गजल (भोजपुरी) // -सौरभ - Open Books Online2024-03-28T12:31:50Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:977185?groupUrl=bhojpuri_sahitya&commentId=5170231%3AComment%3A978344&groupId=5170231%3AGroup%3A2833&feed=yes&xn_auth=noसादर प्रणाम आदरणीय जनाब सोरभ…tag:www.openbooksonline.com,2021-02-25:5170231:Comment:10549032021-02-25T03:35:00.827ZAazi Tamaamhttp://www.openbooksonline.com/profile/AaziTamaa
<ul>
<li>सादर प्रणाम आदरणीय जनाब सोरभ पांडेय जी</li>
<li>बेहद खूबसूरत ग़ज़ल है</li>
<li>ऊपर से भोजपुरी भाषा का तड़का मज़ा आ गया</li>
<li>धन्यवाद</li>
</ul>
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<li>सादर प्रणाम आदरणीय जनाब सोरभ पांडेय जी</li>
<li>बेहद खूबसूरत ग़ज़ल है</li>
<li>ऊपर से भोजपुरी भाषा का तड़का मज़ा आ गया</li>
<li>धन्यवाद</li>
</ul> आदरणीय लक्ष्मण भाई जी, यह आपक…tag:www.openbooksonline.com,2020-08-08:5170231:Comment:10145682020-08-08T09:20:42.865ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय लक्ष्मण भाई जी, यह आपकी सदाशयता ही नहीं, आपके साहित्यानुराग का ज्वाज्वल्यमान उदाहरण है कि भोजपुरी भाषी न होते हुए भी आपने रचना पर न केवल उचित समय दिया, बल्कि उदारमना बधाई भी दी. मैं आपके उत्साहवर्द्धन पर हृदयतल से आभारी हूँ. </p>
<p>सादर </p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण भाई जी, यह आपकी सदाशयता ही नहीं, आपके साहित्यानुराग का ज्वाज्वल्यमान उदाहरण है कि भोजपुरी भाषी न होते हुए भी आपने रचना पर न केवल उचित समय दिया, बल्कि उदारमना बधाई भी दी. मैं आपके उत्साहवर्द्धन पर हृदयतल से आभारी हूँ. </p>
<p>सादर </p> आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन…tag:www.openbooksonline.com,2020-08-07:5170231:Comment:10144822020-08-07T06:58:55.355Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन । भाषा के लिहाज से गजल को समझने में थोड़ी सी दिक्कत तो हुई पर मन प्रफुल्लित हो गया । इस स्थानीय भाषा की बेहतरीन गजल के लिए ढेरों बधाइयाँ ।</p>
<p>आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन । भाषा के लिहाज से गजल को समझने में थोड़ी सी दिक्कत तो हुई पर मन प्रफुल्लित हो गया । इस स्थानीय भाषा की बेहतरीन गजल के लिए ढेरों बधाइयाँ ।</p> अनन्य भाई पंकज कुमार मिश्रा…tag:www.openbooksonline.com,2019-03-14:5170231:Comment:9783442019-03-14T11:14:18.168ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p></p>
<p>अनन्य भाई पंकज कुमार मिश्रा जी, आपकी उत्साहवर्द्धक टिप्पणी पर समयानुसार धन्यवाद ज्ञापित न कर पाया इसका मुझे हार्दिक खेद है. मैं इधर न केवल दौरे पर था, बल्कि, वित्तीय वर्ष के समापन माह होने कारण अत्यंत व्यस्त भी हूँ. </p>
<p>लेकिन, भाई आपकी दृष्टि इस रचना पर पडी, यही इस रचना का सौभाग्य है. </p>
<p>हार्दिक धन्यवाद </p>
<p></p>
<p></p>
<p>अनन्य भाई पंकज कुमार मिश्रा जी, आपकी उत्साहवर्द्धक टिप्पणी पर समयानुसार धन्यवाद ज्ञापित न कर पाया इसका मुझे हार्दिक खेद है. मैं इधर न केवल दौरे पर था, बल्कि, वित्तीय वर्ष के समापन माह होने कारण अत्यंत व्यस्त भी हूँ. </p>
<p>लेकिन, भाई आपकी दृष्टि इस रचना पर पडी, यही इस रचना का सौभाग्य है. </p>
<p>हार्दिक धन्यवाद </p>
<p></p> मत्ला------बौद्धिक-चाटुकारों…tag:www.openbooksonline.com,2019-03-03:5170231:Comment:9773262019-03-03T17:02:47.545ZPankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"http://www.openbooksonline.com/profile/PankajKumarMishraVatsyayan
मत्ला------बौद्धिक-चाटुकारों के संदर्भ में सटीक बैठ रहा।<br />
<br />
जुगाड़ और सियासत का तो साथ चोली-दामन का है..शेर सत्य उद्घाटित कर रहा<br />
<br />
जब कुआँ ही प्यासा है तो प्यासे का क्या?<br />
<br />
किस किस शेर पर टिप्पणी करूँ.... उस लायक भी तो नहीं हूँ......एक अर्थपूर्ण शब्द-धनी ग़ज़ल है<br />
<br />
एक बार फिर से प्रणाम<br />
<br />
और भक्त का भावलीन हो जाना, आराध्य में खो जाना...इस बात को कितनी सहजता से आप कह गए हैं...सीख रहा हूँ मैं
मत्ला------बौद्धिक-चाटुकारों के संदर्भ में सटीक बैठ रहा।<br />
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जुगाड़ और सियासत का तो साथ चोली-दामन का है..शेर सत्य उद्घाटित कर रहा<br />
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जब कुआँ ही प्यासा है तो प्यासे का क्या?<br />
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किस किस शेर पर टिप्पणी करूँ.... उस लायक भी तो नहीं हूँ......एक अर्थपूर्ण शब्द-धनी ग़ज़ल है<br />
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एक बार फिर से प्रणाम<br />
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और भक्त का भावलीन हो जाना, आराध्य में खो जाना...इस बात को कितनी सहजता से आप कह गए हैं...सीख रहा हूँ मैं