OBO लाइव तरही मुशायरा-२ ( Closed Now ) - Open Books Online2024-03-29T12:41:40Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/obo-2-closed-now?id=5170231%3ATopic%3A18867&feed=yes&xn_auth=noजय हो, क्या बात है , मुशायरे…tag:www.openbooksonline.com,2010-09-15:5170231:Comment:199872010-09-15T18:27:01.987ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://www.openbooksonline.com/profile/GaneshJee
जय हो, क्या बात है , मुशायरे को आप लूट लिये, चलते चलते खुरुचनी भी नहीं छोड़ा, वाह जबाब नहीं आपका नविन भईया |
जय हो, क्या बात है , मुशायरे को आप लूट लिये, चलते चलते खुरुचनी भी नहीं छोड़ा, वाह जबाब नहीं आपका नविन भईया | taahir ji kya khoob sher kah…tag:www.openbooksonline.com,2010-09-15:5170231:Comment:199612010-09-15T17:45:06.961Zआशीष यादवhttp://www.openbooksonline.com/profile/Ashishyadav
taahir ji kya khoob sher kah gaye aap.<br />
अपने रुख से दरबान हटा भी दे पर्दानशीं .<br />
हम भी तो देखें जो कारुन का खजाना है-
taahir ji kya khoob sher kah gaye aap.<br />
अपने रुख से दरबान हटा भी दे पर्दानशीं .<br />
हम भी तो देखें जो कारुन का खजाना है- rana ji yah to aap logo ki hi…tag:www.openbooksonline.com,2010-09-15:5170231:Comment:199602010-09-15T17:43:16.960Zआशीष यादवhttp://www.openbooksonline.com/profile/Ashishyadav
rana ji yah to aap logo ki hi den hai ki mai bhi kuchh likh leta hu. aap log apna aashirwaad banaaye rakhe. mai aage bhi koshish karunga.
rana ji yah to aap logo ki hi den hai ki mai bhi kuchh likh leta hu. aap log apna aashirwaad banaaye rakhe. mai aage bhi koshish karunga. डॉ. ब्रिजेश कुमार त्रिपाठी जी…tag:www.openbooksonline.com,2010-09-15:5170231:Comment:198832010-09-15T15:02:06.883ZAdminhttp://www.openbooksonline.com/profile/Admin
<a href="http://openbooksonline.com/profile/DrBrijeshKumarTripathi" target="_blank">डॉ. ब्रिजेश कुमार त्रिपाठी</a> जी कहते है ............<br />
दोस्तों नेट की खराबी के चलते मैं तरही मुशायरा में शामिल नहीं हो पाया लेकिन मेरी इसमें शामिल होने की बड़ी इच्छा थी चार लाइन पेश करना चाहता हूँ और लेट लतीफी की माफ़ी भी ...<br />
<br />
जिनकी बातों से चिढ होती थी कभी<br />
उन्ही को फर्शी सलाम बजाना है...<br />
जिनके पीछे पड़े थे कभी पुलिस के दस्ते<br />
उन्ही के कदमों में जा गिरा ज़माना है
<a href="http://openbooksonline.com/profile/DrBrijeshKumarTripathi" target="_blank">डॉ. ब्रिजेश कुमार त्रिपाठी</a> जी कहते है ............<br />
दोस्तों नेट की खराबी के चलते मैं तरही मुशायरा में शामिल नहीं हो पाया लेकिन मेरी इसमें शामिल होने की बड़ी इच्छा थी चार लाइन पेश करना चाहता हूँ और लेट लतीफी की माफ़ी भी ...<br />
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जिनकी बातों से चिढ होती थी कभी<br />
उन्ही को फर्शी सलाम बजाना है...<br />
जिनके पीछे पड़े थे कभी पुलिस के दस्ते<br />
उन्ही के कदमों में जा गिरा ज़माना है दीपक शर्मा कुल्लुवी जी कहते ह…tag:www.openbooksonline.com,2010-09-15:5170231:Comment:198702010-09-15T13:58:17.870ZRana Pratap Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/RanaPratapSingh
दीपक शर्मा कुल्लुवी जी कहते है.....<br />
<br />
क़दम<br />
<br />
उन्ही के कदमों में जा गिरा ज़माना है<br />
इश्क़-ओ-मुहब्बत का जिनके पास ख़ज़ाना है<br />
वफ़ा की सूली पे जो हँसता हुआ चढ़ जाए<br />
नाम-ए-बेवफ़ाई से बिल्कुल जो अंजाना है<br />
ईद और दीवाली में जो फ़र्क़ नहीं करता<br />
अल्ला और राम को एक जिसने माना है<br />
आसां नहीं है जीना ऐसे जनू वालों का<br />
शॅमा की मुहब्बत में हँसकर जल जाते परवाने हैं<br />
'दीपक कुल्लवी उन सबको करता है सलाम<br />
इंसानियत का बोझ जो हंसकर उठाते हैं<br />
<br />
दीपक शर्मा कुल्लवी<br />
09136211486
दीपक शर्मा कुल्लुवी जी कहते है.....<br />
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क़दम<br />
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उन्ही के कदमों में जा गिरा ज़माना है<br />
इश्क़-ओ-मुहब्बत का जिनके पास ख़ज़ाना है<br />
वफ़ा की सूली पे जो हँसता हुआ चढ़ जाए<br />
नाम-ए-बेवफ़ाई से बिल्कुल जो अंजाना है<br />
ईद और दीवाली में जो फ़र्क़ नहीं करता<br />
अल्ला और राम को एक जिसने माना है<br />
आसां नहीं है जीना ऐसे जनू वालों का<br />
शॅमा की मुहब्बत में हँसकर जल जाते परवाने हैं<br />
'दीपक कुल्लवी उन सबको करता है सलाम<br />
इंसानियत का बोझ जो हंसकर उठाते हैं<br />
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दीपक शर्मा कुल्लवी<br />
09136211486 ताहिर भाई बहुत खूब ...बड़ी प्…tag:www.openbooksonline.com,2010-09-15:5170231:Comment:198122010-09-15T08:04:10.812ZRana Pratap Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/RanaPratapSingh
ताहिर भाई बहुत खूब ...बड़ी प्यारी ग़ज़ल से मुशायरे में पदार्पण किया है आपने...<br />
हर शेर खूबसूरत है ....
ताहिर भाई बहुत खूब ...बड़ी प्यारी ग़ज़ल से मुशायरे में पदार्पण किया है आपने...<br />
हर शेर खूबसूरत है .... योगी सर आपकी ग़ज़ल के बिना तो…tag:www.openbooksonline.com,2010-09-15:5170231:Comment:198112010-09-15T08:00:11.811ZRana Pratap Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/RanaPratapSingh
योगी सर आपकी ग़ज़ल के बिना तो यह मुशायरा सूना सूना सा था|<br />
<br />
जिन्होंने आदमी को आदमी ना जाना है !<br />
उन्हीं के कदमों में ही जा गिरा जमाना है !<br />
वाह!!!!...मैंने कहीं पढ़ा था की ग़ज़ल सादगी की भाषा जानती है .....इससे सीधी सादी बात कोई क्या कहेगा......<br />
<br />
इसी गरज में छोड़ पाऊँ न टूटे घर को,<br />
कोई फकीर कह गया यहाँ खज़ाना है !<br />
<br />
अद्भुत ख्याल .....बड़ी मासूमियत छुपी है इस शेर में....<br />
<br />
दूसरा शेर पूरी तरह से सूफियाना रंगत लिए हुए है ...........<br />
<br />
और तीसरे शेर में अपने खुद ही कबूल लिया है<br />
बेहतरीन<br />
<br />
अंत में गीता का सार…
योगी सर आपकी ग़ज़ल के बिना तो यह मुशायरा सूना सूना सा था|<br />
<br />
जिन्होंने आदमी को आदमी ना जाना है !<br />
उन्हीं के कदमों में ही जा गिरा जमाना है !<br />
वाह!!!!...मैंने कहीं पढ़ा था की ग़ज़ल सादगी की भाषा जानती है .....इससे सीधी सादी बात कोई क्या कहेगा......<br />
<br />
इसी गरज में छोड़ पाऊँ न टूटे घर को,<br />
कोई फकीर कह गया यहाँ खज़ाना है !<br />
<br />
अद्भुत ख्याल .....बड़ी मासूमियत छुपी है इस शेर में....<br />
<br />
दूसरा शेर पूरी तरह से सूफियाना रंगत लिए हुए है ...........<br />
<br />
और तीसरे शेर में अपने खुद ही कबूल लिया है<br />
बेहतरीन<br />
<br />
अंत में गीता का सार निकल कर रख दिया है आपने.....<br />
आपकी इसी चीज के तो हम कायल हैं| बड़े भैया पिछली तरही में एक श…tag:www.openbooksonline.com,2010-09-15:5170231:Comment:198102010-09-15T07:36:57.810ZRana Pratap Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/RanaPratapSingh
बड़े भैया पिछली तरही में एक शेर कहा था<br />
<br />
मुझे डर लगता है धरती का स्वर्ग नर्क ना हो<br />
आज लोगो ने वहा पत्थर उठा रखा है
बड़े भैया पिछली तरही में एक शेर कहा था<br />
<br />
मुझे डर लगता है धरती का स्वर्ग नर्क ना हो<br />
आज लोगो ने वहा पत्थर उठा रखा है आशीष भाई ..आपकी इस दीवानगी भर…tag:www.openbooksonline.com,2010-09-15:5170231:Comment:198092010-09-15T07:34:22.809ZRana Pratap Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/RanaPratapSingh
आशीष भाई ..आपकी इस दीवानगी भरी अदायगी के सब कायल हो चले है|<br />
बड़े खूबसूरत शेर कह गए है आप<br />
<br />
दफ अतन ही कभी मोहब्बत हो नहीं जाती|<br />
प्यार की शमा को धीरे-धीरे जलाना है||<br />
<br />
गैर हाज़िर में बसंत भी लगे उजाड़ जिनके|<br />
साथ में मौसम-ए-खिंजा लगे सुहाना है||
आशीष भाई ..आपकी इस दीवानगी भरी अदायगी के सब कायल हो चले है|<br />
बड़े खूबसूरत शेर कह गए है आप<br />
<br />
दफ अतन ही कभी मोहब्बत हो नहीं जाती|<br />
प्यार की शमा को धीरे-धीरे जलाना है||<br />
<br />
गैर हाज़िर में बसंत भी लगे उजाड़ जिनके|<br />
साथ में मौसम-ए-खिंजा लगे सुहाना है|| शख़्शियत मेरी प्याज-सी बोलो खु…tag:www.openbooksonline.com,2010-09-15:5170231:Comment:198072010-09-15T07:31:23.807ZRana Pratap Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/RanaPratapSingh
शख़्शियत मेरी प्याज-सी बोलो खुल जाएँ अभी<br />
क्या मगर हासिल तुम्हें, मतलब नहीं रुलाना है॥<br />
<br />
क्या बात है ...नकाबपोशी का एक अलग रूप..बेहतरीन
शख़्शियत मेरी प्याज-सी बोलो खुल जाएँ अभी<br />
क्या मगर हासिल तुम्हें, मतलब नहीं रुलाना है॥<br />
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क्या बात है ...नकाबपोशी का एक अलग रूप..बेहतरीन