दोहा छंद : मूलभूत नियम - Open Books Online2024-03-29T14:22:52Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:506484?groupUrl=chhand&feed=yes&xn_auth=noखड़ा शब्द कैसेबना है उसे देखिए…tag:www.openbooksonline.com,2017-03-05:5170231:Comment:8408332017-03-05T15:01:58.571ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>खड़ा शब्द कैसेबना है उसे देखिए. फिर पता चलेगा उसकी मात्रा कैसे गिनी जाएगी. </p>
<p>खड़ा शब्द ख और ड में आ की मात्रा से मिलकर बना है. यानी, ख+ड़+ आ की मात्रा = खड़ा </p>
<p>ख की एक मात्रा होगी. आ की मात्रा के कारण ड़ द्विमात्रिक या गुरु हुआ है जिसकी मात्रा २ होती है. इस तरह ख (१)+ ड़ा (२) से कुल मात्रा हुई ३. अर्थात खड़ा एक त्रिकल शब्द है. यानी, इसकी मात्रा तीन होगी.</p>
<p> </p>
<p>खड़ा शब्द कैसेबना है उसे देखिए. फिर पता चलेगा उसकी मात्रा कैसे गिनी जाएगी. </p>
<p>खड़ा शब्द ख और ड में आ की मात्रा से मिलकर बना है. यानी, ख+ड़+ आ की मात्रा = खड़ा </p>
<p>ख की एक मात्रा होगी. आ की मात्रा के कारण ड़ द्विमात्रिक या गुरु हुआ है जिसकी मात्रा २ होती है. इस तरह ख (१)+ ड़ा (२) से कुल मात्रा हुई ३. अर्थात खड़ा एक त्रिकल शब्द है. यानी, इसकी मात्रा तीन होगी.</p>
<p> </p> सर कबिरा खड़ा वाली पंक्ति में…tag:www.openbooksonline.com,2017-03-05:5170231:Comment:8407642017-03-05T09:18:05.562ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://www.openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
सर कबिरा खड़ा वाली पंक्ति में खड़ा को 4 मात्रा गिनेंगे ?
सर कबिरा खड़ा वाली पंक्ति में खड़ा को 4 मात्रा गिनेंगे ? बढिया किया है आदरणीय. मात्रा…tag:www.openbooksonline.com,2016-10-25:5170231:Comment:8102672016-10-25T16:13:38.138ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>बढिया किया है आदरणीय. मात्रा के अनुसार यही तो सही है. लेकिन तुकान्तता और भाषा के प्रति तनिक और सचेत होना होगा.</p>
<p>’राखते’ का प्रयोग अपनी जगह, इन्हें और उन्हें के इंगित यानी इशारे भी बहुत खुलकर नहीं आये हैं. </p>
<p>बढिया किया है आदरणीय. मात्रा के अनुसार यही तो सही है. लेकिन तुकान्तता और भाषा के प्रति तनिक और सचेत होना होगा.</p>
<p>’राखते’ का प्रयोग अपनी जगह, इन्हें और उन्हें के इंगित यानी इशारे भी बहुत खुलकर नहीं आये हैं. </p> आदरणीय सौरभ जी यहाँ 'इन्हें'…tag:www.openbooksonline.com,2016-10-25:5170231:Comment:8103172016-10-25T12:07:07.020Zबासुदेव अग्रवाल 'नमन'http://www.openbooksonline.com/profile/Basudeo
आदरणीय सौरभ जी यहाँ 'इन्हें' का अर्थ जो नजदीक हैं यानि कि अपने हैं।<br/>
और 'उन्हें' का अर्थ जो दूर के हैं यानि की पराये हैं<br/>
दूसरी पंक्ति का अर्थ कि जिनको अपना नहीं समझा और सदा दूर रखा वही मुसीबत में तुम्हारे खाश साबित होते हैं।<br/>
मुख्य बात है कि इन्हें, उन्हें, जिन्हें में मैंने 3 मात्रा गिनी है और तुम्हारे में 5 मात्रा।
आदरणीय सौरभ जी यहाँ 'इन्हें' का अर्थ जो नजदीक हैं यानि कि अपने हैं।<br/>
और 'उन्हें' का अर्थ जो दूर के हैं यानि की पराये हैं<br/>
दूसरी पंक्ति का अर्थ कि जिनको अपना नहीं समझा और सदा दूर रखा वही मुसीबत में तुम्हारे खाश साबित होते हैं।<br/>
मुख्य बात है कि इन्हें, उन्हें, जिन्हें में मैंने 3 मात्रा गिनी है और तुम्हारे में 5 मात्रा। आपके कहे का अर्थ स्पष्ट नहीं…tag:www.openbooksonline.com,2016-10-20:5170231:Comment:8089692016-10-20T05:17:48.012ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आपके कहे का अर्थ स्पष्ट नहीं हुआ भाई जी. न ही दोहे की भाषा के प्रति स्पष्ट हूँ. अपने कहे का मतलब साफ़ बताइये तो आपकी समस्या से हम अवगत हो सकेंगे. </p>
<p>सादर</p>
<p>आपके कहे का अर्थ स्पष्ट नहीं हुआ भाई जी. न ही दोहे की भाषा के प्रति स्पष्ट हूँ. अपने कहे का मतलब साफ़ बताइये तो आपकी समस्या से हम अवगत हो सकेंगे. </p>
<p>सादर</p> एक दोहा समीक्षा के लिए जिसमें…tag:www.openbooksonline.com,2016-10-20:5170231:Comment:8089612016-10-20T02:13:01.391Zबासुदेव अग्रवाल 'नमन'http://www.openbooksonline.com/profile/Basudeo
एक दोहा समीक्षा के लिए जिसमें मैंने ग़ज़ल वाले नियमों से मात्रा गणना की है। क्या यह हिन्दी में मान्य हो सकता है।<br/>
<br/>
दूर इन्हें तुम राखते, रखो उन्हें तुम पास।<br/>
समझा जिन्हें न आपना, वही तुम्हारे खाश।।
एक दोहा समीक्षा के लिए जिसमें मैंने ग़ज़ल वाले नियमों से मात्रा गणना की है। क्या यह हिन्दी में मान्य हो सकता है।<br/>
<br/>
दूर इन्हें तुम राखते, रखो उन्हें तुम पास।<br/>
समझा जिन्हें न आपना, वही तुम्हारे खाश।। आदरणीय सौरव पाण्डेय जी , नमस्…tag:www.openbooksonline.com,2016-07-11:5170231:Comment:7832872016-07-11T12:34:05.360ZKalipad Prasad Mandalhttp://www.openbooksonline.com/profile/KalipadPrasadMandal
<p>आदरणीय सौरव पाण्डेय जी , नमस्कार </p>
<p> तुलसी दासजी का एक दोहा पढ़ते समय कुछ बाते सामने आयी जिस पर आपका मार्ग दर्शन की आवश्यकता है जिससे गूढता को समझने में मदत मिल सके |</p>
<p></p>
<p>सम सम विषम सम सम ..........................................मात्राएँ </p>
<p>श्री गुरु चरण सरोज सम , निज मन मधुर सुधारि </p>
<p>२ ११ / १११ १/२१ / ११ ११ ११ १११ १२१ </p>
<p></p>
<p>बरनउ रघुवर विमल जस , जो दायक फल चारि </p>
<p>११११ / ११११ / १११ / ११ २ २ ११ ११ …</p>
<p>आदरणीय सौरव पाण्डेय जी , नमस्कार </p>
<p> तुलसी दासजी का एक दोहा पढ़ते समय कुछ बाते सामने आयी जिस पर आपका मार्ग दर्शन की आवश्यकता है जिससे गूढता को समझने में मदत मिल सके |</p>
<p></p>
<p>सम सम विषम सम सम ..........................................मात्राएँ </p>
<p>श्री गुरु चरण सरोज सम , निज मन मधुर सुधारि </p>
<p>२ ११ / १११ १/२१ / ११ ११ ११ १११ १२१ </p>
<p></p>
<p>बरनउ रघुवर विमल जस , जो दायक फल चारि </p>
<p>११११ / ११११ / १११ / ११ २ २ ११ ११ २१ </p>
<p></p>
<p>शंका ! प्रथम चरण--- अभी जो कुछ ओ बी ओ में नियम पढ़ा है उसके अनुसार शब्द संयोजन प्रथम चरण में बिलकुल ठीक है परन्तु 'सरोज' शब्द की मात्र १२१ है जो ज गण है , | क्या ऐसे शब्द जैसे -गरीब ,जरीब ,करीब ,अमीन शब्द प्रथम और तृतीय चरण में आ सकता है ? </p>
<p></p>
<p>शंका २. तृतीय चरण ---- <strong>नियम-2</strong><span> के चार कलों के विन्यास का तीसरा कल त्रिकल है. उसका रूप अवश्य-अवश्य ऐसा होना चाहिये कि उच्चारण के अनुसार मात्रिकता गुरु लघु या ऽ। या 21 ही बने.</span></p>
<p>यहाँ तीसरा कल १११ है २१ नहीं ,क्या यह कोई अपबाद है? उच्चारण वि मल (१२) हो रहा है |</p>
<p>आशा है आप मेरी समस्या को समझेंगे और उचित मार्ग दर्शन करेंगे | इसे अन्यथा न लें |</p>
<p>सादर </p>
<p></p>
<p>. </p> आदरणीय, सौरभ पाण्डेय जी ,
अभी…tag:www.openbooksonline.com,2016-07-08:5170231:Comment:7825282016-07-08T02:57:24.965ZKalipad Prasad Mandalhttp://www.openbooksonline.com/profile/KalipadPrasadMandal
<p>आदरणीय, सौरभ पाण्डेय जी ,</p>
<p>अभी गुर समझ में आने लगे हैं ,आशा है आगे आपके मार्ग दर्शन में वो गलतियाँ नहीं होगी | कृपा बनाए रखे |</p>
<p>सादर </p>
<p>आदरणीय, सौरभ पाण्डेय जी ,</p>
<p>अभी गुर समझ में आने लगे हैं ,आशा है आगे आपके मार्ग दर्शन में वो गलतियाँ नहीं होगी | कृपा बनाए रखे |</p>
<p>सादर </p> आदरणीय कालीपद प्रसाद जी,
//…tag:www.openbooksonline.com,2016-07-07:5170231:Comment:7824772016-07-07T20:17:38.834ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय कालीपद प्रसाद जी, </p>
<p></p>
<p>// प्रश्न 1" भले पद-वाक्य को न तोड़ा जाय किन्तु पद को पढ़ने में अपने आप <br></br>एक विराम बन जाता है." रेखांकित वाक्यांश अर्थ क्या है ? क्या विराम <br></br>चिन्ह न लगाने से मतलब है ? //</p>
<p></p>
<p>उत्तर - यह यति के लिए जहा गया है यदि आप, आदरणीय, पारिभाषिक शब्दों कोनहीं समझेंगे तो छोटे-छोटे कई प्रश्न परेशान करने लगेंगे. <br></br>यति छान्दसिक रचना के किसी पद (पंक्ति) के बीच वाचन के क्रम में शास्त्रीय ढंग से आये विरान को कहते हैं. जैसे दोहा में पद को पढ़ते समय…</p>
<p>आदरणीय कालीपद प्रसाद जी, </p>
<p></p>
<p>// प्रश्न 1" भले पद-वाक्य को न तोड़ा जाय किन्तु पद को पढ़ने में अपने आप <br/>एक विराम बन जाता है." रेखांकित वाक्यांश अर्थ क्या है ? क्या विराम <br/>चिन्ह न लगाने से मतलब है ? //</p>
<p></p>
<p>उत्तर - यह यति के लिए जहा गया है यदि आप, आदरणीय, पारिभाषिक शब्दों कोनहीं समझेंगे तो छोटे-छोटे कई प्रश्न परेशान करने लगेंगे. <br/>यति छान्दसिक रचना के किसी पद (पंक्ति) के बीच वाचन के क्रम में शास्त्रीय ढंग से आये विरान को कहते हैं. जैसे दोहा में पद को पढ़ते समय शाब्दिक रूप से १३ मात्राओं के बाद स्वयं विराम आ जाता है.</p>
<p></p>
<p>// प्रश्न २ - "दोहा छंद मात्रा के हिसाब से 13-11 की यति पर निर्भर न कर <br/>शब्द-संयोजन हेतु विशिष्ट विन्यास पर भी निर्भर करता है<br/>क्या शब्द संयोजान का मतलब --विषम चरण के लिए --</p>
<p>अ) त्रिकल से प्रारम्भ हो तो शब्दों का संयोजन 3, 3, 2, 3, 2 के अनुसार <br/>होगा और चरणांत रगण (ऽ।ऽ) या नगण (।।।) होगा.</p>
<p>ब) विषम चरण सम शब्दों से यानि द्विकल या चौकल से प्रारम्भ हो तो <br/>शब्दों का संयोजन 4, 4, 3, 2 के अनुसार होगा और चरणांत पुनः रगण (ऽ।ऽ) <br/>या नगण (।।।) ही होगा. ---इतना ही है या और कुछ अन्तर्निहित है जो मैं <br/>समझ नहीं पा रहा हूँ जिससे प्रवाह आता है ?</p>
<p>कल - दिन -दि 1 न 1 --द्विकल ; यात्रा - या २ त्रा २ --चार कल ; <br/>चाहिए -चा २ हि 1 ए २ --पाँच कल ---क्या ये सही है ? //</p>
<p></p>
<p>उत्तर - शब्द-संयोजन कल की व्यवस्था को ही कहा जा रहा है. <br/>3, 3, 2, 3, 2 का अर्थ है, त्रिकल+त्रिकल+द्विकल+त्रिकल+द्विकल</p>
<p>आगे, आप अभ्यास करें. और एक बार में तीन या पाँच दोहे ही प्रस्तुत करें. अन्यथा बिना नियम को पूरी तरह से समझे अधिक दोहों को प्रस्तुत करना किसी के लिए उचित नहीं है. न आपके लिए न पाठक केलिए.</p>
<p></p>
<p>सर्वोपरि, प्रस्तुतीकरण में, चाहे रचना के या टिप्पणी के, संप्रेषणीयता इतनी अवश्य होनी चाहिए कि कथ्य स्पष्ट हो सके.</p>
<p></p>
<p>सादर</p> आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आपके आ…tag:www.openbooksonline.com,2016-07-05:5170231:Comment:7823222016-07-05T18:09:48.642ZKalipad Prasad Mandalhttp://www.openbooksonline.com/profile/KalipadPrasadMandal
<p><span>आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आपके आदेश अनुशार मैंने आलेख को कई बार ध्यान से पढ़ा उसके बाद काफी कच्छ स्समझ में आया और कुछ का अनुमान भी लगा लिया परन्तु अनुमान से सही रचना नहीं हो सकती हमें सटीक जानकारी चाहिए होती है |इस बात को ध्यान रखते हुए मन में कई प्रश्न उठे |इस बार मैं केवल दो ही प्रश्न पुछ्र रहा हूँताकि अच्छी तरह समझ सकू .,बाकी प्रश्न बाद में पूछुंगा |</span></p>
<p><span>प्रश्न 1" <span style="text-decoration: underline;">भले पद-वाक्य को न तोड़ा जाय</span> किन्तु पद को पढ़ने में अपने आप…</span></p>
<p><span>आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आपके आदेश अनुशार मैंने आलेख को कई बार ध्यान से पढ़ा उसके बाद काफी कच्छ स्समझ में आया और कुछ का अनुमान भी लगा लिया परन्तु अनुमान से सही रचना नहीं हो सकती हमें सटीक जानकारी चाहिए होती है |इस बात को ध्यान रखते हुए मन में कई प्रश्न उठे |इस बार मैं केवल दो ही प्रश्न पुछ्र रहा हूँताकि अच्छी तरह समझ सकू .,बाकी प्रश्न बाद में पूछुंगा |</span></p>
<p><span>प्रश्न 1" <span style="text-decoration: underline;">भले पद-वाक्य को न तोड़ा जाय</span> किन्तु पद को पढ़ने में अपने आप एक विराम बन जाता है." रेखांकित वाक्यांश अर्थ क्या है ? क्या विराम चिन्ह न लगाने से मतलब है ?</span></p>
<p><span> प्रश्न २ "</span><span>दोहा छंद मात्रा के हिसाब से 13-11 की <span style="text-decoration: underline;">यति पर निर्भर न कर शब्द-संयोजन हेतु विशिष्ट विन्यास पर भी निर्भर करता है</span></span></p>
<p> क्या शब्द संयोजान का मतलब --विषम चरण के लिए --</p>
<p><span>अ) त्रिकल से प्रारम्भ हो तो शब्दों का संयोजन 3, 3, 2, <b>3</b>, 2 के अनुसार होगा और चरणांत रगण (ऽ।ऽ) या नगण (।।।) होगा.</span></p>
<p><span> ब) <span> विषम चरण सम शब्दों से यानि द्विकल या चौकल से प्रारम्भ हो तो शब्दों का संयोजन 4, 4, </span><b>3</b><span>, 2 के अनुसार होगा और चरणांत पुनः रगण (ऽ।ऽ) या नगण (।।।) ही होगा. ---इतना ही है या <span style="text-decoration: underline;">और कुछ अन्तर्निहित है जो मैं समझ नहीं पा रहा हूँ जिससे प्रवाह आता है ?</span></span></span></p>
<p></p>
<p>कल - दिन -दि 1 न 1 --द्विकल ; यात्रा - या २ त्रा २ --चार कल ; चाहिए -चा २ हि 1 ए २ --पाँच कल ---क्या ये सही है ?</p>
<p></p>
<p>मेरी समझ के अनुसार मेरा सबसे बड़ा प्रश्न दो के अन्तिम भाग का प्रश्न (रेखांकित )| आगे आप जैसा समझे उचित मार्ग दर्शन करे |</p>
<p>सादर </p>
<p><span> </span></p>