"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-93 - Open Books Online2024-03-29T10:45:26Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/93?feed=yes&xn_auth=noधन्यवादtag:www.openbooksonline.com,2018-03-24:5170231:Comment:9211682018-03-24T18:28:04.240ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>धन्यवाद</p>
<p>धन्यवाद</p> आदरणीय समर साहब,
यह लफ्ज़ और फ…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-24:5170231:Comment:9213552018-03-24T18:26:24.982ZAjay Tiwarihttp://www.openbooksonline.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय समर साहब,</p>
<p>यह लफ्ज़ और फिकरे के अरूजी वकफे के अनुरूप व्यवस्थित न होने का दोष है. </p>
<p>वैसे भी बहुत वक्त हो चुका अब इन बातों के लिए ये उपयुक्त समय नहीं है. आप अपनी सेहत का ख्याल रखे. बाते तो फिर होती रहेंगी. शुभ रात्रि!</p>
<p>सादर</p>
<p></p>
<p>आदरणीय समर साहब,</p>
<p>यह लफ्ज़ और फिकरे के अरूजी वकफे के अनुरूप व्यवस्थित न होने का दोष है. </p>
<p>वैसे भी बहुत वक्त हो चुका अब इन बातों के लिए ये उपयुक्त समय नहीं है. आप अपनी सेहत का ख्याल रखे. बाते तो फिर होती रहेंगी. शुभ रात्रि!</p>
<p>सादर</p>
<p></p> ओबीओ लाइव तरही मुशायरा अंक-9…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-24:5170231:Comment:9213542018-03-24T18:25:05.558ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>ओबीओ लाइव तरही मुशायरा अंक-93को सफ़ल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का आभार और धन्यवाद ।</p>
<p>ओबीओ लाइव तरही मुशायरा अंक-93को सफ़ल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का आभार और धन्यवाद ।</p> जनाब हर्ष जी ये क्या है,ये तर…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-24:5170231:Comment:9213532018-03-24T18:18:25.641ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब हर्ष जी ये क्या है,ये तरही मुशायरा है ।</p>
<p>जनाब हर्ष जी ये क्या है,ये तरही मुशायरा है ।</p> वाह आदरणीय समर जी बहुत ही खूब…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-24:5170231:Comment:9213522018-03-24T18:16:15.803ZHarash Mahajanhttp://www.openbooksonline.com/profile/HarashMahajan
वाह आदरणीय समर जी बहुत ही खूब ।दिली दाद सर ।
वाह आदरणीय समर जी बहुत ही खूब ।दिली दाद सर । अपनी ही ख़ता पर हो परिशां,
जो…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-24:5170231:Comment:9212532018-03-24T18:13:20.593ZHarash Mahajanhttp://www.openbooksonline.com/profile/HarashMahajan
अपनी ही ख़ता पर हो परिशां,<br />
जो दिल पे लगा कर रोते हैं,<br />
वो लोग इमां के सच्चे हैं<br />
पर चैन से यारो सोते हैं ।<br />
<br />
होता है फिदा दिल उनका भी,<br />
धनवान भी मन के होते हैं,<br />
होती है अदाएँ अल्लड़सी,<br />
दिल भंवरों से ही होते हैं ।<br />
<br />
अब घुट ही न जाये दम उनका<br />
इन ग़ैर सी दिखती राहों में,<br />
जो कीमती लम्हों को अपने<br />
फुटपाथ पे सोकर खोते हैं ।<br />
<br />
अब छोड़ के कैसे जाएं वो,<br />
इन कीमती रिश्तों की खातिर,<br />
जो रोज़ बिताएं सड़कों पर<br />
खुशियों के पल जो बोते हैं ।<br />
<br />
बर्बाद हुए गुलशन इनके,<br />
हर वक़्त गुनाहों के सदके,<br />
पर्दा जो उठे है कर्मों का<br />
फिर अश्क़…
अपनी ही ख़ता पर हो परिशां,<br />
जो दिल पे लगा कर रोते हैं,<br />
वो लोग इमां के सच्चे हैं<br />
पर चैन से यारो सोते हैं ।<br />
<br />
होता है फिदा दिल उनका भी,<br />
धनवान भी मन के होते हैं,<br />
होती है अदाएँ अल्लड़सी,<br />
दिल भंवरों से ही होते हैं ।<br />
<br />
अब घुट ही न जाये दम उनका<br />
इन ग़ैर सी दिखती राहों में,<br />
जो कीमती लम्हों को अपने<br />
फुटपाथ पे सोकर खोते हैं ।<br />
<br />
अब छोड़ के कैसे जाएं वो,<br />
इन कीमती रिश्तों की खातिर,<br />
जो रोज़ बिताएं सड़कों पर<br />
खुशियों के पल जो बोते हैं ।<br />
<br />
बर्बाद हुए गुलशन इनके,<br />
हर वक़्त गुनाहों के सदके,<br />
पर्दा जो उठे है कर्मों का<br />
फिर अश्क़ बहाकर धोते हैं ।<br />
<br />
मौलिक व अप्रकाशित आदरणीय मनन जी, ग़ज़ल के लिए हार…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-24:5170231:Comment:9210882018-03-24T18:12:43.177ZAjay Tiwarihttp://www.openbooksonline.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय मनन जी, ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई. </p>
<p></p>
<p>आदरणीय मनन जी, ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई. </p>
<p></p> आदरणीय नवीन जी, खूबसूरत ग़ज़ल ह…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-24:5170231:Comment:9212522018-03-24T18:10:19.667ZAjay Tiwarihttp://www.openbooksonline.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय नवीन जी, खूबसूरत ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई .</p>
<p>आदरणीय नवीन जी, खूबसूरत ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई .</p> बहुत बहुत शुक्रिया जनाब अजय त…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-24:5170231:Comment:9211672018-03-24T18:08:41.863ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>बहुत बहुत शुक्रिया जनाब अजय तिवारी साहिब ।</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया जनाब अजय तिवारी साहिब ।</p> आदरणीय समर साहब, उम्दा ग़ज़ल हु…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-24:5170231:Comment:9213512018-03-24T18:06:23.480ZAjay Tiwarihttp://www.openbooksonline.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय समर साहब, उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई.</p>
<p>आदरणीय समर साहब, उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई.</p>