"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-80 (विषय: आकर्षण) - Open Books Online2024-03-28T13:37:16Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/80-3?commentId=5170231%3AComment%3A1074144&xg_source=activity&feed=yes&xn_auth=noआभार आ.उस्मानी जी।tag:www.openbooksonline.com,2021-11-30:5170231:Comment:10742452021-11-30T16:58:05.764ZManan Kumar singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/MananKumarsingh
<p>आभार आ.उस्मानी जी।</p>
<p>आभार आ.उस्मानी जी।</p> आदाब। रचना पर अपनी राय साझा क…tag:www.openbooksonline.com,2021-11-30:5170231:Comment:10742432021-11-30T15:34:32.524ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। रचना पर अपनी राय साझा कर लेखक को प्रोत्साहित करने हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय श्री तेजवीर सिंह जी। सुझाव भी दिया कीजिए कमियाँ दूर करने हेतु।</p>
<p>आदाब। रचना पर अपनी राय साझा कर लेखक को प्रोत्साहित करने हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय श्री तेजवीर सिंह जी। सुझाव भी दिया कीजिए कमियाँ दूर करने हेतु।</p> सादर नमस्कार। आपकी शैली की इन…tag:www.openbooksonline.com,2021-11-30:5170231:Comment:10742412021-11-30T15:22:16.930ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>सादर नमस्कार। आपकी शैली की इन रचनाओं से लघुकथागत बहुत सी खामियों का संज्ञान स्वतः होता रहता है। आकर्षण को बढ़िया आयाम दिया है आपने। हार्दिक बधाई आदरणीय चेतन प्रकाश जी।</p>
<p>सादर नमस्कार। आपकी शैली की इन रचनाओं से लघुकथागत बहुत सी खामियों का संज्ञान स्वतः होता रहता है। आकर्षण को बढ़िया आयाम दिया है आपने। हार्दिक बधाई आदरणीय चेतन प्रकाश जी।</p> आदाब। वाह... एक कथ्य से कई नि…tag:www.openbooksonline.com,2021-11-30:5170231:Comment:10741012021-11-30T15:19:47.282ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। वाह... एक कथ्य से कई निशाने। आपकी विशिष्ट शैली व शिल्प में.बेहतरीन बिम्बों में दिलचस्प, किंतु गंभीर प्रतीकात्मक लघुकथा। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। शीर्षक भी प्रतीकात्मक हो सकता था।</p>
<p>आदाब। वाह... एक कथ्य से कई निशाने। आपकी विशिष्ट शैली व शिल्प में.बेहतरीन बिम्बों में दिलचस्प, किंतु गंभीर प्रतीकात्मक लघुकथा। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। शीर्षक भी प्रतीकात्मक हो सकता था।</p> आभार आ. लक्ष्मण जी।tag:www.openbooksonline.com,2021-11-30:5170231:Comment:10742402021-11-30T14:31:09.660ZManan Kumar singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/MananKumarsingh
<p>आभार आ. लक्ष्मण जी।</p>
<p>आभार आ. लक्ष्मण जी।</p> जनाब तेज वीर साहिब, आपकी इस ह…tag:www.openbooksonline.com,2021-11-30:5170231:Comment:10741652021-11-30T14:07:24.784ZTasdiq Ahmed Khanhttp://www.openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>जनाब तेज वीर साहिब, आपकी इस हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया </p>
<p>जनाब तेज वीर साहिब, आपकी इस हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया </p> चुनाव
सरकारी नौकर…tag:www.openbooksonline.com,2021-11-30:5170231:Comment:10740982021-11-30T13:57:54.698ZChetan Prakashhttp://www.openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
<p> चुनाव </p>
<p>सरकारी नौकरी ...... पक्की .. समयबद्ध प्रोन्नति... एक बार घुस जाएं आप किसी विभाग में ...आजीवन मस्ती...सेवानिवृत्त होने पर पैंशन जीवित रहते स्वयं...मरणोपरांत नामित !</p>
<p>प्राइवेट / किसी कम्पनी में नियुक्ति...केवल योग्यता..स्थायी फिर भी कच्ची..प्रोन्नति ..कार्य के प्रति समर्पण लेकिन अपेक्षाकृत बहुत शीघ्र..एक दशक हुआ नहीं आप शीर्ष पर ...</p>
<p>अभिषेक बी टेक ( पेट्रोलियम ) ओ. एन.जी.सी. और गैर सरकारी रिलायंस इंडिया दोनों ही के नियुक्ति पत्र सप्ताह समाप्त…</p>
<p> चुनाव </p>
<p>सरकारी नौकरी ...... पक्की .. समयबद्ध प्रोन्नति... एक बार घुस जाएं आप किसी विभाग में ...आजीवन मस्ती...सेवानिवृत्त होने पर पैंशन जीवित रहते स्वयं...मरणोपरांत नामित !</p>
<p>प्राइवेट / किसी कम्पनी में नियुक्ति...केवल योग्यता..स्थायी फिर भी कच्ची..प्रोन्नति ..कार्य के प्रति समर्पण लेकिन अपेक्षाकृत बहुत शीघ्र..एक दशक हुआ नहीं आप शीर्ष पर ...</p>
<p>अभिषेक बी टेक ( पेट्रोलियम ) ओ. एन.जी.सी. और गैर सरकारी रिलायंस इंडिया दोनों ही के नियुक्ति पत्र सप्ताह समाप्त होते प्राप्त कर चुका था !</p>
<p>माता पिता ओ.एन.जी.सी. लेकिन वह और उसके मित्र रिलायंस इंडिया के पक्ष में थे। माता पिता का मानना भी सही था क्योंकि अभिषेक की दो बहने अभी कुंवारी थी और पिता सेवानिवृत्त हो चुके थे ।</p>
<p>कल सुबह ज्वाईन करना था। रात भर द्वन्द रहा । सुबह सरकारी नौकरी ज्वाईन कर ली ।</p>
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<p></p>
<p>मौलिक व अप्रकाशित </p> आ. भाई मनन कुमार जी, सादर अभि…tag:www.openbooksonline.com,2021-11-30:5170231:Comment:10741622021-11-30T12:55:36.727Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई मनन कुमार जी, सादर अभिवादन। विषयानुसार सुन्दर लघुकथा हुई है । हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई मनन कुमार जी, सादर अभिवादन। विषयानुसार सुन्दर लघुकथा हुई है । हार्दिक बधाई।</p> हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक़ अ…tag:www.openbooksonline.com,2021-11-30:5170231:Comment:10741612021-11-30T10:29:09.791ZTEJ VEER SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक़ अहमद खान साहेब जी। आप लघुकथा के मर्म तक पहुँच पाये।बहुत बहुत शुक्रिया।</p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक़ अहमद खान साहेब जी। आप लघुकथा के मर्म तक पहुँच पाये।बहुत बहुत शुक्रिया।</p> हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़…tag:www.openbooksonline.com,2021-11-30:5170231:Comment:10742372021-11-30T10:26:48.308ZTEJ VEER SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद जी।</p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद जी।</p>