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2024-03-29T10:37:08Z
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गणपति वंदना
tag:www.openbooksonline.com,2018-10-05:5170231:Topic:952209
2018-10-05T04:48:54.308Z
Anita Sharma
http://www.openbooksonline.com/profile/AnitaSharma
<p>गणपति महाराजा, पूर्ण करो काजा, दयावंत, दयाधारी.</p>
<p>गौरी नंदन , दूर करो क्रंदन, जाऊँ मैं बलिहारी.</p>
<p></p>
<p>रिद्धि-सिद्धि के स्वामी, अंतर्यामी, तुम हो बड़े दयालु.</p>
<p>शरण जो आवे, सब पा जावे, कृपावंत हे कृपालु.</p>
<p></p>
<p>बुद्धिमान तुम बुद्धिबल दाता, मूषक तुम्हरी सवारी.</p>
<p>हे लम्बोदर, सिद्धि-विनायक मेटो विपदा हमारी.</p>
<p></p>
<p>एक दन्त तुम, वक्र-तुंड तुम चक्र सुदर्शन धारी.</p>
<p>प्रथम पूज्य तुम, मंगल मूर्ती, सब जन तुम्हरे आभारी.</p>
<p></p>
<p>प्रथम पूज्य हो देव…</p>
<p>गणपति महाराजा, पूर्ण करो काजा, दयावंत, दयाधारी.</p>
<p>गौरी नंदन , दूर करो क्रंदन, जाऊँ मैं बलिहारी.</p>
<p></p>
<p>रिद्धि-सिद्धि के स्वामी, अंतर्यामी, तुम हो बड़े दयालु.</p>
<p>शरण जो आवे, सब पा जावे, कृपावंत हे कृपालु.</p>
<p></p>
<p>बुद्धिमान तुम बुद्धिबल दाता, मूषक तुम्हरी सवारी.</p>
<p>हे लम्बोदर, सिद्धि-विनायक मेटो विपदा हमारी.</p>
<p></p>
<p>एक दन्त तुम, वक्र-तुंड तुम चक्र सुदर्शन धारी.</p>
<p>प्रथम पूज्य तुम, मंगल मूर्ती, सब जन तुम्हरे आभारी.</p>
<p></p>
<p>प्रथम पूज्य हो देव अतुल्य हो, मोदक तुमको भावे.</p>
<p>शरण में तुम्हारी जो कोई आवे , संकट सब मिट जावे.</p>
<p>(मौलिक एवं अप्रकाशित)</p>