"ओ बी ओ लाइव महाउत्सव" अंक-54 - Open Books Online2024-03-29T10:26:05Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/54-2?id=5170231%3ATopic%3A638644&feed=yes&xn_auth=noसबको शुभरात्रि .tag:www.openbooksonline.com,2015-04-11:5170231:Comment:6413232015-04-11T18:26:37.396Zrajesh kumarihttp://www.openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>सबको शुभरात्रि .</p>
<p>सबको शुभरात्रि .</p> वाह ......झूठ की नगरी में सच…tag:www.openbooksonline.com,2015-04-11:5170231:Comment:6410762015-04-11T18:26:30.335Zकेवल प्रसाद 'सत्यम'http://www.openbooksonline.com/profile/kewalprasad
<p>वाह ......<span>झूठ की नगरी में सच खुद से कहे</span><br/><span>ज़िन्दा रहना भी जलालत हो गई.....बहुत सुंदर बधाई हो!... आ0 दिनेश भाई</span></p>
<p>वाह ......<span>झूठ की नगरी में सच खुद से कहे</span><br/><span>ज़िन्दा रहना भी जलालत हो गई.....बहुत सुंदर बधाई हो!... आ0 दिनेश भाई</span></p> सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई आद…tag:www.openbooksonline.com,2015-04-11:5170231:Comment:6411612015-04-11T18:25:42.711Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई आदरणीय प्रसाद जी
सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई आदरणीय प्रसाद जी आ० आप अब दोहे कुण्डलिया बहुत…tag:www.openbooksonline.com,2015-04-11:5170231:Comment:6412612015-04-11T18:24:17.654Zrajesh kumarihttp://www.openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>आ० आप अब दोहे कुण्डलिया बहुत अच्छी शानदार लिखने लगे हैं इस लिए आपसे अपेक्षाएं भी बढ़ गई हैं .</p>
<p>रखे सके व्यवहार, ह्रदय जिसका संतोषी ||---रख सकें हृदय करलें टंकण त्रुटी है </p>
<p>बहुत बहुत बधाई आदरणीय लक्ष्मण लडिवाला जी </p>
<p>आ० आप अब दोहे कुण्डलिया बहुत अच्छी शानदार लिखने लगे हैं इस लिए आपसे अपेक्षाएं भी बढ़ गई हैं .</p>
<p>रखे सके व्यवहार, ह्रदय जिसका संतोषी ||---रख सकें हृदय करलें टंकण त्रुटी है </p>
<p>बहुत बहुत बधाई आदरणीय लक्ष्मण लडिवाला जी </p> व्यवहार को साधने की राह दिखात…tag:www.openbooksonline.com,2015-04-11:5170231:Comment:6411602015-04-11T18:23:43.774ZDr.Prachi Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>व्यवहार को साधने की राह दिखाता सुन्दर गीत हुआ है आ० मिथिलेश जी </p>
<p>दंग हूँ आपकी एक ही विषय पर विविधता लिए हुए इतनी ऊर्जस्वी प्रस्तुतियां देख कर... सच में महोत्सव का पूरा लुत्फ़ उठा रहे हैं आप... और ये देख कर आनंद आ रहा है.</p>
<p>शुभकामनाएं </p>
<p>व्यवहार को साधने की राह दिखाता सुन्दर गीत हुआ है आ० मिथिलेश जी </p>
<p>दंग हूँ आपकी एक ही विषय पर विविधता लिए हुए इतनी ऊर्जस्वी प्रस्तुतियां देख कर... सच में महोत्सव का पूरा लुत्फ़ उठा रहे हैं आप... और ये देख कर आनंद आ रहा है.</p>
<p>शुभकामनाएं </p> अच्छी प्रस्तुति हुई है केवल प…tag:www.openbooksonline.com,2015-04-11:5170231:Comment:6413212015-04-11T18:20:26.211Zrajesh kumarihttp://www.openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>अच्छी प्रस्तुति हुई है केवल प्रसाद जी ,बहुत बहुत बधाई </p>
<p>अच्छी प्रस्तुति हुई है केवल प्रसाद जी ,बहुत बहुत बधाई </p> बहुत शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण…tag:www.openbooksonline.com,2015-04-11:5170231:Comment:6413202015-04-11T18:18:54.361Zदिनेश कुमारhttp://www.openbooksonline.com/profile/0bbsmwu5qzvln
बहुत शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी।
बहुत शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी। बहुत शुक्रिया आदरणीय सौरभ सर…tag:www.openbooksonline.com,2015-04-11:5170231:Comment:6412602015-04-11T18:18:08.190Zदिनेश कुमारhttp://www.openbooksonline.com/profile/0bbsmwu5qzvln
बहुत शुक्रिया आदरणीय सौरभ सर जी।
बहुत शुक्रिया आदरणीय सौरभ सर जी। भाई केवल प्रसादजी, आयोजन में…tag:www.openbooksonline.com,2015-04-11:5170231:Comment:6412582015-04-11T18:18:07.260ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>भाई केवल प्रसादजी, आयोजन में एक अरसे बाद आपकी उपस्थिति बनी है. आपकी सहभागिता हेतु हार्दिक शुभकामनाएँ. <br/><br/></p>
<p>भाई केवल प्रसादजी, आयोजन में एक अरसे बाद आपकी उपस्थिति बनी है. आपकी सहभागिता हेतु हार्दिक शुभकामनाएँ. <br/><br/></p> 'व्यवहार' विषय पर अपने मन की…tag:www.openbooksonline.com,2015-04-11:5170231:Comment:6411592015-04-11T18:17:21.184ZDr.Prachi Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>'व्यवहार' विषय पर अपने मन की बात को मीन संज्ञात्मक बिम्ब से करते चलते हुए, प्रिया से नेह का प्रत्युत्तर पाने का सुन्दर प्रयास हुआ है </p>
<p>शिल्प और कथ्य अभी और भी बहुत प्रयास मांगते हैं... इस सुन्दर प्रयास पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएं आ० मनन कुमार सिंह जी </p>
<p>'व्यवहार' विषय पर अपने मन की बात को मीन संज्ञात्मक बिम्ब से करते चलते हुए, प्रिया से नेह का प्रत्युत्तर पाने का सुन्दर प्रयास हुआ है </p>
<p>शिल्प और कथ्य अभी और भी बहुत प्रयास मांगते हैं... इस सुन्दर प्रयास पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएं आ० मनन कुमार सिंह जी </p>