सार छंद/ छन्न पकैया // --सौरभ - Open Books Online2024-03-28T21:33:16Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:516900?groupUrl=chhand&commentId=5170231%3AComment%3A517700&groupId=5170231%3AGroup%3A156482&feed=yes&xn_auth=noछन्न पकैया छन्न पकैया सार छंद…tag:www.openbooksonline.com,2016-02-20:5170231:Comment:7418322016-02-20T03:48:45.440Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://www.openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
छन्न पकैया छन्न पकैया सार छंद अलबेला<br />
सौरभ सर ने पेश किया है सब छंदों का मेला।।<br />
<br />
छन्न पकैया छन्न पकैया मैं भी हूँ आभारी<br />
धारण करके बातें मन में लिखने की तैयारी।।
छन्न पकैया छन्न पकैया सार छंद अलबेला<br />
सौरभ सर ने पेश किया है सब छंदों का मेला।।<br />
<br />
छन्न पकैया छन्न पकैया मैं भी हूँ आभारी<br />
धारण करके बातें मन में लिखने की तैयारी।। छन्न पकैया छन्न पकैया, सुखकार…tag:www.openbooksonline.com,2015-04-26:5170231:Comment:6457952015-04-26T23:23:40.343ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>छन्न पकैया छन्न पकैया, सुखकारी अनुमोदन !</p>
<p>सार छ्न्द की बात निराली, संवादों में शोधन !!</p>
<p></p>
<p></p>
<p>छन्न पकैया छन्न पकैया, सुखकारी अनुमोदन !</p>
<p>सार छ्न्द की बात निराली, संवादों में शोधन !!</p>
<p></p>
<p></p> छन्न पकैया, छन्न पकैया, सौरभ…tag:www.openbooksonline.com,2015-04-26:5170231:Comment:6457812015-04-26T18:50:03.112Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p><span>छन्न पकैया, छन्न पकैया, सौरभ सर आभारी </span><br/><span>सार छंद को समझ गए अब, लिखने की तैयारी </span></p>
<p><span>छन्न पकैया, छन्न पकैया, सौरभ सर आभारी </span><br/><span>सार छंद को समझ गए अब, लिखने की तैयारी </span></p> //लिख भले न पायें कम से कम अब…tag:www.openbooksonline.com,2014-03-31:5170231:Comment:5265412014-03-31T10:31:02.981ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>//लिख भले न पायें कम से कम अब इस छंद की रचनाओं को आँख मूँद के तो नहीं पढ़ेंगे, समझ कर पढ़ेंगे //<br></br><br></br>सोच और जानकारी प्राप्त करने का यह भी एक सकारात्मक पहलू है, नादिर भाई. राग-रागिनियों या लय-ताल-सुर आदि का ज्ञान सामान्य व्यक्ति को भीमसेन जोशी या अलाउद्दीनखाँ डागर आदि जैसा उद्भट्ट शास्त्रीय गायक नहीं बना देता. किन्त्, इनकी समुचित जानकारी उसे एक समर्थ श्रोता अवश्य बनाता है जिनके कारण ही भीमसेन जोशी या अलाउद्दीन खाँ साहब उस स्तर पर गये और अपनी उपयोगिता बना पाये. <br></br>जानकार लोगों से बना…</p>
<p>//लिख भले न पायें कम से कम अब इस छंद की रचनाओं को आँख मूँद के तो नहीं पढ़ेंगे, समझ कर पढ़ेंगे //<br/><br/>सोच और जानकारी प्राप्त करने का यह भी एक सकारात्मक पहलू है, नादिर भाई. राग-रागिनियों या लय-ताल-सुर आदि का ज्ञान सामान्य व्यक्ति को भीमसेन जोशी या अलाउद्दीनखाँ डागर आदि जैसा उद्भट्ट शास्त्रीय गायक नहीं बना देता. किन्त्, इनकी समुचित जानकारी उसे एक समर्थ श्रोता अवश्य बनाता है जिनके कारण ही भीमसेन जोशी या अलाउद्दीन खाँ साहब उस स्तर पर गये और अपनी उपयोगिता बना पाये. <br/>जानकार लोगों से बना जागरुक समाज ही अपने उन्नत सांस्कारिक भविष्य के सपने देख सकता है. <br/><br/></p> बहुत आभार आदरणीय tag:www.openbooksonline.com,2014-03-10:5170231:Comment:5198742014-03-10T23:51:49.553Zvandanahttp://www.openbooksonline.com/profile/vandana956
<p>बहुत आभार आदरणीय </p>
<p>बहुत आभार आदरणीय </p> छन्न पकैया छन्न पकैया,मेरी आई…tag:www.openbooksonline.com,2014-03-10:5170231:Comment:5201272014-03-10T16:47:18.728Zनादिर ख़ानhttp://www.openbooksonline.com/profile/Nadir
<p><span>छन्न पकैया छन्न पकैया,मेरी आई बारी </span></p>
<p>सीख रहा हूँ थोड़ा थोड़ा, बात कहूँ मै सारी </p>
<p></p>
<p>आदरणीय सौरभ जी, पहली बार इस छंद की बारीकियों से अवगत हुआ हूँ । सरल शब्दों में आपने उत्तम जानकारी दी है।</p>
<p> लिख भले न पायें कम से कम अब इस छंद की रचनाओं को आँख मूँद के तो नहीं पढ़ेंगे, समझ कर पढ़ेंगे । बहुत शुक्रिया आपका ।</p>
<p></p>
<p><span>छन्न पकैया छन्न पकैया,मेरी आई बारी </span></p>
<p>सीख रहा हूँ थोड़ा थोड़ा, बात कहूँ मै सारी </p>
<p></p>
<p>आदरणीय सौरभ जी, पहली बार इस छंद की बारीकियों से अवगत हुआ हूँ । सरल शब्दों में आपने उत्तम जानकारी दी है।</p>
<p> लिख भले न पायें कम से कम अब इस छंद की रचनाओं को आँख मूँद के तो नहीं पढ़ेंगे, समझ कर पढ़ेंगे । बहुत शुक्रिया आपका ।</p>
<p></p> छन्न पकैया छन्न पकैया, लेख हु…tag:www.openbooksonline.com,2014-03-04:5170231:Comment:5180092014-03-04T07:46:49.432ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>छन्न पकैया छन्न पकैया, लेख हुआ बड़भागी <br/>वाह-वाह कर पढ़ते जायें, सारे कवि-अनुरागी</p>
<p></p>
<p>आदरणीय गिरिराजभाईजी, यह लेख काम का बन पड़ा है, यह जानकर भला लगा है.</p>
<p>आभार</p>
<p></p>
<p></p>
<p>छन्न पकैया छन्न पकैया, लेख हुआ बड़भागी <br/>वाह-वाह कर पढ़ते जायें, सारे कवि-अनुरागी</p>
<p></p>
<p>आदरणीय गिरिराजभाईजी, यह लेख काम का बन पड़ा है, यह जानकर भला लगा है.</p>
<p>आभार</p>
<p></p>
<p></p> आदरणीय सौरभ भाई , सार छंद को…tag:www.openbooksonline.com,2014-03-04:5170231:Comment:5179162014-03-04T07:04:31.227Zगिरिराज भंडारीhttp://www.openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय सौरभ भाई , सार छंद को उदाहरणों से , विस्तार पूर्वक समझाने के लिये आपका शुक्रिया ॥ </p>
<p></p>
<p class="message"><span style="font-family: Mangal; mso-hansi-font-family: Symbol; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;" lang="HI" xml:lang="HI">छन्न पकैया छन्न पकैया , बात समझ में आई</span></p>
<p class="message"><span style="font-family: Mangal; mso-hansi-font-family: Symbol; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;" lang="HI" xml:lang="HI">सार छंद आलेख सुहाया , देता दिली बधाई ॥</span></p>
<p>आदरणीय सौरभ भाई , सार छंद को उदाहरणों से , विस्तार पूर्वक समझाने के लिये आपका शुक्रिया ॥ </p>
<p></p>
<p class="message"><span style="font-family: Mangal; mso-hansi-font-family: Symbol; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;" lang="HI" xml:lang="HI">छन्न पकैया छन्न पकैया , बात समझ में आई</span></p>
<p class="message"><span style="font-family: Mangal; mso-hansi-font-family: Symbol; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;" lang="HI" xml:lang="HI">सार छंद आलेख सुहाया , देता दिली बधाई ॥</span></p> धन्यवाद भाईजी.
किन्तु, कम-से-…tag:www.openbooksonline.com,2014-03-04:5170231:Comment:5177002014-03-04T05:18:45.090ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>धन्यवाद भाईजी.</p>
<p>किन्तु, कम-से-कम ओबीओ के मंच पर न सार छंद, न छन्न पकैया नयी विधाएँ रह गयी हैं.</p>
<p>सादर</p>
<p></p>
<p>धन्यवाद भाईजी.</p>
<p>किन्तु, कम-से-कम ओबीओ के मंच पर न सार छंद, न छन्न पकैया नयी विधाएँ रह गयी हैं.</p>
<p>सादर</p>
<p></p> छन्न पकैया छन्न पकैया, किन्तु…tag:www.openbooksonline.com,2014-03-04:5170231:Comment:5179112014-03-04T05:16:53.063ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>छन्न पकैया छन्न पकैया, किन्तु हुआ है गड़बड़ <br/>छन्द छन्न में गड़बड़झाला, किया करें मत हड़बड़<br/><br/>अनुमोदन के लिए सादर आभार आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी. <br/>सादर<br/> </p>
<p>छन्न पकैया छन्न पकैया, किन्तु हुआ है गड़बड़ <br/>छन्द छन्न में गड़बड़झाला, किया करें मत हड़बड़<br/><br/>अनुमोदन के लिए सादर आभार आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी. <br/>सादर<br/> </p>