"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-76 - Open Books Online2024-03-28T21:53:08Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/76-4?commentId=5170231%3AComment%3A1065302&feed=yes&xn_auth=noआप बंधु, अभी भी असत्य भाषण कर…tag:www.openbooksonline.com,2021-07-31:5170231:Comment:10656262021-07-31T17:57:28.417ZChetan Prakashhttp://www.openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
<p>आप बंधु, अभी भी असत्य भाषण कर रहे है, धातु त्यज् है और इसमें कत्वा प्रत्यय लगा है! </p>
<p>आप बंधु, अभी भी असत्य भाषण कर रहे है, धातु त्यज् है और इसमें कत्वा प्रत्यय लगा है! </p> हार्दिक बधाई आदरणीय बबीता जी।…tag:www.openbooksonline.com,2021-07-31:5170231:Comment:10656242021-07-31T12:38:49.565ZTEJ VEER SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय बबीता जी। अच्छा प्रयास।</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय बबीता जी। अच्छा प्रयास।</p> हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार…tag:www.openbooksonline.com,2021-07-31:5170231:Comment:10655482021-07-31T12:36:52.672ZTEJ VEER SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार जी।सुन्दर रचना।</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार जी।सुन्दर रचना।</p> हार्दिक आभार आदरणीय मनन कुमार…tag:www.openbooksonline.com,2021-07-31:5170231:Comment:10656232021-07-31T12:34:17.400ZTEJ VEER SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक आभार आदरणीय मनन कुमार जी।</p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय मनन कुमार जी।</p> हर्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धा…tag:www.openbooksonline.com,2021-07-31:5170231:Comment:10656222021-07-31T12:33:22.138ZTEJ VEER SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हर्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी "मुसफ़िर" जी। मुझे बहुत खुशी है कि आप लघुकथा के मर्म तक पहुंचे।</p>
<p>हर्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी "मुसफ़िर" जी। मुझे बहुत खुशी है कि आप लघुकथा के मर्म तक पहुंचे।</p> टंकण जनित त्रुटियां भी होती ह…tag:www.openbooksonline.com,2021-07-31:5170231:Comment:10654532021-07-31T11:37:51.306ZManan Kumar singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/MananKumarsingh
<p>टंकण जनित त्रुटियां भी होती हैं।ध्यान दिलाने के लिए शुक्रिया। हां,बात त्यक्त और और परित्यक्त पर अटकी थी।उम्मीद है अब स्पष्टता आ गई होगी।</p>
<p>टंकण जनित त्रुटियां भी होती हैं।ध्यान दिलाने के लिए शुक्रिया। हां,बात त्यक्त और और परित्यक्त पर अटकी थी।उम्मीद है अब स्पष्टता आ गई होगी।</p> आ.तेजवीर भाई जी,लघुकथा के लिए…tag:www.openbooksonline.com,2021-07-31:5170231:Comment:10655462021-07-31T11:30:20.321ZManan Kumar singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/MananKumarsingh
<p>आ.तेजवीर भाई जी,लघुकथा के लिए बधाई लीजिए।</p>
<p>आ.तेजवीर भाई जी,लघुकथा के लिए बधाई लीजिए।</p> गोष्ठी में सहभागिता के लिए बध…tag:www.openbooksonline.com,2021-07-31:5170231:Comment:10655442021-07-31T11:29:07.067ZManan Kumar singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/MananKumarsingh
<p>गोष्ठी में सहभागिता के लिए बधाई।शेष कहा जा चुका है।गौर करें।</p>
<p>गोष्ठी में सहभागिता के लिए बधाई।शेष कहा जा चुका है।गौर करें।</p> आदाब, मनन कुमार सिंह ईशावास्य…tag:www.openbooksonline.com,2021-07-31:5170231:Comment:10654522021-07-31T11:10:47.435ZChetan Prakashhttp://www.openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
<p>आदाब, मनन कुमार सिंह ईशावास्य उपनिषद का सूत्र " तेन त्यक्तेन भुंजीथा:" है । हाँ, श्री जी ने पढ़ा है, न कि ग़लत, 'त्यक्तेन भुक्तवा' जो आप बता रहे हैं , इस से स्वयंसिद्ध है कि आपकी मान्यता मनगढ़ंत है !</p>
<p>आदाब, मनन कुमार सिंह ईशावास्य उपनिषद का सूत्र " तेन त्यक्तेन भुंजीथा:" है । हाँ, श्री जी ने पढ़ा है, न कि ग़लत, 'त्यक्तेन भुक्तवा' जो आप बता रहे हैं , इस से स्वयंसिद्ध है कि आपकी मान्यता मनगढ़ंत है !</p> आदरणीय, मनन कुमार सिंह, नमस…tag:www.openbooksonline.com,2021-07-31:5170231:Comment:10656212021-07-31T10:47:05.989ZChetan Prakashhttp://www.openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
<p>आदरणीय, मनन कुमार सिंह, नमस्कार, भाई ! मैंने आदरणीय भाई लक्ष्मण सिंह मुसाफिर साहब को जो बताया, बंधुवर, वो आपको भी एतद्वारा निवेदित हो, पढ़ लें । हाँ, इतना जरूर कहूँगा , रचना का सम्पादन शेष है जो समारोह की समाप्त हो जाने पर मैं स्वयं निश्चित रूप से करूँगा और आप फिर मुझे बताएं, दोष चिह्नित करे, आपका स्वागत है, जनाब ! सादर </p>
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<p>आदरणीय, मनन कुमार सिंह, नमस्कार, भाई ! मैंने आदरणीय भाई लक्ष्मण सिंह मुसाफिर साहब को जो बताया, बंधुवर, वो आपको भी एतद्वारा निवेदित हो, पढ़ लें । हाँ, इतना जरूर कहूँगा , रचना का सम्पादन शेष है जो समारोह की समाप्त हो जाने पर मैं स्वयं निश्चित रूप से करूँगा और आप फिर मुझे बताएं, दोष चिह्नित करे, आपका स्वागत है, जनाब ! सादर </p>
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