना करो</p>
<p>यूँ ही पहलू मे बैठे रहो - फैय्याज़ हाशमी</p>
<p> </p>
<p>अहले दैरो-हरम रह गये</p>
<p>तेरे दीवाने कम रह गये - फ़ना निजामी कानपूरी</p>
<p> </p>
<p>लज़्ज़त-ए-ग़म बढ़ा दीजिए</p>
<p>आप फिर मुस्कुरा दीजिए</p>
<p> </p>
<p>मेरा दामन बहुत साफ़ है</p>
<p>कोई तोहमत लगा दीजिए - राज़ इलाहाबादी</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतदारिक मुसम्मन सालिम</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलुन फ़ाइलुन</strong><strong> </strong> <strong>फ़ाइलुन फ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>212 212 212 212</strong></p>
<p> </p>
<p>ख़ार-ओ-ख़स तो उठें रास्ता तो चले</p>
<p>मैं अगर थक गया क़ाफ़िला तो चले</p>
<p> </p>
<p>उस को मज़हब कहो या सियासत कहो</p>
<p>ख़ुद-कुशी का हुनर तुम सिखा तो चले</p>
<p> </p>
<p>इतनी लाशें मैं कैसे उठा पाऊँगा</p>
<p>आप ईंटों की हुरमत बचा तो चले - कैफ़ी आज़मी</p>
<p> </p>
<p>बर्फ़ गिरती रहे आग जलती रहे</p>
<p>आग जलती रहे रात ढलती रहे</p>
<p> </p>
<p>रात भर हम यूं ही रक्स करते रहें</p>
<p>नींद तन्हा खड़ी हाथ मलती रहे - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p>उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो</p>
<p>खर्च करने से पहले कमाया करो - राहत इन्दौरी</p>
<p> </p>
<p>दूसरों पर अगर तब्सिरा कीजिए</p>
<p>सामने आइना रख लिया कीजिए - ख़ुमार बाराबंकवी</p>
<p> </p>
<p>आप की याद आती रही रात भर</p>
<p>चश्म-ए-नम मुस्कुराती रही रात भर - मख़दूम मुहिउद्दीन</p>
<p> </p>
<p>आपको देखकर देखता रह गया</p>
<p>क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया - निदा फाज़ली</p>
<p> </p>
<p>हर तरफ़ हर ज़गह बेशुमार आदमी</p>
<p>फिर भी तनहाइयों का शिकार आदमी - निदा फाज़ली</p>
<p> </p>
<p>और क्या है सियासत के बाज़ार में</p>
<p>कुछ खिलौने सजे हैं दुकानों के बीच - जाँ निसार अख्तर</p>
<p></p>
<p>मेरे चेहरे से ग़म आश्कारा नहीं</p>
<p>ये न समझो कि मैं ग़म का मारा नहीं</p>
<p> </p>
<p>डूबने को तो डूबे मगर नाज़ है,</p>
<p>अहल-ए-साहिल को हम ने पुकारा नहीं</p>
<p> </p>
<p>यूँ दिखाता है आँखें हमें बाग़बाँ</p>
<p>जैसे गुलशन पे कुछ हक़ हमारा नहीं - फ़ना निज़ामी कानपुरी</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतदारिक सालिम</strong> <strong>10</strong> <strong>रुक्नी</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>212 212 212 212 212</strong></p>
<p> </p>
<p>तेरी फ़रियाद गूँजेगी धरती से आकाश तक</p>
<p>कोई दिन और सह ले सितम सब्र कर सब्र कर - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p>दिन ढला रात फिर आ गई सो रहो सो रहो</p>
<p>मंज़िलों छा गई ख़ामुशी सो रहो सो रहो - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतदारिक मुसम्मन सालिम मुजाइफ़</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>212 212 212 212 212 212 212 212</strong></p>
<p> </p>
<p>एक समंदर के प्यासे किनारे थे हम, अपना पैगाम लाती थी मौजे रवां</p>
<p>आज दो रेल की पटरियों की तरह, साथ चलना है और बोलना तक नहीं - बशीर बद्र</p>
<p> </p>
<p>क्या हुआ आज क्यों खेमा-ए-जख्म से, कज कुलाहने-ग़म फिर निकालने लगे</p>
<p>हम तो समझे थे अब शह्रे-दिल मिट चुका, थक गए दर्द के कारवाँ सो गए - बशीर बद्र</p>
<p> </p>
<p>कच्चे फल कोट की जेब में ठूस कर जैसे ही मैं किताबों की जानिब बढ़ा</p>
<p>गैलरी में छिपी दोपहर ने मुझे नारियल की तरह तोड़ कर पी लिया - बशीर बद्र</p>
<p> </p>
<p>आशियाँ जल गया गुलिस्ताँ लुट गया, हम क़फ़स से निकल कर किधर जायेंगे</p>
<p>इतने मानूस सैय्याद से हो गए, अब रिहाई मिली भी तो मर जायेंगे</p>
<p> </p>
<p>अश्क-ए-ग़म ले के आख़िर किधर जाएँ हम, आँसुओं की यहाँ कोई क़ीमत नहीं</p>
<p>आप ही अपना दामन बढ़ा दीजिए, वर्ना मोती ज़मीं पर बिखर जाएँगे - राज़ इलाहाबादी</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतदारिक मुसम्मन महज़ूज़</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा</strong></p>
<p><strong>212 212 212 2</strong></p>
<p> </p>
<p>जब नज़र आप की हो गई है</p>
<p>ज़िन्दगी, ज़िन्दगी हो गई है - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन</p>
<p>जब तक उलझे न काँटों से दामन</p>
<p> </p>
<p>गुल तो गुल ख़ार तक चुन लिए हैं</p>
<p>फिर भी ख़ाली है गुलचीं का दामन - फ़ना निज़ामी कानपुरी</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतदारिक मुसम्मन महज़ूज़ मुजाइफ़</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा</strong> <strong> // </strong> <strong>फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा</strong></p>
<p><strong>212 212 212 2 // 212 212 212 2</strong></p>
<p> </p>
<p>मेरा वादा है तुझ से यह हमदम, आँधियाँ आए तूफ़ान आए</p>
<p>ज़िन्दगी की डगर में सदा मैं, साथ तेरा निभाता रहूँगा - आरिफ़ हसन ख़ान</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतदारिक मुसम्मन मक़्तूअ</strong><strong>’</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ेलुन</strong></p>
<p><strong>212 212 212 22</strong></p>
<p> </p>
<p>राह में हो मुलाक़ात, नामुमकिन</p>
<p>हो कभी ये करामात, नामुमकिन - कमाल अहमद सिद्दीकी</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतदारिक मुसम्मन मख़्बून</strong></p>
<p><strong>फ़इलुन फ़इलुन फ़इलुन फ़इलुन</strong></p>
<p><strong>112 112 112 112</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>मेरा दुश्मन अगरचे जमाना रहा</p>
<p>तेरा यूँ ही मैं दोस्त यगाना रहा</p>
<p> </p>
<p>न तो अपना रहा न बेगाना रहा</p>
<p>जो रहा सो किसी का फ़साना रहा</p>
<p> </p>
<p>रही कसरते दाग़ बदौलते ग़म</p>
<p>मेरे पास हमेशा खज़ाना रहा</p>
<p> </p>
<p>गया मौसमे-गर्दिशे-सागरे मै</p>
<p>न वो दौर रहा न ज़माना रहा - बहादुर शाह ज़फ़र</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतदारिक मुसम्मन मख़्बून मुसक्किन</strong></p>
<p><strong>फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन</strong><strong> </strong></p>
<p><strong>22 22 22 22</strong></p>
<p> </p>
<p>जो सूदो-जियां का ज़िक्र करे</p>
<p>वो इश्क नहीं मज़दूरी है</p>
<p> </p>
<p>सब देखतीं हैं सब झेलतीं हैं</p>
<p>ये आँखों की मजबूरी है</p>
<p> </p>
<p>मैं तुझ को कितना चाहता हूँ</p>
<p>ये कहना गैर ज़रूरी है - सलीम अहमद </p>
<p> </p>
<p><strong>मुतदारिक मुसद्दस मख़्बून मुसक्किन मुजाइफ़</strong></p>
<p><strong>फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन</strong></p>
<p><strong>22 22 22 22 22 22 </strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>इन सहमे हुए शहरों की फ़ज़ा कुछ कहती है</p>
<p>कभी तुम भी सुनो ये धरती क्या कुछ कहती है</p>
<p> </p>
<p>सब अपने घरों में तान के लम्बी सोते हैं</p>
<p>और दूर कहीं कोयल की सदा कुछ कहती है</p>
<p> </p>
<p>बेदार रहो, बेदार रहो, बेदार रहो, बेदार रहो</p>
<p>ऐ हमसफ़रो आवाज़े-दरा कुछ कहती है</p>
<p> </p>
<p>'नासिर'आसोबे-ज़माना से गाफिल न रहो</p>
<p>कुछ होता है जब ख़ल्के-ख़ुदा कुछ कहती है - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतदारिक मुसम्मन मख़्बून मुसक्किन महज़ूज़</strong></p>
<p><strong>फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा</strong><strong> </strong></p>
<p><strong>22 22 22 2</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>मुझ में बस तू ही तू है</p>
<p>मैं तेरा आईना हूँ - आरिफ़ हसन ख़ान</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतदारिक मुसम्मन मख़्बून मुसक्किन महज़ूज़ मुजाइफ़</strong></p>
<p><strong>फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा // फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा</strong><strong> </strong></p>
<p><strong>22 22 22 2 // 22 22 22 2</strong></p>
<p> </p>
<p>मुमकिन है सफ़र हो आसाँ अब साथ भी चल कर देखें</p>
<p>कुछ तुम भी बदल कर देखो कुछ हम भी बदल कर देखें</p>
<p></p>
<p>दो चार कदम हर रस्ता पहले की तरह लगता है<br/> शायद कोई मंजर बदले कुछ दूर तो चलकर देखें - निदा फ़ाज़ली</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतदारिक मुसम्मन मख़्बून मुसक्किन महज़ूज़ 16 रुक़्नी</strong></p>
<p><strong>फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा</strong><strong> </strong></p>
<p><strong>22 22 22 22 22 22 22 2</strong></p>
<p> </p>
<p>कतरा कतरा आंसू जिसकी तूफां तूफां शिद्दत है</p>
<p>पारा पारा दिल है जिसमें तूदा तूदा हसरत है - ज़ौक़</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतदारिक मुसम्मन मख़्बून मुजाइफ़</strong></p>
<p><strong>फ़इलुन फ़इलुन फ़इलुन फ़इलुन फ़इलुन फ़इलुन फ़इलुन फ़इलुन</strong><strong> </strong></p>
<p><strong>112 112 112 112 112 112 112 112 </strong></p>
<p> </p>
<p>नहीं इश्क़ में इस का तो रंज हमें कि क़रार-ओ-शकेब ज़रा न रहा</p>
<p>ग़म-ए-इश्क़ तो अपना रफ़ीक़ रहा कोई और बला से रहा न रहा</p>
<p> </p>
<p>न थी हाल की जब हमें अपने ख़बर रहे देखते औरों के ऐब-ओ-हुनर</p>
<p>पड़ी अपनी बुराइयों पर जो नज़र तो निगाह में कोई बुरा न रहा</p>
<p> </p>
<p>उसे चाहा था मैंने के रोक रखूँ मेरी जान भी जाए तो जाने न दूँ</p>
<p>किए लाख फ़रेब करोड़ फ़ुसूँ न रहा न रहा न रहा न रहा - बहादुर शाह ज़फ़र</p>
<p> </p>
<p>गए दोनों जहां के काम से हम न इधर के रहे न उधर के रहे </p>
<p>न खुदा ही मिला न विसाले - सनम न इधर के रहे न उधर के रहे - मिर्ज़ा सादिक़ शरर</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतदारिक मुसम्मन मख़्बून मुसक्किन मुजाइफ़</strong></p>
<p><strong>फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन // फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन</strong></p>
<p><strong>22 22 22 22 // 22 22 22 22</strong></p>
<p></p>
<p>बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था <br/> हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा - शौक़ बहराइची</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>तक़दीर का शिकवा बेमानी जीना ही तुझे मंज़ूर नहीं</p>
<p>आप अपना मुक़द्दर बन न सके इतना तो कोई मजबूर नहीं - मजरूह सुल्तानपुरी</p>
<p> </p>
<p>ऐ इश्क़ ये सब दुनिया वाले बे-कार की बातें करते हैं</p>
<p>पायल के ग़मों का इल्म नहीं झंकार की बातें करते हैं - शकील बदायुनी</p>
<p> </p>
<p>सब का तो मुदावा कर डाला अपना ही मुदावा कर न सके</p>
<p>सब के तो गरेबाँ सी डाले अपना ही गरेबाँ भूल गए - असरार-उल-हक़ मजाज़</p>
<p> </p>
<p>कब मेरा नशेमन अहल-ए-चमन गुलशन में गवारा करते हैं</p>
<p>ग़ुंचे अपनी आवाज़ों में बिजली को पुकारा करते हैं</p>
<p> </p>
<p>तारों की बहारों में भी 'क़मर' तुम अफ़्सुर्दा से रहते हो</p>
<p>फूलों को तो देखो काँटों में हँस हँस के गुज़ारा करते हैं - क़मर जलालवी</p>
<p> </p>
<p>'इंशा' जी उठो अब कूच करो इस शहर में जी को लगाना क्या</p>
<p>वहशी को सुकूँ से क्या मतलब जोगी का नगर में ठिकाना क्या</p>
<p> </p>
<p>उस को भी जला दुखते हुए मन इक शोला लाल भबूका बन</p>
<p>यूँ आँसू बन बह जाना क्या यूँ माटी में मिल जाना क्या - इब्ने इंशा</p>
<p> </p>
<p>ढूँडोगे अगर मुल्कों मुल्कों मिलने के नहीं नायाब हैं हम</p>
<p>जो याद न आए भूल के फिर ऐ हम-नफ़सो वो ख़्वाब हैं हम - शाद अज़ीमाबादी</p>
<p> </p>
<p>नए कपड़े बदल कर जाऊँ कहाँ और बाल बनाऊँ किस के लिए</p>
<p>वो शख़्स तो शहर ही छोड़ गया मैं बाहर जाऊँ किस के लिए</p>
<p> </p>
<p>वो शहर में था तो उस के लिए औरों से भी मिलना पड़ता था</p>
<p>अब ऐसे-वैसे लोगों के मैं नाज़ उठाऊँ किस के लिए - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p>टुक हिर्सो-हवा को छोड़ मियां मत देश विदेश फिरे मारा</p>
<p>कज़्ज़ाक़ अजल का लूटे हैं दिन रात बजा कर नक़्क़ारा</p>
<p>क्या बधिया, भैसा, बैल, शुतुर, क्या गौने, गल्ला सर भारा</p>
<p>क्या गेहूँ चावल मोठ मटर, क्या आग धुआँ और अंगारा</p>
<p>सब ठाठ पड़ा रह जायेगा जब लाद चलेगा बंजारा - नज़ीर अकबराबादी</p>
<p> </p>
<p>क्या लुत्फ़ रहा इस चाहत में जो हम चाहें और तुम हो ख़फ़ा</p>
<p>ये बात सुनी तो वो चंचल यूँ हँस कर बोला देखेंगे - नज़ीर अकबराबादी</p>
<p> </p>
<p>मरने की दुआएँ क्यूँ मांगूँ , जीने की तमन्ना कौन करे</p>
<p>यह दुनिया हो या वह दुनिया अब ख्वाहिश-ए-दुनिया कौन करे - मुईन अहसन जज़्बी</p>
<p> </p>
<p>ऐ मौज-ए-बला, उनको भी ज़रा दो-चार थपेड़े हल्के से</p>
<p>कुछ लोग अभी तक साहिल से तूफ़ां का नज़ारा करते हैं - मुईन अहसन जज़्बी</p>
<p></p>
<p></p>
<p><strong>हज़ज</strong></p>
<p></p>
<p><strong>हज़ज</strong><strong> </strong> <strong>मुरब्बा सालिम</strong></p>
<p><strong>मुफ़ाईलुन</strong><strong> </strong> <strong>मुफ़ाईलुन</strong></p>
<p><strong>1222 1222</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>हिलाले-ईद जाँ-अफ़ज़ा</p>
<p>दिखाई दे गया हर जा</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>जवानो-पीर गाते हैं</p>
<p>नहीं फूले समाते हैं - फ़रमान अली सुजानपुरी</p>
<p> </p>
<p><strong>हज़ज</strong><strong> </strong> <strong>मुरब्बा अश्तर</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन</strong></p>
<p><strong>212 1222 </strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>चाँद की कगर रौशन</p>
<p>शब के बाम-ओ-दर रौशन</p>
<p> </p>
<p>इक लकीर बिजली की</p>
<p>और रहगुज़र रौशन - मोहम्मद अल्वी</p>
<p> </p>
<p>धूप ने गुज़ारिश की</p>
<p>एक बूँद बारिश की - मोहम्मद अल्वी</p>
<p> </p>
<p>कश्तियों कि लाशों पर</p>
<p>जमघटा है चीलों का</p>
<p> </p>
<p>देख कर चलो नासिर</p>
<p>दश्त है ये फ़ीलों का - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p><strong>हज़ज मुरब्बा अश्तर महज़ूफ़</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलुन फ़ऊलुन</strong></p>
<p><strong>212 122</strong></p>
<p> </p>
<p>रात ढल रही है</p>
<p>नाव चाल रही है</p>
<p> </p>
<p>लोग सो रहे हैं</p>
<p>रुत बदल रही है</p>
<p> </p>
<p>जाहिलों की खेती</p>
<p>फूल फल रही है - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p><strong>हज़ज मुरब्बा अश्तर मक़्बूज़</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलुन मफ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>212 1212</strong></p>
<p> </p>
<p>ग़म है या ख़ुशी है तू</p>
<p>मेरी ज़िंदगी है तू</p>
<p> </p>
<p>आफ़तों के दौर में</p>
<p>चैन की घड़ी है तू - नासिर काज़मी</p>
<p><strong> </strong></p>
<p><strong>हज़ज</strong> <strong> </strong><strong>मुरब्बा अश्तर मुजाइफ़</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन</strong></p>
<p><strong>212 1222 212 1222</strong></p>
<p> </p>
<p>आ निकल के मैदाँ में दो-रुख़ी के ख़ाने से</p>
<p>काम चल नहीं सकता अब किसी बहाने से</p>
<p> </p>
<p>अब जुनूँ पे वो साअत आ पड़ी कि ऐ 'मजरूह'</p>
<p>आज ज़ख़्म-ए-सर बेहतर दिल पे चोट खाने से - मजरूह सुल्तानपुरी</p>
<p> </p>
<p>हुस्न के समझने को उम्र चाहिए जानाँ</p>
<p>दो घड़ी की चाहत में लड़कियाँ नहीं खुलतीं - परवीन शाकिर</p>
<p> </p>
<p>अब नहीं मिलेंगे हम कूचा-ए-तमन्ना में</p>
<p>कूचा-ए-तमन्ना में अब नहीं मिलेंगे हम - जौन एलिया</p>
<p> </p>
<p>इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई की</p>
<p>आज पहली बार उस से मैं ने बेवफ़ाई की - अहमद फ़राज़</p>
<p> </p>
<p>शहर के अंधेरे को इक चराग़ काफ़ी है</p>
<p>सौ चराग़ जलते हैं इक चराग़ जलने से - एहतिशाम अख्तर</p>
<p> </p>
<p><strong>हज़ज मुसद्दस सालिम</strong></p>
<p><strong>मुफ़ाईलुन</strong><strong> </strong> <strong>मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन</strong><strong> </strong></p>
<p><strong>1222 1222 1222 </strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>तुम्हें भी इस बहाने याद कर लेंगे</p>
<p>इधर दो चार पत्थर फेंक दो तुम भी - दुष्यंत कुमार</p>
<p></p>
<p><strong>हज़ज सालिम 12 रुक़्नी</strong></p>
<p><strong>मुफ़ाईलुन</strong><strong> </strong> <strong>मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन</strong><strong> मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन </strong></p>
<p><strong>1222 1222 1222 1222 1222 1222</strong></p>
<p></p>
<p>तुम्हारा हाथ जब मेरे लरज़ते हाथ से छूटा ख़िज़ाँ के आख़िरी दिन थे</p>
<p>वो मोहकम बे-लचक वादा खिलौने की तरह टूटा ख़िज़ाँ के आख़िरी दिन थे</p>
<p></p>
<p>लिखा था एक तख़्ती पर कोई भी फूल मत तोड़े मगर आँधी तो अन-पढ़ थी</p>
<p>सो जब वो बाग़ से गुज़री कोई उखड़ा कोई टूटा ख़िज़ाँ के आख़िरी दिन थे - अमजद इस्लाम 'अमजद' </p>
<p> </p>
<p><strong>हज़ज मुसद्दस अख़रब मक़बूज़ महज़ूफ़</strong></p>
<p><strong>मफ़ऊलु मुफ़ाइलुन फ़ऊलुन</strong></p>
<p><strong>221 1212 122</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>आँखों में कटी पहाड़ सी रात</p>
<p>सो जा दिले-बेकरार कुछ देर - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p>मोती की तरह जो हो ख़ुदा-दाद</p>
<p>थोड़ी सी भी आबरू बहुत है - अमीर मीनाई</p>
<p> </p>
<p>पहले तो मुझे कहा निकालो</p>
<p>फिर बोले ग़रीब है बुला लो</p>
<p> </p>
<p>बे-दिल रखने से फ़ाएदा क्या</p>
<p>तुम जान से मुझ को मार डालो - अमीर मीनाई</p>
<p> </p>
<p>आँखों में जो बात हो गई है</p>
<p>इक शरह-ए-हयात हो गई है</p>
<p> </p>
<p>मुद्दत से ख़बर मिली न दिल की</p>
<p>शायद कोई बात हो गई है</p>
<p> </p>
<p>इक़रार-ए-गुनाह-ए-इश्क़ सुन लो</p>
<p>मुझ से इक बात हो गई है</p>
<p> </p>
<p>इस दौर में ज़िंदगी बशर की</p>
<p>बीमार की रात हो गई है</p>
<p> </p>
<p>इक्का-दुक्का सदा-ए-ज़ंजीर</p>
<p>ज़िंदाँ में रात हो गई है - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p><strong>हज़ज</strong><strong> </strong> <strong>मुसद्दस</strong><strong> </strong> <strong>महज़ूफ़</strong></p>
<p><strong>मुफ़ाईलुन</strong><strong> </strong> <strong>मुफ़ाईलुन</strong><strong> </strong> <strong>फ़ऊलुन</strong></p>
<p><strong>1222 1222 122</strong></p>
<p> </p>
<p>बहुत मुश्किल है दुनिया का सँवरना</p>
<p>तेरी ज़ुल्फ़ों का पेच-ओ-ख़म नहीं है - असरार-उल-हक़ मजाज़</p>
<p> </p>
<p>करें क्या दिल उसी को माँगता है</p>
<p>ये साला भी हटीला हो गया है - मोहम्मद अल्वी</p>
<p> </p>
<p>मैं बिछड़ों को मिलाने जा रहा हूँ</p>
<p>चलो दीवार ढाने जा रहा हूँ - फ़रहत एहसास</p>
<p> </p>
<p>नसीब अच्छे अगर बुलबुल के होते</p>
<p>तो क्या पहलू में कांटे, गुल के होते - बहादुर शाह ज़फ़र</p>
<p> </p>
<p>उसे शोहरत ने तन्हा कर दिया है</p>
<p>समंदर है मगर प्यासा बहुत है</p>
<p> </p>
<p>मेरा हँसना ज़रूरी हो गया है</p>
<p>यहाँ हर शख्स संजीदा बहुत है - बशीर बद्र</p>
<p> </p>
<p>जिसे देखो ग़ज़ल पहने हुए है</p>
<p>बहुत सस्ता ये ज़ेवर वो गया है</p>
<p> </p>
<p>असर है ये हमारी दस्तकों का</p>
<p>जहाँ दीवार थी दर हो गया है - विकास शर्मा 'राज़'</p>
<p> </p>
<p>मुहब्बत करने वाले कम न होंगे</p>
<p>तिरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे</p>
<p> </p>
<p>ज़माने भर के ग़म या इक तेरा ग़म</p>
<p>ये ग़म होगा तो कितने ग़म न होंगे - हफ़ीज़ होशियारपुरी</p>
<p> </p>
<p>तिरी चाहत के भीगे जंगलों में</p>
<p>मेरा तन मोर बन कर नाचता है</p>
<p> </p>
<p>मैं उस की दस्तरस में हूँ मगर वो</p>
<p>मुझे मेरी रज़ा से माँगता है - परवीन शाकिर</p>
<p> </p>
<p>न जाना आज तक क्या शै खुशी है</p>
<p>हमारी ज़िन्दगी भी ज़िन्दगी है</p>
<p> </p>
<p>इसे सुन लो, सबब इसका ना पूछो</p>
<p>मुझे तुम से मुहब्बत हो गई है - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>ये माना ज़िन्दगी है चार दिन की</p>
<p>बहुत होते हैं यारों चार दिन भी - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>मुहब्बत अब मुहब्बत हो चली है</p>
<p>तुझे कुछ भूलता-सा जा रहा हूँ - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>तेरे आने का धोका सा रहा है</p>
<p>दिया सा रात भर जलता रहा है - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p>हमारे घर की दीवारों पे 'नासिर'</p>
<p>उदासी बाल खोले सो रही है - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p>ख़मोशी उँगलियाँ चटख़ा रही है</p>
<p>तेरी आवाज़ अब तक आ रही है - नासिर काज़मी</p>
<p></p>
<p>रहा क्या जब दिलों में फ़र्क़ आया</p>
<p>उसी दिन से जुदाई हो चुकी बस - यास यगाना चंगेजी</p>
<p></p>
<p><strong>हज़ज मुसम्मन सालिम</strong></p>
<p><strong>मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन</strong></p>
<p><strong>1222 1222 1222 1222</strong></p>
<p> </p>
<p>ये मुमकिन है वो उनको मौत की सरहद पे ले जायें</p>
<p>परिंदों को मगर अपने परों से डर नहीं लगता - सलीम अहमद</p>
<p></p>
<p>गनीमे वक़्त के हमले का मुझ को खौफ रहता है</p>
<p>मैं कागज़ के सिपाही काट कर लश्कर बनाता हूँ - सलीम अहमद</p>
<p></p>
<p>यहाँ मज़बूत से मज़बूत लोहा टूट जाता है</p>
<p>कई झूटे इकट्ठे हों तो सच्चा टूट जाता है - हसीब सोज़</p>
<p> </p>
<p>वही जीने की आज़ादी वही मरने की जल्दी है</p>
<p>दिवाली देख ली हम ने दसहरे कर लिए हम ने - साक़ी फ़ारुक़ी</p>
<p> </p>
<p>हमीं से कोई कोशिश हो न पाई कारगर वर्ना</p>
<p>हर इक नाक़िस यहाँ का पीर-ए-कामिल होने वाला है</p>
<p> </p>
<p>चलो इस मरहले पर ही कोई तदबीर कर देखो</p>
<p>वगर्ना शहर में पानी तो दाख़िल होने वाला है - ज़फ़र इक़बाल</p>
<p></p>
<p>अक़ाएद वहम हैं मज़हब ख़याल-ए-ख़ाम है साक़ी</p>
<p>अज़ल से ज़ेहन-ए-इंसाँ बस्ता-ए-औहाम है साक़ी</p>
<p> </p>
<p>मेरे साग़र में मय है और तेरे हाथों में बरबत है</p>
<p>वतन की सर-ज़मीं में भूक से कोहराम है साक़ी</p>
<p> </p>
<p>ज़माना बरसर-ए-पैकार है पुर-हौल शोलों से</p>
<p>तेरे लब पर अभी तक नग़्मा-ए-ख़य्याम है साक़ी - साहिर लुधियानवी</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>न गुल अपना न ख़ार अपना न ज़ालिम बाग़बाँ अपना</p>
<p>बनाया आह किस गुलशन में हम ने आशियाँ अपना - नज़ीर अकबराबादी</p>
<p> </p>
<p>ख़मोशी से मुसीबत और भी संगीन होती है</p>
<p>तड़प ऐ दिल तड़पने से ज़रा तस्कीन होती है - शाद अज़ीमाबादी</p>
<p> </p>
<p>जवानी को बचा सकते तो हैं हर दाग़ से वाइ'ज़</p>
<p>मगर ऐसी जवानी को जवानी कौन कहता है - फ़ानी बदायुनी</p>
<p> </p>
<p>मुहब्बत के लिए कुछ ख़ास दिल मख़्सूस होते हैं</p>
<p>ये वो नग़्मा है जो हर साज़ पर गाया नहीं जाता - मख़्मूर देहलवी</p>
<p> </p>
<p>हवा उस को उड़ा ले जाए अब या फूँक दे बिजली</p>
<p>हिफ़ाज़त कर नहीं सकता मेरी जब आशियाँ मेरा - जगत मोहन लाल रवाँ</p>
<p> </p>
<p>तुम्हारा दिल मेरे दिल के बराबर हो नहीं सकता</p>
<p>वो शीशा हो नहीं सकता ये पत्थर हो नहीं सकता - दाग़ देहलवी</p>
<p> </p>
<p>मिलाते हो उसी को ख़ाक में जो दिल से मिलता है</p>
<p>मेरी जाँ चाहने वाला बड़ी मुश्किल से मिलता है - दाग़ देहलवी</p>
<p> </p>
<p>सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता</p>
<p>निकलता आ रहा है आफ़्ताब आहिस्ता आहिस्ता - अमीर मीनाई</p>
<p> </p>
<p>सदाक़त हो तो दिल सीनों से खिंचने लगते हैं वाइ'ज़</p>
<p>हक़ीक़त ख़ुद को मनवा लेती है मानी नहीं जाती - जिगर मुरादाबादी</p>
<p> </p>
<p>वही साक़ी वही साग़र वही शीशा वही बादा</p>
<p>मगर लाज़िम नहीं हर एक पर यकसाँ असर होना - यास यगाना चंगेजी</p>
<p> </p>
<p>मुझे दिल की ख़ता पर 'यास' शरमाना नहीं आता</p>
<p>पराया जुर्म अपने नाम लिखवाना नहीं आता</p>
<p> </p>
<p>सरापा राज़ हूँ मैं क्या बताऊँ कौन हूँ क्या हूँ</p>
<p>समझता हूँ मगर दुनिया को समझाना नहीं आता - यास यगाना चंगेजी</p>
<p> </p>
<p>किया है बेअदब ख़ालिक ने पैदा, ऐ 'ज़फ़र' जिनको</p>
<p>करे क्या फ़ायदा उनको, अदब देना अदीबों का – बहादुर शाह ‘ज़फ़र’</p>
<p> </p>
<p>किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई</p>
<p>मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई - मुनव्वर राना</p>
<p> </p>
<p>लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुस्कुराती है</p>
<p>मैं उर्दू में ग़ज़ल कहता हूँ हिन्दी मुस्कुराती है - मुनव्वर राना</p>
<p> </p>
<p>बहुत नौहागरी करते हैं दिल के टूट जाने की</p>
<p>कभी आप अपनी चीज़ों की निगहबानी भी करते हैं - इरफ़ान सिद्दीक़ी</p>
<p> </p>
<p>चला जाता हूँ हँसता खेलता मौज-ए-हवादिस से</p>
<p>अगर आसानियाँ हों ज़िंदगी दुश्वार हो जाए - असग़र गोंडवी</p>
<p> </p>
<p>ख़ुदावंदा ये तेरे सादा-दिल बंदे किधर जाएँ</p>
<p>कि दरवेशी भी अय्यारी है सुल्तानी भी अय्यारी - अल्लामा इक़बाल</p>
<p> </p>
<p>ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले</p>
<p>ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है - अल्लामा इक़बाल</p>
<p> </p>
<p>हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है</p>
<p>बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा - अल्लामा इक़बाल</p>
<p> </p>
<p>तेरे माथे पे ये आँचल तो बहुत ही ख़ूब है लेकिन</p>
<p>तू इस आँचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था - असरार-उल-हक़ मजाज़</p>
<p> </p>
<p>चमन में इख़्तिलात-ए-रंग-ओ-बू से बात बनती है</p>
<p>हमीं हम हैं तो क्या हम हैं तुम्ही तुम हो तो क्या तुम हो - सरशार सैलानी</p>
<p> </p>
<p>तुम्हें ग़ैरों से कब फ़ुर्सत हम अपने ग़म से कम ख़ाली</p>
<p>चलो बस हो चुका मिलना न तुम ख़ाली न हम ख़ाली - जाफ़र अली हसरत</p>
<p> </p>
<p>डिनर से तुम को फ़ुर्सत कम यहाँ फ़ाक़े से कम ख़ाली</p>
<p>चलो बस हो चुका मिलना न तुम ख़ाली न हम ख़ाली - अकबर इलाहाबादी</p>
<p> </p>
<p>मिटा दे अपनी हस्ती को अगर कुछ मर्तबा चाहे</p>
<p>कि दाना ख़ाक में मिल कर गुल-ओ-गुलज़ार होता है - सय्यद मोहम्मद मस्त कलकत्तवी</p>
<p> </p>
<p>जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता</p>
<p>मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता - जावेद अख़्तर</p>
<p> </p>
<p>हमारा झूठ इक चूमकार है बेदर्द दुनिया को</p>
<p>हमारे झूठ से बदतर जमाने की सचाई है - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं</p>
<p>तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>कमर बाँधे हुए चलने को याँ सब यार बैठे हैं</p>
<p>बहुत आगे गए बाक़ी जो हैं तय्यार बैठे हैं - इंशा अल्लाह ख़ान</p>
<p> </p>
<p>उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो</p>
<p>न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए - बशीर बद्र</p>
<p> </p>
<p>अगर बख़्शे ज़हे क़िस्मत न बख़्शे तो शिकायत क्या</p>
<p>सर-ए-तस्लीम ख़म है जो मिज़ाज-ए-यार में आए - नवाब अली असग़र</p>
<p> </p>
<p>बड़ी हसरत से इंसाँ बचपने को याद करता है</p>
<p>ये फल पक कर दोबारा चाहता है ख़ाम हो जाए - नुशूर वाहिदी</p>
<p> </p>
<p>दिया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता है</p>
<p>चले आओ जहाँ तक रौशनी मालूम होती है - नुशूर वाहिदी</p>
<p> </p>
<p><strong>हज़ज मुसम्मन महज़ूफ़</strong></p>
<p><strong>मुफ़ाईलुन</strong><strong> </strong> <strong>मुफ़ाईलुन</strong><strong> </strong> <strong>मुफ़ाईलुन</strong> <strong> </strong><strong>फ़ऊलुन</strong></p>
<p><strong>1222 1222 1222 122</strong></p>
<p> </p>
<p>ख़राबी हो रही है तो फ़क़त मुझ में ही सारी</p>
<p>मेरे चारों तरफ़ तो ख़ूब अच्छा हो रहा है - ज़फ़र इक़बाल</p>
<p> </p>
<p>चट्टानों से जहाँ थी गुफ़्तुगू-ए-सख़्त लाज़िम</p>
<p>वहीं शीरीं-सुख़न लहजे मुलाएम हो गए हैं - मुसव्विर सब्ज़वारी </p>
<p> </p>
<p>मुझे तन्हाई की आदत है मेरी बात छोड़ें</p>
<p>ये लीजे आप का घर आ गया है हाथ छोड़ें - जावेद सबा</p>
<p> </p>
<p>बुतों पे जान जाती है खुदा मारे कि छोड़े</p>
<p>उन्ही कि तर्ज़ भाती है खुदा मारे कि छोड़े - बहादुरशाह ज़फ़र</p>
<p> </p>
<p><strong>हज़ज मुसम्मन सालिम महज़ूफ़</strong> <strong>16</strong> <strong>रुक़्नी</strong></p>
<p><strong>मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन</strong></p>
<p><strong>1222 1222 1222 1222 1222 1222 1222 122</strong></p>
<p> </p>
<p>ज़रा मौसम तो बदला है मगर पेड़ों की शाख़ों पर नए पत्तों के आने में अभी कुछ दिन लगेंगे</p>
<p>बहुत से ज़र्द चेहरों पर ग़ुबार-ए-ग़म है कम बे-शक पर उन को मुस्कुराने में अभी कुछ दिन लगेंगे</p>
<p> </p>
<p>जहाँ इतने मसाइब हों जहाँ इतनी परेशानी किसी का बेवफ़ा होना है कोई सानेहा क्या</p>
<p>बहुत माक़ूल है ये बात लेकिन इस हक़ीक़त तक दिल-ए-नादाँ को लाने में अभी कुछ दिन लगेंगे - जावेद अख़्तर</p>
<p> </p>
<p><strong>हज़ज</strong><strong> </strong> <strong>मुसद्दस</strong><strong> </strong> <strong>मक़्बूज़</strong></p>
<p><strong>मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>1212 1212 1212</strong></p>
<p> </p>
<p>वो साहिलों पे गाने वाले क्या हुए</p>
<p>वो कश्तियाँ चलाने वाले क्या हुए</p>
<p> </p>
<p>वो सुब्ह आते आते रह गई कहाँ</p>
<p>जो क़ाफ़िले थे आने वाले क्या हुए</p>
<p> </p>
<p>अकेले घर से पूछती है बेकसी</p>
<p>तेरा दिया जलाने वाले क्या हुए - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p><strong>हज़ज</strong><strong> </strong> <strong>मुसम्मन</strong><strong> </strong> <strong>मक़्बूज़</strong></p>
<p><strong>मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन</strong><strong> </strong> <strong>मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन</strong><strong> </strong></p>
<p><strong>1212 1212 1212 1212</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>वो सर्दियों की धूप की तरह ग़ुरूब हो गया</p>
<p>लिपट रही है याद जिस्म से लिहाफ़ की तरह - मुसव्विर सब्ज़वारी</p>
<p> </p>
<p>हथेलियों की ओट ही चराग़ ले चलूँ अभी</p>
<p>अभी सहर का ज़िक्र है रिवायतों के दरमियाँ - अदा जाफ़री</p>
<p> </p>
<p>जमाहियाँ सी ले रहे हैं आसमान पर नुज़ूम</p>
<p>सुना रही है ज़िन्दगी, फ़साने कटती रात के - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>लहू-चशीदा हाथ उस ने चूम कर दिखा दिया</p>
<p>जज़ा वहाँ मिली जहाँ कि मरहला सज़ा का था - परवीन शाकिर</p>
<p> </p>
<p>सुख़नवरों ने ख़ुद बना दिया सुख़न को एक मज़ाक</p>
<p>ज़रा-सी दाद क्या मिली ख़िताब माँगने लगे - राहत इन्दौरी</p>
<p> </p>
<p>दयार-ए-दिल की रात में चराग़ सा जला गया</p>
<p>मिला नहीं तो क्या हुआ वो शक्ल तो दिखा गया</p>
<p> </p>
<p>जुदाइयों के ज़ख़्म दर्द-ए-ज़िंदगी ने भर दिए</p>
<p>तुझे भी नींद आ गई मुझे भी सब्र आ गया - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p><strong>हज़ज</strong><strong> </strong> <strong>मुसम्मन अखरब मकफ़ूफ़ मकफ़ूफ़ मुखन्नक</strong></p>
<p><strong>मफ़ऊलु मुफ़ाईलुन मफ़ऊलु मुफ़ाईलुन</strong></p>
<p><strong>221 1222 221 1222</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने</p>
<p>लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई - मुज़फ़्फ़र रज़्मी</p>
<p></p>
<p>साहिल के तमाशाई हर डूबने वाले पर <br/> अफ़्सोस तो करते हैं इमदाद नहीं करते - फ़ना निज़ामी कानपुरी</p>
<p> </p>
<p>दो तुंद हवाओं पर बुनियाद है तूफां की</p>
<p>या तुम न हसीं होते या मैं न जवां होता - आरज़ू लखनवी</p>
<p> </p>
<p>बुत है कि ख़ुदा है वो माना है न मानूँगा</p>
<p>उस शोख़ से जब तक मैं ख़ुद मिल नहीं आने का</p>
<p> </p>
<p>गर दिल की ये महफ़िल है ख़र्चा भी हो फिर दिल का</p>
<p>बाहर से तो सामान-ए-महफ़िल नहीं आने का - जौन एलिया</p>
<p> </p>
<p>ग़म हो कि ख़ुशी दोनों कुछ दूर के साथी हैं</p>
<p>फिर रस्ता ही रस्ता है हँसना है न रोना है - निदा फ़ाज़ली</p>
<p> </p>
<p>शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है</p>
<p>जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है - बशीर बद्र</p>
<p> </p>
<p>या-रब ग़म-ए-हिज्राँ में इतना तो किया होता</p>
<p>जो हाथ जिगर पर है वो दस्त-ए-दुआ होता</p>
<p> </p>
<p>इक इश्क़ का ग़म आफ़त और उस पे ये दिल आफ़त</p>
<p>या ग़म न दिया होता या दिल न दिया होता</p>
<p> </p>
<p>नाकाम-ए-तमन्ना दिल इस सोच में रहता है</p>
<p>यूँ होता तो क्या होता यूँ होता तो क्या होता</p>
<p> </p>
<p>उम्मीद तो बंध जाती तस्कीन तो हो जाती</p>
<p>वादा न वफ़ा करते वादा तो किया होता</p>
<p> </p>
<p>ग़ैरों से कहा तुम ने ग़ैरों से सुना तुम ने</p>
<p>कुछ हम से कहा होता कुछ हम से सुना होता - चराग़ हसन हसरत</p>
<p> </p>
<p>ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना ही समझ लीजे</p>
<p>इक आग का दरिया है और डूब के जाना है - जिगर मुरादाबादी</p>
<p> </p>
<p>हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम</p>
<p>वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता - अकबर इलाहाबादी</p>
<p> </p>
<p>हंगामा है क्यो बर्पा थोड़ी सी जो पी ली है</p>
<p>डाका तो नही डाला चोरी तो नहीं की है - अकबर अलाहाबादी</p>
<p> </p>
<p>कब ठहरेगा दर्दे दिल कब रात बसर होगी</p>
<p>सुनते थे वो आयेंगे सुनते थे सहर होगी - फैज़ अहमद फैज़</p>
<p> </p>
<p><strong>हज़ज मुसम्मन अख़रब मकफ़ूफ़ महज़ूफ़</strong></p>
<p><strong>मफ़ऊलु मुफाईलु मुफाईलु</strong><strong> </strong> <strong>फ़ऊलुन</strong></p>
<p><strong>221 1221 1221 122</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>औरत के ख़ुदा दो हैं हक़ीक़ी-ओ-मजाज़ी</p>
<p>पर उस के लिए कोई भी अच्छा नहीं होता - ज़ेहरा निगाह</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>अब आए हो दुनिया में तो यूँ मुँह न बिगाड़ो</p>
<p>दो रोज़ तो रहना है बुरी है तो बुरी है - मोहम्मद अल्वी</p>
<p> </p>
<p>फ़रमान से पेड़ों पे कभी फल नहीं लगते</p>
<p>तलवार से मौसम कोई बदला नहीं जाता - मुज़फ्फ़र वारसी</p>
<p> </p>
<p>दिल टूट भी जाए तो मुहब्बत नहीं मिटती</p>
<p>इस राह में लुट कर भी ख़सारा नहीं होता - मुज़फ़्फ़र वारसी</p>
<p> </p>
<p>तुम राह में चुपचाप खड़े हो तो गए हो</p>
<p>किस किस को बताओगे कि घर क्यूँ नहीं जाते - अमीर आग़ा क़ज़लबाश</p>
<p> </p>
<p>हम आप क़यामत से गुज़र क्यूँ नहीं जाते</p>
<p>जीने की शिकायत है तो मर क्यूँ नहीं जाते - महबूब-ख़िज़ाँ</p>
<p> </p>
<p>ऐ दोस्त मैं ख़ामोश किसी डर से नहीं था</p>
<p>क़ाइल ही तिरी बात का अंदर से नहीं था - राजेन्द्र मनचन्दा 'बानी'</p>
<p> </p>
<p>जिस दिल में तिरी ज़ुल्फ़ का सौदा नहीं होता</p>
<p>वो दिल नहीं होता नहीं होता नहीं होता - ऐश देहलवी</p>
<p> </p>
<p>होंटों पे कभी उन के मेरा नाम ही आए</p>
<p>आए तो सही बर-सर-ए-इलज़ाम ही आए - अदा जाफ़री</p>
<p> </p>
<p>हम उन में हैं जिन की कोई हस्ती नहीं होती</p>
<p>हम टूट भी जाएँ तो तमाशा नहीं होता - मोहसिन असरार</p>
<p> </p>
<p>आधी से ज़ियादा शब-ए-ग़म काट चुका हूँ</p>
<p>अब भी अगर आ जाओ तो ये रात बड़ी है - साक़िब लखनवी</p>
<p> </p>
<p>सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं</p>
<p>हम देखने वालों की नज़र देख रहे हैं - दाग़ देहलवी</p>
<p> </p>
<p>ये जिस्म है या कृष्न की बंशी की कोई टेर</p>
<p>बल खाया हुआ रूप है या शोला-ए-पेचाँ - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता</p>
<p>जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता - निदा फ़ाज़ली</p>
<p> </p>
<p>गर एक ग़ज़ब हो तो कोई उस को उठावे</p>
<p>रफ़्तार ग़ज़ब है तिरी गुफ़्तार ग़ज़ब है - मुसहफ़ी</p>
<p> </p>
<p>अब घर भी नहीं घर की तमन्ना भी नहीं है</p>
<p>मुद्दत हुई सोचा था कि घर जाएँगे इक दिन - साक़ी फ़ारुक़ी</p>
<p> </p>
<p>शामिल पस-ए-पर्दा भी हैं इस खेल में कुछ लोग</p>
<p>बोलेगा कोई होंट हिलाएगा कोई और - आनिस मुईन</p>
<p> </p>
<p>है कौन कि जो ख़ुद को ही जलता हुआ देखे</p>
<p>सब हाथ हैं काग़ज़ के दिया दें तो किसे दें - आनिस मुईन</p>
<p> </p>
<p>कुछ तो तेरे मौसम ही मुझे रास कम आए</p>
<p>और कुछ मेरी मिट्टी में बग़ावत भी बहुत थी</p>
<p> </p>
<p>इस तर्क-ए-रिफ़ाक़त पे परेशाँ तो हूँ लेकिन</p>
<p>अब तक के तेरे साथ पे हैरत भी बहुत थी</p>
<p> </p>
<p>ख़ुश आए तुझे शहर-ए-मुनाफ़िक़ की अमीरी</p>
<p>हम लोगों को सच कहने की आदत भी बहुत थी - परवीन शाकिर</p>
<p> </p>
<p>मुश्किल है कि अब शहर में निकले कोई घर से</p>
<p>दस्तार पे बात आ गई होती हुई सर से</p>
<p> </p>
<p>कल रात जो ईंधन के लिए कट के गिरा है</p>
<p>चिड़ियों को बहुत प्यार था उस बूढ़े शजर से</p>
<p> </p>
<p>निकले हैं तो रस्ते में कहीं शाम भी होगी</p>
<p>सूरज भी मगर आएगा इस रहगुज़र से - परवीन शाकिर</p>
<p> </p>
<p>उस ग़ैरत-ए-नाहीद की हर तान है दीपक</p>
<p>शो'ला सा लपक जाए है आवाज़ तो देखो - मोमिन ख़ाँ मोमिन</p>
<p> </p>
<p>अब रात की दीवार को ढाना है ज़रूरी</p>
<p>ये काम मगर मुझ से अकेले नहीं होगा - शहरयार</p>
<p> </p>
<p>उम्मीद से कम चश्म-ए-ख़रीदार में आए</p>
<p>हम लोग ज़रा देर से बाज़ार में आए - शहरयार</p>
<p> </p>
<p>सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है</p>
<p>इस शहर में हर शख़्स परेशान सा क्यूँ है - शहरयार</p>
<p> </p>
<p>ये क्या है मुहब्बत में तो ऐसा नहीं होता</p>
<p>मैं तुझ से जुदा हो के भी तन्हा नहीं होता - शहरयार</p>
<p> </p>
<p>चलता ही नहीं दानिश ओ हिकमत से कोई काम</p>
<p>बनती है यहाँ बात हिमाक़त से ज़ियादा - सुल्तान अख़्तर</p>
<p> </p>
<p>दिल साफ़ हो किस तरह कि इंसाफ़ नहीं है</p>
<p>इंसाफ़ हो किस तरह कि दिल साफ़ नहीं है - मिर्ज़ा सलामत अली दबीर</p>
<p> </p>
<p>दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ</p>
<p>बाज़ार से गुजरा हूँ खरीदार नहीं हूँ - अकबर इलाहाबादी</p>
<p></p>
<p>खींचो न कमानों को न तलवार निकालो <br/> जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो - अकबर इलाहाबादी</p>
<p> </p>
<p>दामन पे कोई छींट न ख़ंजर पे कोई दाग़</p>
<p>तुम क़त्ल करो हो कि करामात करो हो - कलीम आजिज़</p>
<p> </p>
<p>चल साथ कि हसरत दिल-ए-मरहूम से निकले</p>
<p>आशिक़ का जनाज़ा है ज़रा धूम से निकले - मिर्ज़ा मोहम्मद अली फ़िदवी</p>
<p> </p>
<p>रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ</p>
<p>आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ - अहमद फ़राज़</p>
<p> </p>
<p><strong>रमल</strong></p>
<p> </p>
<p><strong>रमल मुसद्दस सालिम</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन</strong></p>
<p><strong>2122 2122 2122 </strong></p>
<p> </p>
<p>अपने होंटों पर सजाना चाहता हूँ</p>
<p>आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ</p>
<p> </p>
<p>थक गया मैं करते करते याद तुझ को</p>
<p>अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ - क़तील शिफ़ाई</p>
<p> </p>
<p><strong>रमल मुसद्दस महज़ूफ़</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>2122 2122 212</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>मौत तो आनी है आएगी मगर</p>
<p>और भी जीने में नुक़साँ हैं बहुत - मोहम्मद अल्वी </p>
<p> </p>
<p>ज़िंदगी-भर मेरे काम आए उसूल</p>
<p>एक इक कर के उन्हें बेचा किया</p>
<p> </p>
<p>बंध गई थी दिल में कुछ उम्मीद सी</p>
<p>ख़ैर तुम ने जो किया अच्छा किया - जावेद अख़्तर</p>
<p> </p>
<p>इश्क़ है मैं हूँ दिल-ए-नाकाम है</p>
<p>इस के आगे बस ख़ुदा का नाम है - आनंद नारायण मुल्ला</p>
<p> </p>
<p>उन का ग़म उन का तसव्वुर उन की याद</p>
<p>कट रही है ज़िंदगी आराम से - महशर इनायती</p>
<p> </p>
<p>झूटे वादों पर थी अपनी ज़िंदगी</p>
<p>अब तो वो भी आसरा जाता रहा - अज़ीज़ लखनवी</p>
<p> </p>
<p>हारने में इक अना की बात थी</p>
<p>जीत जाने में ख़सारा और है - परवीन शाकिर</p>
<p> </p>
<p>क्या हुए सूरत-निगाराँ ख़्वाब के</p>
<p>ख़्वाब के सूरत-निगाराँ क्या हुए - जौन एलिया</p>
<p> </p>
<p>उन का ज़िक्र उन की तमन्ना उन की याद</p>
<p>वक़्त कितना क़ीमती है आज कल - शकील बदायुनी</p>
<p> </p>
<p>रंज़ की जब ग़ुफ़्तगू होने लगी</p>
<p>आप से तुम तुम से तू होने लगी - दाग़ देहलवी</p>
<p> </p>
<p><strong>रमल</strong><strong> </strong> <strong>मुसद्दस सालिम</strong> <strong>मख़्बून महज़ूफ़ मुसक्किन</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन</strong><strong> </strong> <strong>फ़इलातुन</strong><strong> </strong> <strong>फ़ेलुन</strong></p>
<p><strong>2122 1122 22</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>पहले आँखों में समंदर रक्खा</p>
<p>फिर मेरी प्यास पे पत्थर रक्खा</p>
<p> </p>
<p>आबो-दाना तो नज़र भर रक्खा</p>
<p>मुझको हर लम्हा सफ़र पर रक्खा</p>
<p> </p>
<p>मैं तेरी आग जला और तूने</p>
<p>पाँव पानी पे संभल कर रक्खा - अब्दुल्लाह कमाल</p>
<p> </p>
<p>आग अपने ही लगा सकते हैं</p>
<p>ग़ैर तो सिर्फ़ हवा देते हैं - मोहम्मद अल्वी</p>
<p> </p>
<p>उलझनें और भी थीं उस के लिए</p>
<p>एक मैं भी था मुसीबत उस की - मोहम्मद अल्वी</p>
<p> </p>
<p>सोचने बैठें तो इस दुनिया में</p>
<p>एक लम्हा न गुज़ारा जाए - मोहम्मद अल्वी</p>
<p> </p>
<p>दोस्त हर ऐब छुपा लेते हैं</p>
<p>कोई दुश्मन भी तेरा है कि नहीं - बाक़ी सिद्दीक़ी</p>
<p> </p>
<p>पहले हर बात पे हम सोचते थे</p>
<p>अब फ़क़त हाथ उठा देते हैं - बाक़ी सिद्दीक़ी</p>
<p> </p>
<p>दिल धड़कने का सबब याद आया</p>
<p>वो तेरी याद थी अब याद आया - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p>वो सितारा थी कि शबनम थी कि फूल</p>
<p>एक सूरत थी अजब याद नहीं - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p>ज़िंदगी ज़िंदादिली का है नाम</p>
<p>मुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं - इमाम बख़्श ‘नासिख़’</p>
<p> </p>
<p>रात की बात का मज़कूर ही क्या</p>
<p>छोड़िए रात गई बात गई - चराग़ हसन हसरत</p>
<p> </p>
<p>लोग यूँ देख के हँस देते हैं</p>
<p>तू मुझे भूल गया हो जैसे</p>
<p> </p>
<p>ज़िन्दगी बीत रही है 'दानिश'</p>
<p>एक बेजुर्म सज़ा हो जैसे - अहसान बिन 'दानिश'</p>
<p><strong> </strong></p>
<p><strong>रमल</strong><strong> </strong> <strong>मुसद्दस सालिम</strong> <strong>मख़्बून महज़ूफ़ मुसक्किन मुजाइफ़</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन</strong><strong> </strong> <strong>फ़इलातुन</strong><strong> </strong> <strong>फ़ेलुन //</strong> <strong> </strong><strong>फ़ाइलातुन</strong><strong> </strong> <strong>फ़इलातुन</strong><strong> </strong> <strong>फ़ेलुन</strong></p>
<p><strong>2122 1122 22 // 2122 1122 22</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>कुछ तबीअत ही मिली थी ऐसी चैन से जीने की सूरत न हुई</p>
<p>जिस को चाहा उसे अपना न सके जो मिला उस से मोहब्बत न हुई</p>
<p></p>
<p>जिस से जब तक मिले दिल ही से मिले दिल जो बदला तो फ़साना बदला <br/> रस्म-ए-दुनिया को निभाने के लिए हम से रिश्तों की तिजारत न हुई</p>
<p></p>
<p>दूर से था वो कई चेहरों में पास से कोई भी वैसा न लगा <br/> बेवफ़ाई भी उसी का था चलन फिर किसी से ये शिकायत न हुई</p>
<p></p>
<p>वक़्त रूठा रहा बच्चे की तरह राह में कोई खिलौना न मिला <br/> दोस्ती की तो निभाई न गई दुश्मनी में भी अदावत न हुई - निदा फ़ाज़ली</p>
<p> </p>
<p><strong>रमल मुसम्मन सालिम</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन</strong></p>
<p><strong>2122 2122 2122 2122</strong></p>
<p> </p>
<p>दिन को दफ़्तर में अकेला शब भरे घर में अकेला</p>
<p>मैं कि अक्स-ए-मुंतशिर इक एक मंज़र में अकेला - राजेन्द्र मनचन्दा 'बानी'</p>
<p> </p>
<p>चाकरी में रह के इस दुनिया की मोहमल हो गए थे</p>
<p>हम तभी तो देखते ही उस को पागल हो गए थे</p>
<p> </p>
<p>मेरे हर मिस्रे पे उस ने वस्ल का मिस्रा लगाया</p>
<p>सब अधूरे शेर शब भर में मुकम्मल हो गए थे - फ़रहत एहसास</p>
<p> </p>
<p><strong>रमल सालिम</strong> <strong>10</strong> <strong>रुक्नी</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन</strong></p>
<p><strong>2122 2122 2122 2122 2122</strong></p>
<p> </p>
<p>घुट के मर जाने से पहले अपनी दीवार-ए-नफ़स में दर निकालो</p>
<p>दर्द के वीराँ खंडर से मंज़र-ए-बे-नाम को बाहर निकालो</p>
<p> </p>
<p>अब ये आलम है कि हर-सू मावरा-ए-मुंतहा तक हैं उड़ानें</p>
<p>आशियाँ तो इक क़फ़स है बाहर आ भी जाओ बाल-ओ-पर निकालो</p>
<p> </p>
<p>किस लिए 'रम्ज़' इतनी ऊँची तुम ने कर रक्खी हैं दीवारें हुनर की</p>
<p>देखो अपने साथियों को रौज़न-ए-ख़ुद-आगही से सर निकालो - मोहम्मद अहमद रम्ज़</p>
<p> </p>
<p><strong>रमल मुसम्मन महज़ूफ़</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>2122 2122 2122 212</strong> </p>
<p> </p>
<p>छः दिनों तक शहर मे घूमा वो बच्चों की तरह</p>
<p>सातवें दिन जब वो घर पहुंचा तो बूढ़ा हो गया - कुमार पाशी</p>
<p> </p>
<p>राहबर मेरा बना गुमराह करने के लिए</p>
<p>मुझ को सीधे रास्ते से दर-ब-दर उस ने किया</p>
<p> </p>
<p>शहर में वो मोतबर मेरी गवाही से हुआ</p>
<p>फिर मुझे इस शहर में ना-मोतबर उस ने किया</p>
<p> </p>
<p>शहर को बरबाद कर के रख दिया उस ने 'मुनीर'</p>
<p>शहर पर ये ज़ुल्म मेरे नाम पर उस ने किया - मुनीर नियाज़ी</p>
<p> </p>
<p>पहले सहरा से मुझे लाया समुंदर की तरफ़</p>
<p>नाव पर काग़ज़ की फिर मुझ को सवार उस ने किया - अमीर इमाम</p>
<p></p>
<p>कुछ उसूलों का नशा था कुछ मुक़द्दस ख़्वाब थे</p>
<p>हर ज़माने में शहादत के यही अस्बाब थे - हसन नईम</p>
<p></p>
<p>ख़ामुशी अच्छी नहीं इंकार होना चाहिए</p>
<p>ये तमाशा अब सर-ए-बाज़ार होना चाहिए</p>
<p> </p>
<p>झूट बोला है तो क़ाएम भी रहो उस पर 'ज़फ़र'</p>
<p>आदमी को साहब-ए-किरदार होना चाहिए - ज़फ़र इक़बाल</p>
<p> </p>
<p>पहले पहल तो निगाहों मे कोई जंचता न था</p>
<p>रफ़्ता-रफ़्ता दूसरा फिर तीसरा अच्छा लगा - मंजूर हाशमी</p>
<p> </p>
<p>लेके मैं ओढूँ बिछाऊँ या लपेटूँ क्या करूँ</p>
<p>रूखी फीकी ऐसी सूखी मेहरबानी आप की - इंशा अल्लाह ख़ान</p>
<p> </p>
<p>इब्तिदा वो थी कि जीना था मुहब्बत में मुहाल</p>
<p>इंतिहा ये है कि अब मरना भी मुश्किल हो गया - जिगर मुरादाबादी</p>
<p> </p>
<p>हम ने सीने से लगाया दिल न अपना बन सका</p>
<p>मुस्कुरा कर तुम ने देखा दिल तुम्हारा हो गया - जिगर मुरादाबादी</p>
<p> </p>
<p>शाम से ही गोश-बर आवाज़ है बज़्मे-सुख़न</p>
<p>कुछ फ़िराक़ अपनी सुनाओ कुछ ज़माने की कहो - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>हुस्न को इक हुस्न की समझे नहीं और ऐ 'फ़िराक़ '</p>
<p>मेहरबाँ नामेहरबाँ क्या क्या समझ बैठे थे हम - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>कौन रख सकता है इसको साकिनो-जामिद कि ज़ीस्त</p>
<p>इनक़लाबो - इनक़लाबो - इनक़लाबो - इनक़लाब - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>जीतने में भी जहाँ जी का ज़ियाँ पहले से है</p>
<p>ऐसी बाज़ी हारने में क्या ख़सारा देखना - परवीन शाकिर</p>
<p> </p>
<p>लड़कियों के दुख अजब होते हैं सुख उस से अजीब</p>
<p>हँस रही हैं और काजल भीगता है साथ साथ - परवीन शाकिर</p>
<p> </p>
<p>ये करें और वो करें ऐसा करें वैसा करें</p>
<p>ज़िंदगी दो दिन की है दो दिन में हम क्या क्या करें</p>
<p> </p>
<p>कीजिएगा रहज़नी कब तक ब-नाम-ए-रहबरी</p>
<p>अब से बेहतर आप कोई दूसरा धंदा करें</p>
<p> </p>
<p>इस पुरानी बेवफ़ा दुनिया का रोना कब तलक</p>
<p>आइए मिल-जुल के इक दुनिया नई पैदा करें</p>
<p> </p>
<p>दिल हमें तड़पाए तो कैसे न हम तड़पें 'नज़ीर'</p>
<p>दूसरे के बस में रह कर अपनी वाली क्या करें - नज़ीर बनारसी</p>
<p> </p>
<p>उम्र भर की बात बिगड़ी इक ज़रा सी बात में</p>
<p>एक लम्हा ज़िंदगी भर की कमाई खा गया - नज़ीर बनारसी</p>
<p> </p>
<p>बद-गुमानी को बढ़ा कर तुम ने ये क्या कर दिया</p>
<p>ख़ुद भी तन्हा हो गए मुझ को भी तन्हा कर दिया - नज़ीर बनारसी</p>
<p> </p>
<p>हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है</p>
<p>जिस तरफ भी चल पड़ेंगे, रास्ता हो जाएगा - बशीर बद्र</p>
<p> </p>
<p>लोग कहते हैं मुहब्बत में असर होता है</p>
<p>कौन से शहर में होता है किधर होता है - मुसहफ़ी</p>
<p> </p>
<p>दूर से आये थे साक़ी सुनके मयख़ाने को हम</p>
<p>बस तरसते ही चले अफ़सोस पैमाने को हम</p>
<p> </p>
<p>मय भी है, मीना भी है, साग़र भी है साक़ी नहीं</p>
<p>दिल में आता है लगा दें, आग मयख़ाने को हम – नज़ीर अकबराबादी</p>
<p> </p>
<p>देख उसे रंग-ए-बहार-ओ-सर्व-ओ-गुल और जू-ए-बार</p>
<p>इक उड़ा इक गिर गया इक जल गया इक बह गया - नज़ीर अकबराबादी</p>
<p> </p>
<p>मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर</p>
<p>लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया - मजरूह सुल्तानपुरी</p>
<p> </p>
<p>वो ख़मोशी उँगलियाँ चटख़ा रही थी ऐ 'शकेब'</p>
<p>या कि बूँदें बज रही थीं रात रौशन-दान पर - शकेब जलाली</p>
<p> </p>
<p>बज़्म में अहल-ए-सुख़न तक़्तीअ' फ़रमाते रहे</p>
<p>और हम ने अपने दिल का बोझ हल्का कर दिया - आदिल मंसूरी</p>
<p> </p>
<p>हम को किस के ग़म ने मारा ये कहानी फिर सही</p>
<p>किस ने तोड़ा दिल हमारा ये कहानी फिर सही - मसरूर अनवर</p>
<p> </p>
<p>वक़्त दो मुझ पर कठिन गुज़रे हैं सारी उम्र में</p>
<p>इक तेरे आने से पहले इक तेरे जाने के बाद - मुज़्तर ख़ैराबादी</p>
<p> </p>
<p>बाग़बाँ ने आग दी जब आशियाने को मेरे</p>
<p>जिन पे तकिया था वही पत्ते हवा देने लगे - साक़िब लखनवी</p>
<p> </p>
<p>सुर्ख़-रू होता है इंसाँ ठोकरें खाने के बा'द</p>
<p>रंग लाती है हिना पत्थर पे पिस जाने के बा'द - सय्यद मोहम्मद मस्त कलकत्तवी</p>
<p> </p>
<p>सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ</p>
<p>ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ - ख़्वाजा मीर 'दर्द'</p>
<p> </p>
<p>सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है</p>
<p>देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है - बिस्मिल अज़ीमाबादी</p>
<p> </p>
<p>चुपके-चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है</p>
<p>हम को अब तक आशिकी का वो ज़माना याद है - हसरत मोहानी</p>
<p> </p>
<p>गो ज़रा सी बात पर बरसों के याराने गए</p>
<p>लेकिन इतना तो हुआ कुछ लोग पहचाने गए - ख़ातिर ग़ज़नवी</p>
<p> </p>
<p><strong>रमल मुसम्मन सालिम मजहूफ़</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ा</strong></p>
<p><strong>2122 </strong> <strong> 2122 </strong> <strong> 2122 2</strong></p>
<p> </p>
<p>धूप ये अठखेलियाँ हर रोज़ करती है</p>
<p>एक छाया सीढ़ियाँ चढ़ती-उतरती है</p>
<p> </p>
<p>मैं तुम्हें छू कर जरा सा छेड़ देता हूँ</p>
<p>और गीली पाँखुरी से ओस झरती है - दुष्यंत कुमार</p>
<p> </p>
<p><strong>रमल मुसम्मन सालिम मख़्बून महज़ूफ़ मुसक्किन</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन</strong><strong> </strong> <strong>फ़इलातुन</strong><strong> </strong> <strong>फ़इलातुन</strong><strong> </strong> <strong>फ़ेलुन</strong></p>
<p><strong>2122 1122 1122 22</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>शर्म आती है कि उस शहर में हम हैं कि जहाँ</p>
<p>न मिले भीक तो लाखों का गुज़ारा ही न हो - जाँ निसार अख़्तर</p>
<p> </p>
<p>जब लगें ज़ख़्म तो क़ातिल को दुआ दी जाए</p>
<p>है यही रस्म तो ये रस्म उठा दी जाए - जाँ निसार अख़्तर</p>
<p> </p>
<p>कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है</p>
<p>सब ने इंसान न बनने की क़सम खाई है - निदा फ़ाज़ली</p>
<p> </p>
<p>घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें</p>
<p>किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए - निदा फ़ाज़ली</p>
<p> </p>
<p>धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो</p>
<p>ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो - निदा फ़ाज़ली</p>
<p> </p>
<p>दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजे रिश्ता</p>
<p>दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए - निदा फ़ाज़ली</p>
<p> </p>
<p>तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो 'फ़राज़'</p>
<p>दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला - अहमद फ़राज़</p>
<p></p>
<p><span>तू</span> <span>ख़ुदा</span> <span>है</span> <span>न मे</span><span>रा</span> <span>इश्क़</span> <span>फ़रिश्तों</span> <span>जैसा</span></p>
<p><span>दोनों</span> <span>इंसाँ</span> <span>हैं</span> <span>तो</span> <span>क्यूँ</span> <span>इतने</span> <span>हिजाबों</span> <span>में</span> <span>मिलें - अहमद फ़राज़</span></p>
<p> </p>
<p>सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैं</p>
<p>जिस को देखा ही नहीं उस को ख़ुदा कहते हैं - सुदर्शन फ़ाकिर</p>
<p> </p>
<p>हम तो समझे थे कि बरसात में बरसेगी शराब</p>
<p>आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया - सुदर्शन फ़ाकिर</p>
<p> </p>
<p>क्या भला शैख़-जी थे दैर में थोड़े पत्थर</p>
<p>कि चले काबा के तुम देखने रोड़े पत्थर</p>
<p> </p>
<p>ऐ बसा कोहना इमारात-ए-मक़ाबिर जिन के</p>
<p>लोगों ने चोब-ओ-चगल के लिए तोड़े पत्थर</p>
<p> </p>
<p>जाओ ऐ शैख़-ओ-बरहमन हरम-ओ-दैर को तुम</p>
<p>भाई बेज़ार हैं हम हम ने ये छोड़े पत्थर - इंशा अल्लाह ख़ान</p>
<p> </p>
<p>जज़्बा-ए-इश्क़ सलामत है तो इंशा-अल्लाह</p>
<p>कच्चे धागे से चले आएँगे सरकार बंधे - इंशा अल्लाह ख़ान</p>
<p> </p>
<p>घर में कुछ कम है ये एहसास भी होता है 'सलीम'</p>
<p>ये भी खुलता नहीं किस शै की कमी लगती है - सलीम अहमद</p>
<p> </p>
<p>हुस्न चाहे जिसे हँस बोल के अपना कर ले</p>
<p>दिल ने अपनों को भी बेगाना बना रक्खा है - सलीम अहमद</p>
<p> </p>
<p>जिस को माना था ख़ुदा ख़ाक का पैकर निकला</p>
<p>हाथ आया जो यक़ीं वहम सरासर निकला - वहीद अख़्तर</p>
<p> </p>
<p>कुछ भी हो जाए मगर तेरे तरफ़दार हैं सब</p>
<p>ज़िंदगी तुझ में कोई बात तो होती होगी - अमीर इमाम</p>
<p> </p>
<p>जो ख़ुशामद करे ख़ल्क़ उस से सदा राज़ी है</p>
<p>सच तो ये है कि ख़ुशामद से ख़ुदा राज़ी है - नज़ीर अकबराबादी</p>
<p> </p>
<p>था इरादा तिरी फ़रियाद करें हाकिम से</p>
<p>वो भी ऐ शोख़ तेरा चाहने वाला निकला - नज़ीर अकबराबादी</p>
<p> </p>
<p>इश्वा है नाज़ है ग़म्ज़ा है अदा है क्या है</p>
<p>क़हर है सेहर है जादू है बला है क्या है - बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान</p>
<p> </p>
<p>अपनी आँखों के समुंदर में उतर जाने दे</p>
<p>तेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे</p>
<p> </p>
<p>ज़िंदगी मैं ने इसे कैसे पिरोया था न सोच</p>
<p>हार टूटा है तो मोती भी बिखर जाने दे - नज़ीर बाक़री</p>
<p> </p>
<p>जिस को तुम भूल गए याद करे कौन उस को</p>
<p>जिस को तुम याद हो वो और किसे याद करे - जोश मलसियानी</p>
<p> </p>
<p>सिन ही क्या है अभी बचपन है जवानी में शरीक</p>
<p>सो रहें पास मेरे ख़्वाब में डरने वाले</p>
<p> </p>
<p>क्या मज़ा देती है बिजली की चमक मुझ को 'रियाज़'</p>
<p>मुझ से लपटे हैं मेरे नाम से डरने वाले - रियाज़ खैराबादी</p>
<p> </p>
<p>उन का जो फ़र्ज़ है वो अहल-ए-सियासत जानें</p>
<p>मेरा पैग़ाम मुहब्बत है जहाँ तक पहुँचे - जिगर मुरादाबादी</p>
<p> </p>
<p>क्या कहूँ दीदा-ए-तर ये तो मेरा चेहरा है</p>
<p>संग कट जाते हैं बारिश की जहाँ धार गिरे - शकेब जलाली</p>
<p> </p>
<p>अव्वल-ए-उम्र में देखा उसे जिस ने ये कहा</p>
<p>काम आतिश का करेगा ये शरारा आख़िर - ग़ुलाम हमदानी ‘मुसहफ़ी’</p>
<p> </p>
<p>आधी रात आए तेरे पास ये किस का है जिगर</p>
<p>चौंक मत इतना कि ऐ होश-रुबा हम ही हैं - ग़ुलाम हमदानी ‘मुसहफ़ी’</p>
<p> </p>
<p>आग हो दिल में तो आँखों में धनक पैदा हो</p>
<p>रूह में रौशनी लहजे में चमक पैदा हो</p>
<p> </p>
<p>मुझ से बहते हुए आँसू नहीं लिक्खे जाते</p>
<p>काश इक दिन मेरे लफ़्ज़ों में लचक पैदा हो - साक़ी फ़ारुक़ी</p>
<p> </p>
<p>देख ज़िंदाँ से परे रंग-ए-चमन जोश-ए-बहार</p>
<p>रक़्स करना है तो फिर पाँव की ज़ंजीर न देख - मजरूह सुल्तानपुरी</p>
<p> </p>
<p>रोक सकता हमें ज़िंदान-ए-बला क्या 'मजरूह'</p>
<p>हम तो आवाज़ हैं दीवार से छन जाते हैं - मजरूह सुल्तानपुरी</p>
<p> </p>
<p>सरहदें अच्छी कि सरहद पे न रुकना अच्छा</p>
<p>सोचिए आदमी अच्छा कि परिंदा अच्छा - इरफ़ान सिद्दीक़ी</p>
<p> </p>
<p>रात को जीत तो पाता नहीं लेकिन ये चराग़</p>
<p>कम से कम रात का नुक़सान बहुत करता है - इरफ़ान सिद्दीक़ी</p>
<p> </p>
<p>हम ने मुद्दत से उलट रक्खा है कासा अपना</p>
<p>दस्त-ए-दादार तेरे दिरहम-ओ-दीनार पे ख़ाक - इरफ़ान सिद्दीक़ी</p>
<p> </p>
<p>हँस के मिलती है मगर काफ़ी थकी लगती हैं</p>
<p>उस की आँखें कई सदियों की जगी लगती हैं - मुनव्वर राना</p>
<p> </p>
<p>घर में रहते हुए ग़ैरों की तरह होती हैं</p>
<p>लड़कियाँ धान के पौदों की तरह होती हैं - मुनव्वर राना</p>
<p> </p>
<p>रास्ता सोचते रहने से किधर बनता है</p>
<p>सर में सौदा हो तो दीवार में दर बनता है - जलील 'आली'</p>
<p> </p>
<p>वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगा</p>
<p>मसअला फूल का है फूल किधर जाएगा - परवीन शाकिर</p>
<p> </p>
<p>ये हवा कैसे उड़ा ले गई आँचल मेरा</p>
<p>यूँ सताने की तो आदत मेरे घनश्याम की थी - परवीन शाकिर</p>
<p> </p>
<p>गुल से लिपटी हुई तितली को गिरा कर देखो</p>
<p>आँधियो तुम ने दरख़्तों को गिराया होगा - कैफ़ भोपाली</p>
<p> </p>
<p>जी बहलता ही नहीं अब कोई साअ'त कोई पल</p>
<p>रात ढलती ही नहीं चार पहर से पहले - इब्न-ए-इंशा</p>
<p> </p>
<p>बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी</p>
<p>जैसी अब है तेरी महफ़िल कभी ऐसी तो न थी - बहादुरशाह ज़फ़र</p>
<p> </p>
<p>ज़िंदगी जब भी तिरी बज़्म में लाती है हमें</p>
<p>ये ज़मीं चाँद से बेहतर नज़र आती है हमें - शहरयार</p>
<p> </p>
<p>इन दिनों मैं भी हूँ कुछ कार-ए-जहाँ में मसरूफ़</p>
<p>बात तुझ में भी नहीं रह गई पहले वाली - शहरयार</p>
<p> </p>
<p>जुस्तुजू जिस की थी उस को तो न पाया हम ने</p>
<p>इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हम ने - शहरयार</p>
<p> </p>
<p>ज़िंदगी जैसी तवक़्क़ो थी नहीं कुछ कम है</p>
<p>हर घड़ी होता है एहसास कहीं कुछ कम है - शहरयार</p>
<p> </p>
<p>घर की तामीर तसव्वुर ही में हो सकती है</p>
<p>अपने नक़्शे के मुताबिक़ ये ज़मीं कुछ कम है</p>
<p> </p>
<p>अब जिधर देखिए लगता है कि इस दुनिया में</p>
<p>कहीं कुछ चीज़ ज़ियादा है कहीं कुछ कम है - शहरयार</p>
<p> </p>
<p>काम सब गैर-ज़रूरी हैं जो सब करते हैं</p>
<p>और हम कुछ नहीं करते हैं, ग़ज़ब करते हैं - राहत इन्दौरी</p>
<p> </p>
<p>मेरे कारोबार में सबने बड़ी इम्दाद की</p>
<p>दाद लोगों की, गला अपना, ग़ज़ल उस्ताद की</p>
<p> </p>
<p>उम्र भर चलते रहे आँखों पे पट्टी बाँध कर</p>
<p>जिंदगी को ढ़ूंढ़ने में जिंदगी बर्बाद की - राहत इन्दौरी</p>
<p> </p>
<p>तेरी हर बात मुहब्बत में गवारा करके</p>
<p>दिल के बाज़ार में बैठे हैं ख़सारा करके - राहत इन्दौरी</p>
<p> </p>
<p>चोर उचक्कों की करो कद्र, की मालूम नहीं</p>
<p>कौन, कब, कौन सी सरकार में आ जाएगा - राहत इन्दौरी</p>
<p> </p>
<p>शाएरे-अस्र की तक़दीर न कुछ पूछ ’फ़िराक़’</p>
<p>जो कहीं का भी न रक्खेगा वो फ़न मुझको दिया - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>मुद्दतें गुजरी, तेरी याद भी आई ना हमें</p>
<p>और हम भूल गये हों तुझे, ऐसा भी नहीं - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>रस में डूबा हुआ लहराता बदन क्या कहना</p>
<p>करवटें लेती हुई सुबह-ए-चमन क्या कहना - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>हो जिन्हें शक, वो करें और खुदाओं की तलाश</p>
<p>हम तो इंसान को दुनिया का खुदा कहते हैं - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>सर-ज़मीन-ए-हिंद पर अक़्वाम-ए-आलम के 'फ़िराक़'</p>
<p>क़ाफ़िले बसते गए हिन्दोस्ताँ बनता गया - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>वक़्त से आगे निकल जाएँगे जब चाहेंगे</p>
<p>दिल-गिरफ़्ता अभी रफ़्तार सँभाले हुए हैं - सुल्तान अख़्तर</p>
<p> </p>
<p>कोई तो सूद चुकाए कोई तो ज़िम्मा ले</p>
<p>उस इंक़लाब का जो आज तक उधार सा है - कैफ़ी आज़मी</p>
<p> </p>
<p>अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएँगे</p>
<p>मर के भी चैन न पाया तो किधर जाएँगे - शेख़ इब्राहीम ज़ौक़</p>
<p> </p>
<p>कश्तियाँ सब की किनारे पे पहुँच जाती हैं</p>
<p>नाख़ुदा जिन का नहीं उन का ख़ुदा होता है - बेदम शाह वारसी</p>
<p> </p>
<p>बैठ जाता हूँ जहाँ छाँव घनी होती है</p>
<p>हाए क्या चीज़ ग़रीब-उल-वतनी होती है - हफ़ीज़ जौनपुरी</p>
<p> </p>
<p>ईद का दिन है गले आज तो मिल ले ज़ालिम</p>
<p>रस्म-ए-दुनिया भी है मौक़ा भी है दस्तूर भी है - क़मर बदायुनी</p>
<p> </p>
<p>शब को मय ख़ूब सी पी सुब्ह को तौबा कर ली</p>
<p>रिंद के रिंद रहे हाथ से जन्नत न गई - जलील मानिकपूरी</p>
<p> </p>
<p>ज़िंदगी क्या है अनासिर काज़मी में ज़ुहूर-ए-तरतीब </p>
<p>मौत क्या है इन्हीं अज्ज़ा का परेशाँ होना - ब्रिज नारायण चकबस्त</p>
<p> </p>
<p>ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं</p>
<p>पाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है - बशीर बद्र</p>
<p></p>
<p>किस ने भीगे हुए बालों से ये झटका पानी</p>
<p>झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी - आरज़ू लखनवी</p>
<p> </p>
<p>गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं</p>
<p>हम चराग़ों की तरह शाम से जल जाते हैं - क़तील शिफ़ाई</p>
<p> </p>
<p>काम अब कोई न आएगा बस इक दिल के सिवा</p>
<p>रास्ते बंद हैं सब कूचा-ए-क़ातिल के सिवा - अली सरदार जाफ़री</p>
<p> </p>
<p>यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया</p>
<p>रात भर ताल'ए-बेदार ने सोने न दिया - आतिश</p>
<p></p>
<p>दी शब-ए-वस्ल मोअज़्ज़िन ने अज़ाँ पिछली रात</p>
<p>हाए कम-बख़्त को किस वक़्त ख़ुदा याद आया - दाग़ देहलवी</p>
<p> </p>
<p>और होंगे तेरी महफ़िल से उभरने वाले</p>
<p>हज़रत-ए-'दाग़' जहाँ बैठ गए बैठ गए - दाग़ देहलवी</p>
<p> </p>
<p>उन का जो फ़र्ज़ है वो अहल-ए-सियासत जानें</p>
<p>मेरा पैग़ाम मुहब्बत है जहाँ तक पहुँचे - जिगर मुरादाबादी</p>
<p> </p>
<p>अपने मरकज़ की तरफ़ माइल-ए-परवाज़ था हुस्न</p>
<p>भूलता ही नहीं आलम तिरी अंगड़ाई का - अज़ीज़ लखनवी</p>
<p> </p>
<p>मकतब-ए-इश्क़ का दस्तूर निराला देखा</p>
<p>उस को छुट्टी न मिली जिस को सबक़ याद हुआ - मीर ताहिर अली रिज़वी</p>
<p> </p>
<p>क़ैस जंगल में अकेला है मुझे जाने दो</p>
<p>ख़ूब गुज़रेगी जो मिल बैठेंगे दीवाने दो - मियाँ दाद ख़ां सय्याह</p>
<p> </p>
<p>उम्र तो सारी कटी इश्क़-ए-बुताँ में 'मोमिन'</p>
<p>आख़िरी वक़्त में क्या ख़ाक मुसलमाँ होंगे - मोमिन</p>
<p> </p>
<p>नाला-ए-बुलबुल-ए-शैदा तो सुना हँस हँस कर</p>
<p>अब जिगर थाम के बैठो मेरी बारी आई - माधव राम जौहर</p>
<p> </p>
<p>भाँप ही लेंगे इशारा सर-ए-महफ़िल जो किया</p>
<p>ताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं - माधव राम जौहर</p>
<p> </p>
<p>ऐ सनम वस्ल की तदबीरों से क्या होता है</p>
<p>वही होता है जो मंज़ूर-ए-ख़ुदा होता है - मिर्ज़ा रज़ा बर्क़</p>
<p> </p>
<p>ऐ मुहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया</p>
<p>जाने क्यूँ आज तेरे नाम पे रोना आया - शकील बदायुनी</p>
<p> </p>
<p>मुझको थकने नहीं देता ये जरूरत का पहाड़</p>
<p>मेरे बच्चे मुझे बूढा नहीं होने देते - मेराज फ़ैजाबादी</p>
<p> </p>
<p>ज़िंदगी तुझ से हर इक साँस पे समझौता करूँ</p>
<p>शौक़ जीने का है मुझ को मगर इतना तो नहीं - मुज़फ़्फ़र वारसी</p>
<p> </p>
<p>कुछ न कहने से भी छिन जाता है एजाज़-ए-सुख़न</p>
<p>ज़ुल्म सहने से भी ज़ालिम की मदद होती है - मुज़फ़्फ़र वारसी</p>
<p></p>
<p>दर-ओ-दीवार पे हसरत से नज़र करते हैं <br/> ख़ुश रहो अहल-ए-वतन हम तो सफ़र करते हैं - वाजिद अली शाह अख़्तर</p>
<p> </p>
<p><strong>रमल मुसम्मन सालिम मख़्बून मक़्सूर मुसक्किन 16 रुक़्नी</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़इलान</strong></p>
<p><strong>2122 1122 1122 </strong><strong>11</strong><strong>22 2122 1122 </strong> <strong> </strong><strong>1122 </strong> <strong>11</strong><strong>2</strong><strong>1</strong></p>
<p> </p>
<p>ये सहर कैसी है पुरनूर कि जम्हूर है मसरूर हर इक बाग़ में मामूर है सामाने-बहार</p>
<p>गुल झमकता है चमन जोर महकता है टपकता है हर एक शाख़े-तरोताज़ा से फैज़ाने-बहार - शहीद लखनवी</p>
<p> </p>
<p><strong>रमल</strong> <strong> </strong><strong>सालिम मख़्बून महज़ूफ़ मुसक्किन</strong> <strong>10</strong> <strong>रुक्नी</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन</strong><strong> </strong> <strong>फ़इलातुन</strong><strong> </strong> <strong>फ़ेलुन</strong></p>
<p><strong>2122 1122 1122 1122 22</strong></p>
<p> </p>
<p>चेहरा-अफ़रोज़ हुई पहली झड़ी हमनफसो शुक्र करो</p>
<p>दिल कि अफ़्सुर्दगी कुछ कम तो हुई हमनफसो शुक्र करो</p>
<p> </p>
<p>आज फिर देर की सोई हुई नद्दी में नई लहर आई</p>
<p>देर के बाद कोई नाव चली हमनफसो शुक्र करो - नासिर काज़मी</p>
<p> </p>
<p><strong>रमल मुसम्मन</strong> <strong> </strong><strong>मख़्बून महज़ूफ़ मुसक्किन</strong></p>
<p><strong>फ़इलातुन फ़इलातुन</strong><strong> </strong> <strong>फ़इलातुन</strong><strong> </strong> <strong>फ़ेलुन</strong></p>
<p><strong>1122 1122 1122 22</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>हवस-ए-गुल का तसव्वुर में भी खटका न रहा</p>
<p>अजब आराम दिया, बेपर-ओ-बाली ने मुझे - ग़ालिब</p>
<p> </p>
<p><strong>रमल मुसम्मन मश्कूल सालिम</strong></p>
<p><strong>फ़इलातु फ़ाइलातुन // फ़इलातु फ़ाइलातुन</strong><strong> </strong></p>
<p><strong>1121 2122 // 1121 2122</strong></p>
<p> </p>
<p>ये अजीब माजरा है, कि ब-रोज़-ए-ईद-ए-क़ुर्बां</p>
<p>वही ज़ब्ह भी करे है, वही ले सवाब उल्टा - इंशा अल्लाह ख़ान</p>
<p> </p>
<p>कभी मुझ को साथ लेकर, कभी मेरे साथ चल के</p>
<p>वो बदल गये अचानक, मेरी ज़िन्दगी बदल के - अहसान बिन 'दानिश'</p>
<p> </p>
<p>मेरी ज़िंदगी है ज़ालिम तेरे ग़म से आश्कारा</p>
<p>तेरा ग़म है दर-हक़ीक़त मुझे ज़िंदगी से प्यारा - शकील बदायुनी</p>
<p> </p>
<p>यही ज़िन्दगी मुसीबत यही ज़िन्दगी मुसर्रत<br/> यही ज़िन्दगी हक़ीक़त यही ज़िन्दगी फ़साना - मुईन अहसन जज़्बी</p>
<p> </p>
<p>कहीं शेर ओ नग़्मा बन के, कहीं आँसुओं में ढल के </p>
<p>वो मुझे मिले तो लेकिन, कई सूरतें बदल के - ख़ुमार बाराबंकवी</p>
<p> </p>
<p>मेरी दस्ताने हसरत, वो सुना सुना के रोये</p>
<p>मुझे आजमाने वाले, मुझे आजमा के रोये - सैफ़ुद्दीन सैफ़</p>
<p> </p>
<p>इन्हीं पत्थरों पे चल कर, अगर आ सको तो आओ</p>
<p>मेंरे घर के रास्ते में, कोई कहकशाँ नहीं है - मुस्तफ़ा ज़ैदी </p>
<p> </p>
<p><strong>रजज़ मुरब्बा मतवी मख़्बून</strong></p>
<p><strong>मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन</strong></p>
<p><strong>2212 2212</strong></p>
<p> </p>
<p>इस इश्क ने रुस्वा किया</p>
<p>मैं क्या बताऊँ क्या किया - वाज़िद अली शाह अख़्तर</p>
<p> </p>
<p><strong>रजज़ मुरब्बा मतवी मख़्बून</strong></p>
<p><strong>मुफ़तइलुन</strong><strong> </strong> <strong>मुफ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>2112 1212</strong></p>
<p> </p>
<p>ये तो नहीं कि ग़म नहीं</p>
<p>हाँ! मेरी आँख नम नहीं</p>
<p> </p>
<p>तुम भी तो तुम नहीं हो आज</p>
<p>हम भी तो आज हम नहीं</p>
<p> </p>
<p>मौत अगरचे मौत है</p>
<p>मौत से ज़ीस्त कम नहीं - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p><strong>रजज़</strong><strong> </strong> <strong>मुसम्मन सालिम</strong></p>
<p><strong>मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन</strong></p>
<p><strong>2212 2212 2212 2212</strong></p>
<p> </p>
<p>दिन रात फ़िक्रे-जौर में यूँ रन्ज़ उठाना कब तलक</p>
<p>मैं भी जरा आराम लूँ तुम भी जरा आराम लो - मोमिन</p>
<p> </p>
<p>ये दिल ये पागल दिल मेरा क्यों बुझ गया आवारगी</p>
<p>इस दश्त मे इक शहर था वो क्या हुआ आवारगी - मोहसिन नक़वी</p>
<p> </p>
<p>कल चौदवी की रात थी शब भर रहा चर्चा तेरा</p>
<p>कुछ ने कहा ये चाँद है कुछ ने कहा चेहरा तेरा – इब्ने इंसां</p>
<p> </p>
<p>हम क्या कहें अहबाब क्या कार-ए-नुमायाँ कर गए</p>
<p>बी-ए हुए नौकर हुए पेंशन मिली फिर मर गए - अकबर इलाहाबादी</p>
<p><strong> </strong></p>
<p><strong>रजज़</strong><strong> </strong> <strong>मुसम्मन सालिम मुजाइफ़</strong></p>
<p><strong>मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन // मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन</strong></p>
<p><strong>2212 2212 2212 2212 // 2212 2212 2212 2212</strong></p>
<p> </p>
<p>फिरते हैं कब से दर-ब-दर अब इस नगर अब उस नगर इक दूसरे के हम-सफ़र मैं और मिरी आवारगी</p>
<p>ना-आश्ना हर रह-गुज़र ना-मेहरबाँ हर इक नज़र जाएँ तो अब जाएँ किधर मैं और मिरी आवारगी</p>
<p> </p>
<p>हम भी कभी आबाद थे ऐसे कहाँ बर्बाद थे बे-फ़िक्र थे आज़ाद थे मसरूर थे दिल-शाद थे</p>
<p>वो चाल ऐसी चल गया हम बुझ गए दिल जल गया निकले जला के अपना घर मैं और मिरी आवारगी - जावेद अख़्तर</p>
<p> </p>
<p><strong>रजज़ मुसम्मन मतव्वी मख़्बून</strong></p>
<p><strong>मुफ़्तइलुन</strong><strong> </strong> <strong>मुफ़ाइलुन</strong> <strong> // </strong><strong>मुफ़्तइलुन मुफ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>2112 1212 // 2112 1212</strong></p>
<p> </p>
<p>दिल में समा के फिर गई आस बंधा के फिर गई</p>
<p>आज निगाह-ए-दोस्त ने काबा बना के ढा दिया - फ़ानी बदायुनी</p>
<p> </p>
<p>शहर तलब करे अगर तुम से इलाज-ए-तीरगी</p>
<p>साहिब-ए-इख़्तियार हो आग लगा दिया करो - पीरज़ादा क़ासीम</p>
<p> </p>
<p>अब न बहल सकेगा दिल अब न दिए जलाइए</p>
<p>इश्क़ ओ हवस हैं सब फ़रेब आप से क्या छुपाइए - अहमद मुश्ताक़</p>
<p> </p>
<p>ज़र्ब-ए-ख़याल से कहाँ टूट सकेंगी बेड़ियाँ</p>
<p>फ़िक्र-ए-चमन के हम-रिकाब जोश-ए-जुनूँ भी चाहिए - शकेब जलाली</p>
<p> </p>
<p>कूचे में उस के बैठना हुस्न को उस के देखना</p>
<p>हम तो उसी को समझे हैं बाग़ भी और बहार भी - नज़ीर अकबराबादी</p>
<p> </p>
<p>वादे की रात मरहबा, आमदे-यार मेहरबाँ</p>
<p>जुल्फ़े-सियाह शबफ़शाँ, आरिजे़-नाज़ महचकाँ - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>शाम भी थी धुआँ-धुआँ हुस्न भी था उदास-उदास</p>
<p>याद सी आके रह गयीं दिल को कई कहानियाँ - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तेरा ख़याल भी</p>
<p>दिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी</p>
<p> </p>
<p>मेरी तलब था एक शख़्स वो जो नहीं मिला तो फिर</p>
<p>हाथ दुआ से यूँ गिरा भूल गया सवाल भी - परवीन शाकिर</p>
<p> </p>
<p>चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल कर दिया</p>
<p>इश्क़ के इस सफ़र ने तो मुझ को निढाल कर दिया - परवीन शाकिर</p>
<p> </p>
<p>जिस को भी शैख़ ओ शाह ने हुक्म-ए-ख़ुदा दिया क़रार</p>
<p>हम ने नहीं किया वो काम हाँ ब-ख़ुदा नहीं किया - जौन एलिया</p>
<p> </p>
<p>मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस</p>
<p>ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं - जौन एलिया</p>
<p> </p>
<p>अपने सभी गिले बजा पर है यही कि दिलरुबा</p>
<p>मेरा तेरा मुआमला इश्क़ के बस का था नहीं - जौन एलिया</p>
<p> </p>
<p>पुरसिश-ए-ग़म का शुक्रिया, क्या तुझे आगही नहीं</p>
<p>तेरे बग़ैर ज़िन्दगी, दर्द है ज़िन्दगी नहीं</p>
<p> </p>
<p>ज़ख़्म पे ज़ख़्म खाके जी, अपने लहू के घूँट पी</p>
<p>आह न कर, लबों को सी, इश्क़ है दिल्लगी नहीं - अहसान बिन 'दानिश'</p>
<p> </p>
<p>चोट पे चोट खाए जा दिल की तरफ कभी न देख</p>
<p>इश्क पे एतमाद रख हुस्न की बेरुखी न देख</p>
<p> </p>
<p>इश्क का नूर नूर है हुस्न की चाँदनी न देख</p>
<p>तू खुद ही आफताब है जर्रों में रोशनी न देख - जिगर मुरादाबादी</p>
<p> </p>
<p>तू है मुहीत-ए-बे-कराँ मैं हूँ ज़रा सी आबजू</p>
<p>या मुझे हम-कनार कर या मुझे बे-कनार कर</p>
<p> </p>
<p>बाग़-ए-बहिश्त से मुझे हुक्म-ए-सफ़र दिया था क्यूँ</p>
<p>कार-ए-जहाँ दराज़ है अब मेरा इंतज़ार कर - अल्लामा इक़बाल</p>
<p> </p>
<p>शामे-फ़िराक अब न पूछ आई और आ के टल गई</p>
<p>दिल था कि फ़िर बहल गया जां थी कि फिर संभल गई - फैज़ अहमद फैज़</p>
<p> </p>
<p><strong>कामिल मुसद्दस सालिम</strong></p>
<p><strong>मुतफ़ाइलुन</strong><strong> </strong> <strong>मुतफ़ाइलुन</strong><strong> </strong> <strong>मुतफ़ाइलुन</strong><strong> </strong></p>
<p><strong>11212 11212 11212 </strong></p>
<p> </p>
<p>जो गया यहाँ से इसी मकान में आएगा</p>
<p>था सितारा टूट के आसमान में आएगा</p>
<p> </p>
<p>अभी पेड़ को किसी सख़्त रुत का है सामना</p>
<p>अगर उठ सका तो बड़ी उठान में आएगा - मुसव्विर सब्ज़वारी</p>
<p> </p>
<p><strong>कामिल मुसम्मन सालिम</strong></p>
<p><strong>मुतफ़ाइलुन</strong><strong> </strong><strong>मुतफ़ाइलुन</strong><strong> </strong><strong>मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>11212 11212 11212 11212 </strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>ख़बर-ए-तहय्युर-ए-इश्क़ सुन न जुनूँ रहा न परी रही</p>
<p>न तो तू रहा न तो मैं रहा जो रही सो बे-ख़बरी रही - सिराज औरंगाबादी</p>
<p> </p>
<p>कोई क्यूँ किसी का लुभाए दिल कोई क्या किसी से लगाए दिल</p>
<p>वो जो बेचते थे दवा-ए-दिल वो दुकान अपनी बढ़ा गए - बहादुर शाह ज़फ़र</p>
<p> </p>
<p>वो जो हम में तुम करार था तुम्हे याद हो कि न याद हो</p>
<p>वही यानी वादा निबाह का तुम्हे याद हो कि न याद हो - मोमिन</p>
<p> </p>
<p>न किसी की आँख का नूर हूँ न किसी के दिल का क़रार हूँ</p>
<p>जो किसी के काम न आ सके मैं वो एक मुश्त -ए-गुब़ार हूँ - मुज़्तर खैराबादी</p>
<p>(ये शेर आम तौर पर बहादुर शाह ज़फ़र के नाम से मशहूर है)</p>
<p> </p>
<p>मैं किसी के दस्त-ए-तलब में हूँ तो किसी के हर्फ़-ए-दुआ में हूँ</p>
<p>मैं नसीब हूँ किसी और का मुझे माँगता कोई और है</p>
<p> </p>
<p>कभी लौट आएँ तो पूछना नहीं देखना उन्हें ग़ौर से</p>
<p>जिन्हें रास्ते में ख़बर हुई कि ये रास्ता कोई और है - सलीम कौसर</p>
<p> </p>
<p>वो निगाह उठ के पलट गयी, वो शरारे उड़ के निहाँ हुए</p>
<p>जिसे दिल समझते थे आज तक वो 'फ़िराक़' उठता धुआँ है अब - फ़िराक़ गोरखपुरी</p>
<p> </p>
<p>मेरे फ़िक्र-ओ-फ़न को नई फ़जा नए बाल-ओ-पर की तलाश है</p>
<p>जो क़फ़स को यास के फूँक दे मुझे उस शरर की तलाश है - वामिक जौनपुरी</p>
<p> </p>
<p>मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे</p>
<p>मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे - शकील बदायुनी</p>
<p> </p>
<p>मुझे सहल हो गईं मंज़िलें वो हवा के रुख़ भी बदल गए</p>
<p>तेरा हाथ हाथ में आ गया कि चराग़ राह में जल गए - मजरूह सुल्तानपुरी</p>
<p> </p>
<p>शब-ए-इंतज़ार की कश्मकश में न पूछ कैसे सहर हुई</p>
<p>कभी इक चराग़ जला दिया कभी इक चराग़ बुझा दिया - मजरूह सुल्तानपुरी</p>
<p> </p>
<p>कभी दिन की धुप में झूम के, कभी शब के फूल को चूम के</p>
<p>यूं ही साथ साथ चले सदा, कभी ख़त्म अपना सफ़र न हो - बशीर बद्र</p>
<p> </p>
<p>कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से</p>
<p>ये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करो - बशीर बद्र</p>
<p> </p>
<p>जहाँ हरसिंगार फ़ुज़ूल हों जहाँ उगते सिर्फ़ बबूल हों</p>
<p>जहाँ ज़र्द रंग हो घास का वहाँ क्यूँ न शक हो बहार पर - विकास शर्मा 'राज़'</p>
<p> </p>
<p>मुझे काम तुझ से है ऐ जुनूँ न कहूँ किसी से न कुछ सुनूँ</p>
<p>न किसी की रद्द-ओ-क़दह में हूँ न उखाड़ में न पछाड़ में - इंशा अल्लाह ख़ान</p>
<p></p>
<p>कभी ऐ हकीकत-ए-मुंतज़र, नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में</p>
<p>कि हज़ारों सजदे तड़प रहे, हैं मेरी जबीने-नियाज़ में - अल्लामा इक़बाल</p> दुष्यंत द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारणtag:www.openbooksonline.com,2018-10-24:5170231:Topic:9578192018-10-24T01:58:29.236ZAnanda Shrestahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnandaShresta
<p><span>दीवान-ए-ग़ालिब की ही तरह उदाहरणार्थ चुने गए शेरों के लिए </span>कोशिश ये रही है कि दुष्यंत एक मात्र ग़ज़ल 'साये मे धूप' की हर ग़ज़ल से कम से कम एक शेर अवश्य हो. इस तरह ये 'साये मे धूप' का अरूज़ी वर्गीकरण भी है. </p>
<p></p>
<p></p>
<p><strong>मुतक़ारिब असरम मक़्बूज़ महज़ूफ़ 16-रुक्नी ( बह्र-ए-मीर…</strong></p>
<p><span>दीवान-ए-ग़ालिब की ही तरह उदाहरणार्थ चुने गए शेरों के लिए </span>कोशिश ये रही है कि दुष्यंत एक मात्र ग़ज़ल 'साये मे धूप' की हर ग़ज़ल से कम से कम एक शेर अवश्य हो. इस तरह ये 'साये मे धूप' का अरूज़ी वर्गीकरण भी है. </p>
<p></p>
<p></p>
<p><strong>मुतक़ारिब असरम मक़्बूज़ महज़ूफ़ 16-रुक्नी ( बह्र-ए-मीर )</strong></p>
<p><strong>फ़अ</strong><strong>’</strong><strong>लु</strong> <strong>फ़ऊलु</strong><strong> </strong><strong>फ़ऊलु</strong><strong> </strong><strong>फ़ऊलु</strong><strong> </strong><strong>फ़ऊलु</strong><strong> </strong><strong>फ़ऊलु</strong><strong> </strong><strong>फ़ऊलु</strong> <strong>फ़</strong><strong>’</strong><strong>अल</strong></p>
<p><strong>21 121 121 121 121 121 121 12</strong></p>
<p><strong>तख्नीक से हासिल अरकान</strong> <strong> :</strong></p>
<p><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ेलुन फ़ा</strong></p>
<p><strong>22 22 22 22 22 22 22 2 </strong></p>
<p> </p>
<p>मेरे गीत तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे</p>
<p>मेरे बाद तुम्हें ये मेरी याद दिलाने आएँगे</p>
<p> </p>
<p>मेले में भटके होते तो कोई घर पहुँचा जाता</p>
<p>हम घर में भटके हैं कैसे ठौर-ठिकाने आएँगे</p>
<p> </p>
<p>धीरे-धीरे भीग रही हैं सारी ईंटें पानी में</p>
<p>इनको क्या मालूम कि आगे चलकर इनका क्या होगा</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतक़ारिब मुसम्मन सालिम</strong></p>
<p><strong>फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन</strong></p>
<p><strong>122 122 122 122</strong></p>
<p> </p>
<p>ये दरवाज़ा खोलें तो खुलता नहीं है</p>
<p>इसे तोड़ने का जतन कर रहा हूँ</p>
<p> </p>
<p><strong>हज़ज मुसम्मन सालिम</strong></p>
<p><strong>मुफ़ाईलुन</strong><strong> </strong><strong>मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन</strong></p>
<p><strong>1222 1222 1222 1222</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>यहाँ तक आते-आते सूख जाती हैं कई नदियाँ</p>
<p>मुझे मालूम है पानी कहाँ ठहरा हुआ होगा</p>
<p> </p>
<p>ग़ज़ब ये है कि अपनी मौत की आहट नहीं सुनते</p>
<p>वो सब के सब परीशाँ हैं वहाँ पर क्या हुआ होगा</p>
<p> </p>
<p>कई फ़ाक़े बिता कर मर गया जो उसके बारे में</p>
<p>वो सब कहते हैं अब, ऐसा नहीं, ऐसा हुआ होगा</p>
<p> </p>
<p>चलो, अब यादगारों की अँधेरी कोठरी खोलें</p>
<p>कम-अज-कम एक वो चेहरा तो पहचाना हुआ होगा</p>
<p> </p>
<p>वो बरगश्ता थे कुछ हमसे उन्हें क्योंकर यक़ीं आता</p>
<p>चलो अच्छा हुआ एहसास पलकों तक चला आया</p>
<p> </p>
<p><strong>हज़ज मुसम्मन अख़रब मक्फ़ूफ़ महज़ूफ़</strong></p>
<p><strong>मफ़ऊल</strong><strong> </strong> <strong>मुफ़ाईलु</strong><strong> </strong> <strong>मुफ़ाईलु</strong><strong> </strong> <strong>फ़ऊलुन</strong></p>
<p><strong>221 1221 1221 122</strong></p>
<p> </p>
<p>हाथों में अंगारों को लिए सोच रहा था</p>
<p>कोई मुझे अंगारों की तासीर बताए</p>
<p> </p>
<p><strong>हज़ज</strong><strong> </strong> <strong>मुसम्मन अख़रब मक्फ़ूफ़ मक्फ़ूफ़ मुख़न्नक</strong></p>
<p><strong>मफ़ऊल मुफ़ाईलुन मफ़ऊल मुफ़ाईलुन</strong></p>
<p><strong>221 1222 221 1222</strong></p>
<p> </p>
<p>सोचा कि तू सोचेगी ,तूने किसी शायर की<br/>दस्तक तो सुनी थी पर दरवाज़ा नहीं खोला</p>
<p> </p>
<p><strong>हज़ज़ मुसद्दस सालीम</strong></p>
<p><strong>मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन</strong></p>
<p><strong>1222 1222 1222</strong></p>
<p> </p>
<p>तुम्हें भी इस बहाने याद कर लेंगे</p>
<p>इधर दो चार पत्थर फेंक दो तुम भी</p>
<p> </p>
<p><strong>हज़ज़</strong><strong> </strong><strong>मुसद्दस</strong><strong> </strong><strong>महज़ूफ़</strong></p>
<p><strong>मुफ़ाईलुन</strong><strong> </strong><strong>मुफ़ाईलुन</strong><strong> </strong><strong>फ़ऊलुन</strong></p>
<p><strong>1222 1222 122</strong></p>
<p> </p>
<p>परिन्दे अब भी पर तोले हुए हैं</p>
<p>हवा में सनसनी घोले हुए हैं</p>
<p> </p>
<p>ग़ज़ब है सच को सच कहते नहीं वो</p>
<p>क़ुरान-ओ-उपनिषद खोले हुए हैं</p>
<p> </p>
<p><strong>रमल मुसम्मन महज़ूफ़</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>2122 2122 2122 212</strong></p>
<p> </p>
<p>भूख है तो सब्र कर रोटी नहीं तो क्या हुआ</p>
<p>आजकल दिल्ली में है ज़ेर-ए-बहस ये मुदद्आ</p>
<p> </p>
<p>गिड़गिड़ाने का यहां कोई असर होता नही</p>
<p>पेट भरकर गालियां दो, आह भरकर बददुआ</p>
<p> </p>
<p>हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए</p>
<p>इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए</p>
<p> </p>
<p>सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं</p>
<p>मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए</p>
<p> </p>
<p>हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में</p>
<p>हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए</p>
<p> </p>
<p>मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही</p>
<p>हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए</p>
<p> </p>
<p>इस नदी की धार से ठंडी हवा आती तो है</p>
<p>नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है</p>
<p> </p>
<p>आज सड़कों पर लिखे हैं सैंकड़ों नारे न देख</p>
<p>घर अँधेरा देख तू आकाश के तारे न देख</p>
<p> </p>
<p>दिल को बहला ले इजाज़त है मगर इतना न उड़</p>
<p>रोज़ सपने देख, लेकिन इस क़दर प्यारे न देख</p>
<p> </p>
<p>ये धुँधलका है नज़र का,तू महज़ मायूस है</p>
<p>रोज़नों को देख,दीवारों में दीवारें न देख</p>
<p> </p>
<p>पक गई हैं आदतें बातों से सर होंगी नहीं</p>
<p>कोई हंगामा करो ऐसे गुज़र होगी नहीं</p>
<p> </p>
<p>आपके टुकड़ों के टुकड़े कर दिये जायेंगे पर</p>
<p>आपकी ताज़ीम में कोई कसर होगी नहीं</p>
<p> </p>
<p>इस अहाते के अँधेरे में धुआँ-सा भर गया</p>
<p>तुमने जलती लकड़ियाँ शायद बुझा कर फेंक दीं</p>
<p> </p>
<p>एक गुड़िया की कई कठपुतलियों में जान है</p>
<p>आज शायर यह तमाशा देखकर हैरान है</p>
<p> </p>
<p>इस क़दर पाबन्दी-ए-मज़हब कि सदक़े आपके</p>
<p>जब से आज़ादी मिली है मुल्क़ में रमज़ान है</p>
<p> </p>
<p>रोज़ अखबारों में पढ़कर यह ख़्याल आया हमें</p>
<p>इस तरफ़ आती तो हम भी देखते फ़स्ले-बहार</p>
<p> </p>
<p>मैं बहुत कुछ सोचता रहता हूँ पर कहता नहीं</p>
<p>बोलना भी है मना सच बोलना तो दरकिनार</p>
<p> </p>
<p>इस सिरे से उस सिरे तक सब शरीके-जुर्म हैं</p>
<p>आदमी या तो ज़मानत पर रिहा है या फ़रार</p>
<p> </p>
<p>दस्तकों का अब किवाड़ों पर असर होगा ज़रूर</p>
<p>हर हथेली ख़ून से तर और ज़्यादा बेक़रार</p>
<p> </p>
<p><strong>रमल मुसम्मन मख़्बून महज़ूफ़ मुसक्किन</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन</strong></p>
<p><strong>2</strong><strong>122 1122 1122 22</strong></p>
<p> </p>
<p>आज सड़कों पे चले आओ तो दिल बहलेगा</p>
<p>चन्द ग़ज़लों से तन्हाई नहीं जाने वाली</p>
<p> </p>
<p>ऐसा लगता है कि उड़कर भी कहाँ पहुँचेंगे</p>
<p>हाथ में जब कोई टूटा हुआ पर होता है</p>
<p> </p>
<p>कैसे आकाश में सूराख़ हो नहीं सकता</p>
<p>एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो</p>
<p> </p>
<p>लफ़्ज़ एहसास-से छाने लगे, ये तो हद है</p>
<p>लफ़्ज़ माने भी छुपाने लगे, ये तो हद है</p>
<p> </p>
<p>आप दीवार गिराने के लिए आए थे</p>
<p>आप दीवार उठाने लगे, ये तो हद है</p>
<p> </p>
<p>ख़ामुशी शोर से सुनते थे कि घबराती है</p>
<p>ख़ामुशी शोर मचाने लगे, ये तो हद है</p>
<p> </p>
<p><strong>रमल</strong><strong> </strong><strong>मुसम्मन</strong> <strong>सालिम मजहूफ़</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ा</strong></p>
<p><strong>2122</strong><strong> </strong> <strong> 2122</strong> <strong> </strong><strong>2122</strong> <strong> </strong><strong>2</strong></p>
<p> </p>
<p>सिर्फ़ आंखें ही बची हैं चँद चेहरों में</p>
<p>बेज़ुबां सूरत, जुबानों तक पहुंचती है</p>
<p> </p>
<p>धूप ये अठखेलियाँ हर रोज़ करती है</p>
<p>एक छाया सीढ़ियाँ चढ़ती-उतरती है</p>
<p> </p>
<p>मैं तुम्हें छू कर जरा सा छेड़ देता हूँ</p>
<p>और गीली पाँखुरी से ओस झरती है</p>
<p> </p>
<p><strong>रमल मुसम्मन मश्कूल सालिम</strong></p>
<p><strong>फ़इलातु फ़ाइलातुन फ़इलातु फ़ाइलातुन</strong><strong> </strong></p>
<p><strong>1121 2122 1121 2122</strong></p>
<p> </p>
<p>ये ज़मीन तप रही थी ये मकान तप रहे थे</p>
<p>तेरा इंतज़ार था जो मैं इसी जगह रहा हूँ</p>
<p> </p>
<p>तेरे सर पे धूप आई तो दरख़्त बन गया मैं</p>
<p>तेरी ज़िन्दगी में अक्सर मैं कोई वजह रहा हूँ</p>
<p> </p>
<p><strong>रमल</strong><strong> </strong><strong>मुसद्दस</strong><strong> </strong><strong>सालिम</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन</strong></p>
<p><strong>2122 2122 </strong> <strong>212<span>2</span></strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>मत कहो, आकाश में कुहरा घना है</p>
<p>यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है</p>
<p> </p>
<p>हो गई हर घाट पर पूरी व्यवस्था</p>
<p>शौक से डूबे जिसे भी डूबना है</p>
<p> </p>
<p>दोस्तो! अब मंच पर सुविधा नहीं है</p>
<p>आजकल नेपथ्य में संभावना है</p>
<p> </p>
<p>कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं</p>
<p>गाते-गाते लोग चिल्लाने लगे हैं</p>
<p> </p>
<p>ज़िंदगानी का कोई मक़सद नहीं है</p>
<p>एक भी क़द आज आदमक़द नहीं है</p>
<p> </p>
<p>बाढ़ की संभावनाएं सामने हैं</p>
<p>और नदियों के किनारे घर बने हैं</p>
<p> </p>
<p>चीड़-वन में आँधियों की बात मत कर</p>
<p>इन दरख्तों के बहुत नाज़ुक तने हैं</p>
<p> </p>
<p><strong>मज़ारे मुसम्मन अख़रब मक्फ़ूफ़ महज़ूफ़</strong></p>
<p><strong>मफ़ऊलु फ़ाइलातु मुफ़ाईलु फ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>221 2121 </strong> <strong> 1221 </strong> <strong>212</strong></p>
<p> </p>
<p>हमने तमाम उम्र अकेले सफ़र किया</p>
<p>हम पर किसी ख़ुदा की इनायत नहीं रही</p>
<p> </p>
<p>अब सब से पूछता हूं बताओ तो कौन था</p>
<p>वो बदनसीब शख़्स जो मेरी जगह जिया</p>
<p> </p>
<p>मरना लगा रहेगा यहाँ जी तो लीजिए</p>
<p>ऐसा भी क्या परहेज़, ज़रा-सी तो लीजिए</p>
<p> </p>
<p>मरघट में भीड़ है या मज़ारों में भीड़ है</p>
<p>अब गुल खिला रहा है तुम्हारा निज़ाम और</p>
<p> </p>
<p>लेकर उमंग संग चले थे हँसी-खुशी</p>
<p>पहुँचे नदी के घाट तो मेला उजड़ गया</p>
<p> </p>
<p>नज़रों में आ रहे हैं नज़ारे बहुत बुरे</p>
<p>होंठों पे आ रही है ज़ुबाँ और भी ख़राब</p>
<p> </p>
<p>गूँगे निकल पड़े हैं, ज़ुबाँ की तलाश में</p>
<p>सरकार के ख़िलाफ़ ये साज़िश तो देखिये</p>
<p> </p>
<p>उनकी अपील है कि उन्हें हम मदद करें</p>
<p>चाकू की पसलियों से गुज़ारिश तो देखिये</p>
<p> </p>
<p>ख़रगोश बन के दौड़ रहे हैं तमाम ख़्वाब</p>
<p>फिरता है चाँदनी में कोई सच डरा-डरा</p>
<p> </p>
<p>वो आदमी नहीं है मुकम्मल बयान है</p>
<p>माथे पे उसके चोट का गहरा निशान है</p>
<p> </p>
<p>वे कर रहे हैं इश्क़ पे संजीदा गुफ़्तगू</p>
<p>मैं क्या बताऊँ मेरा कहीं और ध्यान है</p>
<p> </p>
<p><strong>मुज्तस मुसम्मन सालिम</strong></p>
<p><strong>मुस्तफ़इलुन फ़ाइलातुन मुस्तफ़इलुन फ़ाइलातुन</strong></p>
<p><strong>2212 2122 2212 2122</strong></p>
<p> </p>
<p>फिर धीरे धीरे यहाँ का मौसम बदलने लगा है</p>
<p>वातावरण सो रहा था आँख मलने लगा है</p>
<p><strong> </strong></p>
<p><strong>मुज्तस मुसम्मन मख़्बून महज़ूफ़ मुसक्किन</strong></p>
<p><strong>मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन</strong></p>
<p><strong>1212 1122 1212 22</strong></p>
<p> </p>
<p>कहाँ तो तय था चिराग़ाँ हर एक घर के लिए</p>
<p>कहाँ चिराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिए</p>
<p> </p>
<p>वो मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता</p>
<p>मैं बेक़रार हूँ आवाज़ में असर के लिए</p>
<p> </p>
<p>दुकानदार तो मेले में लुट गए यारों</p>
<p>तमाशबीन दुकानें लगा के बैठ गए</p>
<p> </p>
<p>नज़र-नवाज़ नज़ारा बदल न जाए कहीं</p>
<p>जरा-सी बात है मुँह से निकल न जाए कहीं</p>
<p> </p>
<p>ये रौशनी है हक़ीक़त में एक छल, लोगो</p>
<p>कि जैसे जल में झलकता हुआ महल, लोगो</p>
<p> </p>
<p>वो घर में मेज़ पे कोहनी टिकाये बैठी है</p>
<p>थमी हुई है वहीं उम्र आजकल, लोगो</p>
<p> </p>
<p>वे कह रहे हैं ग़ज़ल गो नहीं रहे शायर</p>
<p>मैं सुन रहा हूँ हर इक सिम्त से ग़ज़ल, लोगो</p>
<p> </p>
<p>बहुत क़रीब न आओ यक़ीं नहीं होगा</p>
<p>ये आरज़ू भी अगर कामयाब हो जाए</p>
<p> </p>
<p>ग़लत कहूँ तो मेरी आक़बत बिगड़ती है</p>
<p>जो सच कहूँ तो ख़ुदी बेनक़ाब हो जाए</p>
<p> </p>
<p>बहुत सँभाल के रक्खी तो पाएमाल हुई</p>
<p>सड़क पे फेंक दी तो ज़िंदगी निहाल हुई</p>
<p> </p>
<p>ज़रा-सा तौर-तरीक़ों में हेर-फेर करो</p>
<p>तुम्हारे हाथ में कालर हो, आस्तीन नहीं</p>
<p> </p>
<p><strong>खफ़ीफ़ मुरब्बा सालिम मख़्बून</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>2122</strong><strong> </strong><strong>1212</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>आइये आँख मूँद लें</p>
<p>ये नज़ारे अजीब हैं</p>
<p> </p>
<p>सिलसिले ख़त्म हो गए</p>
<p>यार अब भी रक़ीब है</p>
<p> </p>
<p>आपने लौ छुई नहीं</p>
<p>आप कैसे अदीब हैं</p>
<p> </p>
<p>उफ़ नहीं की उजड़ गए</p>
<p>लोग सचमुच ग़रीब हैं</p>
<p> </p>
<p><strong>खफ़ीफ़ मुसद्दस सालिम मख़्बून महज़ूफ़ मुसक्किन</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन</strong></p>
<p><strong>2122 1212 22</strong></p>
<p> </p>
<p>चांदनी छत पे चल रही होगी</p>
<p>अब अकेली टहल रही होगी</p>
<p> </p>
<p>आज वीरान अपना घर देखा</p>
<p>तो कई बार झाँक कर देखा</p>
<p> </p>
<p>हमने सोचा था जवाब आएगा</p>
<p>एक बेहूदा सवाल आया है</p>
<p> </p>
<p>ये ज़ुबाँ हमसे सी नहीं जाती</p>
<p>ज़िन्दगी है कि जी नहीं जाती</p>
<p> </p>
<p>मुझको ईसा बना दिया तुमने</p>
<p>अब शिकायत भी की नहीं जाती</p>
<p> </p>
<p>जिस तबाही से लोग बचते थे</p>
<p>वो सरे आम हो रही है अब</p>
<p> </p>
<p>अज़मते-मुल्क इस सियासत के</p>
<p>हाथ नीलाम हो रही है अब</p>
<p> </p>
<p>मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूँ</p>
<p>वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूँ</p>
<p> </p>
<p>एक जंगल है तेरी आँखों में</p>
<p>मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ</p>
<p> </p>
<p>तू किसी रेल-सी गुज़रती है</p>
<p>मैं किसी पुल-सा थरथराता हूँ</p>
<p> </p>
<p>मैं तुझे भूलने की कोशिश में</p>
<p>आज कितने क़रीब पाता हूँ</p> मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारणtag:www.openbooksonline.com,2018-09-02:5170231:Topic:9477542018-09-02T08:18:50.067ZAnanda Shrestahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnandaShresta
<p></p>
<p>उदाहरणार्थ चुने गए शेरों के लिए कोशिश ये रही है की दीवान-ए-ग़ालिब की हर ग़ज़ल से कम से कम एक शेर अवश्य हो. कुछ शेर उन अप्रकाशित ग़ज़लों के भी रखे गए हैं जो दीवान-ए-ग़ालिब में शामिल नहीं हैं. </p>
<p> </p>
<p><strong>मुतक़ारिब असरम मक़्बूज़ महज़ूफ़…</strong></p>
<p></p>
<p>उदाहरणार्थ चुने गए शेरों के लिए कोशिश ये रही है की दीवान-ए-ग़ालिब की हर ग़ज़ल से कम से कम एक शेर अवश्य हो. कुछ शेर उन अप्रकाशित ग़ज़लों के भी रखे गए हैं जो दीवान-ए-ग़ालिब में शामिल नहीं हैं. </p>
<p> </p>
<p><strong>मुतक़ारिब असरम मक़्बूज़ महज़ूफ़ 16-रुक्नी(बह्र-ए-मीर)</strong></p>
<p><strong>फ़अ’लु</strong><span> </span><strong>फ़ऊलु</strong><strong> </strong><span> </span><strong>फ़ऊलु</strong><strong> </strong><span> </span><strong>फ़ऊलु</strong><strong> </strong><span> </span><strong>फ़ऊलु</strong><strong> </strong><span> </span><strong>फ़ऊलु</strong><strong> </strong><span> </span><strong>फ़ऊलु</strong><span> </span><strong>फ़’अल</strong></p>
<p><b>21 121 121 121 121 121 121 12</b></p>
<p><b>तख्नीक से हासिल अरकान :</b></p>
<p><b>फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा</b></p>
<p><b>22 22 22 22 22 22 22 2 </b></p>
<p></p>
<p>वहशी बन सैय्याद ने हम रम-ख़ुर्दों को क्या राम किया</p>
<p>रिश्ता-ए-चाके-जेबे-दरीदा सर्फ़े-क़िमाशे-दाम किया</p>
<p> </p>
<p>अक्स-ए-रुख़-ए-अफ़्रोख़्ता था तस्वीर बपुश्ते-आईना</p>
<p>शोख़ <span>ने वक़्त-ए-हुस्नतराज़ी तमकीं से आराम किया</span></p>
<p> </p>
<p>साक़ी ने अज़-बहर-ए-गरीबाँचाकी मौज-ए-बादा-ए-नाब</p>
<p>तारे-निगाहे-सोज़ने-मीना रिश्ता-ए-ख़त्ते-जाम किया</p>
<p> </p>
<p>मुहर बजाये नामा लगाई बरलबे-पैके-नामा रसां</p>
<p>क़ातिले-तमकींसंज ने यूं ख़ामोशी का पैग़ाम किया</p>
<p> </p>
<p>शामे-फ़िराक़े-यार में जोशे-ख़ीरासरी से हमने '<span>असद</span>'</p>
<p>माह को दर तस्वीहे-कवाकिब जा-ए-नशीने-इमाम किया</p>
<p></p>
<p>(ये ग़ज़ल नुस्ख़ा-ए-हमीदिया से ली गई है ये दीवान-ए-ग़ालिब में शामिल नहीं है)</p>
<p></p>
<p><strong>मुत़क़ारिब मुसम्मन सालिम</strong></p>
<p><strong>फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन</strong></p>
<p><strong>122 122 122 122</strong></p>
<p> </p>
<p>जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं</p>
<p>ख़याबाँ ख़याबाँ इरम देखते हैं</p>
<p><br/> बना कर फ़क़ीरों का हम भेस 'ग़ालिब'</p>
<p>तमाशा-ए-अहल-ए-करम देखते हैं</p>
<p> </p>
<p>लब-ए-ख़ुश्क दर-तिश्नगी-मुर्दगाँ का</p>
<p>ज़ियारत-कदा हूँ दिल-आज़ुर्दगाँ का</p>
<p> </p>
<p>रहा गर कोई ता-क़यामत सलामत</p>
<p>फिर इक रोज़ मरना है हज़रत सलामत</p>
<p> </p>
<p><strong>हज़ज</strong> <strong>मुसद्दस</strong> <strong>अख़रब</strong> <strong>मक़्बूज़</strong> <strong>महज़ूफ़</strong></p>
<p><strong>मफ़ऊल</strong> <strong>मुफ़ाइलुन</strong> <strong>फ़ऊलुन</strong></p>
<p><strong>221 1212 122</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>फ़रियाद की कोई लै नहीं है</p>
<p>नाला पाबंदे नै नहीं है</p>
<p> </p>
<p>हाँ खाइयो मत फ़रेब-ए-हस्ती</p>
<p>हर-चंद कहें कि है नहीं है</p>
<p><strong> </strong></p>
<p><strong>हज़ज़ मुसद्दस महजूफ़</strong></p>
<p><strong>मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन</strong></p>
<p><strong>1222 1222 122</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>हवस को है निशाते कार क्या क्या </p>
<p>न हो मरना तो जीने का मज़ा क्या</p>
<p></p>
<p>बला-ए-जाँ है '<span>ग़ालिब</span>' <span>उस की हर बात</span></p>
<p>इबारत क्या इशारत क्या अदा क्या</p>
<p> </p>
<p><strong>हज़ज मुसम्मन सालिम</strong></p>
<p><strong>मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन</strong></p>
<p><strong>1222 1222 1222 1222</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>किसी को दे के दिल कोई नवा-संज-ए-फ़ुग़ाँ क्यूँ हो</p>
<p>न हो जब दिल ही सीने में तो फिर मुँह में ज़बाँ क्यूँ हो</p>
<p></p>
<p>वो अपनी ख़ू न छोड़ेंगे हम अपनी वज़्अ क्यूँ छोड़ें</p>
<p>सुबुक-सर बन के क्या पूछें कि हम से सरगिराँ क्यूँ हो</p>
<p> </p>
<p>किया ग़म-ख़्वार ने रुस्वा लगे आग इस मोहब्बत को</p>
<p>न लावे ताब जो ग़म की वो मेरा राज़-दाँ क्यूँ हो</p>
<p> </p>
<p>वफ़ा कैसी कहाँ का इश्क़ जब सर फोड़ना ठहरा</p>
<p>तो फिर ऐ संग-दिल तेरा ही संग-ए-आस्ताँ क्यूँ हो</p>
<p> </p>
<p>क़फ़स में मुझ से रूदाद-ए-चमन कहते न डर हमदम</p>
<p>गिरी है जिस पे कल बिजली वो मेरा आशियाँ क्यूँ हो</p>
<p> </p>
<p>ये फ़ित्ना आदमी की ख़ाना-वीरानी को क्या कम है</p>
<p>हुए तुम दोस्त जिस के दुश्मन उस का आसमाँ क्यूँ हो</p>
<p> </p>
<p>कहा तुम ने कि क्यूँ हो ग़ैर के मिलने में रुस्वाई</p>
<p>बजा कहते हो सच कहते हो फिर कहियो कि हाँ क्यूँ हो</p>
<p> </p>
<p>निकाला चाहता है काम क्या तानों से तू 'ग़ालिब'</p>
<p>तेरे बे-मेहर कहने से वो तुझ पर मेहरबाँ क्यूँ हो</p>
<p> </p>
<p>न लुटता दिन को तो कब रात को यूँ बे-ख़बर सोता</p>
<p>रहा खटका न चोरी का दुआ देता हूँ रहज़न को</p>
<p> </p>
<p>रहा आबाद आलम अहल-ए-हिम्मत के न होने से</p>
<p>भरे हैं जिस क़दर जाम-ओ-सुबू मैख़ाना ख़ाली है</p>
<p> </p>
<p>किया आईना-ख़ाने का वो नक़्शा तेरे जल्वे ने</p>
<p>करे जो परतव-ए-ख़ुर्शीद आलम शबनमिस्ताँ का</p>
<p> </p>
<p>मेेरी ता'मीर में मुज़्मर है इक सूरत ख़राबी की</p>
<p>हयूला बर्क़-ए-ख़िर्मन का है ख़ून-ए-गरम दहक़ाँ का</p>
<p> </p>
<p>ख़मोशी में निहाँ ख़ूँ-गश्ता लाखों आरज़ूएँ हैं</p>
<p>चराग़-ए-मुर्दा हूँ मैं बे-ज़बाँ गोर-ए-ग़रीबाँ का</p>
<p> </p>
<p>नज़र में है हमारी जादा-ए-राह-ए-फ़ना 'ग़ालिब'</p>
<p>कि ये शीराज़ा है आलम के अज्ज़ा-ए-परेशाँ का</p>
<p> </p>
<p>न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता</p>
<p>डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता</p>
<p> </p>
<p>सरापा रेहन-इश्क़-ओ-ना-गुज़ीर-उल्फ़त-हस्ती</p>
<p>इबादत बर्क़ की करता हूँ और अफ़्सोस हासिल का</p>
<p> </p>
<p>न होगा यक-बयाबाँ माँदगी से ज़ौक़ कम मेरा</p>
<p>हुबाब-ए-मौजा-ए-रफ़्तार है नक़्श-ए-क़दम मेरा</p>
<p> </p>
<p>कहाँ तक रोऊँ उस के ख़ेमे के पीछे क़यामत है</p>
<p>मेेरी क़िस्मत में या-रब क्या न थी दीवार पत्थर की</p>
<p> </p>
<p>तपिश से मेरी वक़्फ़-ए-कशमकश हर तार-ए-बिस्तर है</p>
<p>मेरा सर रंज-ए-बालीं है मेरा तन बार-ए-बिस्तर है</p>
<p> </p>
<p>ख़ुशा इक़बाल-ए-रंजूरी अयादत को तुम आए हो</p>
<p>फ़रोग-ए-शम-ए-बालीं फ़रोग-ए-शाम-ए-बालीँ है</p>
<p> </p>
<p>रुख़-ए-निगार से है सोज़-ए-जावेदानी-ए-शम्मा</p>
<p>हुई है आतिश-ए-गुल आब-ए-ज़ि़ंदगानी-ए-शम्मा</p>
<p> </p>
<p>सितम-कश मस्लहत से हूँ कि ख़ूबाँ तुझ पे आशिक़ हैं</p>
<p>तकल्लुफ़ बरतरफ़ मिल जाएगा तुझ सा रक़ीब आख़िर</p>
<p> </p>
<p>रवानी-हा-ए-मौज-ए-ख़ून-ए-बिस्मिल से टपकता है</p>
<p>कि लुत्फ़-ए-बे-तहाशा-रफ़्तन-ए-क़ातिल-पसंद आया</p>
<p> </p>
<p>न लेवे गर ख़स-ए-जौहर तरावत सब्ज़ा-ए-ख़त से</p>
<p>लगाए ख़ाना-ए-आईना में रू-ए-निगार आतिश</p>
<p> </p>
<p>क़यामत है कि सुन लैला का दश्त-ए-क़ैस में आना</p>
<p>तअज्जुब से वो बोला यूँ भी होता है ज़माने में</p>
<p> </p>
<p>न जानूँ नेक हूँ या बद हूँ पर सोहबत-मुख़ालिफ़ है</p>
<p>जो गुल हूँ तो हूँ गुलख़न में जो ख़स हूँ तो हूँ गुलशन में</p>
<p> </p>
<p>वफ़ा-ए-दिलबराँ है इत्तिफ़ाक़ी वर्ना ऐ हमदम</p>
<p>असर फ़रियाद-ए-दिल-हा-ए-हज़ीं का किस ने देखा है</p>
<p> </p>
<p>सफ़ा-ए-हैरत-ए-आईना है सामान-ए-ज़ंग आख़िर</p>
<p>तग़य्युर आब-ए-बर-जा-मांदा का पाता है रंग आख़िर</p>
<p> </p>
<p>न दे नाले को इतना तूल 'ग़ालिब' मुख़्तसर लिख दे</p>
<p>कि हसरत-संज हूँ अर्ज़-ए-सितम-हा-ए-जुदाई का</p>
<p> </p>
<p>लब-ए-ईसा की जुम्बिश करती है गहवारा-जम्बानी</p>
<p>क़यामत कुश्त-ए-लाल-ए-बुताँ का ख़्वाब-ए-संगीं है</p>
<p> </p>
<p>लरज़ता है मेरा दिल ज़हमत-ए-मेहर-ए-दरख़्शाँ पर</p>
<p>मैं हूँ वो क़तरा-ए-शबनम कि हो ख़ार-ए-बयाबाँ पर</p>
<p> </p>
<p>ख़तर है रिश्ता-ए-उल्फ़त रग-ए-गर्दन न हो जावे</p>
<p>ग़ुरूर-ए-दोस्ती आफ़त है तू दुश्मन न हो जावे</p>
<p> </p>
<p>पस-अज़-मुर्दन भी दीवाना ज़ियारत-गाह-ए-तिफ़्लाँ है</p>
<p>शरार-ए-संग ने तुर्बत पे मेरी गुल-फ़िशानी की</p>
<p> </p>
<p>रहे उस शोख़ से आज़ुर्दा हम चंदे तकल्लुफ़ से</p>
<p>तकल्लुफ़ बरतरफ़ था एक अंदाज़-ए-जुनूँ वो भी</p>
<p> </p>
<p>'<span>असद</span>' <span>बिस्मिल है किस अंदाज़ का क़ातिल से कहता है</span></p>
<p>कि मश्क़-ए-नाज़ कर ख़ून-ए-दो-आलम मेरी गर्दन पर</p>
<p> </p>
<p>हुजूम-ए-ग़म से याँ तक सर-निगूनी मुझ को हासिल है</p>
<p>कि तार-ए-दामन-ओ-तार-ए-नज़र में फ़र्क़ मुश्किल है</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>जराहत-तोहफ़ा अल्मास-अर्मुग़ाँ दाग़-ए-जिगर हदिया</p>
<p>मुबारकबाद 'असद' ग़म-ख़्वार-ए-जान-ए-दर्दमंद आया</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>कभी नेकी भी उसके जी में गर आ जाये है मुझ से</p>
<p>जफ़ाएं करके अपनी याद शर्मा जाये है मुझ से</p>
<p> </p>
<p>हुई ये कसरत-ए-ग़म से तलफ़ कैफ़ियत-ए-शादी</p>
<p>कि सुबह-ए-ईद मुझ को बद-तर अज़-चाक-ए-गरेबाँ है</p>
<p> </p>
<p>हसद से दिल अगर अफ़्सुर्दा है गर्म-ए-तमाशा हो</p>
<p>कि चश्म-ए-तंग शायद कसरत-ए-नज़्ज़ारा से वा हो</p>
<p> </p>
<p>क़द ओ गेसू में क़ैस ओ कोहकन की आज़माइश है</p>
<p>जहाँ हम हैं वहाँ दार-ओ-रसन की आज़माइश है</p>
<p> </p>
<p>'<span>असद</span>' <span>हम वो जुनूँ-जौलाँ गदा-ए-बेसर-ओ-पा हैं</span></p>
<p>कि है सर-पंजा-ए-मिज़्गान-ए-आहू पुश्ते-ख़ार अपना</p>
<p></p>
<p>हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले</p>
<p>बहुत निकले मेंरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले</p>
<p></p>
<p>निकलना ख़ुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन <br/> बहुत बे-आबरू हो कर तेरे कूचे से हम निकले</p>
<p></p>
<p>मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का <br/> उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले</p>
<p></p>
<p>कहाँ मय-ख़ाने का दरवाज़ा 'ग़ालिब' और कहाँ वाइ'ज़ <br/> पर इतना जानते हैं कल वो जाता था कि हम निकले</p>
<p> </p>
<p><strong>हज़ज मुसम्मन अख़रब मक्फ़ूफ़ मक्फ़ूफ़ मुख़न्नक</strong></p>
<p><strong>मफ़ऊल मुफ़ाईलुन मफ़ऊल मुफ़ाईलुन</strong></p>
<p><strong>221 1222 221 1222</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>गुलशन को तेरी सोहबत अज़-बस कि ख़ुश आई है</p>
<p>हर ग़ुंचे का गुल होना आग़ोश-कुशाई है</p>
<p> </p>
<p><strong>हज़ज मुसम्मन अख़रब मक्फ़ूफ़ महज़ूफ़</strong></p>
<p><strong>मफ़ऊल मु</strong><strong>फ़ा</strong><strong>ईलु मु</strong><strong>फ़ा</strong><strong>ईलु </strong> <strong>फ़</strong><strong>ऊलुन</strong></p>
<p><strong>221 1221 1221 122</strong></p>
<p> </p>
<p>जिस ज़ख़्म की हो सकती हो तदबीर रफ़ू की</p>
<p>लिख दीजियो या रब उसे क़िस्मत में अदू की</p>
<p> </p>
<p>तौफ़ीक़ ब-अंदाज़ा-ए-हिम्मत है अज़ल से</p>
<p>आँखों में है वो क़तरा कि गौहर न हुआ था</p>
<p> </p>
<p>'ग़ालिब' तेरा अहवाल सुना देंगे हम उन को</p>
<p>वो सुन के बुला लें ये इजारा नहीं करते</p>
<p> </p>
<p>मत मर्दुमक-ए-दीदा में समझो ये निगाहें</p>
<p>हैं जम्अ सुवैदा-ए-दिल-ए-चश्म में आहें</p>
<p> </p>
<p>पीनस में गुज़रते हैं जो कूचे से वो मेरे</p>
<p>कंधा भी कहारों को बदलने नहीं देते</p>
<p> </p>
<p>लाज़िम था कि देखो मेरा रस्ता कोई दिन और</p>
<p>तन्हा गए क्यूँ अब रहो तन्हा कोई दिन और</p>
<p> </p>
<p>बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मेरे आगे</p>
<p>होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे</p>
<p> </p>
<p>मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे</p>
<p>तू देख कि क्या रंग है तेरा मेरे आगे</p>
<p> </p>
<p>ईमाँ मुझे रोके है जो खींचे है मुझे कुफ़्र</p>
<p>काबा मेरे पीछे है कलीसा मेरे आगे</p>
<p> </p>
<p>गो हाथ को जुम्बिश नहीं आँखों में तो दम है</p>
<p>रहने दो अभी साग़र-ओ-मीना मेरे आगे</p>
<p> </p>
<p>ग़ारतगर-ए-नामूश न हो गर हवस-ए-ज़र</p>
<p>क्यूँ शाहिद-ए-गुल बाग़ से बाज़ार में आवे</p>
<p> </p>
<p>हम रश्क को अपने भी गवारा नहीं करते</p>
<p>मरते हैं वले उन की तमन्ना नहीं करते</p>
<p> </p>
<p>हूँ मैं भी तमाशाई-ए-नैरंग-ए-तमन्ना</p>
<p>मतलब नहीं कुछ इस से कि मतलब ही बर आवे</p>
<p> </p>
<p>हैं और भी दुनिया में सुख़नवर बहुत अच्छे</p>
<p>कहते हैं कि 'ग़ालिब' का है अंदाज़-ए-बयाँ और</p>
<p> </p>
<p>काफ़ी है निशानी तेरा छल्ले का न देना</p>
<p>ख़ाली मुझे दिखला के ब-वक़्त-ए-सफ़र अंगुश्त</p>
<p> </p>
<p>होगा कोई ऐसा भी कि 'ग़ालिब' को न जाने</p>
<p>शायर तो वो अच्छा है पर बदनाम बहुत है</p>
<p> </p>
<p>है बज़्म-ए-बुताँ में सुख़न आज़ुर्दा-लबों से</p>
<p>तंग आए हैं हम ऐसे ख़ुशामद-तलबों से</p>
<p><strong> </strong></p>
<p><strong>हज़ज मुसम्मन</strong> <strong>अश्तर मक्फ़ूफ़ मक़्बूज़ मुख़न्नक सालिम</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन</strong></p>
<p><strong>212 1222 212 1222</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>कहते हो न देंगे हम दिल अगर पड़ा पाया</p>
<p>दिल कहाँ कि गुम कीजे हम ने मुद्दआ' पाया</p>
<p> </p>
<p>इश्क से तबीयत ने जिस्त का मज़ा पाया</p>
<p>दर्द की दवा पायी दर्द ला दवा पाया </p>
<p></p>
<p>है कहाँ तमन्ना का दूसरा क़दम या रब</p>
<p>हम ने दश्त-ए-इम्काँ को एक नक़्श-ए-पा पाया</p>
<p> </p>
<p>ज़िक्र उस परीवश का और फिर बयां अपना</p>
<p>बन गया रकीब आखिर जो था राजदां अपना</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>हम कहाँ के दाना थे किस हुनर में यकता थे</p>
<p>बे-सबब हुआ 'ग़ालिब' दुश्मन आसमाँ अपना</p>
<p> </p>
<p><strong>रमल मुसद्दस </strong> <strong>महज़ूफ़</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>2122 2122 212</strong></p>
<p> </p>
<p>जौर से बाज़ आए पर बाज़ आएँ क्या</p>
<p>कहते हैं हम तुझ को मुँह दिखलाएँ क्या</p>
<p> </p>
<p>रात दिन गर्दिश में हैं सात आस्माँ <br/> <span>हो रहेगा कुछ न कुछ घबराएँ क्या</span></p>
<p> </p>
<p>पूछते हैं वो कि 'ग़ालिब' कौन है</p>
<p>कोई बतलाओ कि हम बतलाएँ क्या</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>मुन्हसिर मरने पे हो जिस की उमीद</p>
<p>ना-उमीदी उस की देखा चाहिए</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>चाहते हैं ख़ूब-रूयों को 'असद'</p>
<p>आप की सूरत तो देखा चाहिए</p>
<p> </p>
<p>ग़ैर लें महफ़िल में बोसे जाम के</p>
<p>हम रहें यूँ तिश्ना-लब पैग़ाम के</p>
<p> </p>
<p>ख़त लिखेंगे गरचे मतलब कुछ न हो</p>
<p>हम तो आशिक़ हैं तुम्हारे नाम के</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया</p>
<p>वर्ना हम भी आदमी थे काम के </p>
<p> </p>
<p>कोई दिन गर ज़िंदगानी और है</p>
<p>अपने जी मे हमने ठानी और है</p>
<p> </p>
<p>हो चुकीं 'ग़ालिब' बलाएँ सब तमाम</p>
<p>एक मर्ग-ए-नागहानी और है </p>
<p> </p>
<p><strong>रमल मुसद्दस सालिम मख़्बून</strong> <strong>महज़ूफ़</strong> <strong>मुसक्किन</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन</strong></p>
<p><strong>2122 1122 22</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>कोई वीरानी सी वीरानी है</p>
<p>दश्त को देख के घर याद आया</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही</p>
<p>मेरी वहशत तेरी शोहरत ही सही</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>कहते हैं जीते हैं उम्मीद पे लोग</p>
<p>हम को जीने की भी उम्मीद नहीं</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>कब वो सुनता है कहानी मेरी</p>
<p>और फिर वो भी ज़बानी मेरी</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>क्यूँकर उस बुत से रखूँ जान अज़ीज़</p>
<p>क्या नहीं है मुझे ईमान अज़ीज़</p>
<p> </p>
<p>ताब लाए ही बनेगी 'ग़ालिब'</p>
<p>वाक़िआ सख़्त है और जान अज़ीज़</p>
<p> </p>
<p>सादा पुरकार हैं ख़ूबाँ 'ग़ालिब'</p>
<p>हम से पैमान-ए-वफ़ा बाँधते हैं</p>
<p> </p>
<p>शैख़ जी काबे का जाना मालूम</p>
<p>आप मस्जिद में गधा बाँधते हैं</p>
<p><strong> </strong></p>
<p><strong>रमल मुसम्मन महजूफ़</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>2122 2122 2122 212</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>नक़्श फ़रियादी है किस की शोख़ी-ए-तहरीर का</p>
<p>काग़ज़ी है पैरहन हर पैकर-ए-तस्वीर का</p>
<p> </p>
<p>रहिए अब ऐसी जगह चल कर जहाँ कोई न हो</p>
<p>हम-सुख़न कोई न हो और हम-ज़बाँ कोई न हो</p>
<p></p>
<p>बे-दर-ओ-दीवार सा इक घर बनाया चाहिए</p>
<p>कोई हम-साया न हो और पासबाँ कोई न हो</p>
<p> </p>
<p>पड़िए गर बीमार तो कोई न हो तीमारदार</p>
<p>और अगर मर जाइए तो नौहा-ख़्वाँ कोई न हो</p>
<p> </p>
<p>सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं</p>
<p>ख़ाक में क्या सूरतें होंगी कि पिन्हाँ हो गईं</p>
<p> </p>
<p>नींद उस की है दिमाग़ उस का है रातें उस की हैं</p>
<p>तेरी ज़ुल्फ़ें जिस के बाज़ू पर परेशाँ हो गईं</p>
<p> </p>
<p>हम मुवह्हिद हैं हमारा केश है तर्क-ए-रूसूम</p>
<p>मिल्लतें जब मिट गईं अज्ज़ा-ए-ईमाँ हो गईं</p>
<p> </p>
<p>रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ तो मिट जाता है रंज</p>
<p>मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं</p>
<p> </p>
<p>या रब इस आशुफ़्तगी की दाद किस से चाहिए</p>
<p>रश्क आसाइश पे है ज़िंदानियों की अब मुझे</p>
<p> </p>
<p>तब्अ है मुश्ताक़-ए-लज़्ज़त-हा-ए-हसरत क्या करूँ</p>
<p>आरज़ू से है शिकस्त-ए-आरज़ू मतलब मुझे</p>
<p> </p>
<p>सादगी पर उस की मर जाने की हसरत दिल में है</p>
<p>बस नहीं चलता कि फिर ख़ंजर कफ़-ए-क़ातिल में है</p>
<p> </p>
<p>देखना तक़रीर की लज़्ज़त कि जो उस ने कहा</p>
<p>मैं ने ये जाना कि गोया ये भी मेरे दिल में है</p>
<p> </p>
<p>हूँ चराग़ान-ए-हवस जूँ काग़ज़-ए-आतिश-ज़दा</p>
<p>दाग़ गर्म-ए-कोशिश-ए-ईजाद-ए-दाग़-ए-ताज़ा था</p>
<p> </p>
<p>शब कि बर्क़-ए-सोज़-ए-दिल से ज़हरा-ए-अब्र आब था</p>
<p>शोला-ए-जव्वाला हर यक हल्क़ा-ए-गिर्दाब था</p>
<p></p>
<p>वां ख़ुद-आराई को था मोती पिरोने का ख़्याल</p>
<p>याँ हुजूम-ए-अश्क में तार-ए-निगह नायाब था</p>
<p> </p>
<p>आज क्यों पर्वा नहीं अपने असीरों की तुझे</p>
<p>कल तलक तेरा भी दिल महरो-वफ़ा का बाब था</p>
<p> </p>
<p>मैंने रोका रात ग़ालिब को वगरना देखते</p>
<p>उस के सैल-ए-गिर्या में गर्दूं कफ़-ए-सैलाब था</p>
<p></p>
<p>शब कि वो मजलिस-फ़रोज़-ए-ख़ल्वत-ए-नामूस था</p>
<p>रिश्ता-ए-हर-शम'अ ख़ार-ए-किस्वत-ए-फ़ानूस था</p>
<p> </p>
<p>हासिल-ए-उल्फ़त न देखा जुज़-शिकस्त-ए-आरज़ू</p>
<p>दिल-ब-दिल पैवस्ता गोया यक लब-ए-अफ़्सोस था</p>
<p> </p>
<p>आबरू क्या ख़ाक उस गुल की कि गुलशन में नहीं</p>
<p>है गरेबाँ नंग-ए-पैराहन जो दामन में नहीं</p>
<p> </p>
<p>मैं और एक आफ़त का टुकड़ा वो दिल-ए-वहशी कि है</p>
<p>आफ़ियत का दुश्मन और आवारगी का आश्ना</p>
<p> </p>
<p>दाद देता है मेरे ज़ख़्म-ए-जिगर की वाह वाह</p>
<p>याद करता है मुझे देखे है वो जिस जा नमक</p>
<p> </p>
<p>रहम कर ज़ालिम कि क्या बूद-ए-चराग़-ए-कुश्ता है</p>
<p>नब्ज़-ए-बीमार-ए-वफ़ा दूद-ए-चराग़-ए-कुश्ता है</p>
<p> </p>
<p>हम-नशीं मत कह कि बरहम कर न बज़्म-ए-ऐश-ए-दोस्त</p>
<p>वाँ तो मेरे नाले को भी ए'तिबार-ए-नग़्मा है</p>
<p> </p>
<p>ए'तिबार-ए-इश्क़ की ख़ाना-ख़राबी देखना</p>
<p>ग़ैर ने की आह लेकिन वो ख़फ़ा मुझ पर हुआ</p>
<p> </p>
<p>हूँ सरापा साज़-ए-आहंग-ए-शिकायत कुछ न पूछ</p>
<p>है यही बेहतर कि लोगों में न छेड़े तू मुझे</p>
<p> </p>
<p>कसरत-ए-जौर-ओ-सितम से हो गया हूँ बे-दिमाग़</p>
<p>ख़ूब-रूयों ने बनाया 'ग़ालिब'-ए-बद-ख़ू मुझे</p>
<p> </p>
<p>लाग़र इतना हूँ कि गर तू बज़्म में जा दे मुझे</p>
<p>मेरा ज़िम्मा देख कर गर कोई बतला दे मुझे</p>
<p> </p>
<p>मरते मरते देखने की आरज़ू रह जाएगी</p>
<p>वाए नाकामी कि उस काफ़िर का ख़ंजर तेज़ है</p>
<p> </p>
<p>कोह के हों बार-ए-ख़ातिर गर सदा हो जाइए</p>
<p>बे-तकल्लुफ़ ऐ शरार-ए-जस्ता क्या हो जाइए</p>
<p> </p>
<p>हो गई है ग़ैर की शीरीं-बयानी कारगर</p>
<p>इश्क़ का उस को गुमाँ हम बे-ज़बानों पर नहीं</p>
<p> </p>
<p>चश्म-ए-ख़ूबाँ ख़ामुशी में भी नवा-पर्दाज़ है</p>
<p>सुर्मा तो कहवे कि दूद-ए-शोला-ए-आवाज़ है</p>
<p> </p>
<p>दिल लगा कर लग गया उन को भी तन्हा बैठना</p>
<p>बारे अपनी बेकसी की हम ने पाई दाद याँ</p>
<p> </p>
<p>जादा-ए-रह ख़ुर को वक़्त-ए-शाम है तार-ए-शुआअ'</p>
<p>चर्ख़ वा करता है माह-ए-नौ से आग़ोश-ए-विदाअ’</p>
<p> </p>
<p>दिल में ज़ौक़-ए-वस्ल ओ याद-ए-यार तक बाक़ी नहीं</p>
<p>आग इस घर में लगी ऐसी कि जो था जल गया</p>
<p> </p>
<p>मैं हूँ और अफ़्सुर्दगी की आरज़ू 'ग़ालिब' कि दिल</p>
<p>देख कर तर्ज़-ए-तपाक-ए-अहल-ए-दुनिया जल गया</p>
<p> </p>
<p>मुझ से मत कह तू हमें कहता था अपनी ज़िंदगी</p>
<p>ज़िंदगी से भी मेरा जी इन दिनों बे-ज़ार है</p>
<p> </p>
<p>है अब इस मामूरे में क़हत-ए-ग़म-ए-उल्फ़त 'असद'</p>
<p>हम ने ये माना कि दिल्ली में रहें खावेंगे क्या</p>
<p> </p>
<p>ग़ैर यूँ करता है मेरी पुर्सिश उस के हिज्र में</p>
<p>बे-तकल्लुफ़ दोस्त हो जैसे कोई ग़म-ख़्वार-ए-दोस्त</p>
<p> </p>
<p>आमद-ए-सैलाब-ए-तूफ़ान-ए-सदा-ए-आब है</p>
<p>नक़्श-ए-पा जो कान में रखता है उँगली जादा से</p>
<p> </p>
<p>शोरिश-ए-बातिन के हैं अहबाब मुनकिर वर्ना याँ</p>
<p>दिल मुहीत-ए-गिर्या ओ लब आशना-ए-ख़ंदा है</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>बर्शिकाल-ए-गिर्या-ए-आशिक़ है देखा चाहिए</p>
<p>खिल गई मानिंद-ए-गुल सौ जा से दीवार-ए-चमन</p>
<p> </p>
<p>है ख़याल-ए-हुस्न में हुस्न-ए-अमल का सा ख़याल</p>
<p>ख़ुल्द का इक दर है मेरी गोर के अंदर खुला</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>चाक की ख़्वाहिश अगर वहशत ब-उर्यानी करे</p>
<p>सुब्ह के मानिंद ज़ख़्म-ए-दिल गरेबानी करे</p>
<p> </p>
<p>दर्द से मेरे है तुझ को बे-क़रारी हाय हाय</p>
<p>क्या हुई ज़ालिम तेरी ग़फ़लत-शिआरी हाय हाय</p>
<p> </p>
<p>वादा आने का वफ़ा कीजे ये क्या अंदाज़ है</p>
<p>तुम ने क्यूँ सौंपी है मेरे घर की दरबानी मुझे</p>
<p> </p>
<p>देखना क़िस्मत कि आप अपने पे रश्क आ जाए है</p>
<p>मैं उसे देखूँ भला कब मुझ से देखा जाए है</p>
<p> </p>
<p>दर पे रहने को कहा और कह के कैसा फिर गया</p>
<p>जितने अर्से में मेरा लिपटा हुआ बिस्तर खुला</p>
<p> </p>
<p>रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ तो मिट जाता है रंज</p>
<p>मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं</p>
<p> </p>
<p>क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हाँ</p>
<p>रंग लावेगी हमारी फ़ाक़ा-मस्ती एक दिन</p>
<p> </p>
<p>हुस्न-ए-बे-परवा ख़रीदार-ए-माता-ए-जल्वा है</p>
<p>आइना ज़ानू-ए-फ़िक्र-ए-इख़्तिरा-ए-जल्वा है</p>
<p> </p>
<p>दोस्त गम ख्वारी में मेरी सअई फरमावेंगे क्या</p>
<p>ज़ख्म के भरने तलक नाख़ून न बढ़ आवेंगे क्या</p>
<p> </p>
<p>गर किया नासेह ने हम को क़ैद अच्छा यूँ सही</p>
<p>ये जुनून-ए-इश्क़ के अंदाज़ छुट जावेंगे क्या</p>
<p> </p>
<p>है अब इस मामूरे में क़हत-ए-ग़म-ए-उल्फ़त 'असद'</p>
<p>हम ने ये माना कि दिल्ली में रहें खावेंगे क्या</p>
<p> </p>
<p><strong>रमल मुसम्मन सालिम मख़्बून महज़ूफ़ मुसक्किन</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन</strong></p>
<p><strong>2122 1122 1122 22</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन</p>
<p>दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है</p>
<p> </p>
<p>ज़िंदगी अपनी जब इस शक्ल से गुज़री 'ग़ालिब'</p>
<p>हम भी क्या याद करेंगे कि ख़ुदा रखते थे</p>
<p> </p>
<p>उग रहा है दर-ओ-दीवार से सब्ज़ा 'ग़ालिब'</p>
<p>हम बयाबाँ में हैं और घर में बहार आई है</p>
<p> </p>
<p>ज़िक्र मेरा ब-बदी भी उसे मंज़ूर नहीं</p>
<p>ग़ैर की बात बिगड़ जाए तो कुछ दूर नहीं</p>
<p> </p>
<p>शिकवे के नाम से बे-मेहर ख़फ़ा होता है</p>
<p>ये भी मत कह कि जो कहिए तो गिला होता है</p>
<p> </p>
<p>रखियो 'ग़ालिब' मुझे इस तल्ख़-नवाई में मुआफ़</p>
<p>आज कुछ दर्द मेरे दिल में सिवा होता है</p>
<p> </p>
<p>नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने</p>
<p>क्या बने बात जहाँ बात बताए न बने</p>
<p> </p>
<p>इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब'</p>
<p>कि लगाए न लगे और बुझाए न बने</p>
<p> </p>
<p>बू-ए-गुल नाला-ए-दिल दूद-ए-चराग़-ए-महफ़िल</p>
<p>जो तेरी बज़्म से निकला सो परेशाँ निकला</p>
<p> </p>
<p>सुर्मा-ए-मुफ़्त-ए-नज़र हूँ मेरी क़ीमत ये है</p>
<p>कि रहे चश्म-ए-ख़रीदार पे एहसाँ मेरा</p>
<p> </p>
<p>न हुई गर मेरे मरने से तसल्ली न सही</p>
<p>इम्तिहाँ और भी बाक़ी हो तो ये भी न सही</p>
<p> </p>
<p>न सताइश की तमन्ना न सिले की पर्वा</p>
<p>गर नहीं हैं मेरे अशआ'र में मा'नी न सही</p>
<p> </p>
<p>मेहरबाँ हो के बुला लो मुझे चाहो जिस वक़्त</p>
<p>मैं गया वक़्त नहीं हूँ कि फिर आ भी न सकूँ</p>
<p> </p>
<p>ज़हर मिलता ही नहीं मुझ को सितमगर वर्ना</p>
<p>क्या क़सम है तेरे मिलने की कि खा भी न सकूँ</p>
<p> </p>
<p>सर उड़ाने के जो वादे को मुकर्रर चाहा</p>
<p>हँस के बोले कि तेरे सर की क़सम है हम को</p>
<p> </p>
<p>वो मेरी चीन-ए-जबीं से ग़म-ए-पिन्हाँ समझा</p>
<p>राज़-ए-मक्तूब ब-बे-रब्ती-ए-उनवाँ समझा</p>
<p> </p>
<p>दिल दिया जान के क्यूँ उस को वफ़ादार 'असद'</p>
<p>ग़लती की कि जो काफ़िर को मुसलमाँ समझा</p>
<p> </p>
<p>मुज़्दा ऐ ज़ौक़-ए-असीरी कि नज़र आता है</p>
<p>दाम-ए-ख़ाली क़फ़स-ए-मुर्ग़-ए-गिरफ़्तार के पास</p>
<p> </p>
<p>दहन-ए-शेर में जा बैठे लेकिन ऐ दिल</p>
<p>न खड़े हूजिए ख़ूबान-ए-दिल-आज़ार के पास</p>
<p> </p>
<p>तू वो बद-ख़ू कि तहय्युर को तमाशा जाने</p>
<p>ग़म वो अफ़्साना कि आशुफ़्ता-बयानी माँगे</p>
<p> </p>
<p>मुँद गईं खोलते ही खोलते आँखें 'ग़ालिब'</p>
<p>यार लाए मेरी बालीं पे उसे पर किस वक़्त</p>
<p> </p>
<p>यक-क़लम काग़ज़-ए-आतिश-ज़दा है सफ़्हा-ए-दश्त</p>
<p>नक़्श-ए-पा में है तब-ए-गर्मी-ए-रफ़्तार हुनूज़</p>
<p> </p>
<p>होश उड़ते हैं मेरे जल्वा-ए-गुल देख 'असद'</p>
<p>फिर हुआ वक़्त कि हो बाल-कुशा मौज-ए-शराब</p>
<p> </p>
<p>'<span>ग़ालिब</span>' <span>अपना ये अक़ीदा है ब-क़ौल-ए-</span>'<span>नासिख़</span>'</p>
<p>आप बे-बहरा है जो मो'<span>तक़िद-ए-</span>'<span>मीर</span>' <span>नहीं</span></p>
<p> </p>
<p>'<span>मीर</span>' <span>के शेर का अहवाल कहूँ क्या</span> '<span>ग़ालिब</span>'</p>
<p>जिस का दीवान कम-अज़-गुलशन-ए-कश्मीर नहीं</p>
<p> </p>
<p>की वफ़ा हम से तो ग़ैर इस को जफ़ा कहते हैं</p>
<p>होती आई है कि अच्छों को बुरा कहते हैं</p>
<p> </p>
<p>इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना</p>
<p>दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना</p>
<p> </p>
<p>जब ब-तक़रीब-ए-सफ़र यार ने महमिल बाँधा</p>
<p>तपिश-ए-शौक़ ने हर ज़र्रे पे इक दिल बाँधा</p>
<p> </p>
<p>जौहर-ए-तेग़ ब-सर-चश्मा-ए-दीगर मालूम</p>
<p>हूँ मैं वो सब्ज़ा कि ज़हराब उगाता है मुझे</p>
<p> </p>
<p>हुस्न ग़म्ज़े की कशाकश से छुटा मेरे बअ'द</p>
<p>बारे आराम से हैं अहल-ए-जफ़ा मेरे बअ'द</p>
<p> </p>
<p>रेख़्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो 'ग़ालिब'</p>
<p>कहते हैं अगले ज़माने में कोई 'मीर' भी था</p>
<p> </p>
<p>हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ मुझ से</p>
<p>मेरी रफ़्तार से भागे है बयाबाँ मुझ से</p>
<p> </p>
<p>आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक</p>
<p>कौन जीता है तेरे जुल्फ के सर होने तक</p>
<p> </p>
<p>इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना</p>
<p>दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना</p>
<p> </p>
<p>की मेरे क़त्ल के बाद उस ने जफ़ा से तौबा</p>
<p>हाए उस ज़ूद-पशीमाँ का पशीमाँ होना</p>
<p> </p>
<p>दहर में नक़्श-ए-वफ़ा वजह-ए-तसल्ली न हुआ</p>
<p>है ये वो लफ़्ज़ कि शर्मिंदा-ए-मअ'नी न हुआ</p>
<p></p>
<p>बस कि दुश्वार है हर काम का आसां होना</p>
<p>आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसां होना</p>
<p> </p>
<p>थी ख़बर गर्म कि 'ग़ालिब' के उड़ेंगे पुर्ज़े</p>
<p>देखने हम भी गए थे प तमाशा न हुआ</p>
<p> </p>
<p>शौक़ हर रंग में रक़ीबे सरो सामां निकला</p>
<p>कैस तस्वीर के परदे में भी उरियां निकला</p>
<p><strong> </strong></p>
<p><strong>रमल मुसम्मन मख़्बून महज़ूफ़ मुसक्किन</strong></p>
<p><strong>फ़इलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन</strong></p>
<p><strong>1122 1122 1122 22</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>हवस-ए-गुल का तसव्वुर में भी खटका न रहा</p>
<p>अजब आराम दिया, बेपर-ओ-बाली ने मुझे</p>
<p> </p>
<p><strong>रमल मुसम्मन मश्कूल सालिम</strong></p>
<p><strong>फ़इलातु फ़ाइलातुन फ़इलातु फ़ाइलातुन </strong></p>
<p><strong>1121 2122 1121 2122</strong></p>
<p> </p>
<p>ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता</p>
<p>अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता</p>
<p> </p>
<p>तेरे वा'दे पर जिए हम तो ये जान झूठ जाना</p>
<p>कि ख़ुशी से मर न जाते अगर ए'तिबार होता</p>
<p> </p>
<p>कोई मेरे दिल से पूछे तेरे तीर-ए-नीम-कश को</p>
<p>ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता</p>
<p> </p>
<p>ग़म अगरचे जाँ-गुसिल है प कहाँ बचें कि दिल है</p>
<p>ग़म-ए-इश्क़ गर न होता ग़म-ए-रोज़गार होता</p>
<p> </p>
<p>कहूँ किस से मैं कि क्या है शब-ए-ग़म बुरी बला है</p>
<p>मुझे क्या बुरा था मरना अगर एक बार होता</p>
<p> </p>
<p>हुए मर के हम जो रुस्वा हुए क्यूँ न ग़र्क़-ए-दरिया</p>
<p>न कभी जनाज़ा उठता न कहीं मज़ार होता</p>
<p> </p>
<p>उसे कौन देख सकता कि यगाना है वो यकता</p>
<p>जो दुई की बू भी होती तो कहीं दो-चार होता</p>
<p> </p>
<p>ये मसाईल-ए-तसव्वुफ़ ये तेरा बयान 'ग़ालिब'</p>
<p>तुझे हम वली समझते जो न बादा-ख़्वार होता</p>
<p> </p>
<p>यूँ ही दुख किसी को देना नहीं ख़ूब वर्ना कहता</p>
<p>कि मेरे अदू को या रब मिले मेरी ज़िंदगानी</p>
<p> </p>
<p><strong>रजज़ मुसम्मन मतव्वी मख़्बून</strong></p>
<p><strong>मुफ़्तइलुन मुफ़ाइलुन // मुफ़्तइलुन मुफ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>2112 1212 // 2112 1212</strong></p>
<p> </p>
<p>दिल ही तो है न संगो-खिश्त दर्द से भर न आए क्यूँ</p>
<p>रोएंगे हम हज़ार बार कोई हमे सताए क्यूँ</p>
<p> </p>
<p>क़ैद-ए-हयात ओ बंद-ए-ग़म अस्ल में दोनों एक हैं</p>
<p>मौत से पहले आदमी ग़म से नजात पाए क्यूँ</p>
<p> </p>
<p>'<span>ग़ालिब</span>'-<span>ए-ख़स्ता के बग़ैर कौन से काम बंद हैं</span></p>
<p>रोइए ज़ार ज़ार क्या कीजिए हाए हाए क्यूँ</p>
<p> </p>
<p>मैंने कहा कि बज्मे-नाज़, चाहिए ग़ैर से तही</p>
<p>सुन के सितम जरीफ़ ने, मुझको उठा दिया कि यूं</p>
<p><strong> </strong></p>
<p><strong>मज़ारे मुसम्मन अख़रब मक्फ़ूफ़ मक्फ़ूफ़ मुख़न्नक सालिम</strong></p>
<p><strong>मफ़ऊलु फ़ाइलातुन मफ़ऊलु फ़ाइलातुन</strong></p>
<p><strong>221 2122 221 2122</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>मैं और बज़्म-ए-मय से यूँ तिश्ना-काम आऊँ</p>
<p>गर मैं ने की थी तौबा साक़ी को क्या हुआ था</p>
<p> </p>
<p>करते हो शिकवा किस का तुम और बेवफ़ाई</p>
<p>सर पीटते हैं अपना हम और नेक-नामी</p>
<p> </p>
<p><strong>मज़ारे मुसम्मन अख़रब मक्फ़ूफ़ महजूफ़</strong></p>
<p><strong>मफ़ऊलु फ़ाइलातु मुफ़ाईलु फ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>221 2121 1221 212</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>है आदमी बजाए ख़ुद इक महशर-ए-ख़याल</p>
<p>हम अंजुमन समझते हैं ख़ल्वत ही क्यूँ न हो</p>
<p> </p>
<p>मिटता है फ़ौत-ए-फ़ुर्सत-ए-हस्ती का ग़म कोई</p>
<p>उम्र-ए-अज़ीज़ सर्फ़-ए-इबादत ही क्यूँ न हो</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>बुलबुल के कारोबार पे हैं ख़ंदा-हा-ए-गुल</p>
<p>कहते हैं जिस को इश्क़ ख़लल है दिमाग़ का</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए</p>
<p>जोश-ए-क़दह से बज़्म चराग़ाँ किए हुए</p>
<p></p>
<p>जी ढूँडता है फिर वही फ़ुर्सत के रात दिन</p>
<p>बैठे रहें तसव्वुर-ए-जानाँ किए हुए</p>
<p> </p>
<p>'<span>ग़ालिब</span>' <span>हमें न छेड़ कि फिर जोश-ए-अश्क से</span></p>
<p>बैठे हैं हम तहय्या-ए-तूफ़ाँ किए हुए</p>
<p></p>
<p>किस रोज़ तोहमतें न तराशा किए अदू</p>
<p>किस दिन हमारे सर पे न आरे चला किए</p>
<p> </p>
<p>सोहबत में ग़ैर की न पड़ी हो कहीं ये ख़ू</p>
<p>देने लगा है बोसा बग़ैर इल्तिजा किए</p>
<p> </p>
<p>'ग़ालिब' तुम्हीं कहो कि मिलेगा जवाब क्या</p>
<p>माना कि तुम कहा किए और वो सुना किए</p>
<p> </p>
<p>रोने से और इश्क़ में बेबाक हो गए</p>
<p>धोए गए हम इतने कि बस पाक हो गए</p>
<p> </p>
<p>कहता है कौन नाला-ए-बुलबुल को बे-असर</p>
<p>पर्दे में गुल के लाख जिगर चाक हो गए</p>
<p> </p>
<p>करने गए थे उस से तग़ाफ़ुल का हम गिला</p>
<p>की एक ही निगाह कि बस ख़ाक हो गए</p>
<p> </p>
<p>मैं और सद-हज़ार नवा-ए-जिगर-ख़राश</p>
<p>तू और एक वो ना-शुनीदन कि क्या कहूँ</p>
<p> </p>
<p>आग़ोश-ए-गुल कुशूदा बरा-ए-विदा है</p>
<p>ऐ अंदलीब चल कि चले दिन बहार के</p>
<p> </p>
<p>मुझ को दयार-ए-ग़ैर में मारा वतन से दूर</p>
<p>रख ली मेरे ख़ुदा ने मेरी बेकसी की शर्म</p>
<p> </p>
<p>हर इक मकान को है मकीं से शरफ़ 'असद'</p>
<p>मजनूँ जो मर गया है तो जंगल उदास है</p>
<p> </p>
<p>वाँ उस को हौल-ए-दिल है तो याँ मैं हूँ शर्म-सार</p>
<p>यानी ये मेरी आह की तासीर से न हो</p>
<p> </p>
<p>सद जल्वा रू-ब-रू है जो मिज़्गाँ उठाइए</p>
<p>ताक़त कहाँ कि दीद का एहसाँ उठाइए</p>
<p> </p>
<p>नज़्ज़ारा क्या हरीफ़ हो उस बर्क़-ए-हुस्न का</p>
<p>जोश-ए-बहार जल्वे को जिस के नक़ाब है</p>
<p> </p>
<p>भूके नहीं हैं सैर-ए-गुलिस्ताँ के हम वले</p>
<p>क्यूँकर न खाइए कि हवा है बहार की</p>
<p> </p>
<p>जल्लाद से डरते हैं न वाइ'ज़ से झगड़ते</p>
<p>हम समझे हुए हैं उसे जिस भेस में जो आए</p>
<p> </p>
<p>अपना नहीं ये शेवा कि आराम से बैठें</p>
<p>उस दर पे नहीं बार तो का'बे ही को हो आए</p>
<p> </p>
<p>मुझ तक कब उन की बज़्म में आता था दौर-ए-जाम</p>
<p>साक़ी ने कुछ मिला न दिया हो शराब में</p>
<p> </p>
<p>'<span>ग़ालिब</span>' <span>छुटी शराब पर अब भी कभी कभी</span></p>
<p>पीता हूँ रोज़-ए-अब्र ओ शब-ए-माहताब में</p>
<p> </p>
<p>मस्जिद के ज़ेर-ए-साया ख़राबात चाहिए</p>
<p>भौं पास आँख क़िबला-ए-हाजात चाहिए</p>
<p> </p>
<p>जोश-ए-जुनूँ से कुछ नज़र आता नहीं 'असद'</p>
<p>सहरा हमारी आँख में यक-मुश्त-ए-ख़ाक है</p>
<p> </p>
<p>क्या फ़र्ज़ है कि सब को मिले एक सा जवाब</p>
<p>आओ न हम भी सैर करें कोह-ए-तूर की</p>
<p> </p>
<p>अस्ल-ए-शुहूद-ओ-शाहिद-ओ-मशहूद एक है</p>
<p>हैराँ हूँ फिर मुशाहिदा है किस हिसाब में</p>
<p> </p>
<p>लूँ वाम बख़्त-ए-ख़ुफ़्ता से यक-ख़्वाब-ए-खुश वले</p>
<p>'ग़ालिब' ये ख़ौफ़ है कि कहाँ से अदा करूँ</p>
<p> </p>
<p>महरम नहीं है तू ही नवा-हा-ए-राज़ का</p>
<p>याँ वर्ना जो हिजाब है पर्दा है साज़ का</p>
<p></p>
<p>था ख़्वाब में ख़्याल को तुझसे मुआमला<br/> जब आँख खुल गई न ज़ियाँ था न सूद था</p>
<p></p>
<p>ढाँपा कफ़न ने दाग़-ए-अयूब-ए-बरहनगी<br/> मैं वर्ना हर लिबास में नंग-ए-वजूद था</p>
<p></p>
<p>अब मैं हूँ और मातम-ए-यक शहर-ए-आरज़ू<br/> तोड़ा जो तू ने आईना तिमसाल-दार था</p>
<p> </p>
<p>लो हम मरीज़-ए-इश्क़ के बीमार-दार हैं</p>
<p>अच्छा अगर न हो तो मसीहा का क्या इलाज</p>
<p> </p>
<p>क्यूँ जल गया न ताब-ए-रुख़-ए-यार देख कर</p>
<p>जलता हूँ अपनी ताक़त-ए-दीदार देख कर</p>
<p> </p>
<p>क्या तंग हम सितम-ज़दगाँ का जहान है</p>
<p>जिस में कि एक बैज़ा-ए-मोर आसमान है</p>
<p> </p>
<p>क्या ख़ूब तुम ने ग़ैर को बोसा नहीं दिया</p>
<p>बस चुप रहो हमारे भी मुँह में ज़बान है</p>
<p> </p>
<p>इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा</p>
<p>लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं</p>
<p> </p>
<p>तुम जानो तुम को ग़ैर से जो रस्म-ओ-राह हो</p>
<p>मुझ को भी पूछते रहो तो क्या गुनाह हो</p>
<p> </p>
<p>क्या वो भी बे-गुनह-कुश ओ हक़-ना-शनास हैं</p>
<p>माना कि तुम बशर नहीं ख़ुर्शीद ओ माह हो</p>
<p> </p>
<p>जब मैकदा छुटा तो फिर अब क्या जगह की क़ैद</p>
<p>मस्जिद हो मदरसा हो कोई ख़ानक़ाह हो</p>
<p> </p>
<p>दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई</p>
<p>दोनों को इक अदा में रज़ा-मंद कर गई</p>
<p> </p>
<p>हर बुल-हवस ने हुस्न-परस्ती शिआर की</p>
<p>अब आबरू-ए-शेवा-ए-अहल-ए-नज़र गई</p>
<p> </p>
<p>मारा ज़माने ने असदुल्लाह ख़ाँ तुम्हें</p>
<p>वो वलवले कहाँ वो जवानी किधर गई</p>
<p> </p>
<p>ताअत में ता रहे न मय-ओ-अँगबीं की लाग</p>
<p>दोज़ख़ में डाल दो कोई ले कर बहिश्त को</p>
<p> </p>
<p>था ख़्वाब में ख़याल को तुझ से मुआमला</p>
<p>जब आँख खुल गई न ज़ियाँ था न सूद था</p>
<p> </p>
<p>पच आ पड़ी है वादा-ए-दिल-दार की मुझे</p>
<p>वो आए या न आए पे याँ इंतिज़ार है</p>
<p> </p>
<p>हम पर जफ़ा से तर्क-ए-वफ़ा का गुमाँ नहीं</p>
<p>इक छेड़ है वगरना मुराद इम्तिहाँ नहीं</p>
<p> </p>
<p>जब तक दहान-ए-ज़ख़्म न पैदा करे कोई</p>
<p>मुश्किल कि तुझ से राह-ए-सुख़न वा करे कोई</p>
<p> </p>
<p>फ़ारिग़ मुझे न जान कि मानिंद-ए-सुब्ह-ओ-मेहर</p>
<p>है दाग़-ए-इश्क़ ज़ीनत-ए-जेब-ए-कफ़न हुनूज़</p>
<p> </p>
<p>कम जानते थे हम भी ग़म-ए-इश्क़ को पर अब</p>
<p>देखा तो कम हुए प ग़म-ए-रोज़गार था</p>
<p> </p>
<p>गर ख़ामुशी से फ़ाएदा इख़्फ़ा-ए-हाल है</p>
<p>ख़ुश हूँ कि मेरी बात समझनी मुहाल है</p>
<p> </p>
<p>आता है दाग़-ए-हसरत-ए-दिल का शुमार याद</p>
<p>मुझ से मेरे गुनह का हिसाब ऐ ख़ुदा न माँग</p>
<p> </p>
<p>रहमत अगर क़ुबूल करे क्या बईद है</p>
<p>शर्मिंदगी से उज़्र न करना गुनाह का</p>
<p> </p>
<p>ऐ आफ़ियत किनारा कर ऐ इंतिज़ाम चल</p>
<p>सैलाब-ए-गिर्या दरपय-ए-दीवार-ओ-दर है आज</p>
<p> </p>
<p>है सब्ज़ा-ज़ार हर दर-ओ-दीवार-ए-ग़म-कदा</p>
<p>जिस की बहार ये हो फिर उस की ख़िज़ाँ न पूछ</p>
<p> </p>
<p>खुलता किसी पे क्यूँ मेरे दिल का मुआमला</p>
<p>शेरों के इंतख़ाब ने रुस्वा किया मुझे</p>
<p> </p>
<p>तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले</p>
<p>हूरान-ए-ख़ुल्द में तेरी सूरत मगर मिले</p>
<p> </p>
<p>तुझ से तो कुछ कलाम नहीं लेकिन ऐ नदीम</p>
<p>मेरा सलाम कहियो अगर नामा-बर मिले</p>
<p> </p>
<p>है किस क़दर हलाक-ए-फ़रेब-ए-वफ़ा-ए-गुल</p>
<p>बुलबुल के कारोबार पे हैं ख़ंदा-हा-ए-गुल</p>
<p> </p>
<p>उस लब से मिल ही जाएगा बोसा कभी तो हाँ</p>
<p>शौक़-ए-फ़ुज़ूल ओ जुरअत-ए-रिंदाना चाहिए</p>
<p> </p>
<p>चलता हूँ थोड़ी दूर हर इक तेज़-रौ के साथ</p>
<p>पहचानता नहीं हूँ अभी राहबर को मैं</p>
<p> </p>
<p>था ज़िंदगी में मर्ग का खटका लगा हुआ</p>
<p>उड़ने से पेशतर भी मेरा रंग ज़र्द था</p>
<p> </p>
<p>थक थक के हर मक़ाम पे दो चार रह गए</p>
<p>तेरा पता न पाएँ तो नाचार क्या करें</p>
<p> </p>
<p>भागे थे हम बहुत सो उसी की सज़ा है ये</p>
<p>हो कर असीर दाबते हैं राहज़न के पाँव</p>
<p> </p>
<p>आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए</p>
<p>साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था</p>
<p> </p>
<p>अज़-मेहर ता-ब-ज़र्रा दिल-ओ-दिल है आइना</p>
<p>तूती को शश-जिहत से मुक़ाबिल है आइना</p>
<p> </p>
<p>दाइम पड़ा हुआ तेरे दर पर नहीं हूँ मैं</p>
<p>ख़ाक ऐसी ज़िंदगी पे कि पत्थर नहीं हूँ मैं</p>
<p> </p>
<p>क्यूँ गर्दिश-ए-मुदाम से घबरा न जाए दिल</p>
<p>इंसान हूँ पियाला ओ साग़र नहीं हूँ मैं</p>
<p> </p>
<p>हद चाहिए सज़ा में उक़ूबत के वास्ते</p>
<p>आख़िर गुनाहगार हूँ काफ़िर नहीं हूँ मैं</p>
<p> </p>
<p>'<span>ग़ालिब</span>' <span>वज़ीफ़ा-ख़्वार हो दो शाह को दुआ</span></p>
<p>वो दिन गए कि कहते थे नौकर नहीं हूँ मैं</p>
<p> </p>
<p>'<span>ग़ालिब</span>' <span>बुरा न मान जो वाइज़ बुरा कहे</span></p>
<p>ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहें जिसे</p>
<p> </p>
<p>पिन्हाँ था दाम-ए-सख़्त क़रीब आशियान के</p>
<p>उड़ने न पाए थे कि गिरफ़्तार हम हुए</p>
<p> </p>
<p>तेरी वफ़ा से क्या हो तलाफ़ी कि दहर में</p>
<p>तेरे सिवा भी हम पे बहुत से सितम हुए</p>
<p> </p>
<p>लिखते रहे जुनूँ की हिकायात-ए-ख़ूँ-चकाँ</p>
<p>हर-चंद इस में हाथ हमारे क़लम हुए</p>
<p> </p>
<p>जलता है दिल कि क्यूँ न हम इक बार जल गए</p>
<p>ऐ ना-तमामी-ए-नफ़स-ए-शोला-बार हैफ़</p>
<p> </p>
<p>अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा</p>
<p>जिस दिल पे नाज़ था मुझे वो दिल नहीं रहा</p>
<p> </p>
<p>ऐ परतव-ए-ख़ुर्शीद-ए-जहाँ-ताब इधर भी</p>
<p>साए की तरह हम पे अजब वक़्त पड़ा है</p>
<p> </p>
<p>ना-कर्दा गुनाहों की भी हसरत की मिले दाद</p>
<p>या रब अगर इन कर्दा गुनाहों की सज़ा है</p>
<p> </p>
<p>बेगानगी-ए-ख़ल्क़ से बे-दिल न हो 'ग़ालिब'</p>
<p>कोई नहीं तेरा तो मेरी जान ख़ुदा है</p>
<p> </p>
<p>ज़ुल्मत-कदे में मेरे शब-ए-ग़म का जोश है</p>
<p>इक शम्अ' है दलील-ए-सहर सो ख़मोश है</p>
<p><strong> </strong></p>
<p><strong>मुज्तस मुसम्मन मख़्बून</strong></p>
<p><strong>मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़इलातुन</strong></p>
<p><strong>1212 </strong> <strong> </strong><strong>1122 </strong><strong>1212 </strong><strong> </strong><strong>1122</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>तुम अपने शिकवे की बातें न खोद खोद के पूछो</p>
<p>हज़र करो मेंरे दिल से कि इस में आग दबी है</p>
<p> </p>
<p>अजब निशात से जल्लाद के चले हैं हम आगे</p>
<p>कि अपने साए से सर पाँव से है दो कदम आगे</p>
<p> </p>
<p>ग़म-ए-ज़माना ने झाड़ी निशात-ए-इश्क़ की मस्ती</p>
<p>वगरना हम भी उठाते थे लज़्ज़त-ए-अलम आगे</p>
<p><strong> </strong></p>
<p><strong>मुज्तस मुसम्मन मख़्बून महज़ूफ़ मुसक्किन</strong></p>
<p><strong>मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन</strong></p>
<p><strong>1212 1122 1212 22</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>वो आए घर में हमारे ख़ुदा की क़ुदरत है</p>
<p>कभी हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं</p>
<p> </p>
<p>ज़माना सख़्त कम-आज़ार है ब-जान-ए-असद</p>
<p>वगरना हम तो तवक़्क़ो ज़ियादा रखते हैं</p>
<p> </p>
<p>बहुत दिनों में तग़ाफ़ुल ने तेरे पैदा की</p>
<p>वो इक निगह कि बज़ाहिर निगाह से कम है</p>
<p> </p>
<p>ब-क़द्र-ए-शौक़ नहीं ज़र्फ़-ए-तंगना-ए-ग़ज़ल</p>
<p>कुछ और चाहिए वुसअत मेरे बयाँ के लिए</p>
<p> </p>
<p>ज़बाँ पे बारे ख़ुदाया ये किस का नाम आया</p>
<p>कि मेरे नुत्क़ ने बोसे मेरी ज़बाँ के लिए</p>
<p> </p>
<p>ज़माना अहद में उस के है महव-ए-आराइश</p>
<p>बनेंगे और सितारे अब आसमाँ के लिए</p>
<p> </p>
<p>पिला दे ओक से साक़ी जो हम से नफ़रत है</p>
<p>पियाला गर नहीं देता न दे शराब तो दे</p>
<p> </p>
<p>तुम उन के वादे का ज़िक्र उन से क्यूँ करो 'ग़ालिब'</p>
<p>ये क्या कि तुम कहो और वो कहें कि याद नहीं</p>
<p> </p>
<p>मज़े जहान के अपनी नज़र में ख़ाक नहीं</p>
<p>सिवाए ख़ून-ए-जिगर सो जिगर में ख़ाक नहीं</p>
<p> </p>
<p>नफ़स न अंजुमन-ए-आरज़ू से बाहर खींच</p>
<p>अगर शराब नहीं इंतज़ार-ए-साग़र खींच</p>
<p> </p>
<p>वफ़ा मुक़ाबिल-ओ-दावा-ए-इश्क़ बे-बुनियाद</p>
<p>जुनूँ-ए-साख़्ता ओ फ़स्ल-ए-गुल क़यामत है</p>
<p> </p>
<p>ख़मोशियों में तमाशा अदा निकलती है</p>
<p>निगाह दिल से तेरे सुर्मा-सा निकलती है</p>
<p> </p>
<p>करे है बादा तेरे लब से कस्ब-ए-रंग-ए-फ़रोग़</p>
<p>ख़त-ए-पियाला सरासर निगाह-ए-गुल-चीं है</p>
<p> </p>
<p>कहूँ जो हाल तो कहते हो मुद्दआ' कहिए</p>
<p>तुम्हीं कहो कि जो तुम यूँ कहो तो क्या कहिए</p>
<p></p>
<p>रहे न जान तो क़ातिल को ख़ूँ-बहा दीजे</p>
<p>कटे ज़बान तो ख़ंजर को मर्हबा कहिए</p>
<p> </p>
<p>नहीं बहार को फ़ुर्सत न हो बहार तो है</p>
<p>तरावत-ए-चमन ओ ख़ूबी-ए-हवा कहिए</p>
<p> </p>
<p>सफ़ीना जब कि किनारे पे आ लगा 'ग़ालिब'</p>
<p>ख़ुदा से क्या सितम-ओ-जौर-ए-ना-ख़ुदा कहिए</p>
<p></p>
<p>हुआ है शह का मुसाहिब फिरे है इतराता</p>
<p>वगर्ना शहर में 'ग़ालिब' की आबरू क्या है</p>
<p> </p>
<p>तुम्हारी तर्ज़-ओ-रविश जानते हैं हम क्या है</p>
<p>रक़ीब पर है अगर लुत्फ़ तो सितम क्या है</p>
<p> </p>
<p>गई वो बात कि हो गुफ़्तगू तो क्यूँकर हो</p>
<p>कहे से कुछ न हुआ फिर कहो तो क्यूँकर हो</p>
<p> </p>
<p>समझ के करते हैं बाज़ार में वो पुर्सिश-ए-हाल</p>
<p>कि ये कहे कि सर-ए-रहगुज़र है क्या कहिए</p>
<p></p>
<p>नज़र में खटके है बिन तेरे घर की आबादी</p>
<p>हमेशा रोते हैं हम देख कर दर-ओ-दीवार</p>
<p> </p>
<p>फ़रेब-ए-सनअत-ए-ईजाद का तमाशा देख</p>
<p>निगाह अक्स-फ़रोश ओ ख़याल आइना-साज़</p>
<p> </p>
<p>ब-क़द्र-ए-हौसला-ए-इश्क़ जल्वा-रेज़ी है</p>
<p>वगर्ना ख़ाना-ए-आईना की फ़ज़ा मालूम</p>
<p> </p>
<p>हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है</p>
<p>तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है</p>
<p> </p>
<p>गिला है शौक़ को दिल में भी तंगी-ए-जा का</p>
<p>गुहर में महव हुआ इज़्तराब दरिया का</p>
<p> </p>
<p><strong>खफ़ीफ़ मुसद्दस सालिम मख़्बून महज़ूफ़ मुसक्किन</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन</strong></p>
<p><strong>2122 1212 22</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>दिले-नादाँ तुझे हुआ क्या है</p>
<p>आखिर इस दर्द की दावा क्या है</p>
<p> </p>
<p>हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद</p>
<p>जो नहीं जानते वफ़ा क्या है</p>
<p> </p>
<p>मैं ने माना कि कुछ नहीं 'ग़ालिब'</p>
<p>मुफ़्त हाथ आए तो बुरा क्या है</p>
<p> </p>
<p>न गुल-ए-नग़्मा हूँ न पर्दा-ए-साज़</p>
<p>मैं हूँ अपनी शिकस्त की आवाज़</p>
<p> </p>
<p>तू और आराइश-ए-ख़म-ए-काकुल</p>
<p>मैं और अंदेशा-हा-ए-दूर-दराज़</p>
<p> </p>
<p>कितने शीरीं हैं तेरे लब कि रक़ीब</p>
<p>गालियाँ खा के बे-मज़ा न हुआ</p>
<p> </p>
<p>है ख़बर गर्म उन के आने की</p>
<p>आज ही घर में बोरिया न हुआ</p>
<p> </p>
<p>क्या वो नमरूद की ख़ुदाई थी</p>
<p>बंदगी में मेरा भला न हुआ</p>
<p> </p>
<p>जान दी दी हुई उसी की थी</p>
<p>हक़ तो यूँ है कि हक़ अदा न हुआ</p>
<p> </p>
<p>कुछ तो पढ़िए कि लोग कहते हैं</p>
<p>आज 'ग़ालिब' ग़ज़ल-सरा न हुआ</p>
<p> </p>
<p>इब्न-ए-मरयम हुआ करे कोई</p>
<p>मेरे दुख की दवा करे कोई</p>
<p> </p>
<p>क़हर हो या बला हो जो कुछ हो</p>
<p>काश कि तुम मेरे लिए होते</p>
<p> </p>
<p>फिर इस अंदाज़ से बहार आई</p>
<p>कि हुए मेहर-ओ-मह तमाशाई</p>
<p> </p>
<p>फिर कुछ इक दिल को बे-क़रारी है</p>
<p>सीना जोया-ए-ज़ख़्म-ए-कारी है</p>
<p> </p>
<p>वही सद-रंग नाला-फ़रसाई</p>
<p>वही सद-गूना अश्क-बारी है</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>फिर उसी बेवफ़ा पे मरते हैं</p>
<p>फिर वही ज़िंदगी हमारी है</p>
<p> </p>
<p>बे-ख़ुदी बे-सबब नहीं 'ग़ालिब'</p>
<p>कुछ तो है जिस की पर्दा-दारी है</p>
<p> </p>
<p>वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँ</p>
<p>वो शब-ओ-रोज़ ओ माह-ओ-साल कहाँ</p>
<p> </p>
<p>फ़िक्र-ए-दुनिया में सर खपाता हूँ</p>
<p>मैं कहाँ और ये वबाल कहाँ</p>
<p> </p>
<p><strong>मुक्तज़ब मुसम्मन मतव्वी</strong><strong>,</strong> <strong>मतव्वी मुसक्किन</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातु मफ़ऊलुन // फ़ाइलातु मफ़ऊलुन </strong></p>
<p><strong>2121 222 // 2121 222</strong></p>
<p> </p>
<p>कार-गाह-ए-हस्ती में लाला दाग़-सामाँ है</p>
<p>बर्क़-ए-ख़िर्मन-ए-राहत ख़ून-ए-गर्म-ए-दहक़ाँ है</p>
<p><strong> </strong></p>
<p><strong>मुन्सरेह मुसम्मन मतुव्वी मन्हूर</strong></p>
<p><strong>मुफ़्तइलुन फ़ाइलातु मुफ़्तइलुन फ़ा</strong></p>
<p><strong>2112 2121 2112 2</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>आ कि मेरी जान को क़रार नहीं है</p>
<p>ताक़त-ए-बेदाद-ए-इंतिज़ार नहीं है</p>
<p> </p>
<p>देते हैं जन्नत हयात-ए-दहर के बदले</p>
<p>नश्शा ब-अंदाज़ा-ए-ख़ुमार नहीं है</p> मीर तक़ी मीर द्वारा इस्तेमाल की गई बह्रों की तालिकाtag:www.openbooksonline.com,2018-09-02:5170231:Topic:9477522018-09-02T06:44:45.780ZAnanda Shrestahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnandaShresta
<p><img class="align-full" src="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2868840856?profile=RESIZE_1024x1024" width="750"></img> <a href="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2868841017?profile=original" target="_self"><img class="align-center" src="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2868841017?profile=RESIZE_1024x1024" width="750"></img></a></p>
<p><img width="750" src="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2868840856?profile=RESIZE_1024x1024" width="750" class="align-full"/><a href="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2868841017?profile=original" target="_self"><img width="750" src="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2868841017?profile=RESIZE_1024x1024" width="750" class="align-center"/></a><a href="http://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2868840856?profile=original" target="_self"></a></p> मीर तक़ी मीर द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारणtag:www.openbooksonline.com,2018-08-17:5170231:Topic:9446582018-08-17T05:45:21.325ZAnanda Shrestahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnandaShresta
<p></p>
<p><span style="font-size: 12pt;"><strong>मीर तक़ी मीर द्वारा इस्तेमाल की गई <span>बह्रें और उनके उदहारण </span></strong></span></p>
<p></p>
<p><strong>मुतक़ारिब असरम मक़्बूज़ महज़ूफ़ 16-रुक्नी(बह्र-ए-मीर)</strong></p>
<p><strong>फ़अ’लु</strong> <strong>फ़ऊलु</strong><strong> </strong> <strong>फ़ऊलु</strong><strong> </strong> <strong>फ़ऊलु</strong><strong> </strong> <strong>फ़ऊलु</strong><strong> </strong> <strong>फ़ऊलु</strong><strong> </strong> <strong>फ़ऊलु…</strong></p>
<p></p>
<p><span style="font-size: 12pt;"><strong>मीर तक़ी मीर द्वारा इस्तेमाल की गई <span>बह्रें और उनके उदहारण </span></strong></span></p>
<p></p>
<p><strong>मुतक़ारिब असरम मक़्बूज़ महज़ूफ़ 16-रुक्नी(बह्र-ए-मीर)</strong></p>
<p><strong>फ़अ’लु</strong> <strong>फ़ऊलु</strong><strong> </strong> <strong>फ़ऊलु</strong><strong> </strong> <strong>फ़ऊलु</strong><strong> </strong> <strong>फ़ऊलु</strong><strong> </strong> <strong>फ़ऊलु</strong><strong> </strong> <strong>फ़ऊलु</strong> <strong>फ़’अल</strong></p>
<p><b>21 121 121 121 121 121 121 12</b></p>
<p><b>तख्नीक से हासिल अरकान :</b></p>
<p><b>फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा</b></p>
<p><b>22 22 22 22 22 22 22 2 </b></p>
<p> </p>
<p>ख़ाक से आदम करके उठाया जिसको दस्त-ए-क़ुदरत ने</p>
<p>क़द्र नहीं कुछ उस बंदे की ये भी ख़ुदा की क़ुदरत है</p>
<p> </p>
<p>क्या दिलकश है बज़्म-ए-जहाँ की जाते याँ से जिसे देखो</p>
<p>वो ग़मदीदा रंज-कशीदा आह सरापा हसरत है</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>हज से जो कोई आदमी हो तो सारा आलम हज ही करे</p>
<p>मक्के से आये शैख़ जी लेकिन वे तो वही हैं ख़र के ख़र</p>
<p> </p>
<p>मुस्लीमो-काफिर के झगड़े में जंगो-जदल से रिहाई नहीं</p>
<p>लोथों पे लोथें गिरती रहेंगी कटते रहेंगे सर के सर</p>
<p> </p>
<p>हा हा ही ही कर टालेगा उस का ग़रूर दो चंदाँ है</p>
<p>घिघियाने का अब क्या हासिल यूँ ही करे हैं हा हा हम</p>
<p> </p>
<p>मीर फ़क़ीर हुए तो इक दिन क्या कहते हैं बेटे से</p>
<p>उम्र रही है थोड़ी उसे अब क्यूँ-कर काटें बाबा हम</p>
<p> </p>
<p>नंगे-ख़ल्क़ किया है हमको आख़िर दस्ते-ख़ाली ने</p>
<p>आलम में अस्बाब के है क्या शोरिश बे-असबाबी की</p>
<p> </p>
<p>जब से आँखें खुली हैं अपनी दर्द-ओ-रंज-ओ-ग़म देखे</p>
<p>इन ही दीदा-ए-नम दीदों से क्या-क्या हमने सितम देखे</p>
<p> </p>
<p>महव-ए-सुख़न हम फ़िक्र-ए-सुख़न में रफ़्ता ही बैठे रहते हैं</p>
<p>आपको जब खोया है हमने तब ये गौहर पाए हैं</p>
<p> </p>
<p>मीर मुक़द्दस आदमी हैं, थे सुब्ह बकफ़ मैख़ाने में</p>
<p>सुब्ह जो हम भी जा निकले तो, देख के क्या शरमाए हैं</p>
<p> </p>
<p>शायर हो मत चुपके रहो अब चुप में जानें जाती हैं</p>
<p>बात करो अब्यात पढ़ो कुछ बीतीं हमको बताते रहो</p>
<p> </p>
<p>जान चली जाती है हमारी उस की ओर नज़र के साथ</p>
<p>यानी चश्म-ए-शौक़ लगी रहती है शिगाफ़-ए-दर के साथ</p>
<p> </p>
<p>जंगल जंगल शौक़ के मारे नाक़ा-सवार फिरा की है</p>
<p>मजनूं जो सहराई हुआ तो लैला भी सौदाई हुई</p>
<p> </p>
<p>वादे करो हो बरसों के तुम दम का भरोसा हमको नहीं</p>
<p>कुछ का कुछ हो जाता है याँ इक पल में इक आन के बीच</p>
<p> </p>
<p>जिसको ख़ुदा देता है सब कुछ वो ही सब कुछ देते हैं</p>
<p>टोपी लंगोटी पास है अपने इस पर क्या इनआम करें</p>
<p> </p>
<p>चोर-उचक्के सिख-मरहट्टे शाह-ओ-गदा ज़र ख़्वाहां है</p>
<p>चैन से हैं जो कुछ नहीं रखते फ़ुक़्र भी इक दौलत है अब</p>
<p> </p>
<p>चलते हैं तो चमन को चलिये कहते हैं कि बहाराँ हैं</p>
<p>पात हरे हैं फूल खिले हैं कम-कम बाद-ओ-बाराँ हैं</p>
<p> </p>
<p>पत्ता - पत्ता बूटा - बूटा हाल हमारा जाने है</p>
<p>जाने न जाने गुल ही न जाने बाग़ तो सारा जाने है</p>
<p> </p>
<p>दूर बहुत भागो हो हमसे, सीख तरीका गज़लों का</p>
<p>वहशत करना शेवा है क्या, अच्छी आँखों वालों का</p>
<p> </p>
<p>शहर से यार सवार हुआ जो सवाद में ख़ूब ग़ुबार है आज</p>
<p>दश्ती वहश‐ओ‐तैर उस के सर-तेज़ी ही में शिकार है आज</p>
<p> </p>
<p>ख़ूब जो आँखें खोल के देखा शाख़-ए-गुल सा नज़र आया</p>
<p>उन रंगों फूलों में मिला कुछ महव-ए-जल्वा-ए-यार है आज</p>
<p> </p>
<p>बदनामी क्या इश्क़ की कहिये रुसवाई सी रुसवाई है</p>
<p>सहरा सहरा वहशत भी थी दुनिया दुनिया तोहमत थी</p>
<p></p>
<p>इश्क़ हमारे ख़याल पड़ा है ख़्वाब गई आराम गया ('ख़्वाब' का अर्थ यहाँ 'नींद' है 'ख़्वाब गई' = 'नींद गई') <br/> जी का जाना ठहर रहा है सुब्ह गया या शाम गया</p>
<p> </p>
<p>दिल तड़पे है जान खपे है, हाल जिगर का क्या होगा</p>
<p>मजनूँ मजनूँ लोग कहे हैं, मजनूँ क्या हम सा होगा</p>
<p> </p>
<p>आज हमारे घर आया तू , क्या है यां जो निसार करें</p>
<p>इल्ला खेंच बग़ल में तुझ को, देर तलक हम प्यार करें </p>
<p> </p>
<p>क्या जाता है इसमें हमारा, चुपके हम तो बैठे हैं</p>
<p>दिल को समझाना था सो समझा, नासेह को समझाने दो</p>
<p> </p>
<p>मीर ख़िलाफ़े-मिज़ाजे-मुहब्बत, मुजिबे-तल्खी कशीदन है</p>
<p>यार मुआफ़िक़ मिल जाए तो, लुत्फ़ है चाह, मज़ा है इश्क़</p>
<p> </p>
<p>दिल के तह की कही नहीं जाती, नाज़ुक है असरार बहुत</p>
<p>अंछर हैं तो इश्क़ के दो ही, लेकिन है बिस्तार बहुत</p>
<p> </p>
<p>हिज्र ने जी ही मारा हमारा क्या कहिये क्या मुश्किल है</p>
<p>उस से जुदा रहना होता है, जिससे हमें है प्यार बहुत</p>
<p> </p>
<p>सुब्ह हुई गुलज़ार में ताइर अपने दिल को टटोलें हैं</p>
<p>याद में उस ख़ुदरौ गुलेतर की कैसे कैसे बोलें हैं</p>
<p> </p>
<p>उल्टी हो गईं सब तदबीरें कुछ न दवा ने काम किया</p>
<p>देखा इस बीमारी-ए-दिल ने आख़िर काम तमाम किया</p>
<p> </p>
<p>अहद-ए-जवानी रो रो काटा पीरी में लीं आँखें मूँद</p>
<p>यानी रात बहुत थे जागे सुब्ह हुई आराम किया</p>
<p> </p>
<p>नाहक़ हम मजबूरों पर ये तोहमत है मुख़्तारी की</p>
<p>चाहते हैं सो आप करें हैं हम को अबस बदनाम किया</p>
<p> </p>
<p>'मीर' के दीन-ओ-मज़हब को अब पूछते क्या हो उन ने तो</p>
<p>क़श्क़ा खींचा दैर में बैठा कब का तर्क इस्लाम किया</p>
<p><strong> </strong></p>
<p><strong>मुतक़ारिब मुसम्मन सालिम</strong></p>
<p><strong>फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन</strong></p>
<p><strong>122 122 122 122</strong></p>
<p> </p>
<p>मुँह अपना कभू वो इधर कर रहेगा</p>
<p>हमें इश्क़ है तो असर कर रहेगा</p>
<p> </p>
<p>ये चश्म आईना-दार-ए-रू थी किसू की</p>
<p>नज़र इस तरफ़ भी कभू थी किसू की</p>
<p> </p>
<p>गुलूगीर ही हो गई यावागोई</p>
<p>रहा मैं ख़मोशी को आवाज़ करता</p>
<p> </p>
<p>उचटती मुलाक़ात कब तक रहेगी</p>
<p>कभू तो तह-ए-दिल से भी यार होगा</p>
<p> </p>
<p>तेरे बंदे हम हैं ख़ुदा जानता है</p>
<p>ख़ुदा जाने तू हम को क्या जानता है</p>
<p> </p>
<p>न बक शैख़ इतना भी वाही तबाही</p>
<p>कहाँ रहमत-ए-<span>हक़ कहाँ बे-गुनाही</span></p>
<p> </p>
<p>रिसाते हो आते हो अहल-ए-हवस में</p>
<p>मज़ा रस में है लोगे क्या तुम कुरस में</p>
<p> </p>
<p>अब आंखों में ख़ूँ दम ब दम देखते हैं</p>
<p>न पूछो जो कुछ रंग हम देखते हैं</p>
<p> </p>
<p>मिज़ाज़ों में यास आ गई है हमारे</p>
<p>न मरने का ग़म है न जीने कि शादी</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>न सोचा न समझा न सीखा न जाना</p>
<p>मुझे आ गया ख़ुद - ब - ख़ुद दिल लगाना</p>
<p> </p>
<p>मिलो इन दिनों हमसे इक रात जानी</p>
<p>कहाँ हम, कहाँ तुम, कहाँ फिर जवानी</p>
<p> </p>
<p>दिल-ए-ज़ख़्म-ख़ुर्दा के और इक लगाई</p>
<p>मुदावा किया ख़ूब घायल का अपने</p>
<p> </p>
<p>गए जी से छूटे बुतों की जफ़ा से</p>
<p>यही बात हम चाहते थे ख़ुदा से</p>
<p> </p>
<p>वो अपनी ही ख़ूबी पे रहता है नाज़ाँ</p>
<p>मरे या जिए कोई उसकी बाला से</p>
<p> </p>
<p>न शिकवा शिकायत न हर्फो- हिकायत</p>
<p>कहो मीर जी आज क्यों हो ख़फा से</p>
<p> </p>
<p>रहा राब्ता ग़ारत-ए-दिल तलक बस</p>
<p>नहीं अब तो बंदे से साहब सलामत</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतक़ारिब मुसम्मन महज़ूफ़</strong></p>
<p><strong>फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़’अल</strong></p>
<p><strong>122 122 122 12 </strong></p>
<p> </p>
<p>थके चारा-जूई से अब क्या करें</p>
<p>कहो तुम सो दिल का मुदावा करें</p>
<p> </p>
<p>रहे फिरते दरिया में गिर्दाब से</p>
<p>वतन में भी हैं हम सफ़र में भी हैं</p>
<p> </p>
<p>बहुत सअ'ई करिए तो मर रहिये मीर</p>
<p>बस अपना तो इतना ही मक्दूर है</p>
<p> </p>
<p>न मिल 'मीर' अबके अमीरों से तू</p>
<p>हुए हैं फ़क़ीर उनकी दौलत से हम</p>
<p> </p>
<p>कहा मैंने कितना है गुल का सबात</p>
<p>कली ने ये सुनकर तब्बसुम किया</p>
<p> </p>
<p>हवा रंग बदले है हर आन मीर</p>
<p>ज़मीन‐ओ‐ज़माँ हर ज़माँ और है</p>
<p></p>
<p>तुझी पर कुछ ऐ बुत नहीं मुनहसिर<br/> जिसे हम ने पूजा ख़ुदा कर दिया</p>
<p></p>
<p>फ़क़ीराना आए सदा कर चले</p>
<p>कि म्याँ ख़ुश रहो हम दुआ कर चले</p>
<p> </p>
<p>कोई ना-उमीदाना करते निगाह</p>
<p>सो तुम हम से मुँह भी छुपा कर चले</p>
<p> </p>
<p>बहुत आरज़ू थी गली की तेरी</p>
<p>सो याँ से लहू में नहा कर चले</p>
<p> </p>
<p>दिखाई दिए यूँ कि बेख़ुद किया</p>
<p>हमें आप से भी जुदा कर चले</p>
<p> </p>
<p>जबीं सज्दा करते ही करते गई</p>
<p>हक़-ए-बंदगी हम अदा कर चले</p>
<p> </p>
<p>परस्तिश की याँ तक कि ऐ बुत तुझे</p>
<p>नज़र में सभों की ख़ुदा कर चले</p>
<p> </p>
<p>गई उम्र दर-बंद-ए-फ़िक्र-ए-ग़ज़ल</p>
<p>सो इस फ़न को ऐसा बड़ा कर चले</p>
<p> </p>
<p>कहें क्या जो पूछे कोई हम से 'मीर'</p>
<p>जहाँ में तुम आए थे क्या कर चले</p>
<p> </p>
<p><strong>मुतक़ारिब मुसम्मन अस्लम मक़्बूज़ मुख़न्नक सालिम</strong></p>
<p><strong>फ़ेलुन फ़ऊलुन फ़ेलुन फ़ऊलुन</strong></p>
<p><strong> </strong><strong>22</strong> <strong> </strong><strong>122</strong> <strong> </strong><strong>22</strong> <strong> </strong><strong>122</strong></p>
<p> </p>
<p>अब हाल अपना उस के है दिल-ख़्वाह</p>
<p>क्या पूछते हो अल्हम्दुलिल्लाह</p>
<p> </p>
<p>मर जाओ कोई पर्वा नहीं है</p>
<p>कितना है मग़रूर अल्लाह अल्लाह</p>
<p> </p>
<p>मुजरिम हुए हम दिल दे के वर्ना</p>
<p>किस को किसो से होती नहीं चाह</p>
<p> </p>
<p>है मा-सिवा क्या जो 'मीर' कहिए</p>
<p>आगाह सारे उस से हैं आगाह</p>
<p> </p>
<p>जल्वे हैं उस के शानें हैं उस की</p>
<p>क्या रोज़ क्या ख़ुर क्या रात क्या माह</p>
<p> </p>
<p>ज़ाहिर कि बातिन अव्वल कि आख़िर</p>
<p>अल्लाह अल्लाह अल्लाह अल्लाह</p>
<p> </p>
<p><strong>हज़ज</strong> <strong>मुसद्दस</strong> <strong>अख़रब</strong> <strong>मक़्बूज़</strong> <strong>महज़ूफ़</strong></p>
<p><strong>मफ़ऊल</strong> <strong>मुफ़ाइलुन</strong> <strong>फ़ऊलुन</strong></p>
<p><strong>221 1212 122</strong></p>
<p> </p>
<p>मक़सूद को देखें पहुंचे कब तक</p>
<p>गर्दिश में तो आसमां बहुत है</p>
<p> </p>
<p>जी को नहीं लाग लामकां से</p>
<p>हमको कोई दिल मकाँ बहुत है</p>
<p> </p>
<p>मिल जिनसे शराब तू पिए है</p>
<p>कह देते हैं वो ही राज़ तेरा</p>
<p> </p>
<p>कुछ इश्क़-ओ-हवस में फ़र्क़ भी कर</p>
<p>कीधर है वो इम्तियाज़ तेरा</p>
<p> </p>
<p>क्या उस के गए है ज़िक्र दिल का</p>
<p>वीरान पड़ा है ये मकाँ तो</p>
<p> </p>
<p>मत तुर्बते-मीर को मिटाओ</p>
<p>रहने दो ग़रीब का निशाँ तो</p>
<p> </p>
<p>इक दिन तो वफ़ा भी करते वादा</p>
<p>गुज़री है उम्मीदवार हर रात</p>
<p> </p>
<p><strong>हज़ज मुसद्दस महज़ूफ़</strong></p>
<p><strong>मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन</strong></p>
<p><strong>1222 1222 122</strong></p>
<p> </p>
<p>तरीक़:-ए-इश्क़ में है रह-नुमा दिल</p>
<p>पयम्बर दिल है क़िबला दिल ख़ुदा दिल</p>
<p> </p>
<p>किसू से दिल नहीं मिलता है या रब</p>
<p>हुआ था किस घड़ी उस से जुदा मैं</p>
<p> </p>
<p>गया है वो सो दिल खुलता नहीं है</p>
<p>पड़ा है एक मुद्दत से ये घर बंद</p>
<p> </p>
<p>सभों से आरसी के मिस्ल वा हो</p>
<p>किसू के मुँह पे दरवाज़ा न कर बंद</p>
<p> </p>
<p>ख़िरदमंदी हुई ज़ंजीर वर्ना</p>
<p>गुज़रती ख़ूब थी दीवानापन में</p>
<p> </p>
<p>मसाइब और थे पर दिल का जाना</p>
<p>अजब इक सानिहा सा हो गया है</p>
<p> </p>
<p>सिरहाने 'मीर' के कोई न बोलो (‘आहिस्ता बोलो’ - प्रचलित रूप है)</p>
<p>अभी टुक रोते रोते सो गया है</p>
<p> </p>
<p>अमीरों तक रसाई हो चुकी बस</p>
<p>मेरी बख़्त-आज़माई हो चुकी बस</p>
<p> </p>
<p>बहार अब के भी जो गुज़री क़फ़स में</p>
<p>तो फिर अपनी रिहाई हो चुकी बस</p>
<p> </p>
<p>गले में गेरुवी कफ़नी है अब 'मीर'</p>
<p>तुम्हारी मीरज़ाई हो चुकी बस</p>
<p> </p>
<p><strong>हज़ज मुसम्मन सालिम</strong></p>
<p><strong>मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन</strong></p>
<p><strong>1222 </strong><strong> </strong><strong>1222 1222 </strong> <strong> </strong><strong>1222</strong></p>
<p> </p>
<p>भरी आँखें किसी की पोंछते गर आस्तीं रखते</p>
<p>हुई शर्मिन्दगी क्या-क्या हमें इस दस्ते-खाली से</p>
<p> </p>
<p>हम इस राहे-हवादिस में बसाने-सब्ज़ा वाके हैं</p>
<p>कि फ़ुर्सत सर उठाने की नहीं टुक पायमाली से</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>मुहैया जिस कने असबाब मुल्की और माली थे</p>
<p>वो इसकंदर गया याँ से तो दोनों हाथ ख़ाली थे</p>
<p> </p>
<p>बहार आई है गुंचे गुल के निकले हैं गुलाबी से</p>
<p>निहाले सब्ज झूमें हैं गुलिस्ताँ में शराबी से</p>
<p> </p>
<p>बहाले-सग फिरा कब तक करूँ यूँ उस के कूचे में</p>
<p>खिजालत खेंचता हूँ मीर आख़िर मैं भी इंसाँ हूँ </p>
<p> </p>
<p>जहाँ से देखिये इक शेर-ए-शोरअंगेज़ निकले है</p>
<p>क़यामत का सा हंगामा है हर जा मेरे दीवाँ में</p>
<p> </p>
<p>ब-रंग-ए-बू-ए-गुल, इस बाग़ के हम आश्ना होते</p>
<p>कि हम-राह-ए-सबा टुक सैर करते, और हवा होते</p>
<p> </p>
<p>सरापा आरज़ू होने ने बंदा कर दिया हमको</p>
<p>वगरना हम ख़ुदा थे, गर दिल-ए-बेमुद्दआ होते</p>
<p> </p>
<p>इलाही कैसे होते हैं जिन्हें है बंदगी ख़्वाहिश</p>
<p>हमें तो शर्म दामनगीर होती है, ख़ुदा होते</p>
<p> </p>
<p><strong>हज़ज मुसम्मन अख़रब मक्फ़ू्फ़ मक्फ़ू्फ़ मुख़न्नक</strong></p>
<p><strong>मफ़ऊल मुफ़ाईलुन मफ़ऊल मुफ़ाईलुन</strong></p>
<p><strong>221 1222 221 1222</strong></p>
<p> </p>
<p>कहते तो हो यूँ कहते, यूँ कहते जो वो आता</p>
<p>सब कहने की बातें हैं कुछ भी न कहा जाता</p>
<p> </p>
<p>लज़्ज़त से नहीं ख़ाली जानों का खपा जाना</p>
<p>कब ख़िज़्र ओ मसीहा ने मरने का मज़ा जाना</p>
<p> </p>
<p>जाती है गुज़र जी पर उस वक़्त क़यामत सी</p>
<p>याद आवे है जब तेरा यक-बारगी आ जाना</p>
<p> </p>
<p>मर रहते जो गुल बिन तो सारा ये ख़लल जाता</p>
<p>निकला ही न जी वर्ना काँटा सा निकल जाता</p>
<p> </p>
<p>उस सीमबदन को थी कब ताब-ए-ताब इतनी</p>
<p>वो चाँदनी में शब की होता तो पिघल जाता</p>
<p> </p>
<p>मत सहल हमें जानो फिरता है फ़लक बरसों</p>
<p>तब ख़ाक के पर्दे से इंसान निकलते हैं</p>
<p> </p>
<p>किस का है क़िमाश ऐसा गूदड़ भरे हैं सारे</p>
<p>देखो न जो लोगों के दीवान निकलते हैं</p>
<p> </p>
<p>कुछ मौज-ए-हवा पेचाँ ऐ 'मीर' नज़र आई</p>
<p>शायद कि बहार आई ज़ंजीर नज़र आई</p>
<p> </p>
<p>दिल्ली के न थे कूचे औराक़-ए-मुसव्वर थे</p>
<p>जो शक्ल नज़र आई तस्वीर नज़र आई</p>
<p> </p>
<p><strong>हज़ज मुसम्मन अख़रब मक्फ़ू्फ़ महज़ूफ़</strong></p>
<p><strong>मफ़ऊल मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु फ़ऊलुन</strong></p>
<p><strong>221 1221 1221 122</strong></p>
<p> </p>
<p>इतना ही मुझे इल्म है कुछ मैं हूँ बहर-चीज़</p>
<p>मालूम नहीं ख़ूब मुझे भी कि मैं क्या हूँ</p>
<p> </p>
<p>बेकार भी दरकार हैं सरकार में साहिब</p>
<p>आते हैं खिंचे हम कभू बेगार में साहिब</p>
<p> </p>
<p>नाम आज कोई याँ नहीं लेता है उन्हों का</p>
<p>जिन लोगों के कल मुल्क ये सब ज़ेर-ए-नगीं था</p>
<p> </p>
<p>जिस सर को ग़रूर आज है याँ ताजवरी का</p>
<p>कल उस पे यहीं शोर है फिर नौहागरी का</p>
<p> </p>
<p>जब नाम तेरा लीजिए तब चश्म भर आवे</p>
<p>इस ज़िंदगी करने को कहाँ से जिगर आवे</p>
<p> </p>
<p>क्या हम में रहा गर्दिश-ए-अफ़लाक से अब तक</p>
<p>फिरते हैं कुम्हारों के पड़े चाक से अब तक</p>
<p> </p>
<p><strong>बह्रे - रुबाई</strong></p>
<p><strong>हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्बूज़ मक्फ़ूफ़ मज्बूब</strong></p>
<p><strong>मफ़ऊल मुफ़ाइलुन मुफ़ाईलु फ़’अल </strong></p>
<p><strong>221 1212 122</strong><strong>1</strong><strong> </strong> <strong>1</strong><strong>2</strong></p>
<p><strong>(इस बह्र में मीर की यह एकमात्र ग़ज़ल है. ग़ज़ल के कई मिसरों में रुबाई के नियमों के अनुसार ही छूट ली गई है )</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>सब शर्मे-जबीन-ए-यार से पानी है</p>
<p>हरचंद कि गुल शगुफ़्ता पेशानी है</p>
<p> </p>
<p>समझे ना कि बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल हुए</p>
<p>लड़कों से मुलाक़ात ही नादानी है</p>
<p> </p>
<p>जूँ आईना सामने खड़ा हूँ यानी</p>
<p>ख़ूबी से तेरे चेहरे की हैरानी है</p>
<p> </p>
<p>ख़त लिखते जो ख़ूँफ़िशाँ थे हम उनने कहा</p>
<p>काग़ज़ जो लिखे है अब सो अफ़्शानी है</p>
<p> </p>
<p>दोज़ख़ में हूँ जलती जो रहे है छाती</p>
<p>दिल सोख़्तगी अज़ाब-ए-रुहानी है</p>
<p> </p>
<p>मिन्नत की बहुत तो उनने दो हर्फ़ कहे</p>
<p>सौ बरसों में इक बात मेरी मानी है</p>
<p> </p>
<p>कल सेल सा जोशाँ जो इधर आया मीर</p>
<p>सब बोले कि ये फ़क़ीर सैलानी है</p>
<p> </p>
<p><strong>रमल मुसद्दस महज़ूफ़</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>2122 2122 212</strong></p>
<p> </p>
<p>कोशिश अपनी थी अबस पर की बहुत</p>
<p>क्या करें हम चाहता था जी बहुत</p>
<p> </p>
<p>बीच में हम ही न हों तो लुत्फ़ क्या</p>
<p>रहम कर अब बेवफ़ाई हो चुकी</p>
<p> </p>
<p>कुछ न समझा मैं जुनूने इश्क़ में</p>
<p>देर तक नासेह समझाता रहा</p>
<p> </p>
<p>ज़ख्म झेले दाग़ भी खाए बहुत</p>
<p>दिल लगा कर हम तो पछताए बहुत</p>
<p> </p>
<p>मीर से पूछा जो मैं आशिक हो तुम</p>
<p>हो के कुछ चुपके से शरमाये बहुत</p>
<p> </p>
<p>राह-ए-दूर-ए-इश्क़ में रोता है क्या (यह मिसरा ‘इब्तिदा-ए-इश्क़ है रोता है क्या’ के रूप में लोकप्रिय है)</p>
<p>आगे आगे देखिए होता है क्या</p>
<p> </p>
<p>सुबह पीरी शाम होने आई `मीर'</p>
<p>तू न चेता, याँ बहुत दिन कम रहा</p>
<p> </p>
<p>चश्म हो तो आईना-ख़ाना है दहर</p>
<p>मुँह नज़र आता है दीवारों के बीच</p>
<p> </p>
<p><strong>रमल मुसम्मन महज़ूफ़</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>2122 2122 2122 212</strong></p>
<p> </p>
<p>रखिये गर्दन को तेरी तेग़-ए-सितम पर हो सो हो</p>
<p>जी में हम ने ये किया है अब मुक़र्रर हो सो हो</p>
<p> </p>
<p>कब तलक फ़रियाद करते यूं फिरें अब क़स्द है</p>
<p>दाद लीजे अपनी अब उस ज़ालिम से अड़कर हो सो हो</p>
<p> </p>
<p>क़तरा-क़तरा अश्कबारी ता-कुजा पेशे-सहाब</p>
<p>एक दिन तो टूट पड़ ऐ दीदा-ए-तर हो सो हो</p>
<p> </p>
<p>सरसरी कुछ सुन लिया फिर वाह वा कर उठ गए</p>
<p>शेर ये कम-फ़हम समझे हैं ख़याल-ए-बंग(भंग) है</p>
<p> </p>
<p>सब्र भी करिए बला पर मीर साहिब जी कभू</p>
<p>जब ना तब रोना ही कुढ़ना ये भी कोई ढंग है</p>
<p> </p>
<p>क्या तन-ए-नाज़ुक है जाँ को भी हसद जिस तन पे है</p>
<p>क्या बदन का रंग है तह जिस की पैराहन पे है</p>
<p> </p>
<p>रब्त दिल को उस बुत-ए-बेमेह्र कीनावर से है</p>
<p>क्या कहूँ मैं आह मुझ को काम किस पत्थर से है</p>
<p> </p>
<p>शहर में तो मौसम-ए-गुल में नहीं लगता है जी</p>
<p>या गरीबां कोह का या दामन-ए-सहरा हो मियां</p>
<p> </p>
<p>गुल गए बूटे गए गुलशन हुए बरहम गए</p>
<p>कैसे कैसे हाय अपने देखते मौसम गए</p>
<p> </p>
<p>देर कुछ खींचती तो कहते भी मुलाक़ात की बात</p>
<p>मिलना अपना जो हुआ उससे सो बात की बात</p>
<p> </p>
<p>घर में जी लगता नहीं उस बिन तो हम होकर उदास</p>
<p>दूर जाते हैं निकल हिज्राँ से घबराये हुए</p>
<p> </p>
<p>'मीर' हर-यक मौज में है ज़ुल्फ़ ही का सा दिमाग़</p>
<p>जब से वो दरिया पे आ कर बाल अपने धो गया</p>
<p> </p>
<p>काबे जाने से नहीं कुछ शेख़ मुझको इतना शौक़</p>
<p>चाल वो बतला कि मैं दिल में किसी के घर करूँ</p>
<p> </p>
<p>ग़ैर के कहने से मारा उन ने हम को बे-गुनाह</p>
<p>ये न समझा वो कि वाक़े में भी कुछ था या न था</p>
<p> </p>
<p>इश्क़-ओ-मयख़्वारी निभे है कोई दरवेशी के बीच</p>
<p>इस तरह के ख़र्ज-ए-ला-हासिल को दौलत चाहिए</p>
<p> </p>
<p>आक़िबत फ़रहाद मर कर काम अपना कर गया</p>
<p>आदमी होवे किसी पेशे में जुरअ’त चाहिए</p>
<p> </p>
<p>हो तरफ़ मुझ पहलवाँ शायर का कब आजिज़ सुख़न</p>
<p>सामने होने को साहब फ़न के क़ुदरत चाहिए</p>
<p> </p>
<p>इश्क़ में वस्ल-ओ-जुदाई से नहीं कुछ गुफ़्तुगू</p>
<p>क़ुर्ब-ओ-बाद उस जा बराबर है मुहब्बत चाहिए</p>
<p> </p>
<p>नाज़ुकी को इश्क़ में क्या दख़्ल है ऐ बुल-हवस</p>
<p>याँ सऊबत खींचने को जी में ताक़त चाहिए</p>
<p> </p>
<p>तंग मत हो इब्तिदा-ए-आशिक़ी में इस क़दर</p>
<p>ख़ैरियत है 'मीर' साहिब दिल सलामत चाहिए</p>
<p> </p>
<p><strong>रमल मुसम्मन सालिम मख़्बून महज़ूफ़ मुसक्किन</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन</strong></p>
<p><strong>2122 1122 1122 22</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>शहरों मुल्कों में जो ये मीर कहता है मियां</p>
<p>दीदनी है पर बहुत कम नज़र आता है मियां</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>किस्मत उस बज़्म मे लाई की जहां का साक़ी</p>
<p>दे है मै सबको हमें ज़हर पिलाता है मियां</p>
<p> </p>
<p>अब दरे-बाज़े-बयाबाँ मे क़दम रखिए ‘मीर’</p>
<p>कब तलक तंग रहें शहर की दीवारों में </p>
<p><strong> </strong></p>
<p>आदम-ए-ख़ाकी से आलम को जिला है वर्ना</p>
<p>आइना था तो मगर क़ाबिल-ए-दीदार न था</p>
<p> </p>
<p>अब की माहे-रमज़ा देखा था पैमाने में</p>
<p>बारे सब रोज़े तो गुज़रे मुझे मैखाने में</p>
<p> </p>
<p>'मीर' दरिया है, सुने शेर ज़बानी उस की</p>
<p>अल्लाह अल्लाह रे तबियत की रवानी उस की</p>
<p> </p>
<p>बात की तर्ज़ को देखो तो कोई जादू था</p>
<p>पर मिली ख़ाक में सब सह्र-बयानी उस की</p>
<p> </p>
<p>अब गये उस के जो अफ़सोस नहीं कुछ हासिल</p>
<p>हैफ़ सद हैफ़ कि कुछ क़द्र न जानी उस की</p>
<p> </p>
<p>रोज़ आने पे नहीं निस्बत-ए-इश्क़ी मौक़ूफ़</p>
<p>उम्र भर एक मुलाक़ात चली जाती है</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>हम भी इस शहर में उन लोगों से हैं ख़ानाख़राब</p>
<p>मीर घरबार जिन्हूँ के रहे सैलाब में हैं</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>क्या है इक़बाल की उस दुश्मने-जाँ के आगे</p>
<p>मुंह से हर एक के सौ बार दुआ निकले है</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>यूं न दिल देंगे किसू सीमबदन ज़रदोस्त को</p>
<p>इब्तदा-ए-इश्क़ में अपना भी घर देखेंगे हम</p>
<p> </p>
<p>वक़्त खुश उनका है जो हमबज्म हैं, हम तो</p>
<p>दरो-दीवार को अहवाल सुना जाते हैं </p>
<p> </p>
<p>एक बीमारे-जुदाई हूँ मैं आप ही तिस पर</p>
<p>पूछने वाले जुदा जान को खा जाते हैं</p>
<p> </p>
<p>आती है खून की बू, दोस्ती-ए-यार के बीच</p>
<p>जी लिए उन ने हज़ारों के, यूं ही प्यार के बीच</p>
<p> </p>
<p>पाँव के नीचे की मिट्टी भी न होगी हम सी</p>
<p>क्या कहें उम्र को किस तौर बसर हमने किया</p>
<p> </p>
<p>जैसे हसरत लिए जाता है जहां से कोई</p>
<p>आह यूँ कूचा-ए-दिलबर से सफ़र हमने किया</p>
<p> </p>
<p>हम से कुछ आगे ज़माने में हुआ क्या क्या कुछ</p>
<p>तो भी हम ग़ाफ़िलों ने आ के किया क्या क्या कुछ</p>
<p> </p>
<p>एक महरूम चले 'मीर' हमीं आलम से</p>
<p>वर्ना आलम को ज़माने ने दिया क्या क्या कुछ</p>
<p> </p>
<p>दिन नहीं रात नहीं सुब्ह नहीं शाम नहीं</p>
<p>वक़्त मिलने का मगर दाख़िल-ए-अय्याम नहीं</p>
<p> </p>
<p>जम गया ख़ूँ कफ़-ए-क़ातिल पे तेरा 'मीर' ज़ि-बस</p>
<p>उन ने रो रो दिया कल हाथ को धोते धोते</p>
<p> </p>
<p>रात मज्लिस में तेरा हम भी खड़े थे चुपके</p>
<p>जैसे तस्वीर लगा दे कोई दीवार के साथ</p>
<p> </p>
<p>कुछ न देखा फिर ब-जुज़ यक शोला-ए-पुर-पेच-ओ-ताब</p>
<p>शम्अ' तक तो हम ने देखा था कि परवाना गया</p>
<p> </p>
<p>गुल खिले सद रंग तो क्या बे-परी से ए नसीम</p>
<p>मुद्दतें गुज़रीं कि वो गुलज़ार का जाना गया</p>
<p> </p>
<p>देखें पेश आवे है क्या इश्क़ में अब तो जूँ सैल</p>
<p>हम भी इस राह में सर गाड़े चले जाते हैं</p>
<p> </p>
<p>मेह्र की तुझसे तवक़्क़ो थी सितमगर निकला</p>
<p>मोम समझे थे तेरे दिल को सो पत्थर निकला</p>
<p> </p>
<p>दिल की आबादी की इस हद है ख़राबी कि न पूछ</p>
<p>जाना जाता है कि इस राह से लश्कर निकला</p>
<p> </p>
<p>शहर-ए-दिल आह अजब जाए थी पर उसके गए</p>
<p>ऐसा उजड़ा कि किसी तरह बसाया न गया</p>
<p> </p>
<p>बारे दुनिया में रहो ग़म-ज़दा या शाद रहो</p>
<p>ऐसा कुछ कर के चलो याँ कि बहुत याद रहो</p>
<p> </p>
<p>उस सुख़न-रस से अगर शब की मुलाक़ात रहे</p>
<p>बात रह जाए न ये दिन रहें ने रात रहे</p>
<p> </p>
<p>मुद्दई मुझको खड़े साफ़ बुरा कहते है</p>
<p>चुपके तुम सुनते हो बैठे इसे क्या कहते हैं</p>
<p> </p>
<p>हुस्न तो है ही करो लुत्फ़े-ज़बां भी पैदा</p>
<p>मीर को देखो सभी लोग भला कहते हैं</p>
<p> </p>
<p>कहियो कासिद जो वह पूछे हमें क्या करते हैं</p>
<p>जानो-ईमानो-मुहब्बत की दुआ करते हैं</p>
<p> </p>
<p>इश्क़ आतिश भी जो देवे तो दम न मारें हम</p>
<p>शमए-तस्वीर हैं ख़ामोश जला करते हैं</p>
<p> </p>
<p>रुख्सते-ज़ुम्बिशे-लब इश्क़ की हैरत से नहीं</p>
<p>मुद्दतें गुज़रीं कि हम चुप ही रहा करते हैं</p>
<p> </p>
<p>ज़िन्दगी करते है मरने के लिए अहले-जहाँ</p>
<p>बाकया मीर है दरपेश अजब यारों का</p>
<p> </p>
<p>लाग अगर दिल को नहीं लुत्फ़ नहीं जीने का</p>
<p>उलझे सुलझे किसू गेसू के गिरफ्तार रहो</p>
<p> </p>
<p>सारे बाजारे जहाँ का है यही मोल ऐ मीर</p>
<p>जान को बेंच के भी दिल के खरीदार रहो</p>
<p> </p>
<p><strong>रमल मुसम्मन मश्कूल सालिम</strong></p>
<p><strong>फ़इलातु फ़ाइलातुन फ़इलातु फ़ाइलातुन </strong></p>
<p><strong>1121 2122 1121 2122</strong></p>
<p> </p>
<p>न गया ख़याल-ए-ज़ुल्फ़-ए-सियह जफ़ाशिआराँ</p>
<p>न हुआ कि सुब्ह होवे शब-ए-तीरा रोज़गाराँ</p>
<p> </p>
<p>हुई ईद सब ने पहने तरब-ओ-ख़ुशी के जामे</p>
<p>न हुआ कि हम भी बदलें ये लिबास-ए-सोगवाराँ</p>
<p> </p>
<p>नहीं तुझ को चश्म-ए-इबरत ये नुमूद में है वर्ना</p>
<p>कि गए हैं ख़ाक में मिल कई तुझ से ताज-दाराँ</p>
<p> </p>
<p>तभी कौंद-कौंद इतना तू ज़मीं से जाये मिल-मिल</p>
<p>नहीं देखे बर्क़ तूने दमे-ख़ंदा उस के दंदाँ</p>
<p> </p>
<p>मैं सफ़ा किया दिल इतना कि दिखाई देवे मुँह भी</p>
<p>वले मुफ़्त इस आइने को नहीं लेते ख़ुद-पसंदाँ</p>
<p> </p>
<p>ये ग़लत कि मैं पिया हूँ क़दह-ए-शराब तुझ बिन</p>
<p>न कभू गले से उतरा क़तरा-ए-आब तुझ बिन</p>
<p> </p>
<p>ये भी तुर्फा माजरा है कि उसी को चाहता हूँ</p>
<p>मुझे चाहिए है जिससे बहुत एहतिराज़ करना</p>
<p><strong> </strong></p>
<p><strong>रजज़ मुसद्दस मतव्वी मख़्बून महज़ूफ़</strong></p>
<p><strong>मुफ़तइलुन मुफ़तइलुन फ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>2112 2112 212</strong> </p>
<p> </p>
<p>सुनके सिफ़त हमसे ख़राबात की</p>
<p>अक़ल गई ज़ाहिदे-बदज़ात की</p>
<p> </p>
<p>कोई रमक़ जान थी तन में मेरे</p>
<p>सो भी तेरे ग़म की मुदारात की</p>
<p> </p>
<p>रंग ये है दीदा-ए-गिर्यां से आज</p>
<p>लोहू टपकता है गरीबां से आज</p>
<p> </p>
<p>सर बा फ़लक होने को है किस की ख़ाक</p>
<p>गर्द यक उठती है बयाबां से आज</p>
<p> </p>
<p>यार अजब तरह से निगह कर गया</p>
<p>देखना वह दिल में जगह कर गया</p>
<p> </p>
<p>तंग कबाई का समां यार की</p>
<p>पैरहने-गुंचा को तह कर गया </p>
<p> </p>
<p>चोरी में दिल की वो हुनर कर गया</p>
<p>देखते ही आँखों में घर कर गया</p>
<p> </p>
<p>दिल नहीं है मंज़िल-ए-सीना में अब</p>
<p>याँ से वो बेचारा सफ़र कर गया</p>
<p> </p>
<p>तुंद ना हो हम तो मुए फिरते हैं</p>
<p>क्या तेरी इन बातों से डर जाऐंगे</p>
<p> </p>
<p>खुल गए रुख़्सार अगर यार के</p>
<p>शमस-ओ-क़मर जी से उतर जाऐंगे</p>
<p> </p>
<p>शर्त सलीक़ा हर इक अम्र में</p>
<p>ऐब भी करने को हुनर चाहिए</p>
<p> </p>
<p><strong>रजज़ मुसम्मन सालिम</strong></p>
<p><strong>मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन</strong></p>
<p><strong>2212 2212 2212 2212</strong></p>
<p> </p>
<p>कर रहम टुक कब तक सितम मुझ पर जफ़ाकार इस क़दर</p>
<p>यक सीना ख़ंजर सैंकड़ों यक-जान-ओ-आज़ार इस क़दर</p>
<p> </p>
<p>भागे मेरी सूरत से वो आशिक़ मैं इस की शक्ल पर</p>
<p>मैं इस का ख़्वाहां याँ तलक वो मुझसे बेज़ार इस क़दर</p>
<p> </p>
<p>जितनी हो ज़िल्लत ख़ल्क़ में इतनी है इज़्ज़त इश्क़ में</p>
<p>नामूस से आ दरगुज़र बेनंग हो कर नाम कर</p>
<p> </p>
<p>मर रह कहीं भी मीर जा सरगश्ता फिर ना ता-कुजा</p>
<p>ज़ालिम किसू का सुन कहा कोई घड़ी आराम कर</p>
<p> </p>
<p>ऐ मुझसे तुझको सौ मिले तुझ सा ना पाया एक मैं</p>
<p>सो-सौ कहीं तूने मुझे मुँह पर ना लाया एक मैं</p>
<p> </p>
<p>हैं तालिबे-सूरत सभी मुझ पर सितम क्यों इस क़दर</p>
<p>क्या मुजरिम-ए-इश्क़ बुताँ याँ हूँ ख़ुदाया एक में मैं</p>
<p> </p>
<p>मरता मरो जीता जीओ आओ कोई जाओ कोई</p>
<p>है काम हम लोगों से क्या इस दिलबरे-ख़ुदकाम को</p>
<p> </p>
<p>मस्ती में लग़्ज़िश हो गई माज़ूर रक्खा चाहिए</p>
<p>ऐ अहले मस्जिद इस तरफ़ आया हूँ मैं भटका हुआ</p>
<p> </p>
<p>गुल शर्म से बह जाएगा गुलशन में हो कर आब सा</p>
<p>बुर्के से गर निकला कहीं चेहरा तेरा महताब सा</p>
<p> </p>
<p>बहके जो हम मस्त आ गए सौ बार मस्जिद से उठा</p>
<p>वाइज़ को मारे ख़ौफ़ के कल लग गया जुल्लाब सा</p>
<p> </p>
<p>रख हाथ दिल पर 'मीर' के दरयाफ़्त कर क्या हाल है</p>
<p>रहता है अक्सर ये जवाँ कुछ इन दिनों बेताब सा</p>
<p> </p>
<p><strong>रजज़ मुसम्मन मतव्वी मख़्बून</strong></p>
<p><strong>मुफ़तइलुन मुफ़ाइलुन / मुफ़तइलुन मुफ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>2112 1212 / 2112 1212</strong></p>
<p> </p>
<p>मिलने लगे हो देर देर देखिये क्या है क्या नहीं</p>
<p>तुम तो करो हो साहिबी बंदे में कुछ रहा नहीं</p>
<p> </p>
<p>बू-ए-गुल और रंग-ए-गुल दोनों हैं दिलकश ऐ नसीम</p>
<p>लेक बक़द्र-ए-यक निगाह देखिए तो वफ़ा नहीं</p>
<p> </p>
<p>शिकवा करूँ हूँ बख़्त का इतने ग़ज़ब ना हो बुताँ</p>
<p>मुझको ख़ुदा-न-ख़्वास्ता तुमसे तो कुछ गिला नहीं</p>
<p> </p>
<p>चशम सफ़ैद-ओ-अश्क-ए-सुर्ख़ आह-ए-दिल हज़ीं है याँ</p>
<p>शीशा नहीं है मै नहीं अब्र नहीं हवा नहीं</p>
<p> </p>
<p>एक फ़क़त है सादगी तिस पे बला-ए-जाँ है तू</p>
<p>इश्वा करिश्मा कुछ नहीं आन नहीं अदा नहीं</p>
<p> </p>
<p>नाज़-ए-बुताँ उठा चुका दैर को मीर तर्क कर</p>
<p>काबे में जाके बैठ म्यां तेरे मगर ख़ुदा नहीं</p>
<p> </p>
<p>संग मुझे बजाँ क़बूल उस के इवज़ हज़ार बार</p>
<p>ता-ब-कुजा ये इज़्तराब दिल न हुआ सितम हुआ</p>
<p> </p>
<p>किस की हवा कहाँ का गुल हम तो क़फ़स में हैं असीर</p>
<p>सैर-ए-चमन की रोज़-ओ-शब तुझको मुबारक ऐ सबा</p>
<p> </p>
<p>जैसे नसीम हर सहर तेरी करूँ हूँ जुस्तजू</p>
<p>ख़ाना-ब-ख़ाना दर-ब-दर शहर-ब-शहर कू-ब-कू</p>
<p> </p>
<p><strong>कामिल मुसम्मन सालिम</strong></p>
<p><strong>मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>11212 11212 11212 11212 </strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>न दिमाग़ है कि किसू से हम करें गुफ़्तगु ग़म-ए-यार में</p>
<p>न फ़राग़ है कि फ़क़ीरों से मिलें जा के दिल्ली दयार में</p>
<p> </p>
<p>कहे कौन सैद-ए-रमीदा से, कि उधर भी फिर के नज़र करे</p>
<p>कि नक़ाब उलटे सवार है, तेरे पीछे कोई ग़ुबार में</p>
<p> </p>
<p>झुकी कुछ कि जी में चुभी सभी हिली टुक कि दिल में खुबी सभी</p>
<p>ये जो लाग पलकों में इस के है ना छुरी में है ना कटार में</p>
<p> </p>
<p>कोई शोला है कि शरारा है, कि हवा है यह कि सितारा है</p>
<p>यही दिल जो लेके गड़ेंगे हम, तो लगेगी आग मज़ार में</p>
<p> </p>
<p>दम-ए-सुब्ह बज़्म-ए-ख़ुश जहाँ शब-ए-ग़म से कम न थी मेहरबाँ</p>
<p>कि चराग़ था सो तू दूद था जो पतंग था सो ग़ुबार था</p>
<p> </p>
<p>दिल-ए-मुज़्तरिब से गुज़र गई शब-ए-वस्ल अपनी ही फ़िक्र में</p>
<p>न दिमाग़ था न फ़राग़ था न शकेब था न क़रार था</p>
<p> </p>
<p>ये तुम्हारी इन दिनों दोस्ताँ मिज़ा जिस के ग़म में है ख़ूँ-चकाँ</p>
<p>वही आफ़त-ए-दिल-ए-आशिक़ाँ किसू वक़्त हम से भी यार था</p>
<p> </p>
<p>कभू जाएगी जो उधर सबा तो ये कहियो उस से कि बेवफ़ा</p>
<p>मगर एक ‘मीर’-ए-शिकस्ता-पा तेरे बाग़-ए-ताज़ा में ख़ार था</p>
<p> </p>
<p>नहीं खुलतीं आँखें तुम्हारी टुक कि मआल पर भी नज़र करो</p>
<p>ये जो वहम की सी नुमूद है उसे ख़ूब देखो तो ख़्वाब है</p>
<p> </p>
<p>गए वक़्त आते हैं हाथ कब हुए हैं गँवा के ख़राब सब</p>
<p>तुझे करना होवे सो कर तू अब कि ये उम्र बर्क़-ए-शित्ताब है</p>
<p> </p>
<p><strong>मज़ारे मुसम्मन अख़रब मक्फ़ूफ़ मक्फ़ूफ़ मुख़न्नक सालिम</strong></p>
<p><strong>मफ़ऊलु फ़ाइलातुन मफ़ऊलु फ़ाइलातुन</strong></p>
<p><strong>221 2122 221 2122</strong></p>
<p> </p>
<p>बन्दे के दर्दे-दिल को कोई नहीं पहुंचता</p>
<p>हर एक बेहकीक़त यां है ख़ुदा रसीदा</p>
<p> </p>
<p>उस बुत की क्या शिकायत राहो-रविश की करिए</p>
<p>परदे में बदसुलूकी, हम से ख़ुदा करे है</p>
<p> </p>
<p>रहते हैं दाग़ अक्सर नानो-नमक की खातिर</p>
<p>जीने का इस समय में अब क्या मजा रहा है</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>क़स्रो-मकानों-मंज़िल, एकों को सब जगह है</p>
<p>एकों को कुछ नहीं है, दुनिया अज़ब जगह है</p>
<p> </p>
<p>बरसों लगी रहे है जब मेहरो-मह की आँखें</p>
<p>तब कोई हम-सा साहब साहबनज़र बने है</p>
<p> </p>
<p>याराने-दैरो-काबा दोनों बुला रहे हैं</p>
<p>अब देखें मीर अपना जाना किधर बने है</p>
<p></p>
<p>हम मस्त भी हो देखा आखिर मज़ा नहीं है</p>
<p>हुशियारी के बराबर कोई नशा नहीं है</p>
<p> </p>
<p>हम भी तो फ़स्ले-गुल में चल टुक तो पास बैठें</p>
<p>सर जोड़-जोड़ कैसी कलियाँ निकल्तियाँ हैं</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>बढ़ती नहीं पलक से ता हम तलक भी पहुंचे</p>
<p>फिरती है वो निगाहें पलकों के साए साए</p>
<p> </p>
<p>चाहें तो तुम को चाहें, देखें तो तुम को देखें</p>
<p>ख्वाहिश दिलों कि तुम हो, आँखों की आरजू तुम</p>
<p> </p>
<p>क्या कहिए क्या रक्खें हैं हम तुझ से यार ख़्वाहिश</p>
<p>यक जान ओ सद तमन्ना यक दिल हज़ार ख़्वाहिश</p>
<p> </p>
<p>कहता है कौन तुझको याँ यह न कर तू वह कर</p>
<p>पर हो सके तो प्यारे दिल में भी टुक जगह कर</p>
<p> </p>
<p>ऐ हुब्बे-जाह वालो जो आज ताजवर है</p>
<p>कल उसको देखियो तुम ने ताज है न सर है</p>
<p> </p>
<p>हम आप ही को अपना मक़्सूद जानते हैं</p>
<p>अपने सिवाए किस को मौजूद जानते हैं</p>
<p> </p>
<p>मर कर भी हाथ आवे तो 'मीर' मुफ़्त है वो</p>
<p>जी के ज़ियान को भी हम सूद जानते हैं</p>
<p> </p>
<p>शायद कबाब कर कर खाया कबूतर उन ने</p>
<p>नामा उड़ा फिरे है उस की गली में पर सा</p>
<p> </p>
<p>सब पेच की ये बातें हैं शाइरों की वर्ना</p>
<p>बारीक और नाज़ुक मू कब है उस कमर सा</p>
<p> </p>
<p>काबे में जाँबलब थे हम दूरी-ए-बुताँ से</p>
<p>आये हैं फिर के यारों अब के ख़ुदा के याँ से</p>
<p> </p>
<p>क्या ऐतबार याँ का फिर उस को ख़्वार देखा</p>
<p>जिसने जहाँ में आकर कुछ ऐतबार पाया</p>
<p> </p>
<p>आलम में आब-ओ-गिल के क्यूँकर निबाह होगा</p>
<p>अस्बाब गिर पड़ा है सारा मेरा सफ़र में</p>
<p> </p>
<p>सहल इस क़दर नहीं है मुश्किल-पसंदी मेरी</p>
<p>जो तुझ को देखते हैं मुझ को सराहते हैं</p>
<p> </p>
<p>ये तो नहीं कि हम पर हरदम है बेदिमाग़ी</p>
<p>आँखें दिखाते हैं तो चितवन में प्यार भी है</p>
<p> </p>
<p>जूं मौज हम-बग़ल हूँ नायाब इस गुहर से</p>
<p>दरिया की सैर भी है बोस-ओ-कनार भी है</p>
<p> </p>
<p>वैसा कहाँ है हम से जैसा कि आगे था तू</p>
<p>औरों से मिल के प्यारे कुछ और हो गया तू</p>
<p> </p>
<p>कम मेरी और आना कम आँख का मिलाना</p>
<p>करने से ये अदाएँ है मुद्दआ' कि जा तू</p>
<p> </p>
<p>गुफ़्त-ओ-शुनूद अक्सर मेरे तिरे रहे है</p>
<p>ज़ालिम मुआ'फ़ रखियो मेरा कहा-सुना तू</p>
<p> </p>
<p>कह साँझ के मूए को ऐ 'मीर' रोयें कब तक</p>
<p>जैसे चराग़-ए-मुफ़्लिस इक-दम में जल बुझा तू</p>
<p> </p>
<p>हैं मुस्ते-ख़ाक लेकिन जो कुछ हैं मीर हम हैं</p>
<p>मक़्दूर से ज़ियादा मक़्दूर है हमारा</p>
<p> </p>
<p><strong>मज़ारे मुसम्मन अख़रब मक्फ़ूफ़ महज़ूफ़</strong></p>
<p><strong>मफ़ऊलु फ़ाइलातु मुफ़ाईलु फ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>221 2121 1221 212</strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p>ऐ वह कोई जो आज पिये है शराबे-ऐश</p>
<p>ख़ातिर मे रखियो कल के भी रंजो-ख़ुमार को</p>
<p> </p>
<p>नाख़ुन से बुलहवस का गला यूँ ही छिल गया</p>
<p>लोहू लगा के वो भी शहीदों में मिल गया</p>
<p> </p>
<p>खूगर हुए हैं इश्क़ की गर्मी से ख़ार-ओ-खस</p>
<p>बिजली पड़ी रहे है मेरे आस्मां के बीच</p>
<p> </p>
<p>जी के तईं छुपाते नहीं यूँ तो ग़म से हम</p>
<p>पर तंग आ गए हैं तुम्हारे सितम से हम</p>
<p> </p>
<p>गर्दिश में जो कोई हो रखे उस से क्या उमीद</p>
<p>दिन रात आप चर्ख़ में है आस्मान तो</p>
<p> </p>
<p>दिल्ली में आज भीख भी मिलती नहीं उन्हें</p>
<p>था कल तलक दिमाग जिन्हें ताजो-तख़्त का</p>
<p> </p>
<p>मक्का गया मदीना गया कर्बला गया</p>
<p>जैसा गया था वैसा ही चल फिर के आ गया</p>
<p> </p>
<p>मानिंद-ए-सुब्ह उक़दे न दिल के कभू खुले</p>
<p>जी अपना क्यूँ कि उचटे न रोज़े नमाज़ से</p>
<p> </p>
<p>बे-सोज़ दिल किन्हों ने कहा रेख़्ता तो क्या</p>
<p>गुफ़्तार-ए ख़ाम पेश-ए अज़ीज़ाँ सनद नहीं</p>
<p> </p>
<p>लुत्फ़-ए-सुख़न भी पीरी में रहता नहीं है ‘मीर’</p>
<p>अब शेर हम पढ़ें हैं तो वो शद्द-ओ-मद नहीं</p>
<p> </p>
<p>फरहाद-ओ-कैस-ओ-मीर यह आवारगाने-इश्क़</p>
<p>यूं ही गए हैं सब की रही मन की मन के बीच</p>
<p> </p>
<p>अब सब के रोजगार की सूरत बिगड़ गयी</p>
<p>लाखों में एक दो का कहीं कुछ बनाव है </p>
<p> </p>
<p>देखा हमें जहाँ वो तहाँ आग हो गया</p>
<p>भड़का रखा है लोगों ने उस को लगा लगा</p>
<p> </p>
<p>होता है शौक़ वस्ल का इन्कार से ज़ियाद</p>
<p>कब तुझ से दिल उठाते हैं तुम्हारी नहीं से हम</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>क्या लुत्फे-तन छुपा है मेरे तंगपोश का</p>
<p>उगला पड़े है जामे से उसका बदन तमाम</p>
<p> </p>
<p>इक गुल ज़मी न वक़्फ़े के क़ाबिल नज़र पड़ी</p>
<p>देखा बरंगे-आबे-रवां यह चमन तमाम</p>
<p> </p>
<p>साकी टुक एक मौसमे-गुल की तरफ़ तो देख </p>
<p>टपका पड़े है रंग चमन में हवा से आज</p>
<p> </p>
<p>यूं बार-ए-गुल से अब के झुके है निहाले बाग़</p>
<p>झुक झुक जैसे करते हैं दो चार यार बात</p>
<p> </p>
<p>दिल वो नगर नहीं, कि फिर आबाद हो सके</p>
<p>पछताओगे, सुनो हो, ये बस्ती उजाड़ कर</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>गैर अज़ ख़ुदा की जात घर में कुछ नहीं</p>
<p>यानी कि अब मकान मेरा लामकाँ हुआ</p>
<p> </p>
<p>पाते हैं अपने हाल में मजबूर सब को हम</p>
<p>कहने को इख्तियार है पर इख्तियार क्या</p>
<p> </p>
<p>मौसम है निकले शाखों से पत्ते हरे हरे</p>
<p>पौधे चमन में फूलों से देखे भरे भरे</p>
<p> </p>
<p>दुनिया की कद्र क्या जो तलबगार हो कोई</p>
<p>कुछ चीज माल हो तो ख़रीदार हो कोई</p>
<p> </p>
<p>इज़्ज़त भी बा'द ज़िल्लत बिसयार छेड़ है</p>
<p>मज्लिस में जब ख़फ़ीफ़ किया फिर अदब है क्या</p>
<p> </p>
<p>तुम ने हमेशा जौर-ओ-सितम बे-सबब किए</p>
<p>अपना ही ज़र्फ़ था जो न पूछा सबब है क्या</p>
<p> </p>
<p>है आशिक़ी के बीच सितम देखना ही लुत्फ़</p>
<p>मर जाना आखें मूँद के ये कुछ हुनर नहीं</p>
<p> </p>
<p>क्यूँकर तुम्हारी बात करे कोई ए'तिबार</p>
<p>ज़ाहिर में क्या कहो हो सुख़न ज़ेर-ए-लब है क्या</p>
<p> </p>
<p>याद उस की इतनी ख़ूब नहीं 'मीर' बाज़ आ</p>
<p>नादान फिर वो जी से भुलाया न जाएगा</p>
<p> </p>
<p>हम ख़ाक में मिले तो मिले लेकिन ऐ सिपहर</p>
<p>उस शोख़ को भी राह पे लाना ज़रूर था</p>
<p> </p>
<p>तुमने जो अपने दिल से भुलाया हमें तो क्या</p>
<p>अपने तईं तो दिल से हमारे भुलाइये</p>
<p> </p>
<p>कैसे हैं वे कि जीते हैं सदसाल हम तो 'मीर'</p>
<p>इस चार दिन की ज़ीस्त में बेज़ार हो गए</p>
<p> </p>
<p>दो दिन से कुछ बनी थी सो फिर शब बिगड़ गई</p>
<p>सोहबत हमारी यार से बेढब बिगड़ गई</p>
<p> </p>
<p>बाहम सुलूक था तो उठाते थे नर्म गर्म</p>
<p>काहे को 'मीर' कोई दबे जब बिगड़ गई</p>
<p> </p>
<p>जिन जिन को था ये इश्क़ का आज़ार मर गए</p>
<p>अक्सर हमारे साथ के बीमार मर गए</p>
<p> </p>
<p>सद कारवाँ वफ़ा है कोई पूछता नहीं</p>
<p>गोया मता-ए-दिल के ख़रीदार मर गए</p>
<p> </p>
<p>किन नींदों अब तू सोती है ऐ चश्म-ए-गिर्या-नाक</p>
<p>मिज़्गाँ तो खोल शहर को सैलाब ले गया </p>
<p> </p>
<p>उसके फ़रोग-ए-हुस्नद से, झमके है सब में नूर</p>
<p>शम्म-ए-हरम हो या कि दिया सोमनात का</p>
<p> </p>
<p>मरते हैं हम तो आदम-ए-ख़ाकी की शान पर</p>
<p>अल्लाह रे दिमाग़ कि है आसमान पर</p>
<p> </p>
<p>शोख़ी तो देखो आप कहा आओ बैठो ‘मीर’</p>
<p>पूछा कहाँ तो बोले कि मेरी ज़ुबान पर</p>
<p> </p>
<p>तुम को तो इल्तिफात नहीं हाले-ज़ार पर</p>
<p>अब हम मिलेंगे और किसू मेहरबान से</p>
<p> </p>
<p>यारो मुझे मु'आफ़ रखो मैं नशे में हूँ</p>
<p>अब दो तो जाम खाली ही दो मैं नशे में हूँ</p>
<p> </p>
<p>आ जायें हम नज़र जो कोई दम बहुत है याँ</p>
<p>मोहलत बसाँ-ए-बर्क़-ओ-शरार कम बहुत है याँ</p>
<p> </p>
<p>इस बुतकदे में मानी का किस से करें सवाल</p>
<p>आदम नहीं हैं सूरत-ए-आदम बहुत है याँ</p>
<p> </p>
<p>हम अपनी चाक जेब को सी रहते या नहीं</p>
<p>फाटे में पाँव देने को आए कहाँ से तुम</p>
<p> </p>
<p>अब देखते हैं ख़ूब तो वो बात ही नहीं</p>
<p>क्या क्या वगर्ना कहते थे अपनी ज़बाँ से तुम</p>
<p> </p>
<p>सर रख के उस की तेग़ तले मर चुको शिताब</p>
<p>याँ पांव पीट-पीट के मरना हुनर नहीं</p>
<p> </p>
<p>आँखों में जी मेरा है इधर यार देखना</p>
<p>आशिक़ का अपने आख़री दीदार देखना</p>
<p> </p>
<p>कैसा चमन कि हम से असीरों को मना है</p>
<p>चाक-ए-क़फ़स से बाग़ की दीवार देखना</p>
<p> </p>
<p>दरिया-ए-हुस्न-ए-यार तलातुम करे कहीं</p>
<p>ख़्वाहिश है अपने जी में भी बोस-ओ-कनार की</p>
<p> </p>
<p>मक़्दूर तक तो जब्त करूँ हूँ पर क्या करूँ</p>
<p>मुँह से निकल ही जाती है इक बात प्यार की</p>
<p> </p>
<p>जीते रहे तो उस से हम-आग़ोश होंगे हम</p>
<p>लबरेज़ गुल से देखेंगे जेब-ओ-कनार को</p>
<p> </p>
<p><strong>मुक्तज़ब मुसम्मन मख़्बून मर्फूअ’ मख़्बून मर्फूअ’ मुसक्किन मुज़ाइफ़</strong></p>
<p><strong>फ़ऊल फ़ेलुन फ़ऊल फ़ेलुन // फ़ऊल फ़ेलुन फ़ऊल फ़ेलुन</strong></p>
<p><strong>121 22 121 22 // 121 22 121 22</strong></p>
<p> </p>
<p>ख़िलाफ़-ए-वादा बहुत हुए हो कोई तो वादा वफ़ा करो अब</p>
<p>मिला के आंखें दरोग़ कहना कहाँ तलक कुछ हया करो अब</p>
<p> </p>
<p>ख़याल रखिए न सरकशी का सुनो हो साहिब कि पीरी आई</p>
<p>ख़मीदा क़ामत बहुत हुआ है झुकाए सर ही रहा करो अब</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>करो तवक्कुल कि आशिक़ी में न यूँ करोगे तो क्या करोगे</p>
<p>अलम जो यह है तो दर्दमंदो कहाँ तलक तुम दवा करोगे</p>
<p> </p>
<p>जिगर में ताक़त कहाँ है उतनी कि दर्द-ए-हिज्राँ से मरते रहिए</p>
<p>हज़ारों वादे विसाल के थे कोई भी जीते वफ़ा करोगे</p>
<p> </p>
<p>अख़ीर-ए-उल्फ़त यही नहीं है कि जल के आख़िर हुए पतंगे</p>
<p>हवा जो याँ की ये है तो यारो ग़ुबार हो कर उड़ा करोगे</p>
<p> </p>
<p>बहार आई चलो चमन में, हवा के ऊपर भी रंग आया</p>
<p>कहां तलक गुल न होवे गुंचा, रहा मुदे मुँह सो तंग आया</p>
<p> </p>
<p>वही है रोना वही है कुढ़ना वही है सोजिश जवानी की-सी</p>
<p>बुढ़ापा आया है इश्क़ ही में, पर मीर हम को न ढंग आया</p>
<p> </p>
<p><strong>मुज्तस मुसम्मन मख़्बून महज़ूफ़ मुसक्किन</strong></p>
<p><strong>मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन</strong></p>
<p><strong>1212 1122 1212 22</strong></p>
<p> </p>
<p>रही न पुख़्तगी आलम में दौरे-ख़ामी है</p>
<p>हज़ार हैफ कमीनों का चर्ख़ हामी है</p>
<p> </p>
<p>रहे ख़याल तनिक हम भी रू-सियाहों का</p>
<p>लगे हो ख़ून बहुत करने बे-गुनाहों का</p>
<p> </p>
<p>असीरे ज़ुल्फ़ करे क़ैदी-ए-कमंद करे</p>
<p>पसंद उसकी है वह जिस तरह पसंद करे</p>
<p> </p>
<p>सहर साबाद में चल जोर फूली है सरसों</p>
<p>हुआ है इश्क़ से कुल ज़र्द क्या बहार है आज</p>
<p> </p>
<p>मत इन नमाज़ियों को ख़ानासाजे-दीं जानो</p>
<p>कि एक ईंट की खातिर ये ढाते हैंगे मसीत</p>
<p> </p>
<p>कहा था हमने बहुत बोलना नहीं है खूब</p>
<p>हमारे यार को सो अब हमीं से बात न चीत</p>
<p> </p>
<p>जफ़ाएँ देख लियाँ बेवफ़ाइयाँ देखीं</p>
<p>भला हुआ कि तेरी सब बुराइयाँ देखीं</p>
<p> </p>
<p>शहाँ कि कोहल-ए-जवाहर थी ख़ाक-ए-पा जिन की</p>
<p>उन्हीं की आँखों में फिरते सलाईयाँ देखीं</p>
<p> </p>
<p>रही नगुफ़्ता मेरे दिल में दास्ताँ मेरी</p>
<p>न इस दयार में समझा कोई ज़बाँ मेरी</p>
<p> </p>
<p>उसी से दूर रहा अस्ल-ए-मुद्दआ जो था</p>
<p>गई ये उम्र-ए-अज़ीज़ आह रायगाँ मेरी</p>
<p> </p>
<p>हमारे आगे तेरा जब किसू ने नाम लिया</p>
<p>दिल-ए-सितमज़दा को हम ने थाम थाम लिया</p>
<p> </p>
<p>मेरे सलीक़े से मेरी निभी मोहब्बत में</p>
<p>तमाम उम्र मैं नाकामियों से काम लिया</p>
<p> </p>
<p>भला हुआ कि दिल-ए-मुज़्तरिब में ताब नहीं</p>
<p>बहुत ही हाल बुरा है अब इज़्तराब नहीं</p>
<p></p>
<p>तड़प के ख़िर्मन-ए-गुल पर कभी गिर ऐ बिजली</p>
<p>जलाना क्या है मेरे आशियाँ के ख़ारों का</p>
<p> </p>
<p><strong>ख़फ़ीफ़ मुसद्दस सालिम मख़्बून महज़ूफ़ मुसक्किन</strong></p>
<p><strong>फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन</strong></p>
<p><strong>2122 1212 22</strong></p>
<p> </p>
<p>फ़िक्रे-तामीरे-दिल किसू को नहीं</p>
<p>ऐसी-वैसी बिनाएं क्या क्या हैं</p>
<p></p>
<p>जाए है जी निजात के ग़म में<br/> ऐसी जन्नत गई जहन्नम में</p>
<p></p>
<p>इश्क़ क्या कोई अख्तियार करे</p>
<p>वही जी को मारे जिस को प्यार करे</p>
<p> </p>
<p>कभू सच्चे भी हो कोई कबतक</p>
<p>झूठे वादों का ऐतबार करे</p>
<p> </p>
<p>कुछ ख़बर होती तो न होती ख़बर</p>
<p>सूफि़याँ बे-ख़बर गए शायद</p>
<p> </p>
<p>कहते हैं मरने वाले याँ से गए</p>
<p>सब यहीं रह गए कहाँ से गए</p>
<p> </p>
<p>'मीर' अम्दन भी कोई मरता है</p>
<p>जान है तो जहान है प्यारे</p>
<p> </p>
<p>हैरत आती है उसकी बातों पर</p>
<p>खुदसरी, खुदसिताई, खुदराई</p>
<p><strong> </strong></p>
<p>नाज़ुकी उस के लब की क्या कहिए</p>
<p>पंखुड़ी इक गुलाब की सी है</p>
<p> </p>
<p>'<span>मीर</span>' <span>उन नीम-बाज़ आँखों में</span></p>
<p>सारी मस्ती शराब की सी है</p>
<p> </p>
<p>आग थे इब्तिदा-ए-इश्क़ में हम</p>
<p>अब जो हैं ख़ाक इंतिहा है ये</p>
<p> </p>
<p>बेखुदी ले कहाँ गई हमको</p>
<p>देर से इंतज़ार है अपना</p>
<p></p>
<p>वस्ल उस का ख़ुदा नसीब करे<br/> 'मीर' दिल चाहता है क्या क्या कुछ </p>
<p></p>
<p>यार ने हम से बे-अदाई की</p>
<p>वस्ल की रात में लड़ाई की</p>
<p> </p>
<p>बाल-ओ-पर भी गए बहार के साथ</p>
<p>अब तवक़्क़ो नहीं रिहाई की</p>
<p> </p>
<p>कोहकन क्या पहाड़ तोड़ेगा</p>
<p>इश्क़ ने ज़ोर-आज़माई की</p>
<p> </p>
<p>वजह-ए-बेगानगी नहीं मालूम</p>
<p>तुम जहाँ के हो वाँ के हम भी हैं</p>
<p> </p>
<p>अपना शेवा नहीं कजी यूँ तो</p>
<p>यार जी टेढ़े बाँके हम भी हैं</p>
<p> </p>
<p>मर्ग इक मांदगी का वक़्फ़ा है</p>
<p>यानी आगे चलेंगे दम लेकर</p>
<p> </p>
<p>पास-ए-नामूस-ए-इश्क़ था वर्ना</p>
<p>कितने आँसू पलक तक आए थे</p>
<p> </p>
<p>इक निगह कर के उसने मोल लिया</p>
<p>बिक गए आह हम भी क्या सस्ते</p>
<p> </p>
<p>दूर अब बैठते हैं मजलिस में</p>
<p>हम जो तुम से थे पेशतर नज़दीक़</p>
<p> </p>
<p>शेर मेरे हैं सब ख़वास पसंद</p>
<p>पर मुझे गुफ़्तगू आवाम से है</p>
<p> </p>
<p>क्या कहूँ तुम से मैं के क्या है इश्क़</p>
<p>जान का रोग है बला है इश्क़</p>
<p> </p>
<p>कौन मक़्सद को इश्क़ बिन पहुँचा</p>
<p>आरज़ू इश्क़ मुद्दआ है इश्क़</p>
<p> </p>
<p>शाम से कुछ बुझा सा रहता हूँ</p>
<p>दिल हुआ है चराग़ मुफ़्लिस का</p>
<p> </p>
<p>देख तो दिल कि जाँ से उठता है</p>
<p>ये धुआं सा कहाँ से उठता है</p>
<p> </p>
<p>यूं उठे आह उस गली से हम</p>
<p>जैसे कोई जहाँ से उठता है</p>
<p> </p>
<p>ये तवाहुम का कारख़ाना है</p>
<p>याँ वही है जो ऐतबार किया</p>
<p> </p>
<p>हम फ़क़ीरों से बे-अदाई क्या</p>
<p>आन बैठे जो तुमने प्यार किया</p>
<p> </p>
<p>अब तो जाते हैं बुत-कदे से 'मीर'</p>
<p>फिर मिलेंगे अगर ख़ुदा लाया</p>
<p> </p>
<p>दिल से शौक़-ए-रुख़-ए-निकू न गया</p>
<p>झाँकना ताकना कभु न गया</p>
<p> </p>
<p>कुछ करो फ़िक्र मुझ दीवाने की</p>
<p>धूम है फिर बहार आने की</p>
<p> </p>
<p>जो है सो पायमाल-ए-ग़म है 'मीर'</p>
<p>चाल बेडौल है ज़माने की</p>
<p> </p>
<p>न निगह ने पयाम ने वादा</p>
<p>नाम को हम भी यार रखते हैं</p>
<p> </p>
<p>ज़ोर-ओ-ज़र कुछ न था तो बारे 'मीर'</p>
<p>किस भरोसे पर आश्नाई की</p>
<p> </p>
<p>सब मज़े दरकिनार आलम के</p>
<p>यार जब हमकिनार होता है</p>
<p> </p>
<p>बेकली बेख़ुदी कुछ आज नहीं</p>
<p>एक मुद्दत से वो मिज़ाज नहीं</p>
<p> </p>
<p>जो कहो तुम सो है बजा साहब</p>
<p>हम बुरे ही सही भला साहब</p>
<p> </p>
<p>तेरे बालों के वस्फ़ में मेरे </p>
<p>शे'र सब पेचदार होते हैं</p>
<p> </p>
<p>ख़ूब-रू सब की जान होते हैं</p>
<p>आरज़ू-ए-जहान होते हैं</p>
<p> </p>
<p>क्या रहा है मुशायरे में अब</p>
<p>लोग कुछ जम्अ' आन होते हैं</p>
<p> </p>
<p>मीर साहब ज़माना नाज़ुक है</p>
<p>दोनों हाथों से थामिए दस्तार</p>
<p> </p>
<p>शिकवा ए आबला अभी से मीर</p>
<p>है पियारे हनोज़ दिल्ली दूर</p>
<p> </p>
<p>मार्ग इक मांदगी का वक्फा है</p>
<p>यानी आगे चलेंगे दम लेकर</p>
<p> </p>
<p>चश्मे-गुल बाग़ में मुदी जा है</p>
<p>जो बने इक निगाह कर लीजे</p>
<p> </p>
<p>दूर बैठा ग़ुबार-ए-मीर उससे</p>
<p>इश्क़ बिन ये अदब नहीं आता</p>
<p><em> </em></p>
<p>यही जाना कि कुछ न जाना हाय</p>
<p>सो भी इक उम्र में हुआ मालूम</p>
<p> </p>
<p>कीसा पुर-ज़र हो तो जफ़ा-जूयाँ</p>
<p>तुम से कितने हमारी जेब में हैं</p>
<p> </p>
<p>दिल ना बाहम मिले तो हिज्राँ है</p>
<p>हम वे रहते हैं गो कि पास ही पास</p>
<p> </p>
<p>लुत्फ़ क्या हर किसू की चाह के साथ</p>
<p>चाह वह है जो हो निबाह के साथ</p>
<p> </p>
<p><strong>मुन्सरेह मुसम्मन मतव्वी मतव्वी मक्सूफ़</strong></p>
<p><strong>मुफ़्तइलुन फ़ाइलुन // मुफ़्तइलुन फ़ाइलुन</strong></p>
<p><strong>2112 212 // 2112 212</strong></p>
<p> </p>
<p>चर्ख़ पे अपना मदार देखिये कबतक रहे</p>
<p>ऐसी तरह कारोबार देखिये कबतक रहे</p>
<p> </p>
<p>उससे तो अहदों करार कुछ भी नहीं दरमियान</p>
<p>दिल है मेरा बेकरार देखिये कब तक रहे</p>
<p> </p>
<p>आँखे तो पथरा गयीं तकते हुए उसकी राह</p>
<p>शामो-सहर इंतज़ार देखिये कब तक रहे</p>
<p></p>
<p> </p>
<p>इश्क़ में ऐ हमरहाँ कुछ तो किया चाहिए</p>
<p>गिरिया-ओ-शोर-ओ-फ़ुग़ाँ कुछ तो किया चाहिए</p>
<p> </p>
<p>हाथ रखे हाथ पर बैठे हो क्या बेख़बर</p>
<p>चलने को है कारवां कुछ तो किया चाहिए</p>
<p> </p>
<p>मैं जो कहा तंग हूँ मार मरूँ क्या करूँ</p>
<p>वो भी लगा कहने हाँ कुछ तो किया चाहिए</p>
<p> </p>
<p>क्या करूँ, दिल खूँ करूँ, शेर ही मौजूं करूँ</p>
<p>चलती है जब तक जबाँ, कुछ तो किया चाहिए</p>
<p> </p>
<p>ये तो नहीं दोस्ती हमसे जो तुमको रही</p>
<p>पास दिल-ए-दोस्ताँ कुछ तो किया चाहिए</p>
<p> </p>
<p>मीर नहीं पीर तुम काहिली अल्लाह रे</p>
<p>नामे ख़ुदा हो जवां कुछ तो किया चाहिए</p> बह्रें और उनके अरकानtag:www.openbooksonline.com,2017-12-11:5170231:Topic:9026932017-12-11T09:45:47.656ZAnanda Shrestahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnandaShresta
<table width="825">
<tbody><tr><td colspan="2" width="821"><p><strong>बह्रें और उनके अरकान</strong><strong> </strong></p>
<p><strong> </strong></p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="821"><p><strong>बह्र का नाम</strong> <strong> </strong> <strong>अरकान</strong><strong> </strong></p>
<p><strong> …</strong></p>
</td>
</tr>
</tbody>
</table>
<table width="825">
<tbody><tr><td colspan="2" width="821"><p><strong>बह्रें और उनके अरकान</strong><strong> </strong></p>
<p><strong> </strong></p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="821"><p><strong>बह्र का नाम</strong> <strong> </strong> <strong>अरकान</strong><strong> </strong></p>
<p><strong> </strong></p>
<p><strong>मुतक़ारिब</strong></p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतक़ारिब मुरब्बा सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ऊलुन फ़ऊलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>122 122 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतक़ारिब मुसद्दस सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>122 122 122 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतक़ारिब मुसद्दस असरम मक़्बूज़ सालिम अल आख़िर</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ेल फ़ऊल फ़ऊलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>21 121 122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतक़ारिब मुसद्दस महज़ूफ़ / मक़्सूर</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़अल / फ़ऊल </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>122 122 12 / 121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतक़ारिब मुसम्मन सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>122 122 122 122 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतक़ारिब मुसम्मन सालिम मुज़ाइफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन (X2)</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>122 122 122 122 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतक़ारिब मुसम्मन महज़ूफ़ / मक़्सूर</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़अल / फ़ऊल </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>122 122 122 12 / 121 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतक़ारिब मुसम्मन अस्लम मक्बूज़ मुख़न्नक सालिम अल आख़िर </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ेलुन फ़ऊलुन फ़ेलुन फ़ऊलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>22 122 22 122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतक़ारिब मुरब्बा अस्लम सालिम मुज़ाइफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ेलुन फ़ऊलुन // फ़ेलुन फ़ऊलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>22 122 // 22 122</p>
<p>(इस बह्र में पहले फ़ऊलुन की जगह भी फ़ऊलान (1221) भी आ</p>
<p>सकता है)</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतक़ारिब मुसम्मन अबतर</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ा</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>122 122 122 2</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतक़ारिब मुसम्मन असरम मक़्बूज़ सालिम अल आख़िर / मुस्बाग</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ेल फ़ऊल फ़ऊल फ़ऊलुन / फ़ऊलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p> 21 121 121 122 / 1221 </p>
<p>[इस वजन पर तख़्नीक़ से सात और वज़न हासिल किये जा सकते हैं</p>
<p>जिनका एक दूसरे की जगह इस्तेमाल जायज़ है.</p>
<p>'फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन' (22 22 22 22) भी इन्हीं में से एक है] </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतक़ारिब मुसम्मन असरम मक़्बूज़ मुख़न्नक सालिम अल आख़िर / मुस्बाग </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ेल फ़ऊलुन फ़ेल फ़ऊलुन / फ़ऊलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>21 122 21 122 / 1221 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतक़ारिब मुसम्मन असरम मक़्बूज़ सालिम अल आख़िर मुज़ाइफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ेल फ़ऊल फ़ऊल फ़ऊलुन फ़ेल फ़ऊल फ़ऊल फ़ऊलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>21 121 121 122 21 121 121 122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतक़ारिब मुसम्मन असरम मक़्बूज़ मुख़न्नक सालिम अल आख़िर मुज़ाइफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ेल फ़ऊलुन फ़ेल फ़ऊलुन फ़ेल फ़ऊलुन फ़ेल फ़ऊलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>21 122 21 122 21 122 21 122 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतक़ारिब मुसम्मन असरम मक़्बूज़ महज़ूफ़/ मक़्सूर</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ेल फ़ऊल फ़ऊल फ़अल/ फ़ऊल</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p> 21 121 121 12/ 121</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>मुतक़ारिब असरम मक़्बूज़ महज़ूफ़ 16-रुक्नी </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ेल फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़अल</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p> </p>
</td>
<td width="429"><p>21 121 121 121 121 121 121 12</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p> </p>
</td>
<td width="429"><p> [इस वज़न पर तख़्नीक़ से 256 वज़न बरामद हो सकते हैं और</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p> </p>
</td>
<td width="429"><p>इनका एक दूसरे की जगह इस्तेमाल जायज़ है. इनमें से ही </p>
<p>एक वज़न 'फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा'</p>
<p>(22 22 22 22 22 22 22 2) है जिसे बहरे-मीर के नाम से</p>
<p>जाना जाता है.]</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p> </p>
</td>
<td width="429"><p> </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>मुतक़ारिब असरम मक़्बूज़ सालिम अल आख़िर 16-रुक्नी </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ेल फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p> </p>
</td>
<td width="429"><p>21 121 121 121 121 121 121 122</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p> </p>
</td>
<td width="429"><p> [इस वज़न पर तख़्नीक़ से 256 वज़न बरामद हो सकते हैं और </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p> </p>
</td>
<td width="429"><p>इनका एक दूसरे की जगह इस्तेमाल जायज़ है. इनमें से ही एक </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p> </p>
</td>
<td width="429"><p>वज़न 'फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन'</p>
<p>(22 22 22 22 22 22 22 22) है.]</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p> </p>
</td>
<td width="429"><p></p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="821"><p><strong>मुतदारिक</strong></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>बह्र का नाम </p>
</td>
<td width="429"><p>अरकान </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतदारिक मुरब्बा सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलुन फ़ाइलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>212 212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतदारिक मुसद्दस सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>212 212 212 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतदारिक मुसद्दस मख़्बून </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़इलुन फ़इलुन फ़इलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p> 112 112 112</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतदारिक मुसद्दस सालिम मख़्बून सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलुन फ़इलुन फ़ाइलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>212 112 212 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतदारिक मुसद्दस महज़ूज़ अल आख़िर</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>212 212 2</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतदारिक मुसम्मन सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>212 212 212 212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतदारिक मुसम्मन महज़ूज़ अल आख़िर</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>212 212 212 2</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>मुतदारिक मुसम्मन सालिम मुज़ाइफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन (X2)</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p> </p>
</td>
<td width="429"><p>212 212 212 212 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतदारिक मुसम्मन महज़ूज़ मुज़ाइफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा // फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>212 212 212 2 // 212 212 212 2</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतदारिक मुसम्मन सालिम मुरफ्फल</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलातुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>212 212 212 2122</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>मुतदारिक मुसम्मन मक़्तूअ अल आख़िर</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ेलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>(इस बह्र में मिसरे के आख़िर में फ़ेलुन(22) की जगह फ़इलुन(112)</p>
<p>नहीं आ सकता है)</p>
</td>
<td width="429"><p> 212 212 212 22</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>मुतदारिक मुसम्मन मख़्बून मुसक्किन अल आख़िर</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ेलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>(इस बह्र में मिसरे के आख़िर में फ़ेलुन(22) की जगह फ़इलुन(112)</p>
<p>भी आ सकता है)</p>
</td>
<td width="429"><p> 212 212 212 22</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतदारिक मुसम्मन मख़्बून सालिम </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़इलुन फ़ाइलुन फ़इलुन फ़ाइलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>112 212 112 212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतदारिक मुसम्मन मख़्बून मुसक्किन सालिम </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ेलुन फ़ाइलुन फ़ेलुन फ़ाइलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>22 212 22 212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतदारिक मुसम्मन सालिम मख़्बून</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलुन फ़इलुन फ़ाइलुन फ़इलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>212 112 212 112 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतदारिक मुसम्मन सालिम मख़्बून मुसक्किन</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलुन फ़ेलुन फ़ाइलुन फ़ेलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>212 22 212 22</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतदारिक मुसम्मन सालिम मख़्बून मुसक्किन मुज़ाइफ़ </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलुन फ़ेलुन फ़ाइलुन फ़ेलुन // फ़ाइलुन फ़ेलुन फ़ाइलुन फ़ेलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>212 22 212 22 // 212 22 212 22 </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>मुतदारिक मुसम्मन सालिम मख़्बून मुसक्किन सालिम महजूज़</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलुन फ़ेलुन फ़ाइलुन फ़ा</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"></td>
<td width="429"><p>212 22 212 2</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतदारिक मुसम्मन मख़्बून</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़इलुन फ़इलुन फ़इलुन फ़इलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>112 112 112 112 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतदारिक मुसम्मन मख़्बून मुज़ाइफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़इलुन फ़इलुन फ़इलुन फ़इलुन // फ़इलुन फ़इलुन फ़इलुन फ़इलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>112 112 112 112 // 112 112 112 112 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतदारिक मुसम्मन मख़्बून मुस्सकिन</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>22 22 22 22</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतदारिक मुसम्मन मख़्बून मुस्सकिन मुज़ाइफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन // फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>22 22 22 22 // 22 22 22 22</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतदारिक मुसम्मन मख़्बून मुसक्किन महज़ूज़</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>22 22 22 2</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतदारिक मुसम्मन मख़्बून मुसक्किन महज़ूज़ मुज़ाइफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा // फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>22 22 22 2 // 22 22 22 2</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुतदारिक मख़्बून मुसक्किन महज़ूज़ 16-रुक्नी </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>22 22 22 22 22 22 22 2</p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="821"><p><strong>हज़ज</strong></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>बह्र का नाम </p>
</td>
<td width="429"><p>अरकान </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुरब्बा सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1222 1222</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुरब्बा महज़ूफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1222 122</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>हज़ज मुरब्बा मक्फ़ूफ़ सालिम अल आख़िर </p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाईलु मुफ़ाईलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p> </p>
</td>
<td width="429"><p>1221 1222</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुरब्बा मक़्बूज़ </p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1212 1212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुरब्बा अख़रब सालिम अल आख़िर </p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु मुफ़ाईलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 1222</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुरब्बा अख़रब महज़ूफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु फ़ऊलुन / फ़ऊलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 122 / 1221</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़जमुरब्बा मक़्बूज़ मज्बूब / अहतम </p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलुन फ़अल/फ़ऊल</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1212 12 / 121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुरब्बा मक्फ़ूफ़ मक़्बूज़ मुज़ाइफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाईलु मुफ़ाइलुन मुफ़ाईलु मुफ़ाइलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1221 1212 1221 1212 </p>
<p> </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुरब्बा अशतर मुज़ाइफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>212 1222 212 1222</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़जमुसद्दस सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1222 1222 1222 </p>
<p> </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुसद्दस महज़ूफ़/मक़्सूर</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1222 1222 122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुसद्दस अख़रब मक़बूज़ महज़ूफ़/मक़्सूर</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु मुफ़ाइलुन फ़ऊलुन / मुफ़ाईलु</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 1212 122 / 1221 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुसद्दस अख़रब मक़बूज़ मुख़न्नक महज़ूफ़/मक़्सूर</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन / मुफ़ाईलु</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>222 212 122 / 1221</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुसद्दस अख़रब मक्फूफ़ सालिम अल आख़िर</p>
</td>
<td width="429"><p>माफ़ऊल मुफ़ाईलु मफ़ाईलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 1221 1222</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुसद्दस अख़रब मक्फूफ़ महज़ूफ़/मक़सूर</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु मफ़ाईलु फ़ऊलुन/मुफ़ाईलु</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 1221 122 / 1221</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुसद्दस अख़रब मक्फूफ़ महज़ूफ़ मुख़न्नक</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु मफ़ाईलुन फ़ेलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 1222 22 </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>हज़ज मुसद्दस अख़रब मक्फूफ़ मज्बूब / अहतम </p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु मफ़ाईलु फ़अल/फ़ऊल</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>(इस पर तख्नीक से आठ और वज़न बरामद किये जा सकते हैं</p>
<p>जिनका एक दूसरे की जगह इस्तेमाल किया जा सकता है )</p>
</td>
<td width="429"><p>221 1221 12 / 121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुसद्दस अख़रब मक़्बूज़ मक़्बूज़ / मक़्बूज़ मुस्बाग </p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु मफ़ाइलुन मफ़ाइलुन / मफ़ाइलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 1212 1212 / 12121 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुसद्दस अशतर मक़्बूज़ महज़ूफ़/मक़सूर</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलुन मुफ़ाईलु फ़ऊलुन / फ़ऊलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>212 1221 122 / 1221 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुसद्दस मक़्बूज़ मक्फूफ़ महज़ूफ़/मक़सूर</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ाइलुन मुफ़ाईलु फ़ऊलुन / फ़ऊलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1212 1221 122 / 1221</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुसद्दस मक्फ़ूफ़ सालिम अल आख़िर</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु मुफ़ाईलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1221 1221 1222</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुसद्दस मक़्बूज़</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1212 1212 1212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुसम्मन सालिम </p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1222 1222 1222 1222</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुसम्मन महज़ूफ़ / मक़्सूर</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन / फ़ऊलान </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1222 1222 1222 122 / 1221</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुसम्मन मक़्बूज़ सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाईलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1212 1222 1212 1222</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुसम्मन मक़्बूज़</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1212 1212 1212 1212 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुसम्मन मक़्बूज़ सालिम अल आख़िर</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाईलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1212 1212 1212 1222</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुसम्मन मक्फ़ूफ़ सालिम/मुस्बाग</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु मुफ़ाईलुन / मुफ़ाईलान </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1221 1221 1221 1222 / 12221 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुसम्मन अख़रब मकफ़ूफ़ सालिम/मुस्बाग</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु मुफ़ाईलुन / मुफ़ाईलान </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 1221 1221 1222 / 12221 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुसम्मन मक्फ़ूफ़ महज़ूफ़/मक़्सूर</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु फ़ऊलुन / फ़ऊलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1221 1221 1221 122 / 1221</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>हज़ज मुसम्मन अख़रब मकफ़ूफ़ मकफ़ूफ़ सालिम/मुस्बाग</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु मुफ़ाईलुन / मुफ़ाईलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p> </p>
</td>
<td width="429"><p>221 1221 1221 1222 / 12221</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुसम्मन अख़रब मकफ़ूफ़ मकफ़ूफ़ मुख़न्नक </p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु मुफ़ाईलुन मफ़ऊलु मुफ़ाईलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 1222 221 1222 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुसम्मन अख़रब मकफ़ूफ़ महज़ूफ़/मक़सूर</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु फ़ऊलुन / फ़ऊलान </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 1221 1221 122 / 1221 </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>हज़ज मुसम्मन अशतर मक़्बूज़ सालिम अल आख़िर </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलुन मुफ़ाईलु मुफ़ाइलुन मुफ़ाईलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p> </p>
</td>
<td width="429"><p>212 1221 1212 1222</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुसम्मन अशतर मक़्बूज़ मुख़न्नक सालिम अल आख़िर </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>212 1222 212 1222</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्बूज़ मक्फ़ूफ़ मज्बूब </p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ऊलु मुफ़ाइलुन मुफ़ाईलु फ़अल</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>(मूलतः रुबाई की बह्र)</p>
</td>
<td width="429"><p>221 1212 1221 12</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>हज़ज मुसम्मन अख़रम अशतर मक्फ़ूफ़ मज्बूब </p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ऊलुन फ़ाइलुन मुफ़ाईलु फ़अल</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>(मूलतः रुबाई की बह्र)</p>
</td>
<td width="429"><p>222 212 1221 12</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>हज़ज मुसम्मन अख़रम अहतम </p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु मुफ़ाईलुन मफ़ऊलु फ़ऊल</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 1222 221 121</p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="821"><p><strong>रमल</strong></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>बह्र का नाम </p>
</td>
<td width="429"><p>अरकान </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रमल मुरब्बा सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 2122 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रमल मुरब्बा महज़ूफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन फ़ाइलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रमल मुरब्बा सालिम मख्बून</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन फ़इलातुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 1122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रमल मुरब्बा मख्बून</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़इलातुन फ़इलातुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1122 1122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रमल मुरब्बा मश्कूल सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़इलातु फ़ाइलातुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1121 2122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रमल मुरब्बा मुश्शश मुज़ाइफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन मफ़ऊलुन // फ़ाइलातुन मफ़ऊलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 222 // 2122 222</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रमल मुसद्दस सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 2122 2122 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रमल मुसद्दस महज़ूफ़ / मक़्सूर</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन / फ़ाइलान </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 2122 212 / 2121 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p><span style="font-size: 8pt;">रमल मुसद्दस सालिम,मख़्बून, महज़ूफ़ मुसक्किन / मक़्सूर मुसक्किन / महज़ूफ़ / मक़्सूर</span></p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन/फ़ेलान/फ़इलुन/फ़इलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 1122 22 / 221 / 112 / 1121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रमल मुसद्दस मख्बून</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़इलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1122 1122 1122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रमल मुसद्दस मख़्बून मुश्शश</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़इलातुन फ़इलातुन मफ़ऊलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1122 1122 222 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रमल मुसम्मन सालिम </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 2122 2122 2122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रमल मुसम्मन मुश्शश</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन मफ़ऊलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 2122 2122 222</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रमल मुसम्मन मख़्बून मुश्शश</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़इलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन मफ़ऊलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1122 1122 1122 222 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रमल मुसम्मन महज़ूफ़ या मक़्सूर</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन/फ़ाइलान </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 2122 2122 212 / 2121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रमल मुसम्मन मख़्बून</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़इलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1122 1122 1122 1122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p><span style="font-size: 8pt;">रमल मुसम्मन सालिम मख़्बून महज़ूफ़ / महज़ूफ़ मुसक्किन / मक़्सूर / मक़्सूर मुसक्किन</span></p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़इलुन/फ़ेलुन/फ़इलान/फ़ेलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 1122 1122 112 / 22 / 1121 / 221</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रमल मुसम्मन मख़्बून, महज़ूफ़ / महज़ूफ़ मुसक्किन </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़इलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़इलुन / फ़ेलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1122 1122 1122 112 / 22</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रमल मुसम्मन मख़्बून, मख़्बून, मख़्बून मुसक्किन, मजहूफ़ </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन/ फ़इलातुन फ़इलातुन मफ़ऊलुन फ़ा</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 / 1122 1122 222 2</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रमल मुसम्मन मख़्बून मजहूफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन/ फ़इलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ा</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 / 1122 1122 1122 2</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रमल मुसम्मन मश्कूल सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़इलातु फ़ाइलातुन // फ़इलातु फ़ाइलातुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1121 2122 // 1121 2122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रमल मुसम्मन मक्फूफ़ मख़्बून मुसक्किन मक्फूफ़ मख़्बून मुसक्किन </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातु मफ़ऊलुन फ़ाइलातु मफ़ऊलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2121 222 2121 222 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रमल मुसम्मन मख़्बून सालिम मख़्बून सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़इलातुन फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़ाइलातुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1122 2122 1122 2122 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रमल मुसम्मन मख़्बून सोलह रुक्नी </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़इलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन (X2)</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1122 1122 1122 1122</p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="821"><p><strong>रजज़</strong></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>बह्र का नाम </p>
</td>
<td width="429"><p>अरकान </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रजज़ मुरब्बा सालिम / मजाल </p>
</td>
<td width="429"><p>मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन / मुस्तफ़इलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2212 2212 / 22121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रजज़ मुरब्बा सालिम / मजाल मुज़ाइफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन/ मुस्तफ़इलान (X2)</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2212 2212 / 22121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रजज़ मुरब्बा मुतव्वी / मुतव्वी मजाल</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़तइलुन मुफ़तइलुन / मुफ़तइलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2112 2112 / 21121 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रजज़ मुसद्दस सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2212 2212 2212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रजज़ मुसद्दस मुज़ाइफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन (X2)</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2212 2212 2212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रजज़ मुसद्दस मक्तूअ</p>
</td>
<td width="429"><p>मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मफ़ऊलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2212 2212 222</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रजज़ मुसद्दस मतव्वी</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़तइलुन मुफ़तइलुन मुफ़तइलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2112 2112 2112 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रजज़ मुसद्दस मतव्वी मख़बून महज़ूफ़ </p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़तइलुन मुफ़तइलुन फ़ाइलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2112 2112 212 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रजज़ मुसद्दस मतव्वी मख़बून महज़ूफ़ मुज़ाइफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़तइलुन मुफ़तइलुन फ़ाइलुन // मुफ़तइलुन मुफ़तइलुन फ़ाइलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2112 2112 212 // 2112 2112 212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रजज़ मुसद्दस मख़बून मर्फूअ मख्लूअ</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1212 212 122 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रजज़ मुसद्दस मख़बून मर्फूअ मख्लूअ मुज़ाइफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन // मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1212 212 122 // 1212 212 122 </p>
<p> </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रजज़ मुसम्मन सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2212 2212 2212 2212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रजज़ मुसम्मन मुज़ाइफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन (X2)</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2212 2212 2212 2212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रजज़ मुसम्मन मक्तूअ</p>
</td>
<td width="429"><p>मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मफ़ऊलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2212 2212 2212 222</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रजज़ मुसम्मन मतव्वी मख़्बून</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़तइलुन मुफ़ाइलुन // मुफ़तइलुन मुफ़ाइलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2112 1212 // 2112 1212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रजज़ मुसम्मन मख़्बून मुतव्वी</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलुन मुफ़तइलुन // मुफ़ाइलुन मुफ़तइलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1212 2112 // 1212 2112</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रजज़ मुसम्मन मतव्वी मख़्बून मक्तूअ</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़तइलुन मुफ़ाइलुन // मुफ़तइलुन मफ़ऊलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2112 1212 // 2112 222</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रजज़ मुसम्मन मतव्वी</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़तइलुन मुफ़तइलुन // मुफ़तइलुन मुफ़तइलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2112 2112 // 2112 2112</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>रजज़ मुसम्मन मख़बून मर्फूअ</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलुन मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन मुफ़ाइलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>212 1212 212 1212 </p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="821"><p><strong>कामिल</strong></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>बह्र का नाम </p>
</td>
<td width="429"><p>अरकान </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>कामिल मुरब्बा सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>11212 11212 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>कामिल मुरब्बा सालिम मजाल </p>
</td>
<td width="429"><p>मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलान </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>11212 112121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>कामिल मुरब्बा मज्मर सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>मुस्तफ़इलुन मुतफ़ाइलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2212 11212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>कामिल मुरब्बा सालिम मज्मर</p>
</td>
<td width="429"><p>मुतफ़ाइलुन मुस्तफ़इलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>11212 2212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>कामिल मुरब्बा सालिम मज्मर मजाल </p>
</td>
<td width="429"><p>मुतफ़ाइलुन मुस्तफ़इलान </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>11212 22121 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>कामिल मुरब्बा मुरफ्फल</p>
</td>
<td width="429"><p>मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलातुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>11212 112122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>कामिल मुरब्बा मव्कुश सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1212 11212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>कामिल मुरब्बा सालिम मव्कुश / मजाल</p>
</td>
<td width="429"><p>मुतफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन / मुफ़ाइलान </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>11212 1212 / 12121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>कामिल मुरब्बा मज्मर मव्कुश </p>
</td>
<td width="429"><p>मुस्तफ़इलुन मुफ़ाइलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2212 1212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>कामिल मुरब्बा मक्तूअ</p>
</td>
<td width="429"><p>मुतफ़ाइलुन फ़इलातुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>11212 1122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>कामिल मुसद्दस सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1121 11212 11212 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>कामिल मुसद्दस सालिम मज्मर सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>मुतफ़ाइलुन मुस्तफ़इलुन मुतफ़ाइलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>11212 2212 11212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>कामिल मुसद्दस सालिम मज्मर सालिम मजाल</p>
</td>
<td width="429"><p>मुतफ़ाइलुन मुस्तफ़इलुन मुतफ़ाइलान </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>11212 2212 112121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>कामिल मुसद्दस मज्मर सालिम मज्मर मजाल</p>
</td>
<td width="429"><p>मुस्तफ़इलुन मुतफ़ाइलुन मुस्तफ़इलान </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p> 2212 11212 22121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>कामिल मुसद्दस मज्मर सालिम मज्मर </p>
</td>
<td width="429"><p>मुस्तफ़इलुन मुतफ़ाइलुन मुस्तफ़इलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p> 2212 11212 2212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>कामिल मुसद्दस मख्जूल सालिम मख्जूल</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ्तइलुन मुतफ़ाइलुन मुफ्तइलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2112 11212 2112</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>कामिल मुसम्मन सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>11212 11212 11212 11212 </p>
<p> </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>कामिल मुसम्मन सालिम मजाल</p>
</td>
<td width="429"><p>मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलान </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p> </p>
</td>
<td width="429"><p>11212 11212 11212 11221 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>कामिल मुसम्मन मज्मर सालिम मज्मर सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>मुस्तफ़इलुन मुतफ़ाइलुन मुस्तफ़इलुन मुतफ़ाइलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p> 2212 11212 2212 11212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>कामिल मुसम्मन सालिम मज्मर सालिम मज्मर</p>
</td>
<td width="429"><p>मुतफ़ाइलुन मुस्तफ़इलुन मुतफ़ाइलुन मुस्तफ़इलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>11212 2212 11212 2212</p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="821"><p><strong>वाफिर</strong></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>बह्र का नाम </p>
</td>
<td width="429"><p>अरकान </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>वाफिर मुरब्बा सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलतुन मुफ़ाइलतुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>12112 12112</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>वाफिर मुरब्बा सालिम मौसूब</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलतुन मुफ़ाईलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>12112 1222 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>वाफिर मुरब्बा मौसूब सालिम </p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाईलुन मुफ़ाइलतुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1222 12112 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>वाफिर मुसद्दस सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलतुन मुफ़ाइलतुन मुफ़ाइलतुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>12112 12112 12112</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>वाफिर मुसद्दस सालिम सालिम मक्तूफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलतुन मुफ़ाइलतुन फ़ऊलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>12112 12112 122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>वाफिर मुसद्दस सालिम मौसूब मक्तूफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलतुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>12112 1222 122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>वाफिर मुसद्दस सालिम मौकूल मक्तूफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलतुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>12112 1212 122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>वाफिर मुसद्दस सालिम मंकूश मक्तूफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलतुन मुफ़ाईलु फ़ऊलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>12112 1221 122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>वाफिर मुसद्दस सालिम मौसूब सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलतुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाइलतुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>12112 1222 12112 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>वाफिर मुसम्मन सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलतुन मुफ़ाइलतुन मुफ़ाइलतुन मुफ़ाइलतुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>12112 12112 12112 12112</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>वाफिर मुसम्मन सालिम मौसूब सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलतुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाइलतुन मुफ़ाईलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>12112 1222 12112 1222</p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="821"><p><strong>मज़ारे</strong></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>बह्र का नाम </p>
</td>
<td width="429"><p>अरकान </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मज़ारे मुसद्दस सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाईलुन फ़ाइलातुन मुफ़ाईलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1222 2122 1222 </p>
<p> </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मज़ारे मुसद्दस अख़रब मक्फूफ़ सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु मुफ़ाईलु फ़ाइलातुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 1221 2122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मज़ारे मुसद्दस अख़रब मक्फूफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु मुफ़ाईलु मुफ़ाईलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 1221 1222 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मज़ारे मुसद्दस अख़रब मक्फूफ़ मुख़न्नक</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु फ़ाइलातुन मफ़ऊलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 2122 222</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मज़ारे मुसद्दस अख़रब मक्फूफ़ महज़ूफ़ / मक़्सूर</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु फ़ाइलातु फ़ऊलुन / फ़ऊलान </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 2121 122 / 1221 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मज़ारे मुसद्दस अख़रब मक्फूफ़ महज़ूफ़ मुख़न्नक</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु फ़ाइलातुन फ़ेलून</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 2122 22</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मज़ारे मुसद्दस अख़रब मक्फूफ़ मज्बूब / अहतम </p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु फ़ाइलातु फ़अल / फ़ऊल </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 2121 12 / 121 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मज़ारे मुसद्दस मक्फूफ़ मज्बूब महज़ूफ़ / मक़्सूर</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाईलु फ़ाइलातु फ़ऊलुन / फ़ऊलान </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1221 2121 122 / 1221 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मज़ारे मुसद्दस मक्बूज़ </p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलुन फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1212 2122 1212 </p>
<p> </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मज़ारे मुसद्दस मक्बूज़ मक्फूफ़ मक्बूज़</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलुन फ़ाइलातु मुफ़ाइलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1212 2121 1212 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मज़ारे मुसम्मन सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाईलुन फ़ाइलातुन मुफ़ाईलुन फ़ाइलातुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1222 2122 1222 2122 </p>
<p> </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मज़ारे मुसम्मन अख़रब मक्फूफ़ मक्फूफ़ मुख़न्नक सालिम या मुस्बाग</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु फ़ाइलातुन मफ़ऊलु फ़ाइलातुन / फ़ाइलातान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 2122 221 2122 / 21221 </p>
<p> </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मज़ारे मुसम्मन अख़रब मक्फूफ़ मक्फूफ़ मुख़न्नक महज़ूफ़ / मक़्सूर</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु फ़ाइलातुन मफ़ऊलु फ़ाइलुन / फ़ाइलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 2122 221 212 / 2121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मज़ारे मुसम्मन अख़रब मक्फूफ़ अख़रब सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु फ़ाइलातु मफ़ऊलु फ़ाइलातुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 2121 221 2122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मज़ारे मुसम्मन अख़रब मक्बूज़ या मक्बूज़ मुस्बाग</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु मुफ्तइलुन मफ़ऊलु मुफ्तइलुन / मुफ्तइलान </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 2112 221 2112 / 21121 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मज़ारे मुसम्मन अख़रब मक्फूफ़ सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु फ़ाइलातु मुफ़ाईलु फ़ाइलातुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 2121 1221 2122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मज़ारे मुसम्मन अख़रब मक्फूफ़ अख़रब महज़ूफ़ या मक़्सूर</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु फ़ाइलातु मफ़ऊलु फ़ाइलुन / फ़ाइलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 2121 221 212 / 2121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मज़ारे मुसम्मन अख़रब मक्फूफ़ महज़ूफ़ या मक़्सूर</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु फ़ाइलातु मुफ़ाईलु फ़ाइलुन / फ़ाइलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 2121 1221 212 / 2121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मज़ारे मुसम्मन मक्बूज़ सालिम मस्लूख या मत्मूस</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलुन फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ाअ / फ़ा </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1212 2122 1212 21 / 2 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मज़ारे मुसम्मन मक्बूज़ मक्फूफ़ मक्बूज़ मस्लूख़ या मत्मूस</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलुन फ़ाइलातु मुफ़ाइलुन फ़ाअ / फ़ा </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1212 2121 1212 21 / 2</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मज़ारे मुसम्मन मक्फूफ़ मक्बूज़ या मक्बूज़ मिस्बाग</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाईलु मुफ्तइलुन मुफ़ाईलु मुफ्तइलुन / मुफ्तइलान </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2121 2112 2121 2112 / 21121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मज़ारे मुसम्मन अख़रम मक्फूफ़ मुख़न्नक मुस्बाग </p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलुन फ़ाइलातुन मफ़ऊलुन फ़ाइलातान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>222 2122 222 21221</p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="821"><p><strong>मुन्सरेह</strong></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>बह्र का नाम </p>
</td>
<td width="429"><p>अरकान </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुन्सरेह मुरब्बा सालिम मौकूफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>मुस्तफ़इलुन मुफ़ऊलान </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2212 2221</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुन्सरेह मुरब्बा मुज़ाइफ़ सालिम मतव्वी मक्सूफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>मुस्तफ़इलुन फ़ाइलुन // मुस्तफ़इलुन फ़ाइलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2212 212 // 2212 212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुन्सरेह मुरब्बा मुज़ाइफ़ मतव्वी मतव्वी मक्सूफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ्तइलुन फ़ाइलुन // मुफ्तइलुन फ़ाइलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2112 212 // 2112 212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुन्सरेह मुसद्दस सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>मुस्तफ़इलुन मुफ़ऊलातु मुस्तफ़इलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2212 2221 2212 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुन्सरेह मुसद्दस मतव्वी मक्तूअ'</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ्तइलुन फ़ाइलातु मुफ़ऊलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2112 2121 222</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुन्सरेह मुसद्दस मतव्वी</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ्तइलुन फ़ाइलातु मुफ्तइलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2112 2121 2112</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुन्सरेह मुसद्दस मतव्वी मतव्वी मुरफ्फल </p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ्तइलुन फ़ाइलातु मुफ्तइलातुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2112 2121 21122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुन्सरेह मुसम्मन मतव्वी मतव्वी मक्सूफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ्तइलुन फ़ाइलुन मुफ्तइलुन फ़ाइलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p> 2112 212 2112 212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुन्सरेह मुसम्मन मतव्वी मन्हूर / मज्दूअ मौकूफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ्तइलुन फ़ाइलातु मुफ्तइलुन फ़ा / फ़ाअ</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2112 2121 2112 2 / 21</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुन्सरेह मुसम्मन मतव्वी सालिम मतुव्वी मक्सूफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ्तइलुन मफ़ऊलातु मुफ्तइलुन मफ़ऊलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2112 2221 2112 222</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुन्सरेह मुसम्मन मतव्वी मक्सूफ़ / मौकूफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ्तइलुन फ़ाइलातु मुफ्तइलुन फ़ाइलुन / फ़ाइलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2112 2121 2112 212 / 2121 </p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="821"><p><strong>मुक्तज़ब</strong></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>बह्र का नाम </p>
</td>
<td width="429"><p>अरकान </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुक्तज़ब मुरब्बा सालिम मतव्वी</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलातु मुफ्तइलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2221 2112</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुक्तज़ब मुरब्बा सालिम मुरफ्फल</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलातु मुफ्तइलुन मुस्तफ़इलातुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2221 2112 22112</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुक्तज़ब मुसद्दस सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलातु मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2221 22112 22112</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुक्तज़ब मुसद्दस सालिम मुस्बाग अल आख़िर</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलातु मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2221 22112 221121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुक्तज़ब मुसद्दस मतव्वी / मतव्वी मुस्बाग </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातु मुफ्तइलुन मुफ्तइलुन / मुफ्तइलान </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2121 2112 2112 / 21121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुक्तज़ब मुसद्दस मतव्वी मतव्वी मुरफ्फल</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातु मुफ्तइलुन मुफ्तइलातुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2121 2112 21122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुक्तज़ब मुसद्दस सालिम मर्फूअ मख़्बून मजाल </p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलातु फ़ाइलुन मुफ़ाइलुन / मुफ़ाइलान </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2221 212 1212 / 12121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुक्तज़ब मुसद्दस मख़्बून मतव्वी मतव्वी मुरफ्फल</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाईलु मुफ्तइलुन मुफ्तइलातुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1221 2112 21122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुक्तज़ब मुसम्मन सालिम </p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलातु मुस्तफ़इलुन मफ़ऊलातु मुस्तफ़इलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p> 2221 2212 2221 2212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुक्तज़ब मुसम्मन सालिम मतव्वी</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलातु मुफ्तइलुन मफ़ऊलातु मुफ्तइलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2221 2112 2221 2112</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुक्तज़ब मुसम्मन मतव्वी</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातु मुफ्तइलुन फ़ाइलातु मुफ्तइलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2121 2112 2121 2112</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुक्तज़ब मुसम्मन सालिम मतव्वी</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातु मुफ्तइलुन फ़ाइलातु मुफ्तइलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2121 2112 2121 2112</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुक्तज़ब मुसम्मन मतव्वी मज्दूअ' मक्तूअ'</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातु मुफ्तइलुन फ़ाइलातु फ़ा </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2121 2112 2121 2</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>मुक्तज़ब मुसम्मन मतव्वी, मतव्वी मुसक्किन, मतुव्वी मक्तूअ' / मतुव्वी मुसक्किन</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातु मफ़ऊलुन फ़ाइलातु मफ़ऊलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p> </p>
</td>
<td width="429"><p>2121 222 2121 222</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुक्तज़ब मुसम्मन मतव्वी मक्तूअ</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातु मुफ्तइलुन फ़ाइलातु मफ़ऊलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2121 2112 2121 222</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुक्तज़ब मुसम्मन मतव्वी मर्फूअ</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातु फ़ाइलुन फ़ाइलातु फ़ाइलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2121 212 2121 212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुक्तज़ब मुसम्मन मख़्बून मर्फूअ' मख़्बून मर्फूअ' मुसक्किन</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ऊल फ़ेलुन फ़ऊल फ़ेलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>121 22 121 22</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुक्तज़ब मुसम्मन मख़्बून मर्फूअ' मख़्बून मर्फूअ' मुसक्किन मुज़ाइफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ऊल फ़ेलुन फ़ऊल फ़ेलुन // फ़ऊल फ़ेलुन फ़ऊल फ़ेलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>121 22 121 22 // 121 22 121 22</p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="821"><p><strong>मुज्तस</strong></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>बह्र का नाम </p>
</td>
<td width="429"><p>अरकान </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुज्तस मुरब्बा मख़्बून </p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलुन फ़इलातुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1212 1122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुज्तस मुसद्दस मख़्बून </p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलुन फ़इलातुन फ़इलातुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1212 1122 1122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुज्तस मुसम्मन मख़्बून </p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़इलातुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1212 1122 1212 1122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुज्तस मुसम्मन मख़्बून महज़ूफ़ / महज़ूफ़ मुसक्किन/ मक़्सूर /मक़्सूर मुसक्किन</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़इलुन/फ़ेलुन/फ़इलान/फ़ेलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1212 1122 1212 112/22/1121/ 221</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुज्तस मुसम्मन सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>मुस्तफ़इलुन फ़ाइलातुन मुस्तफ़इलुन फ़ाइलातुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2212 2122 2212 2122 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुज्तस मुसम्मन मक्फूफ़ मक़्सूर अल आख़िर</p>
</td>
<td width="429"><p>मुस्तफ़इलु फ़ाइलातु मुस्तफ़इलु फ़ाइलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2211 2121 2211 2121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुज्तस मुसम्मन सालिम सालिम मख़्बून मक्लूह मजहूफ़ / मक्लूह मक़्सूर</p>
</td>
<td width="429"><p>मुस्तफ़इलुन फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ा / फ़ाअ</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2212 2122 1212 2 / 21</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुज्तस मुसद्दस मक्फूफ़ मख़्बून, मख़्बून महज़ूफ़/मक़्सूर</p>
</td>
<td width="429"><p>मुस्तफ़इलु फ़ाइलातु फ़ेलुन / फ़ेलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2211 2121 22 / 221</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुज्तस मुसद्दस मख़्बून मजहूफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ा </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1212 1122 1212 2</p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="821"><p>ख़फ़ीफ़</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>बह्र का नाम </p>
</td>
<td width="429"><p>अरकान </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>ख़फ़ीफ़ मुरब्बा सालिम</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन मुस्तफ़इलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 2212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>ख़फ़ीफ़ मुरब्बा सालिम / मख्बून, मख़्बून/ मख़्बून मुस्बाग </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन / फ़इलातुन मुफ़ाइलुन / मुफ़ाइलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p> 2122 / 1122 1212 / 12121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>ख़फ़ीफ़ मुसद्दस सालिम </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन मुस्तफ़इलुन फ़ाइलातुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 2212 2122 </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>ख़फ़ीफ़ मुसद्दस सालिम, मख़्बून, सालिम अल आख़िर</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ाइलातुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p> </p>
</td>
<td width="429"><p>2122 1212 2122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>ख़फ़ीफ़ मुसद्दस मुश्शश </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन मुस्तफ़इलुन मफ़ऊलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 2212 222 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>ख़फ़ीफ़ मुसद्दस मख़्बून </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन / फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़इलातुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 / 1122 1212 1122 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>ख़फ़ीफ़ मुसद्दस मख़्बून, महज़ूफ़/मक़्सूर/महज़ूफ़ मुसक्किन/मक़्सूर मुसक्किन </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन/फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़इलुन/फ़इलान/फ़ेलुन/फ़ेलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 / 1122 1212 112 /1121 / 22/221 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>खफ़ीफ़ मुसद्दस मख्बून मज़हूफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन / फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ा </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 / 1122 1212 2 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>खफ़ीफ़ मुसम्मन सालिम </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन मुस्तफ़इलुन फ़ाइलातुन मुस्तफ़इलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 2212 2122 2212 </p>
<p> </p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="821"><p><strong>तवील</strong></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>बह्र का नाम </p>
</td>
<td width="429"><p>अरकान </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>तवील मुसम्मन सालीम </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ऊलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन मुफ़ाईलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>122 1222 122 1222 </p>
<p> </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>तवील मुसम्मन मक्बूज़ अल आख़िर </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ऊलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन मुफ़ाइलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>122 1222 122 1212 </p>
<p> </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>तवील मुसम्मन मक्बूज़ महज़ूफ़ या महज़ूफ़ मुस्बाग</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़इलुन मुफ़ाइलुन फ़इलुन मुफ़ाइलुन / मुफ़ाइलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>112 1212 112 1212 / 12121</p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="821"><p><strong>क़रीब</strong></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>बह्र का नाम </p>
</td>
<td width="429"><p>अरकान </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>क़रीब मुसद्दस सालिम </p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ाइलातुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1222 1222 2122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>क़रीब मुसद्दस सालिम मक्फूफ़ सालिम / मुस्बाग </p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलु फ़ाइलातुन / फ़ाइलातान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1222 1221 2122 / 21221</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>क़रीब मुसद्दस मक्फूफ़ मक्फूफ़ सालिम / मुस्बाग</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु फ़ाइलातुन / फ़ाइलातान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1221 1221 2122 / 21221</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>क़रीब मुसद्दस मक्फूफ़ महज़ूफ़ / मक़्सूर</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु फ़ाइलुन / फ़ाइलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1221 1221 212 / 2121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>क़रीब मुसद्दस अख़रब मक्फूफ़ महज़ूफ़ / मक़्सूर</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु मुफ़ाईलु फ़ाइलुन / फ़ाइलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 1221 212 / 2121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>क़रीब मुसद्दस अख़रब</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु मुफ़ाईलु फ़ाइलातुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 1221 2122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>क़रीब मुसद्दस अख़रब मक्फूफ़ मक्फूफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु मुफ़ाइलुन मुफ़तइलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 1212 2112 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>क़रीब मुसद्दस अख़रब मक्बूज़ अह्ज़म </p>
</td>
<td width="429"><p>मफ़ऊलु मुफ़ाइलुन फ़ेलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>221 1212 22 </p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="821"><p><strong>जदीद</strong></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>बह्र का नाम </p>
</td>
<td width="429"><p>अरकान </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>जदीद मुरब्बा मक्फूफ़ </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातु मुस्तफ़इलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2121 2212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>जदीद मुसद्दस सालिम </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन मुस्तफ़इलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 2122 2212</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>जदीद मुसद्दस सालिम / मख्बून, मख्बून, मख़्बून/ मख़्बून मुस्बाग </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन/फ़इलातुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन/ मुफ़ाइलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 /1122 1122 1212/12121</p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="821"><p><strong>सरीअ</strong></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>बह्र का नाम </p>
</td>
<td width="429"><p>अरकान </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>सरीअ मुसम्मन सालिम मक़्सूफ़ / मौकूफ़ </p>
</td>
<td width="429"><p>मुस्तफ़इलुन मफ़ऊलुन मुस्तफ़इलुन मफ़ऊलुन / मफ़ऊलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2212 222 2212 222 / 2221 </p>
<p> </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>सरीअ मुसद्दस सालिम मक़्सूफ़ / मौकूफ़ </p>
</td>
<td width="429"><p>मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मफ़ऊलुन / मफ़ऊलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2212 2212 222 / 2221 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>सरीअ मुसद्दस मतव्वी, मतव्वी मक़्सूफ़/मौकूफ़ </p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़्तइलुन मुफ़्तइलुन फ़ाइलुन / फ़ाइलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2112 2112 212 / 2121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>सरीअ मुसद्दस मतव्वी मतव्वी मन्हूर / मज़्दूअ मौकूफ़ </p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़्तइलुन मुफ़्तइलुन फ़ा / फ़ाअ</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2112 2112 2 / 21</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>सरीअ मुसद्दस मख़्बून मक्फूफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन फ़ऊलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2212 2122 122 </p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="821"><p><strong>मदीद</strong></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>बह्र का नाम </p>
</td>
<td width="429"><p>अरकान </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मदीद मुरब्बा सालीम / मजाल </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन फ़ाइलुन / फ़ाइलान </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 212 / 2121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मदीद मुस्दस सालीम / मजाल</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन फ़ाइलुन फ़ाइलातुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 212 2122</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मदीद मुस्दस मख़्बून महज़ूफ़ / मक़्सूर </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन फ़ाइलुन फ़इलुन / फ़इलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 212 112 / 1121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मदीद मुसम्मन सालीम / मजाल </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन फ़ाइलुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन / फ़ाइलान </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 212 2122 212 / 2121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मदीद मुसम्मन मख़्बून/ मख़्बून मजाल </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़इलातुन फ़इलुन फ़इलातुन फ़इलुन / फ़इलान </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1122 112 1122 112 / 1121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मदीद मुसम्मन मक्फूफ़ </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातु फ़ाइलुन फ़ाइलातु फ़ाइलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2121 212 2121 212</p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="821"><p><strong>बसीत</strong></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>बह्र का नाम </p>
</td>
<td width="429"><p>अरकान </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>बसीत मुरब्बा मतूव्वी सालिम/मजाल मुज़ाइफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ्तइलुन फ़ाइलुन / फ़ाइलान // मुफ्तइलुन फ़ाइलुन/फ़ाइलान </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2112 212 / 2121 // 2112 212 / 2121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>बसीत मुस्सदस सालीम / मजाल</p>
</td>
<td width="429"><p>मुस्तफ़इलुन फ़ाइलुन मुस्तफ़इलुन / मुस्तफ़इलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2212 212 2212 / 22121 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>बसीत मुस्सदस मख़्बून महज़ूफ़ / मक़्सूर </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन फ़ाइलुन फ़इलुन / फ़इलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2122 212 112 / 1121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>बसीत मुस्सदस मतव्वी सलिम मतूव्वी </p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ्तइलुन फ़ाइलुन मुफ्तइलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2112 212 2112</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>बसीत मुस्सदस मख़्बून सलिम मख्लूअ'</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़इलुन / फ़ेलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1212 212 112 / 22</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>बसीत मुसम्मन सालीम / सालीम मजाल</p>
</td>
<td width="429"><p>मुस्तफ़इलुन फ़ाइलुन मुस्तफ़इलुन फ़ाइलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2212 212 2212 212 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>बसीत मुसम्मन मख़्बून/ मख़्बून मजाल </p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़ाइलुन फ़इलुन मुफ़ाइलुन फ़इलुन / फ़इलान </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>1212 112 1212 112 / 1121</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>बसीत मुसम्मन मतव्वी, सलिम, मतव्वी, सलिम / मजाल</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ्तइलुन फ़ाइलुन मुफ्तइलुन फ़ाइलुन / फ़ाइलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2112 212 2112 212 / 2121</p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="821"><p><strong>मुशाकिल</strong></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="390"><p>बह्र का नाम </p>
</td>
<td width="429"><p>अरकान </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुशाकिल मुरब्बा सालिम / मुस्बाग</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन मुफ़ाईलुन / मुफ़ाईलान </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p> 2122 1222 / 12221 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुशाकिल मुरब्बा मुस्बाग मुज़ाइफ़</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन मुफ़ाईलान फ़ाइलातुन मुफ़ाईलान </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p> 2122 12221 2122 12221 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुशाकिल मुसद्दस सालिम </p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन </p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p> 2122 1222 1222 </p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुशाकिल मुसद्दस मक्फ़ूफ़ महज़ूफ़ / मक़्सूर</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातु मुफ़ाईलु फ़इलुन / फ़इलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p> 2121 1221 1122 / 11221</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुशाकिल मुसद्दस मक्फ़ूफ़ सालिम </p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़तइलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2112 1222 1222</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुशाकिल मुसद्दस मक़्बूज़ मक्फूफ़ सालिम / मुस्बाग</p>
</td>
<td width="429"><p>मुफ़तइलुन मुफ़ाईलु मुफ़ाईलुन / मुफ़ाईलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2112 1221 1222 / 12221</p>
</td>
</tr>
<tr><td rowspan="2" width="390"><p>मुशाकिल मुसम्मन मक्फ़ूफ़ महज़ूफ़ / मक़्सूर</p>
</td>
<td width="429"><p>फ़ाइलातु मुफ़ाईलु फ़ाइलातु फ़इलुन / फ़इलान</p>
</td>
</tr>
<tr><td width="429"><p>2121 1221 2121 112 / 1121</p>
</td>
</tr>
</tbody>
</table>
<p> </p>
<p>अनुदेश :</p>
<p></p>
<ol>
<li>एक दूसरे की जगह इस्तेमाल होने वाले अरकान को दर्शाने के लिए ' / ' का प्रयोग किया गया है.</li>
<li>शिकस्ता बह्रों में अरूज़ी वक़्फ़ा (यति) दर्शाने के लिए अरकान के बीच '// ' का प्रयोग किया गया है.</li>
</ol>
<p></p>
<p>सभी विज्ञजनों से संशोधन और सुझाव आमंत्रित हैं.</p> तनाफुर : ऐब बनाम गलतीtag:www.openbooksonline.com,2017-05-17:5170231:Topic:8571482017-05-17T01:24:15.691ZAnanda Shrestahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnandaShresta
<p>प्राय: तनाफुर को इतना महत्त्व दिया जाता रहा है जितने का यह हक़दार नहीं है.तनाफुर को ये नाम मौलाना हसरत मोहानी ने अपनी किताब ‘मआइबे सुखन’ में दिया था जो उर्दू में शायरी के ऐबों पर लिखी गई पहली किताब थी (बाद में इसे निकाते-सुखन का हिस्सा बना दिया गया). तनाफुर की मौलाना हसरत मोहानी की परिभाषा है :</p>
<p></p>
<p><strong> ‘जब शेर में दो अल्फाज(शब्द) मुत्तसिल(adjoining - एक साथ ) पास आ जाते हैं जिन में से पहले लफ्ज़ का हर्फे आखिर (आखिरी अक्षर) वही होता है जो दूसरे लफ्ज़ का हर्फे अव्वल (पहला अक्षर)…</strong></p>
<p>प्राय: तनाफुर को इतना महत्त्व दिया जाता रहा है जितने का यह हक़दार नहीं है.तनाफुर को ये नाम मौलाना हसरत मोहानी ने अपनी किताब ‘मआइबे सुखन’ में दिया था जो उर्दू में शायरी के ऐबों पर लिखी गई पहली किताब थी (बाद में इसे निकाते-सुखन का हिस्सा बना दिया गया). तनाफुर की मौलाना हसरत मोहानी की परिभाषा है :</p>
<p></p>
<p><strong> ‘जब शेर में दो अल्फाज(शब्द) मुत्तसिल(adjoining - एक साथ ) पास आ जाते हैं जिन में से पहले लफ्ज़ का हर्फे आखिर (आखिरी अक्षर) वही होता है जो दूसरे लफ्ज़ का हर्फे अव्वल (पहला अक्षर) होता है तो इन दोनों हर्फों के एक साथ तलफ़्फ़ुज(उच्चारण) में एक किस्म का सक़्ल (गुरुत्विकरण) और नागवारी पैदा हो जाती है – इसका नाम एबे-तनाफुर है.’</strong> </p>
<p> - निकाते सुखन, पृष्ठ 129</p>
<p></p>
<p>मौलाना हसरत मोहानी के अनुसार तनाफुर दो तरह के होते है :</p>
<p></p>
<p>१.तनाफुरे ज़ली(स्पष्ट) - यह वहाँ होता है जहाँ दो शब्दों में से पहले शब्द के आखिरी अक्षर पर कोई मात्रा नहीं होती. जैसे :</p>
<p></p>
<p>मत सहल हमें जानों फिरता है फलक बरसों</p>
<p>तब <strong>खाक के</strong> परदे से इंसान निकलते हैं</p>
<p> मीर तकी मीर</p>
<p></p>
<p>यहाँ ‘खाक के’ में तनाफुरे ज़ली है.</p>
<p></p>
<p>२.तनाफुरे ख़फी(लुप्त) – यह वहाँ होता है जहाँ दो शब्दों में से पहले शब्द के आखिरी अक्षर पर मात्रा होती है लेकिन उच्चारण में दब जाती है. जैसे :</p>
<p></p>
<p>गुलों में रंग भरे वादे - नौ - बहार चले</p>
<p>चले भी आओ कि गुलशन <strong>का कारोबार</strong> चले</p>
<p> फैज़ अहमद फैज़</p>
<p></p>
<p>बहर के हिसाब से यह शेर 'मुज्तस मुसम्मन मखबून महफूज मकतू' है (मुफाइलुन फइलातुन मुफाइलुन फैलुन - 1212 11 22 1212 112) और बहर के हिसाब से उच्चारण में ‘का’ दबता है और तनाफुरे ख़फी की सूरत पैदा हो जाती है.</p>
<p>बहर का ख्याल न भी करें तो ‘का कारोबार’ को एक साथ पढ़ने पर में ‘का’ दबता है और उच्चारण में सक़्ल और नागवारी पैदा हो जाती है जो तनाफुर का मुख्य लक्षण है.</p>
<p> </p>
<p>लेकिन तानाफुर दरअसल एक गलती है ऐब नहीं. इसे ऐब क्यों मान लिया गया इसपर टिप्पणी करते हुए शम्सुर्रहमान फारूकी ने अपनी किताब ‘अरूज़, आहंग और बयान’ में लिखा है :</p>
<p></p>
<p><strong> ‘’</strong><strong>मौलाना हसरत मोहानी ने अपनी किताब</strong> <strong>‘</strong><strong>मआइबे सुखन</strong><strong>’</strong> <strong>में गड़बड़ी ये की है कि वो ऐब और गलती को एक ही दर्जे में रख गए हैं</strong> <strong>,</strong> <strong>बल्कि उनका ज्यादातर जोर गलतियाँ दिखाने पर सर्फ़ हुआ है ऐब की तरफ उनहोंने कम तवज्जः की है.</strong><strong>’’</strong></p>
<p> </p>
<p>एबे तानाफुर, तक़ाबुल-ए-रदीफ़ेन, तश्दीदे लफ्जी वगैरह ऐसी ही गलतियां हैं जिन्हें ऐब में शुमार कर लिया गया. अब सवाल ये है कि ऐब और गलती में फर्क क्या है? फारूकी साहब के शब्दों में :</p>
<p></p>
<p><strong> “</strong><strong>गलती महज गलती है अगर न हो तो अच्छा लेकिन इसकी मौजूदगी में भी शेर अच्छा हो सकता है</strong><strong>,</strong> <strong>इसके बरखिलाफ ऐब एक खराबी है और शेर की मुस्तकिल खराबी का बायस होता है. शेर में अगर ऐब है तो शेर अच्छा नहीं हो सकता गलती है तो मुमकिन है गलती के बाद भी शेर अच्छा हो</strong><strong>”</strong></p>
<p></p>
<p>यह सब कुछ लिखने का मक़सद ये नहीं है कि हम जितनी चाहे गलतियाँ करनी शुरू कर दें. गलतियाँ अनिवार्य स्थितियों में ही स्वीकार्य होती हैं. हाँ लेकिन शेर अच्छा हो तो किसी छोटी-मोटी गलती के चक्कर में उसका क़त्ल नहीं करना चाहिए.</p>
<p></p>
<p>शेर में कोई भी सुधार शेर को और बेहतर बनाने के लिए होता है. अगर गलती को ठीक करने के बाद शेर पहले से कमजोर हो रहा हो तो ऐसा कोई भी सुधार अपने आप में गलती है. </p> ग़ज़ल कहना सीखना चाहता हूँtag:www.openbooksonline.com,2015-07-31:5170231:Topic:6837802015-07-31T09:56:07.076ZAnanda Shrestahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnandaShresta
आदरणीय मैं एक भावाभियक्तिकर्ता मात्र हूँ; ग़ज़ल कहने की विधा से पूर्ण अपरिचित हूँ; मैंने अपनी एक ग़ज़ल नीचे लिखी है; कृपया इसी के सन्दर्भ में मुझे सिखाएं।<br />
<br />
रदीफ़ और काफ़िया मुझे पता है; समस्या बह्र की है।।<br />
<br />
इसमें क्या कमियाँ हैं और उन कमियों को कैसे दुरुस्त करें कि मेरे भाव अपरिवर्तित रहें?<br />
<br />
<br />
===================================================================================<br />
बिक जाता है चन्द रूपये की खातिर अख़बारों में।<br />
बहुत तलाशा मिला नहीं पर सत्य कहीं अख़बारों में।।<br />
<br />
बेंच रहे हैं ज़हर मिलाकर भोजन में…
आदरणीय मैं एक भावाभियक्तिकर्ता मात्र हूँ; ग़ज़ल कहने की विधा से पूर्ण अपरिचित हूँ; मैंने अपनी एक ग़ज़ल नीचे लिखी है; कृपया इसी के सन्दर्भ में मुझे सिखाएं।<br />
<br />
रदीफ़ और काफ़िया मुझे पता है; समस्या बह्र की है।।<br />
<br />
इसमें क्या कमियाँ हैं और उन कमियों को कैसे दुरुस्त करें कि मेरे भाव अपरिवर्तित रहें?<br />
<br />
<br />
===================================================================================<br />
बिक जाता है चन्द रूपये की खातिर अख़बारों में।<br />
बहुत तलाशा मिला नहीं पर सत्य कहीं अख़बारों में।।<br />
<br />
बेंच रहे हैं ज़हर मिलाकर भोजन में बाज़ारों में।<br />
विज्ञापन की बाढ़ आ गयी पैसे से अख़बारों में।।<br />
<br />
पेड़ बचाओ करो सफाई ऐसे कैसे संभव है।<br />
भौतिकता का नशा बेंचते रोज़ रोज़ अख़बारों में।।<br />
<br />
चोरी और अपराध रुकेगा किस तरहा से कहिये ना।<br />
महंगी वाली कार-मोबाइल दिखते जब अख़बारों में।।<br />
<br />
लोभ-मोह का त्याग सिखाते गुरुकुल सारे गायब हैं।<br />
मैकाले की नीति बाँचते विद्यालय अखबारों में।।<br />
<br />
पौधों में तुम खाद डालते स्वार्थ-संग्रहण वाली जब।<br />
फिर काहें तुम ढूँढ़ रहे हो आज "राम" अख़बारों में।।<br />
<br />
जब पैदा हैं घर घर रावण राम राज्य आएगा कैसे ?<br />
सीता हरण की ख़बर पढ़ो बस रोज़ रोज़ अख़बारों में।।<br />
<br />
कंश वंश का मन्त्र जापता रखता कोख कोख पर पहरा।<br />
अष्टभुजा का प्राण चीखता शब्द बना अख़बारों में।।<br />
<br />
पानी साहेब ढूँढ़ रहा हूँ मनु पुत्रों की आँखों में।<br />
कुम्हलानें लग गया है पंकज लिख देना अखबारों में।। ग़ज़ल संक्षिप्त आधार जानकारी-10tag:www.openbooksonline.com,2011-07-03:5170231:Topic:1010222011-07-03T10:54:52.110ZAnanda Shrestahttp://www.openbooksonline.com/profile/AnandaShresta
<p><span class="font-size-4"><strong><font lang="HI" xml:lang="HI">मुफरद बह्रों से बनने वाली मुजाहिफ बह्रें</font></strong></span></p>
<p><font lang="HI" xml:lang="HI">इस बार हम बात करते हैं मुफरद बह्रों से बनने वाली मुजाहिफ बह्रों की। इन्हें देखकर तो अनुमान हो ही जायेगा कि बह्रों का समुद्र कितना बड़ा है। यह जानकारी संदर्भ के काम की है याद करने के काम की नहीं। उपयोग करते करते ये बह्रें स्वत: याद होने लगेंगी। यहॉं इन्हें देने का सीमित उद्देश्य यह है जब कभी किसी बह्र विशेष का कोई संदर्भ आये…</font></p>
<p><span class="font-size-4"><strong><font lang="HI" xml:lang="HI">मुफरद बह्रों से बनने वाली मुजाहिफ बह्रें</font></strong></span></p>
<p><font lang="HI" xml:lang="HI">इस बार हम बात करते हैं मुफरद बह्रों से बनने वाली मुजाहिफ बह्रों की। इन्हें देखकर तो अनुमान हो ही जायेगा कि बह्रों का समुद्र कितना बड़ा है। यह जानकारी संदर्भ के काम की है याद करने के काम की नहीं। उपयोग करते करते ये बह्रें स्वत: याद होने लगेंगी। यहॉं इन्हें देने का सीमित उद्देश्य यह है जब कभी किसी बह्र विशेष का कोई संदर्भ आये तो आपके पास वह संदर्भ के रूप में उपलब्ध रहे। और कहीं आपने इन सब पर एक एक ग़ज़ल तो क्या शेर भी कह लिया तो स्वयं को धन्य मानें।</font></p>
<p><b>बह्रे मुतकारिब से बनने वाली मुजाहिफ बह्रें</b></p>
<table cellspacing="1" border="1" dir="ltr" style="width: 460px;">
<tbody><tr><td colspan="2" width="50%"><p><b><font lang="HI" xml:lang="HI">मुतकारिब मुसम्मन् सालिम</font> </b></p>
</td>
<td colspan="2" width="53%"><p><b><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलुन्</font> <font face="Mangal"><font>x 4 122 122 122 122</font></font></b></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलुन्</font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलुन्</font></p>
</td>
<td width="24%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलुन्</font></p>
</td>
<td width="29%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलुन्</font></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font face="Mangal"><font>122</font></font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font face="Mangal"><font>122</font></font></p>
</td>
<td width="24%"><p><font face="Mangal"><font>122</font></font></p>
</td>
<td width="29%"><p><font face="Mangal"><font>122</font></font></p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="47%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">मुतकारिब मुसम्मन् महजूफ</font></p>
</td>
<td colspan="2" width="53%"><p><font face="Mangal"><font>122 122 122 12</font></font></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलुन्</font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलुन्</font></p>
</td>
<td width="24%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलुन्</font></p>
</td>
<td width="29%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">मफा</font></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font face="Mangal"><font>122</font></font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font face="Mangal"><font>122</font></font></p>
</td>
<td width="24%"><p><font face="Mangal"><font>122</font></font></p>
</td>
<td width="29%"><p><font face="Mangal"><font>12</font></font></p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="47%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">मुतकारिब मुसम्मन् अस्लम रूप</font><font face="Mangal"><font lang="EN" xml:lang="EN">-</font><font>1</font></font></p>
</td>
<td colspan="2" width="53%"><p><font face="Mangal"><font>22 122 22 122</font></font></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फैलुन्</font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलुन्</font></p>
</td>
<td width="24%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फैलुन्</font></p>
</td>
<td width="29%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलुन्</font></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font face="Mangal"><font>22</font></font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font face="Mangal"><font>122</font></font></p>
</td>
<td width="24%"><p><font face="Mangal"><font>22</font></font></p>
</td>
<td width="29%"><p><font face="Mangal"><font>122</font></font></p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="47%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">मुतकारिब मुसम्मन् अस्लम महजूफ</font></p>
</td>
<td colspan="2" width="53%"><p><font face="Mangal"><font>2212 212 122</font></font></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">मुस्तफ्यलुन्</font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फायलुन्</font></p>
</td>
<td width="24%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलुन्</font></p>
</td>
<td width="29%"></td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font face="Mangal"><font>2212</font></font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font face="Mangal"><font>212</font></font></p>
</td>
<td width="24%"><p><font face="Mangal"><font>122</font></font></p>
</td>
<td width="29%"></td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="47%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">मुतकारिब मुसम्मन् मक्बूज रूप</font><font face="Mangal"><font lang="EN" xml:lang="EN">-</font><font>1</font></font></p>
</td>
<td colspan="2" width="53%"><p><font face="Mangal"><font>121 121 121 121</font></font></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलु</font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलु</font></p>
</td>
<td width="24%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलु</font></p>
</td>
<td width="29%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलु</font></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font face="Mangal"><font>121</font></font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font face="Mangal"><font>121</font></font></p>
</td>
<td width="24%"><p><font face="Mangal"><font>121</font></font></p>
</td>
<td width="29%"><p><font face="Mangal"><font>121</font></font></p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="47%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">मुतकारिब मुसम्मन् मक्बूज महजूफ</font></p>
</td>
<td colspan="2" width="53%"><p><font face="Mangal"><font>121 121 121 12</font></font></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलु</font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलु</font></p>
</td>
<td width="24%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलु</font></p>
</td>
<td width="29%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">मफा</font></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font face="Mangal"><font>121</font></font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font face="Mangal"><font>121</font></font></p>
</td>
<td width="24%"><p><font face="Mangal"><font>121</font></font></p>
</td>
<td width="29%"><p><font face="Mangal"><font>12</font></font></p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="47%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">मुतकारिब मुसम्मन् अस्लम मक्बूज</font></p>
</td>
<td colspan="2" width="53%"><p><font face="Mangal"><font>22 122 121 122</font></font></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फैलुन्</font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलुन्</font></p>
</td>
<td width="24%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलु</font></p>
</td>
<td width="29%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलुन्</font></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font face="Mangal"><font>22</font></font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font face="Mangal"><font>122</font></font></p>
</td>
<td width="24%"><p><font face="Mangal"><font>121</font></font></p>
</td>
<td width="29%"><p><font face="Mangal"><font>122</font></font></p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="47%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">मुतकारिब मुसम्मन् मक्बूज अस्लम</font></p>
</td>
<td colspan="2" width="53%"><p><font face="Mangal"><font>121 22 121 22</font></font></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलु</font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फैलुन्</font></p>
</td>
<td width="24%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलु</font></p>
</td>
<td width="29%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फैलुन्</font></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font face="Mangal"><font>121</font></font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font face="Mangal"><font>22</font></font></p>
</td>
<td width="24%"><p><font face="Mangal"><font>121</font></font></p>
</td>
<td width="29%"><p><font face="Mangal"><font>22</font></font></p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="47%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">मुतकारिब मुसम्मन् मक्बूज रूप</font><font face="Mangal"><font lang="EN" xml:lang="EN">-</font><font>2</font></font></p>
</td>
<td colspan="2" width="53%"><p><font face="Mangal"><font>121 122 121 122</font></font></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलु</font></p>
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</td>
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</td>
<td width="29%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलुन्</font></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font face="Mangal"><font>121</font></font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font face="Mangal"><font>122</font></font></p>
</td>
<td width="24%"><p><font face="Mangal"><font>121</font></font></p>
</td>
<td width="29%"><p><font face="Mangal"><font>122</font></font></p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="47%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">मुतकारिब मुसम्मन् अस्लम रूप</font><font face="Mangal"><font lang="EN" xml:lang="EN">-</font><font>2</font></font></p>
</td>
<td colspan="2" width="53%"><p><font face="Mangal"><font>122 122 22 122</font></font></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलुन्</font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलुन्</font></p>
</td>
<td width="24%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फैलुन्</font></p>
</td>
<td width="29%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलुन्</font></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font face="Mangal"><font>122</font></font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font face="Mangal"><font>122</font></font></p>
</td>
<td width="24%"><p><font face="Mangal"><font>22</font></font></p>
</td>
<td width="29%"><p><font face="Mangal"><font>122</font></font></p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="47%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">मुतकारिब मुसम्मन् महजूफ मुदायफ</font><font face="Mangal"><font lang="EN" xml:lang="EN">/</font></font> <font lang="HI" xml:lang="HI">मक्बूज अस्लम मुदायफ</font></p>
</td>
<td colspan="2" width="53%"><p><font face="Mangal"><font>12122 12122 x 2</font></font></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">मुफायलातुन्</font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">मुफायलातुन्</font></p>
</td>
<td width="24%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">मुफायलातुन्</font></p>
</td>
<td width="29%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">मुफायलातुन्</font></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font face="Mangal"><font>12122</font></font></p>
</td>
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<td width="24%"><p><font face="Mangal"><font>12122</font></font></p>
</td>
<td width="29%"><p><font face="Mangal"><font>12122</font></font></p>
</td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="47%"><p><b><font lang="HI" xml:lang="HI">मुतकारिब मुसद्दस सालिम</font> </b></p>
</td>
<td colspan="2" width="53%"><p><b><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलुन्</font> <font face="Mangal"><font>x 3 122 122 122</font></font></b></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलुन्</font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलुन्</font></p>
</td>
<td width="24%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलुन्</font></p>
</td>
<td width="29%"></td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font face="Mangal"><font>122</font></font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font face="Mangal"><font>122</font></font></p>
</td>
<td width="24%"><p><font face="Mangal"><font>122</font></font></p>
</td>
<td width="29%"></td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="47%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">मुतकारिब मुसद्दस् महजूफ मुदायफ</font><font face="Mangal"><font lang="EN" xml:lang="EN">/</font></font> <font lang="HI" xml:lang="HI">मक्बूज अस्लम मुदायफ</font></p>
</td>
<td colspan="2" width="53%"><p><font face="Mangal"><font>12122 12122 12122</font></font></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">मुफायलातुन्</font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">मुफायलातुन्</font></p>
</td>
<td width="24%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">मुफायलातुन्</font></p>
</td>
<td width="29%"></td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font face="Mangal"><font>12122</font></font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font face="Mangal"><font>12122</font></font></p>
</td>
<td width="24%"><p><font face="Mangal"><font>12122</font></font></p>
</td>
<td width="29%"></td>
</tr>
<tr><td colspan="3" width="71%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">मुतकारिब मुसद्दस् मक्बूज अस्लम</font></p>
</td>
<td width="29%"><p><font face="Mangal"><font>12122122</font></font></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलु</font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फैलुन्</font></p>
</td>
<td width="24%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलुन्</font></p>
</td>
<td width="29%"></td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font face="Mangal"><font>121</font></font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font face="Mangal"><font>22</font></font></p>
</td>
<td width="24%"><p><font face="Mangal"><font>122</font></font></p>
</td>
<td width="29%"></td>
</tr>
<tr><td colspan="2" width="47%"><p><b><font lang="HI" xml:lang="HI">मुतकारिब मुरब्बा सालिम</font> </b></p>
</td>
<td colspan="2" width="53%"><p><b><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलुन्</font> <font face="Mangal"><font>x 2 122 122 122</font></font></b></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलुन्</font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलुन्</font></p>
</td>
<td width="24%"></td>
<td width="29%"></td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font face="Mangal"><font>122</font></font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font face="Mangal"><font>122</font></font></p>
</td>
<td width="24%"></td>
<td width="29%"></td>
</tr>
<tr><td colspan="3" width="71%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">मुतकारिब मुरब्बा मक्बूज</font></p>
</td>
<td width="29%"><p><font face="Mangal"><font>1212212122</font></font></p>
</td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलु</font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font lang="HI" xml:lang="HI">फऊलु</font></p>
</td>
<td width="24%"></td>
<td width="29%"></td>
</tr>
<tr><td width="20%"><p><font face="Mangal"><font>121</font></font></p>
</td>
<td width="27%"><p><font face="Mangal"><font>121</font></font></p>
</td>
<td width="24%"></td>
<td width="29%"></td>
</tr>
</tbody>
</table>
<p></p>