"OBO लाइव महा इवेंट" अंक-३ - Open Books Online2024-03-29T09:43:39Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/obo-3?id=5170231%3ATopic%3A42686&feed=yes&xn_auth=noसुन्दर व्यंग से लबरेज़ कविता…tag:www.openbooksonline.com,2011-01-05:5170231:Comment:450722011-01-05T17:45:27.876ZDr. Sanjay danihttp://www.openbooksonline.com/profile/DrSanjaydani
सुन्दर व्यंग से लबरेज़ कविता बधाई शेषधर जी।
सुन्दर व्यंग से लबरेज़ कविता बधाई शेषधर जी। इतिहास का संपूर्ण दर्शन आपने…tag:www.openbooksonline.com,2011-01-05:5170231:Comment:450712011-01-05T17:43:35.880ZDr. Sanjay danihttp://www.openbooksonline.com/profile/DrSanjaydani
इतिहास का संपूर्ण दर्शन आपने बहुत ही सुन्दर और पुख़्ता तरीके से कराया, आभार।
इतिहास का संपूर्ण दर्शन आपने बहुत ही सुन्दर और पुख़्ता तरीके से कराया, आभार। "OBO लाइव महा इवेंट अंक-३" के…tag:www.openbooksonline.com,2011-01-05:5170231:Comment:450702011-01-05T17:30:24.492ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://www.openbooksonline.com/profile/GaneshJee
"OBO लाइव महा इवेंट अंक-३" के समापन मे अब सिर्फ एक घंटा और शेष .............. कृपया अपनी रचनायें और टिप्पणियाँ शिघ्रता से पोस्ट करे ....जय हो !
"OBO लाइव महा इवेंट अंक-३" के समापन मे अब सिर्फ एक घंटा और शेष .............. कृपया अपनी रचनायें और टिप्पणियाँ शिघ्रता से पोस्ट करे ....जय हो ! अभय कान्त झा "दीपराज" की रचना…tag:www.openbooksonline.com,2011-01-05:5170231:Comment:450672011-01-05T17:25:04.468ZAdminhttp://www.openbooksonline.com/profile/Admin
<strong>अभय कान्त झा "दीपराज" की रचना हूब हूँ जो किसी कारण महा इवेंट मे पोस्ट नहीं हो सका था किन्तु महा इवेंट के विषय के अनुसार है .........</strong><br></br><font size="4">अभय कान्त झा दीपराज कृत - हिन्दी गीत -</font><br></br> <br></br> <font size="5">भारत देश महान है ............</font>
<p><br></br><font size="4">विश्व सभ्यता की यह जननी, भारत देश महान है | <br></br>भारत का अपमान असह्य, ये मानव का अपमान है || <br></br> <br></br>यही सृजेता भूमि शून्य से वर्तमान तक आदर्शों की…</font></p>
<strong>अभय कान्त झा "दीपराज" की रचना हूब हूँ जो किसी कारण महा इवेंट मे पोस्ट नहीं हो सका था किन्तु महा इवेंट के विषय के अनुसार है .........</strong><br/><font size="4">अभय कान्त झा दीपराज कृत - हिन्दी गीत -</font><br/> <br/> <font size="5">भारत देश महान है ............</font>
<p><br/><font size="4">विश्व सभ्यता की यह जननी, भारत देश महान है | <br/>भारत का अपमान असह्य, ये मानव का अपमान है || <br/> <br/>यही सृजेता भूमि शून्य से वर्तमान तक आदर्शों की |</font><font size="4"><br/>सदा विश्व है ऋणी हमारा, पूजा जो हमने वर्षों की || <br/>सबसे श्रेष्ठ हमारा भारत , सबसे यह गुणवान है | <br/></font><font size="4">भारत का अपमान असह्य, ये मानव का अपमान है ||</font> <font size="4">१</font> <font size="4">||</font> <br/><br/><font size="4">सिखा गए है राम मुझे उन, आदर्शों की परिभाषा |</font><font size="4"><br/>जो इस जग-उपवन का जीवन और मानवता की भाषा || <br/>हमें कृष्ण और गौतम जैसे अग्रज पर अभिमान है | <br/></font><font size="4">विश्व सभ्यता की यह जननी, भारत देश महान है || </font><font size="4">२</font> <font size="4">||</font> <br/><br/><font size="4">गाँधी , शास्त्री और सुभाष से, दीप यहाँ पर जलते है |</font><font size="4"><br/>नेहरू और अशोक-अकबर से, पुष्प यहीं पर खिलते है || <br/>उनके चरण पूज्य हैं जग के, जो इसकी संतान है | <br/></font><font size="4">भारत का अपमान असह्य, ये मानव का अपमान है ||</font> <font size="4"> ३</font> <font size="4">||</font> <br/><br/><font size="4">माता है भारत माँ जिसकी, यह उसका सौभाग्य है |</font><font size="4"><br/>जिसने इसका प्यार न पाया, यह उसका दुर्भाग्य है || <br/>मेरी माँ के श्री चरणों की, स्वर्ग से ऊँची आन है | <br/></font><font size="4">विश्व सभ्यता की यह जननी, भारत देश महान है ||</font> <font size="4">४</font> <font size="4">||</font> <br/><br/><font size="4">शपथ उठा रख्खी है हमने, जग को स्वर्ग बनायेंगे |</font><font size="4"><br/>मानवता की राहों पर हम उज्जवल दीप जलाएंगे || <br/>वहाँ भी एक दिन उपवन होगा, आज जो रेगिस्तान है | <br/></font><font size="4">भारत का अपमान असह्य, ये मानव का अपमान है ||</font> <font size="4">५</font> <font size="4">||</font> <br/><br/><font size="4">दानवता तू संभल , बदल जा, भारत का सन्देश सुन |</font><font size="4"><br/>मत विकृत कर जग उपवन का यह पावन-परिवेश, सुन || <br/>वर्ना , आज भी भारत माता, बेटों से धनवान है |</font><br/><font size="4">विश्व सभ्यता की यह जननी, भारत देश महान है ||</font> <font size="4">६ </font> <font size="4">||</font> <br/><font size="5"><br/> रचनाकार - अभय दीपराज</font></p> dhanyawad Gopal ji.tag:www.openbooksonline.com,2011-01-05:5170231:Comment:450632011-01-05T16:30:23.185Zmoin shamsihttp://www.openbooksonline.com/profile/moinshamsi
dhanyawad Gopal ji.
dhanyawad Gopal ji. बहुत खूब ,
कृपया "हर चरण के म…tag:www.openbooksonline.com,2011-01-05:5170231:Comment:450592011-01-05T15:49:30.743ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://www.openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>बहुत खूब ,</p>
<p>कृपया "<strong>हर चरण के मध्य में १६ मात्रा पर यति</strong>" को और समझाने की कृपा करे | उदाहरण और मात्रा गिन कर तो और बेहतर होगा |</p>
<p>बहुत खूब ,</p>
<p>कृपया "<strong>हर चरण के मध्य में १६ मात्रा पर यति</strong>" को और समझाने की कृपा करे | उदाहरण और मात्रा गिन कर तो और बेहतर होगा |</p> इस शानदार छंद में बात को इतने…tag:www.openbooksonline.com,2011-01-05:5170231:Comment:450582011-01-05T15:46:30.802Zधर्मेन्द्र कुमार सिंहhttp://www.openbooksonline.com/profile/249pje3yd1r3m
इस शानदार छंद में बात को इतने सुंदर तरीके से कहने के लिए बधाई
इस शानदार छंद में बात को इतने सुंदर तरीके से कहने के लिए बधाई thankstag:www.openbooksonline.com,2011-01-05:5170231:Comment:450572011-01-05T15:43:53.519Zधर्मेन्द्र कुमार सिंहhttp://www.openbooksonline.com/profile/249pje3yd1r3m
thanks
thanks धन्यवाद तिवारी जी।tag:www.openbooksonline.com,2011-01-05:5170231:Comment:450562011-01-05T15:43:30.351Zधर्मेन्द्र कुमार सिंहhttp://www.openbooksonline.com/profile/249pje3yd1r3m
धन्यवाद तिवारी जी।
धन्यवाद तिवारी जी। छंद:- हरिगीतिका
कुल चार चरण
ह…tag:www.openbooksonline.com,2011-01-05:5170231:Comment:450542011-01-05T15:42:14.535ZRPNCChttp://www.openbooksonline.com/profile/RPNCC
छंद:- हरिगीतिका<br />
कुल चार चरण<br />
हर चरण में २८ मात्रा<br />
हर चरण के मध्य में १६ मात्रा पर यति<br />
हर चरण के अंत में लघु और गुरु वर्ण अनिवार्य| रगण [गुरु लघु गुरु] हो तो सर्वोत्तम|<br />
आवशयक्ता पड़ने पर हर्फ गिराने / गुरु वर्ण को लघु वर्ण की तरह प्रयोग करने की छूट [आख़िरी मुक्तक में उदाहरण देखें]<br />
<br />
कुछ इस तरह होते इलेक्शन जैसे नूरा कुश्तियाँ|<br />
जन-रक्त सरिता में सियासत की बहाते कश्तियाँ|<br />
वो बस्तियों के हैं मसीहा, शक्ति उन की बस्तियाँ|<br />
वो बैठ संसद में सुबह से शाम करते मस्तियाँ|२|<br />
<br />
हर बात पे मुद्दा, हरिक मुद्दे पे ये…
छंद:- हरिगीतिका<br />
कुल चार चरण<br />
हर चरण में २८ मात्रा<br />
हर चरण के मध्य में १६ मात्रा पर यति<br />
हर चरण के अंत में लघु और गुरु वर्ण अनिवार्य| रगण [गुरु लघु गुरु] हो तो सर्वोत्तम|<br />
आवशयक्ता पड़ने पर हर्फ गिराने / गुरु वर्ण को लघु वर्ण की तरह प्रयोग करने की छूट [आख़िरी मुक्तक में उदाहरण देखें]<br />
<br />
कुछ इस तरह होते इलेक्शन जैसे नूरा कुश्तियाँ|<br />
जन-रक्त सरिता में सियासत की बहाते कश्तियाँ|<br />
वो बस्तियों के हैं मसीहा, शक्ति उन की बस्तियाँ|<br />
वो बैठ संसद में सुबह से शाम करते मस्तियाँ|२|<br />
<br />
हर बात पे मुद्दा, हरिक मुद्दे पे ये धंधा करें|<br />
हर धंधे में अहलेवतन की साख का सौदा करें|<br />
जब शहर में दंगे हों तब ये वोट की चिंता करें|<br />
इंसान की लाशों पे अपनी रोटियाँ सेंका करें|२|<br />
<br />
विश्वासघाती गीदडो कब तक हमें भरमाओगे|<br />
जनतंत्र की गरिमा से कब तक खेलोगे, इतराओगे|<br />
निज राष्ट्र से जो की दगा, उस की सज़ा अब पाओगे|<br />
अब की दफ़ा जब आओगे तो मुँह की खा के जाओगे|३|<br />
<br />
गर चाहते हो दोस्तो, नव पीढ़ियाँ ना तुर्क हों|<br />
तो हर सियासी धूर्त की सब माल-मत्ता कुर्क हों|<br />
उन की कई पीढ़ी इलेक्शन, एडमिन से त्यक्त हों|<br />
इन की कथा हर कोर्स की कुछ पुस्तकों में व्यक्त हों|४|