ग़ज़ल-संक्षिप्त आधार जानकारी-2 - Open Books Online2024-03-28T18:27:55Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:60056?groupUrl=kaksha&commentId=5170231%3AComment%3A62721&x=1&feed=yes&xn_auth=notag:www.openbooksonline.com,2018-11-17:5170231:Comment:9611782018-11-17T05:02:13.167Zविनोद 'निर्भय'http://www.openbooksonline.com/profile/VinodNirbhay
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<p></p> अगला आलेख अभी तैयार नहीं हो प…tag:www.openbooksonline.com,2011-03-20:5170231:Comment:627212011-03-20T18:33:21.437ZTilak Raj Kapoorhttp://www.openbooksonline.com/profile/TilakRajKapoor
<p>अगला आलेख अभी तैयार नहीं हो पाया है, होली अवकाश का लाभ ले रहा हूँ। तैयार होते ही एक दो दिन में लगाता हूँ।</p>
<p>अगला आलेख अभी तैयार नहीं हो पाया है, होली अवकाश का लाभ ले रहा हूँ। तैयार होते ही एक दो दिन में लगाता हूँ।</p> क्षमा करें धर्मेन्द्र जी छोटे…tag:www.openbooksonline.com,2011-03-19:5170231:Comment:625192011-03-19T17:26:27.782Zवीनस केसरीhttp://www.openbooksonline.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>क्षमा करें धर्मेन्द्र जी छोटे मुह बड़ी बात परन्तु,</p>
<p>तिलक जी ने इस पर चर्चा के लिए कहा है तो थोडा बहुत जो मुझे समझ आ रहा है उस हिसाब से </p>
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<p>"घुमाओ" और "जमाओ" में क्रमशः "उमाओं" और "अमाओ" की ध्वनि उत्पन्न हो रही है यहाँ ध्वनि का अंतर आ जाने से "सिनाद" आ जाता है" जो अरूजियों की नज़र में दोष पूर्ण है और इसे एक ही मतले में काफिये के तौर पर तहरीर नहीं किया जा सकता है |</p>
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<p>राजीव जी का प्रश्न जटिल और उलझा हुआ है, <span style="text-decoration: underline;">जहाँ तक मुझे…</span></p>
<p>क्षमा करें धर्मेन्द्र जी छोटे मुह बड़ी बात परन्तु,</p>
<p>तिलक जी ने इस पर चर्चा के लिए कहा है तो थोडा बहुत जो मुझे समझ आ रहा है उस हिसाब से </p>
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<p>"घुमाओ" और "जमाओ" में क्रमशः "उमाओं" और "अमाओ" की ध्वनि उत्पन्न हो रही है यहाँ ध्वनि का अंतर आ जाने से "सिनाद" आ जाता है" जो अरूजियों की नज़र में दोष पूर्ण है और इसे एक ही मतले में काफिये के तौर पर तहरीर नहीं किया जा सकता है |</p>
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<p>राजीव जी का प्रश्न जटिल और उलझा हुआ है, <span style="text-decoration: underline;">जहाँ तक मुझे समझ आ रहा है</span> -</p>
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<p>"दुआ+ओं" और "राह् + ओं" में प्रयुक्त "ओं" में कोई अंतर नहीं है इस लिए काफिया सम्तुकांत नहीं है इसलिए इसमें छोटी इता का दोष है</p>
<p>परन्तु "व्याकरण भेद" और "उर्दू लिपि में "शब्द विशेष" की लिखावट में अंतर" की छूट की वजह से जाईज़ है यहाँ तो दो छूट मिल जा रही है अगर एक छूट होती तो भी यह शब्द काफियाबंदी के लिए सही माने जाते </p>
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<p>तिलक जी से निवेदन है की इस सन्दर्भ पर और प्रकाश डालें, जिससे स्थिति स्पष्ट हो सके </p> आदरणीय तिलकराज जी इतनी अच्छी…tag:www.openbooksonline.com,2011-03-19:5170231:Comment:624252011-03-19T15:55:11.502Zधर्मेन्द्र कुमार सिंहhttp://www.openbooksonline.com/profile/249pje3yd1r3m
<p>आदरणीय तिलकराज जी इतनी अच्छी जानकारी इतने सरल तरीके से समझाने के लिए आपका आभार। इससे हम जैसे विद्यार्थियों का निश्चित ही भला होगा। रही बात "घुमाओ" और "जमाओ" की तो यहाँ काफिया "मा" पर आकर टिक गया है यानि इसके बाद वाले शब्दों में "माओ" होना आवश्यक है काफ़िया बनने के लिए। अगर "कमाओ" और "जमाओ" होता तो "अमाओ" हर शब्द में होना आवश्यक होता क्यूँकि काफिया "अ" पर आकर टिकता। राजीव जी की बात ने मुझे भी संदेह में डाल दिया है इसके उत्तर में एक तुक्का मार रहा हूँ।</p>
<p>दुआओं और राहों को दुआ+ओं और राह् +…</p>
<p>आदरणीय तिलकराज जी इतनी अच्छी जानकारी इतने सरल तरीके से समझाने के लिए आपका आभार। इससे हम जैसे विद्यार्थियों का निश्चित ही भला होगा। रही बात "घुमाओ" और "जमाओ" की तो यहाँ काफिया "मा" पर आकर टिक गया है यानि इसके बाद वाले शब्दों में "माओ" होना आवश्यक है काफ़िया बनने के लिए। अगर "कमाओ" और "जमाओ" होता तो "अमाओ" हर शब्द में होना आवश्यक होता क्यूँकि काफिया "अ" पर आकर टिकता। राजीव जी की बात ने मुझे भी संदेह में डाल दिया है इसके उत्तर में एक तुक्का मार रहा हूँ।</p>
<p>दुआओं और राहों को दुआ+ओं और राह् + ओं लिखा जा सकता है यहाँ दुआ तो अर्थपूर्ण शब्द है परन्तु "राह्" अर्थपूर्ण शब्द नहीं है "राह" अर्थपूर्ण शब्द है। इसलिए "राह्" का कोई अर्थ ना होने से यह काफिया ईता दोष से मुक्त है। सादर</p> प्रश्न तो आने दें, इससे अगल…tag:www.openbooksonline.com,2011-03-14:5170231:Comment:609132011-03-14T18:10:04.618ZTilak Raj Kapoorhttp://www.openbooksonline.com/profile/TilakRajKapoor
<p>प्रश्न तो आने दें, इससे अगले आलेख में दी जाने वाली सामग्री का स्वरूप निर्धारित करने में सहायता मिलेगी।</p>
<p>ग़ज़ल में सबसे अधिक विवाद काफि़या पर ही उठते हैं इसलिये जो कुछ मुझे ज्ञात है उतना उत्तर मैं देने का प्रयास करूँगा और कुछ इस प्रकार करूँगा कि सभी के लिये समझना सरल हो।</p>
<p>राजीव का प्रयन एक विशेष संदर्भ में है और उसका उत्तर भी काम का रहेगा।</p>
<p>प्रश्न तो आने दें, इससे अगले आलेख में दी जाने वाली सामग्री का स्वरूप निर्धारित करने में सहायता मिलेगी।</p>
<p>ग़ज़ल में सबसे अधिक विवाद काफि़या पर ही उठते हैं इसलिये जो कुछ मुझे ज्ञात है उतना उत्तर मैं देने का प्रयास करूँगा और कुछ इस प्रकार करूँगा कि सभी के लिये समझना सरल हो।</p>
<p>राजीव का प्रयन एक विशेष संदर्भ में है और उसका उत्तर भी काम का रहेगा।</p> जैसा आप उचित समझे, यदि कुछ प्…tag:www.openbooksonline.com,2011-03-14:5170231:Comment:609102011-03-14T17:43:53.144ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://www.openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>जैसा आप उचित समझे, यदि कुछ प्रश्नों का उत्तर आपके अगले अंक में कवर हो रहे हो तो यहाँ उत्तर नहीं भी दिया जा सकता है अथवा कई सारे प्रश्नों को समेट कर अगले अंक में उत्तर दिया जा सकता है, यदि प्रश्न के ठीक नीचे उत्तर आ जाये तो भविष्य के लिए ठीक होगा क्यू की यह तो धरोहर के रूप में सालों साल रहेगा, बाद में गूगल सर्च द्वारा भी यदि कोई खोजता है तो एक ही जगह शंका समाधान मिल सकता है |</p>
<p>साथ ही एक निवेदन अपने साथियों से भी है की प्राथमिक पाठशाला में स्नातकोत्तर के सवाल उठा कर नए विद्यार्थियों को…</p>
<p>जैसा आप उचित समझे, यदि कुछ प्रश्नों का उत्तर आपके अगले अंक में कवर हो रहे हो तो यहाँ उत्तर नहीं भी दिया जा सकता है अथवा कई सारे प्रश्नों को समेट कर अगले अंक में उत्तर दिया जा सकता है, यदि प्रश्न के ठीक नीचे उत्तर आ जाये तो भविष्य के लिए ठीक होगा क्यू की यह तो धरोहर के रूप में सालों साल रहेगा, बाद में गूगल सर्च द्वारा भी यदि कोई खोजता है तो एक ही जगह शंका समाधान मिल सकता है |</p>
<p>साथ ही एक निवेदन अपने साथियों से भी है की प्राथमिक पाठशाला में स्नातकोत्तर के सवाल उठा कर नए विद्यार्थियों को confuse ना करे | समय आने पर और जब उस विषय के पाठ चलेगा तो उससे सम्बंधित सवाल उठाना उचित होगा |</p> सभी लोग सभी टिपपणी नहीं पढ़ते…tag:www.openbooksonline.com,2011-03-14:5170231:Comment:608372011-03-14T17:14:30.192ZTilak Raj Kapoorhttp://www.openbooksonline.com/profile/TilakRajKapoor
<p>सभी लोग सभी टिपपणी नहीं पढ़ते हैं। इसलिये इस बार उठने वाले प्रश्नों के उत्तर यहीं न देते हुए अगर अगली पोस्ट में आयें तो कैसा रहेगा?</p>
<p>सभी लोग सभी टिपपणी नहीं पढ़ते हैं। इसलिये इस बार उठने वाले प्रश्नों के उत्तर यहीं न देते हुए अगर अगली पोस्ट में आयें तो कैसा रहेगा?</p> सभी लोग सभी टिपपणी नहीं पढ़ते…tag:www.openbooksonline.com,2011-03-14:5170231:Comment:609082011-03-14T17:13:51.079ZTilak Raj Kapoorhttp://www.openbooksonline.com/profile/TilakRajKapoor
<p>सभी लोग सभी टिपपणी नहीं पढ़ते हैं। इसलिये इस बार उठने वाले प्रश्नों के उत्तर यहीं न देते हुए अगर अगली पोस्ट में आयें तो कैसा रहेगा?</p>
<p>सभी लोग सभी टिपपणी नहीं पढ़ते हैं। इसलिये इस बार उठने वाले प्रश्नों के उत्तर यहीं न देते हुए अगर अगली पोस्ट में आयें तो कैसा रहेगा?</p> आदरणीय तिलक सर, इस पाठ से काफ…tag:www.openbooksonline.com,2011-03-14:5170231:Comment:605622011-03-14T15:55:47.243ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://www.openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>आदरणीय तिलक सर, इस पाठ से काफिया और रदीफ़ समझने में काफी आसानी हो रही है | जैसा की आपने कहा</p>
<p><em>"अब अगर इसी मत्ले के शेर में 'घुमाओ' के साथ 'जमाओ' लिया जाता तो क्या स्थिति बनती यह सोचने का विषय है। अनुभवी शायर/ शायरा के लिये तो कठिन न होगा लेकिन इस पर अपने विचार रखते हुए एक चर्चा हो जाये तो समझ में आये कि मेरी बात सही जगह पहुँच भी रही या नहीं"</em></p>
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<p>मेरे समझ से यदि ऊपर दिए मतले के शे'र में 'घुमाओ' के साथ 'जमाओ' लिया जाता तो अब जो काफिया बनेगा वो अब "आओ" न…</p>
<p>आदरणीय तिलक सर, इस पाठ से काफिया और रदीफ़ समझने में काफी आसानी हो रही है | जैसा की आपने कहा</p>
<p><em>"अब अगर इसी मत्ले के शेर में 'घुमाओ' के साथ 'जमाओ' लिया जाता तो क्या स्थिति बनती यह सोचने का विषय है। अनुभवी शायर/ शायरा के लिये तो कठिन न होगा लेकिन इस पर अपने विचार रखते हुए एक चर्चा हो जाये तो समझ में आये कि मेरी बात सही जगह पहुँच भी रही या नहीं"</em></p>
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<p>मेरे समझ से यदि ऊपर दिए मतले के शे'र में 'घुमाओ' के साथ 'जमाओ' लिया जाता तो अब जो काफिया बनेगा वो अब "आओ" न होकर "माओ" होगा क्यू कि दोनों शब्दों में कॉमन "<span id="7_TRN_1i"><span id="7_TRN_1j">माओ" ही है और अब जो काफिया बनेगा वो कमाओ, शरमाओ आदि होगा |</span></span></p>
<p><span><span>आदरणीय कृपया मेरी त्रुटियों पर जरूर बताना चाहेंगे |<br/></span></span></p> तिलक जी,
प्रणाम.
कृप्या ईता प…tag:www.openbooksonline.com,2011-03-14:5170231:Comment:601052011-03-14T14:26:52.309ZRajeev Bharolhttp://www.openbooksonline.com/profile/RajeevBharol
<p>तिलक जी,</p>
<p>प्रणाम.</p>
<p>कृप्या ईता पर एक पूरा पोस्ट लगाएं.</p>
<p>कुछ समय पहले हमारी 'दुआओं' और 'राहों' के काफ़िये में ईता है या नहीं पर चर्चा हुई थी. विद्वानों के अनुसार इसमें ईता नहीं हैं. मेरा प्रशन है, क्यों नहीं है? क्या इसलिए नहीं है कि 'दुआओं' में 'ओं' बढ़ा हुआ अंश है और 'राहों' में केवल 'ओं' की मात्रा वाला भाग बढ़ा हुआ है? या इसलिए कि 'राह' और 'दुआ' में व्याकरण भेद है? या यह उर्दू लिपि के कारण हुआ है क्योंकि दुआओं में 'वाओ' और 'नून' अलग से लिखा जायेगा जबकि 'राहों' में 'वाओ', 'हे'…</p>
<p>तिलक जी,</p>
<p>प्रणाम.</p>
<p>कृप्या ईता पर एक पूरा पोस्ट लगाएं.</p>
<p>कुछ समय पहले हमारी 'दुआओं' और 'राहों' के काफ़िये में ईता है या नहीं पर चर्चा हुई थी. विद्वानों के अनुसार इसमें ईता नहीं हैं. मेरा प्रशन है, क्यों नहीं है? क्या इसलिए नहीं है कि 'दुआओं' में 'ओं' बढ़ा हुआ अंश है और 'राहों' में केवल 'ओं' की मात्रा वाला भाग बढ़ा हुआ है? या इसलिए कि 'राह' और 'दुआ' में व्याकरण भेद है? या यह उर्दू लिपि के कारण हुआ है क्योंकि दुआओं में 'वाओ' और 'नून' अलग से लिखा जायेगा जबकि 'राहों' में 'वाओ', 'हे' के साथ जुड़ा हुआ होगा?</p>