"OBO लाइव महा उत्सव" अंक ६ (Now Closed) - Open Books Online2024-03-28T20:09:30Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/obo-6-now-closed?commentId=5170231%3AComment%3A68135&x=1&feed=yes&xn_auth=no"OBO लाइव महा उत्सव" अंक ६ मे…tag:www.openbooksonline.com,2011-04-07:5170231:Comment:681352011-04-07T18:29:30.753ZAdminhttp://www.openbooksonline.com/profile/Admin
"OBO लाइव महा उत्सव" अंक ६ में उपस्थित सभी सदस्यों को स्नेह भरा प्रणाम !<br></br> पिछले तीन दिनों से हम सभी साहित्य सरिता में गोते लगाते रहे, एक से एक सुंदर-सुंदर रचनायें "दोस्ती" के नाम प्रस्तुत किये गये, बड़ा ही आनंद आया, मंच संचालक श्री विवेक मिश्र "ताहिर" जी ने दूरभाष पर अपनी अनुपस्थिति की परिस्थिति को बता दिए थे, इनके अनुपस्थिति की कमी प्रधान सम्पादक जी की सक्रियता के कारण नहीं खली | कुल मिलाकर तीन दिनों के अन्दर कुल रचनाओं सहित करीब ५०० से अधिक Reply यह बताने में समर्थ है की कार्यक्रम सफल रहा…
"OBO लाइव महा उत्सव" अंक ६ में उपस्थित सभी सदस्यों को स्नेह भरा प्रणाम !<br/> पिछले तीन दिनों से हम सभी साहित्य सरिता में गोते लगाते रहे, एक से एक सुंदर-सुंदर रचनायें "दोस्ती" के नाम प्रस्तुत किये गये, बड़ा ही आनंद आया, मंच संचालक श्री विवेक मिश्र "ताहिर" जी ने दूरभाष पर अपनी अनुपस्थिति की परिस्थिति को बता दिए थे, इनके अनुपस्थिति की कमी प्रधान सम्पादक जी की सक्रियता के कारण नहीं खली | कुल मिलाकर तीन दिनों के अन्दर कुल रचनाओं सहित करीब ५०० से अधिक Reply यह बताने में समर्थ है की कार्यक्रम सफल रहा | बृहत् रपट तो प्रधान संपादक जी द्वारा प्रस्तुत किया जायेगा |<br/> इस शानदार महा उत्सव में उपस्थित सभी साहित्य प्रेमियों को धन्यवाद देते हुए "OBO लाइव महा उत्सव" अंक ६ की सफल समाप्ति की घोषणा करता हूँ , पुनः माह के चौथे सप्ताह में आयोजित होने वाले "OBO लाइव तरही मुशायरे" में आप सभी के चढ़ बढ़ के हिस्सा लेने की कामना करता हूँ | <br/> धन्यवाद सहित आपका अपना <br/> एडमिन <br/> ओपन बुक्स ऑनलाइन धन्यवाद शारदा बहन,tag:www.openbooksonline.com,2011-04-07:5170231:Comment:682292011-04-07T18:29:24.152ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://www.openbooksonline.com/profile/GaneshJee
धन्यवाद शारदा बहन,
धन्यवाद शारदा बहन, नेह छोह बनाये रखे श्रीमन !tag:www.openbooksonline.com,2011-04-07:5170231:Comment:680472011-04-07T18:09:38.377ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://www.openbooksonline.com/profile/GaneshJee
नेह छोह बनाये रखे श्रीमन !
नेह छोह बनाये रखे श्रीमन ! अक्सर मैं गुम हुवा हूं अंधेरो…tag:www.openbooksonline.com,2011-04-07:5170231:Comment:681342011-04-07T18:07:56.271ZDr. Sanjay danihttp://www.openbooksonline.com/profile/DrSanjaydani
<p>अक्सर मैं गुम हुवा हूं अंधेरों के शहर में</p>
<p>हर बार ढंढ ढूंढ के लाता रहा है वो।</p>
<p>बेहतरीन ग़ज़ल सारे अशआर ख़ूबसूरत हैं ।</p>
<p>अक्सर मैं गुम हुवा हूं अंधेरों के शहर में</p>
<p>हर बार ढंढ ढूंढ के लाता रहा है वो।</p>
<p>बेहतरीन ग़ज़ल सारे अशआर ख़ूबसूरत हैं ।</p> आदरणीय कपोर साहिब, मुझे उम्मी…tag:www.openbooksonline.com,2011-04-07:5170231:Comment:681332011-04-07T18:04:12.315Zयोगराज प्रभाकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
आदरणीय कपोर साहिब, मुझे उम्मीद है की भविष्य में भी आपका स्नेह व सहयोग हमें यूं ही प्राप्त होता रहेगा !
आदरणीय कपोर साहिब, मुझे उम्मीद है की भविष्य में भी आपका स्नेह व सहयोग हमें यूं ही प्राप्त होता रहेगा ! //फासले भी तक्सीम किये बैठे थ…tag:www.openbooksonline.com,2011-04-07:5170231:Comment:680462011-04-07T18:01:14.173Zयोगराज प्रभाकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
//फासले भी तक्सीम किये बैठे थे// वाह वाह क्या कमाल का ख्याल है !<br/>
//फासले भी तक्सीम किये बैठे थे// वाह वाह क्या कमाल का ख्याल है !<br/> आजकल ब्लॉगिंग के लिये समय नि…tag:www.openbooksonline.com,2011-04-07:5170231:Comment:682272011-04-07T18:00:30.909ZTilak Raj Kapoorhttp://www.openbooksonline.com/profile/TilakRajKapoor
<p>आजकल ब्लॉगिंग के लिये समय निकाल पाना दुष्कर होता जा रहा है, लेकिन आपके स्नेहिल स्मरण मेल खींच ही लाये। मेरी अनुपस्थिति को अन्यथा न लें।</p>
<p>आप सबके मनोभावों के प्रति आभारी हूँ।</p>
<p>आजकल ब्लॉगिंग के लिये समय निकाल पाना दुष्कर होता जा रहा है, लेकिन आपके स्नेहिल स्मरण मेल खींच ही लाये। मेरी अनुपस्थिति को अन्यथा न लें।</p>
<p>आप सबके मनोभावों के प्रति आभारी हूँ।</p> बहुत सही कहा गुरु जी !tag:www.openbooksonline.com,2011-04-07:5170231:Comment:678752011-04-07T17:58:09.416Zयोगराज प्रभाकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
बहुत सही कहा गुरु जी !
बहुत सही कहा गुरु जी ! वीनस भाई - आपकी मोहब्बतों का…tag:www.openbooksonline.com,2011-04-07:5170231:Comment:682262011-04-07T17:56:46.732Zयोगराज प्रभाकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
वीनस भाई - आपकी मोहब्बतों का दिल से ममनून हूँ !
वीनस भाई - आपकी मोहब्बतों का दिल से ममनून हूँ ! बागी भाई दाद-खाज तो ठीक है मग…tag:www.openbooksonline.com,2011-04-07:5170231:Comment:682242011-04-07T17:55:07.201Zयोगराज प्रभाकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
बागी भाई दाद-खाज तो ठीक है मगर आपकी रचना कहाँ है ?
बागी भाई दाद-खाज तो ठीक है मगर आपकी रचना कहाँ है ?