"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-81 (विषय: विश्वास) - Open Books Online2024-03-28T20:37:26Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/81-4?id=5170231%3ATopic%3A1074980&feed=yes&xn_auth=noआ. भाई शेखशहजाद जी, अच्छी लघु…tag:www.openbooksonline.com,2021-12-31:5170231:Comment:10764152021-12-31T17:03:50.851Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई शेखशहजाद जी, अच्छी लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई शेखशहजाद जी, अच्छी लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।</p> आदाब। रचना पटल पर समय देकर त्…tag:www.openbooksonline.com,2021-12-31:5170231:Comment:10763532021-12-31T13:29:32.797ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
आदाब। रचना पटल पर समय देकर त्वरित महत्वपूर्ण टिप्पणी हेतु शुक्रिया आदरणीय सर जी। जी, सही शब्द पकड़े आपने। लेकिन मेरे विचार से केवल उस वाक्यांश के बजाय सान्ता जी के सम्पूर्ण संवाद पर.ग़ौर करें, तो उन्होंने नेताजी के शब्द पकड़कर उनकी बात पर अपनी बात व अपना अगला संवाद बोला है। अतः मेरे विचार से संवाद में.विरोधाभास नहीं होना चाहिए। नेताजी के शब्द और सान्ता जी के शब्द प्रयोग में भाव भिन्न हैं। सादर। फ़िर भी यदि वैसा विरोधाभास लगे, तो कोई वैकल्पिक वाक्यांश सुझाइयेगा सुस्पष्टता हेतु।
आदाब। रचना पटल पर समय देकर त्वरित महत्वपूर्ण टिप्पणी हेतु शुक्रिया आदरणीय सर जी। जी, सही शब्द पकड़े आपने। लेकिन मेरे विचार से केवल उस वाक्यांश के बजाय सान्ता जी के सम्पूर्ण संवाद पर.ग़ौर करें, तो उन्होंने नेताजी के शब्द पकड़कर उनकी बात पर अपनी बात व अपना अगला संवाद बोला है। अतः मेरे विचार से संवाद में.विरोधाभास नहीं होना चाहिए। नेताजी के शब्द और सान्ता जी के शब्द प्रयोग में भाव भिन्न हैं। सादर। फ़िर भी यदि वैसा विरोधाभास लगे, तो कोई वैकल्पिक वाक्यांश सुझाइयेगा सुस्पष्टता हेतु। बहुत उत्कृष्ठ लघुकथा प्रतिभा…tag:www.openbooksonline.com,2021-12-31:5170231:Comment:10763062021-12-31T13:21:47.098Zनयना(आरती)कानिटकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/NayanaAratiKanitkar
<p>बहुत उत्कृष्ठ लघुकथा प्रतिभा जी. कहने को आप ने कुछ छोडा ही नही.<br/>बहुत बहुत बधाइ</p>
<p>बहुत उत्कृष्ठ लघुकथा प्रतिभा जी. कहने को आप ने कुछ छोडा ही नही.<br/>बहुत बहुत बधाइ</p> आदरणीय योगराज भाइ
सादर अभिवा…tag:www.openbooksonline.com,2021-12-31:5170231:Comment:10763522021-12-31T13:19:17.889Zनयना(आरती)कानिटकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/NayanaAratiKanitkar
<p>आदरणीय योगराज भाइ </p>
<p>सादर अभिवादन। लंबे अर्से के बाद आयोजन में आपकी उपस्थिति ने मुझे व्यव्सायिक व्यतता (आज अन्तिम तिथी) मे भी लिखने को प्रेरित किया और थोडा स समय चुराकर मै रचना लिख गयी. निसन्देह ये अभी बहुत काम और सम्पादन, वर्तनी सुधार मांगती है. मै जल्द ही इन सब त्रुटियों मे सुधर करती हू.<br/>उत्सह वर्धन के लिये आपका धन्यवाद </p>
<p>आदरणीय योगराज भाइ </p>
<p>सादर अभिवादन। लंबे अर्से के बाद आयोजन में आपकी उपस्थिति ने मुझे व्यव्सायिक व्यतता (आज अन्तिम तिथी) मे भी लिखने को प्रेरित किया और थोडा स समय चुराकर मै रचना लिख गयी. निसन्देह ये अभी बहुत काम और सम्पादन, वर्तनी सुधार मांगती है. मै जल्द ही इन सब त्रुटियों मे सुधर करती हू.<br/>उत्सह वर्धन के लिये आपका धन्यवाद </p> मोहतरमा प्रतिभा साहिबा, लघुकथ…tag:www.openbooksonline.com,2021-12-31:5170231:Comment:10761832021-12-31T13:09:32.482ZTasdiq Ahmed Khanhttp://www.openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>मोहतरमा प्रतिभा साहिबा, लघुकथा पसंद करने और आपकी इस हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया </p>
<p>मोहतरमा प्रतिभा साहिबा, लघुकथा पसंद करने और आपकी इस हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया </p> जनाब शेख शहजाद साहिब आ दाब, ल…tag:www.openbooksonline.com,2021-12-31:5170231:Comment:10761822021-12-31T13:08:13.068ZTasdiq Ahmed Khanhttp://www.openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>जनाब शेख शहजाद साहिब आ दाब, लघुकथा पसंद करने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया </p>
<p>जनाब शेख शहजाद साहिब आ दाब, लघुकथा पसंद करने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया </p> सुंदर सार्थक और विषय को सफलता…tag:www.openbooksonline.com,2021-12-31:5170231:Comment:10763032021-12-31T12:30:39.739Zpratibha pandehttp://www.openbooksonline.com/profile/pratibhapande
<p>सुंदर सार्थक और विषय को सफलता से परिभाषित करती इस लघुकथा के लिये हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक एहमद खान जी। </p>
<p>सुंदर सार्थक और विषय को सफलता से परिभाषित करती इस लघुकथा के लिये हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक एहमद खान जी। </p> इंडवा का प्रतीक लेकर विषय को…tag:www.openbooksonline.com,2021-12-31:5170231:Comment:10763022021-12-31T12:26:22.554Zpratibha pandehttp://www.openbooksonline.com/profile/pratibhapande
<p>इंडवा का प्रतीक लेकर विषय को सफलता से परिभाषित किया है आपने।हार्दिक बधाई। थोड़ी कसावट से कथ्य और उभर आयगा</p>
<p>इंडवा का प्रतीक लेकर विषय को सफलता से परिभाषित किया है आपने।हार्दिक बधाई। थोड़ी कसावट से कथ्य और उभर आयगा</p> मेरे कहे को मान देने के लिए ह…tag:www.openbooksonline.com,2021-12-31:5170231:Comment:10764142021-12-31T12:04:27.936Zयोगराज प्रभाकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
<p>मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार आ० मनन कुमार सिंह जी.</p>
<p>मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार आ० मनन कुमार सिंह जी.</p> //सान्ता जी मुस्कराने लगे। ने…tag:www.openbooksonline.com,2021-12-31:5170231:Comment:10763512021-12-31T12:02:40.167Zयोगराज प्रभाकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
<p><span>//सान्ता जी मुस्कराने लगे। नेताजी से बोले, "ज़रा उधर भी देखिएगा! वे जवाँ लड़कियाँ भी <strong>अलग-अलग धर्मों की हैं.</strong>.. फ़िर भी आज की शाम ख़ुशी शेअर कर रही हैं!"//</span></p>
<p><span>.</span></p>
<p><span>//नेताजी की बात पर सान्ता जी ने कहा, "<strong>तुम्हें धर्म और सान्ता नज़र आते हैं</strong> प्रिय; मुझे प्रेम और भाईचारे पर विश्वास नज़र आता है।"//<br></br></span></p>
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<p><span>दोनी संवादों में विरोधाभास है भाई उस्मानी जी, अगर नेता जी ने धर्म की बात की तो सांता ने भी तो पहले…</span></p>
<p><span>//सान्ता जी मुस्कराने लगे। नेताजी से बोले, "ज़रा उधर भी देखिएगा! वे जवाँ लड़कियाँ भी <strong>अलग-अलग धर्मों की हैं.</strong>.. फ़िर भी आज की शाम ख़ुशी शेअर कर रही हैं!"//</span></p>
<p><span>.</span></p>
<p><span>//नेताजी की बात पर सान्ता जी ने कहा, "<strong>तुम्हें धर्म और सान्ता नज़र आते हैं</strong> प्रिय; मुझे प्रेम और भाईचारे पर विश्वास नज़र आता है।"//<br/></span></p>
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<p><span>दोनी संवादों में विरोधाभास है भाई उस्मानी जी, अगर नेता जी ने धर्म की बात की तो सांता ने भी तो पहले संवाद में वही किया.</span></p>
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