"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-94 - Open Books Online2024-03-29T07:36:53Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/94-3?xg_source=activity&id=5170231%3ATopic%3A1096998&feed=yes&xn_auth=noआभार मनन जी tag:www.openbooksonline.com,2023-01-31:5170231:Comment:10983952023-01-31T17:05:41.465Zअजय गुप्ता 'अजेयhttp://www.openbooksonline.com/profile/3tuckjroyzywi
<p>आभार मनन जी </p>
<p>आभार मनन जी </p> बहुत शुक्रिया प्रतिभा जी tag:www.openbooksonline.com,2023-01-31:5170231:Comment:10984922023-01-31T17:05:27.330Zअजय गुप्ता 'अजेयhttp://www.openbooksonline.com/profile/3tuckjroyzywi
<p>बहुत शुक्रिया प्रतिभा जी </p>
<p>बहुत शुक्रिया प्रतिभा जी </p> बहुत आभार नयना जी tag:www.openbooksonline.com,2023-01-31:5170231:Comment:10983052023-01-31T17:05:03.879Zअजय गुप्ता 'अजेयhttp://www.openbooksonline.com/profile/3tuckjroyzywi
<p>बहुत आभार नयना जी </p>
<p>बहुत आभार नयना जी </p> प्रकृति के अतिरिक्त दोहन से द…tag:www.openbooksonline.com,2023-01-31:5170231:Comment:10985582023-01-31T15:40:13.638ZManan Kumar singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/MananKumarsingh
<p>प्रकृति के अतिरिक्त दोहन से द्रोह ही जन्मेगा,दुनिया नहीं पनपेगी.........अच्छी लघुकथा हेतु बधाई लीजिए, आदरणीया नयना जी। हां,टंकण जनित त्रुटियां ध्यान आकृष्ट करती हैं।</p>
<p>प्रकृति के अतिरिक्त दोहन से द्रोह ही जन्मेगा,दुनिया नहीं पनपेगी.........अच्छी लघुकथा हेतु बधाई लीजिए, आदरणीया नयना जी। हां,टंकण जनित त्रुटियां ध्यान आकृष्ट करती हैं।</p> विकास को विनाश की ओर बढ़ता दे…tag:www.openbooksonline.com,2023-01-31:5170231:Comment:10983942023-01-31T15:35:33.408ZManan Kumar singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/MananKumarsingh
<p>विकास को विनाश की ओर बढ़ता देख सब डर गए......संदेशपरक लघुकथा हुई है।बधाई लीजिए। हां,भाषागत त्रुटियों,विराम चिन्हों के लोप का निवारण लाजिमी है।</p>
<p>विकास को विनाश की ओर बढ़ता देख सब डर गए......संदेशपरक लघुकथा हुई है।बधाई लीजिए। हां,भाषागत त्रुटियों,विराम चिन्हों के लोप का निवारण लाजिमी है।</p> आपकी स्नेहसिक्त प्रतिक्रिया क…tag:www.openbooksonline.com,2023-01-31:5170231:Comment:10983932023-01-31T15:33:09.425Zpratibha pandehttp://www.openbooksonline.com/profile/pratibhapande
<p>आपकी स्नेहसिक्त प्रतिक्रिया के लिये हार्दिक आभार आदरणीया नयना जी</p>
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<p>आपकी स्नेहसिक्त प्रतिक्रिया के लिये हार्दिक आभार आदरणीया नयना जी</p>
<p></p> आदरणीया कल्पना भट्ट जी,आपका द…tag:www.openbooksonline.com,2023-01-31:5170231:Comment:10984902023-01-31T15:29:51.444ZManan Kumar singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/MananKumarsingh
<p>आदरणीया कल्पना भट्ट जी,आपका दिली आभार।उत्साहवर्धन हेतु भी आभार ग्रहण करें।</p>
<p>आदरणीया कल्पना भट्ट जी,आपका दिली आभार।उत्साहवर्धन हेतु भी आभार ग्रहण करें।</p> धात्री शब्द कितने सारे अर्थ औ…tag:www.openbooksonline.com,2023-01-31:5170231:Comment:10984892023-01-31T15:29:03.802Zpratibha pandehttp://www.openbooksonline.com/profile/pratibhapande
<p>धात्री शब्द कितने सारे अर्थ और प्रतीक लिये हुए है यहाँ। जन्म देने और पालने वाली माँ, प्रकृति। और बच्चे/मनुष्य उसके दोहन के बाद पलटकर उसे क्या देते हैं।कथ्य बहुत प्रभावशाली है,हार्दिक बधाई आदरणीया नयना जी। प्रस्तुतीकरण में थोड़े से और काम की दरकार लग रही है। लंबे अंतराल के बाद आपको इस मंच पर देखना सुखद है। </p>
<p>धात्री शब्द कितने सारे अर्थ और प्रतीक लिये हुए है यहाँ। जन्म देने और पालने वाली माँ, प्रकृति। और बच्चे/मनुष्य उसके दोहन के बाद पलटकर उसे क्या देते हैं।कथ्य बहुत प्रभावशाली है,हार्दिक बधाई आदरणीया नयना जी। प्रस्तुतीकरण में थोड़े से और काम की दरकार लग रही है। लंबे अंतराल के बाद आपको इस मंच पर देखना सुखद है। </p> आपका हार्दिक आभार आदरणीया नयन…tag:www.openbooksonline.com,2023-01-31:5170231:Comment:10984882023-01-31T15:28:37.110ZManan Kumar singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/MananKumarsingh
<p>आपका हार्दिक आभार आदरणीया नयना कानिटकर जी। आपकी स्नेहिल टिप्पणी मेरे लिए प्रेरक है।</p>
<p>आपका हार्दिक आभार आदरणीया नयना कानिटकर जी। आपकी स्नेहिल टिप्पणी मेरे लिए प्रेरक है।</p> प्राकृतिक आपदाओं को लेकर डर अ…tag:www.openbooksonline.com,2023-01-31:5170231:Comment:10983922023-01-31T15:08:38.200Zpratibha pandehttp://www.openbooksonline.com/profile/pratibhapande
<p>प्राकृतिक आपदाओं को लेकर डर अंधविश्वास और कमज्ञान को केन्द्रित करते हुए प्रभावशाली लघुकथा लिखी है आपने। हार्दिक बधाई आदरणीय अजय गुप्ता जी।</p>
<p>प्राकृतिक आपदाओं को लेकर डर अंधविश्वास और कमज्ञान को केन्द्रित करते हुए प्रभावशाली लघुकथा लिखी है आपने। हार्दिक बधाई आदरणीय अजय गुप्ता जी।</p>