भोजपुरी प्रतियोगिता को दुबारा प्रारम्भ करने के संबंध में आग्रह पत्र - Open Books Online2024-03-28T17:15:11Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:482563?groupUrl=complainsujession&commentId=5170231%3AComment%3A482975&x=1&feed=yes&xn_auth=noप्रणाम आदरणीये बागी जी
…tag:www.openbooksonline.com,2013-12-05:5170231:Comment:4829752013-12-05T18:05:51.213ZAkhand Gahmarihttp://www.openbooksonline.com/profile/AKHANDPRATAPSINGH
<p>प्रणाम आदरणीये बागी जी</p>
<p> एतना आश्वासन आप दिहली की सक्रियता बढ़ी त हर चीज सम्भव वा बहुत बा आप क बात सुन के आपन बात कहे के तन मन कबबे ले छटपटात रहे बकिर का करती एगो हाथ में पानी चढ़त रहे ऐसे ना लिख पावत रहनी</p>
<p> हम एइजा रउवा के परिचय के बात त ना करब बकी एतना कहब की आपो बागी बलिया के धरती के हई औरी हम हूँ माइ कमइछा के गोदी में साहित्यकार गोपाल राम गहमरी के गॉंव क हमरो आप से इ वादा बा की जबले आपके मजबूर ना कर देव भेाजपुरी मंच के दुबारा शुरू करे के…</p>
<p>प्रणाम आदरणीये बागी जी</p>
<p> एतना आश्वासन आप दिहली की सक्रियता बढ़ी त हर चीज सम्भव वा बहुत बा आप क बात सुन के आपन बात कहे के तन मन कबबे ले छटपटात रहे बकिर का करती एगो हाथ में पानी चढ़त रहे ऐसे ना लिख पावत रहनी</p>
<p> हम एइजा रउवा के परिचय के बात त ना करब बकी एतना कहब की आपो बागी बलिया के धरती के हई औरी हम हूँ माइ कमइछा के गोदी में साहित्यकार गोपाल राम गहमरी के गॉंव क हमरो आप से इ वादा बा की जबले आपके मजबूर ना कर देव भेाजपुरी मंच के दुबारा शुरू करे के जौन बात आप कहले बानी बोकरा आधार पर बस हमार ऑंख के पटटी खुलला के बाद तनी हम चले लायक हो जाई उकरा बाद हम उ प्रचार प्रसार करके अपना क्षेत्र के कुल भोजपुरी कवि लोगन के ना जोडनी आपके मंच से त कहब भले कुछ हो जाये समय ना बताइब लेकिन जेतना अवकात बा उतना त करवे करब अब इ भोजपुरी प्रोगाम के शुरू करावे खातिर</p>
<p> </p>
<p>आगे आप अग्रज के आर्शीवाद और माई कमइछा के कृपा से देखी का होला प्रणाम हमार बात खराब बुझााई या तनकी घमंड चाहे उत्तेजना लउकत होई त माफ कर देब आपक अखंड गहमरी</p> सब बात होई, बाकिर उहे ना होई…tag:www.openbooksonline.com,2013-12-05:5170231:Comment:4830492013-12-05T14:54:04.653ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://www.openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>सब बात होई, बाकिर उहे ना होई जवन मेन मुद्दा बा |</p>
<p>१- भोजपुरी लिखे पढ़े से के मना करत बा, भोजपुरी साहित्य समूह में लिखी पढ़ी, इन्तजार के कवन बात बा |</p>
<p></p>
<p>२- एहमे हम का कही, हम त हिंदी के साथे भोजपुरियो लिखे पढ़ेनी, रउआ जान के ख़ुशी होई कि "भोजपुरी साहित्य समूह" साईट के प्रारंभिक दौर में ही बन गईल रहे |</p>
<p></p>
<p>३-मेने पेज प भोजपुरी समूह के आइकॉन बनल बा, आ ई नेट स्लो वाली बात भौकाल ह, जइसे मुख्य पेज खुली वोही तारे सब पेज खुलेला, दुनिया जानत बा कि हर वेब पेज के यूआरएल अलग अलग…</p>
<p>सब बात होई, बाकिर उहे ना होई जवन मेन मुद्दा बा |</p>
<p>१- भोजपुरी लिखे पढ़े से के मना करत बा, भोजपुरी साहित्य समूह में लिखी पढ़ी, इन्तजार के कवन बात बा |</p>
<p></p>
<p>२- एहमे हम का कही, हम त हिंदी के साथे भोजपुरियो लिखे पढ़ेनी, रउआ जान के ख़ुशी होई कि "भोजपुरी साहित्य समूह" साईट के प्रारंभिक दौर में ही बन गईल रहे |</p>
<p></p>
<p>३-मेने पेज प भोजपुरी समूह के आइकॉन बनल बा, आ ई नेट स्लो वाली बात भौकाल ह, जइसे मुख्य पेज खुली वोही तारे सब पेज खुलेला, दुनिया जानत बा कि हर वेब पेज के यूआरएल अलग अलग होला |</p>
<p></p>
<p>४- जेतना लोग पहुँच चुकल बा, वोमे से आधो लोग सक्रिय हो जाव त बात बन जाई, मजे के बात बा कि अधिकतर लोग के फेस बुक प खूब मन लागेला |</p>
<p>अंततः भोजपुरी समूह में लिखी पढ़ी, सक्रियता बढ़ी त हर चीज सम्भव बा | सादर |</p> आदरणीय बागी जी, नमस्कार
…tag:www.openbooksonline.com,2013-12-05:5170231:Comment:4829432013-12-05T12:40:56.038ZAkhand Gahmarihttp://www.openbooksonline.com/profile/AKHANDPRATAPSINGH
<p>आदरणीय बागी जी, नमस्कार</p>
<p> मेरा बचपन से स्वभाव रहा है अपनी बात कहने वाली और भोजपुरी से लगाव था इस लिये आप से कह दिया, वरना वर्तमान में जो हमारी दशा है मैं 1 सप्ताह से कार एक्सीटेंड के बाद बिस्तर पर हूँ आँखो से पूर्ण रूप से दिखाई तक नहीं देता ऐसे मैं कदापि कोई अपनी बात नहीं कहता।</p>
<p>महोदय मेरी प्रतिक्रिया लम्बी अवश्य थी मगर तथ्यों के आधार पर थी,</p>
<p>1--- जब हम अधिक जनसंख्या में बोली जाने वाली मात्रभाषा एवं राजकीय भाषा हिन्दी के लिये 4 वर्षो का इंन्तजार…</p>
<p>आदरणीय बागी जी, नमस्कार</p>
<p> मेरा बचपन से स्वभाव रहा है अपनी बात कहने वाली और भोजपुरी से लगाव था इस लिये आप से कह दिया, वरना वर्तमान में जो हमारी दशा है मैं 1 सप्ताह से कार एक्सीटेंड के बाद बिस्तर पर हूँ आँखो से पूर्ण रूप से दिखाई तक नहीं देता ऐसे मैं कदापि कोई अपनी बात नहीं कहता।</p>
<p>महोदय मेरी प्रतिक्रिया लम्बी अवश्य थी मगर तथ्यों के आधार पर थी,</p>
<p>1--- जब हम अधिक जनसंख्या में बोली जाने वाली मात्रभाषा एवं राजकीय भाषा हिन्दी के लिये 4 वर्षो का इंन्तजार कर सकते है तो फिर भोजपुरी के लिये क्यों नही</p>
<p> </p>
<p>2---इस मंच से जो भी लोग जुडे़ है रचनाकार के आम पाठक कम ही है जुडे मिलेगे, हर रचनाकार अपनी और अपने अन्य संबंधित रचनाये देख कर पोर्टल से विदा लेता है , इस लिये सामने हिन्दी के पेजो या रचनाओं के पाठक की संख्या तो बढ जाती है मगर भोजपुरी की नहीं</p>
<p> </p>
<p>3---अलग अलग गुप्र होने के कारण एक लिेक से दूसरे लिक जाने में नये पेज ओपने हेाते है ऐसे में लो स्पीड इन्टनेट कनेक्शन से वहॅा तक पहुचा आसान नहीं होता जबकि हिन्दी के पेज ही मोबाइलो पर सबसे आगे आते है और उस पर कही ये जिक्र नहीं होता कि भोजपुरी रचनाओं के लिये यहॅा क्लिक किजीए</p>
<p> </p>
<p>4---आज स्तरहीन भोजपुरी वेवसाइटो की संख्या जादे होने के कारण इस पोर्टल जैसी साफ सुथरी भोजपुरी वाली वेवसाइटो तक आम यूजर पहुँच नहीं पाता</p>
<p> </p>
<p> महोदय इसमें आप कही आप गलत नहीं है आप नेट संबंधी समस्या तो दूर नही कर सकते और ना ही प्रचार प्रसार कर पायेगें।</p>
<p> , ये तो भोजपुरी का दुर्भाग्य है कि हम ना उसकेा समय दे पा रहे है, ना उस पर विश्वास कर पा रहे है और ना उसके विकास एवं उत्थान के लिये चाहे लेखक हो या पाठक हेा</p>
<p> </p>
<p> खैर आप सहीं है आप का निर्णय सर्व मान्य है , हमारी साहित्य के क्षेत्र में उतनी उम्र नहीं है जितनी आपने कलमों का प्रयोग किया होगा।</p>
<p> बहस तो आज तक कभी किसी विषय पर समाप्त ही नहीं हुई तो इस विषय पर कहॉं से समाप्त होगी। </p>
<p> गलती के लिये क्षमा प्रार्थना के साथ आपका अखंड गहमरी</p> ओ बी ओ का प्रारम्भ ट्रायल के…tag:www.openbooksonline.com,2013-12-05:5170231:Comment:4829372013-12-05T12:06:19.024ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://www.openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>ओ बी ओ का प्रारम्भ ट्रायल के तौर पर २४ फरवरी २०१० को प्रारम्भ हुआ लेकिन आधिकारिक रूप से डोमेन मैपिंग और शुभारम्भ १अप्रिल २०१० को हुआ |</p>
<p>आदरणीय अरुण जी कि रचना गलत तिथि भरने के कारण गलत तिथि में आ गई है जबकि मूल रचना निम्न लिंक पर देखी जा सकती है |</p>
<p><a href="http://www.openbooksonline.com/profiles/blogs/5170231:BlogPost:457472" target="_blank">http://www.openbooksonline.com/profiles/blogs/5170231:BlogPost:457472</a></p>
<p></p>
<p>आपकी इस लम्बी प्रतिक्रिया में मूल प्रश्न अनुत्तरित…</p>
<p>ओ बी ओ का प्रारम्भ ट्रायल के तौर पर २४ फरवरी २०१० को प्रारम्भ हुआ लेकिन आधिकारिक रूप से डोमेन मैपिंग और शुभारम्भ १अप्रिल २०१० को हुआ |</p>
<p>आदरणीय अरुण जी कि रचना गलत तिथि भरने के कारण गलत तिथि में आ गई है जबकि मूल रचना निम्न लिंक पर देखी जा सकती है |</p>
<p><a href="http://www.openbooksonline.com/profiles/blogs/5170231:BlogPost:457472" target="_blank">http://www.openbooksonline.com/profiles/blogs/5170231:BlogPost:457472</a></p>
<p></p>
<p>आपकी इस लम्बी प्रतिक्रिया में मूल प्रश्न अनुत्तरित ही है |</p>
<p>प्रश्न पुनः वही : भोजपुरी प्रतियोगिता या भोजपुरी आयोजन किसके लिए ?</p>
<p>"भोजपुरी साहित्य समूह" में आयी हुई कितनी रचनाओं को पाठक मिल रहे हैं ? क्या इस साईट से जुड़े आप सहित सभी भोजपुरिआ लोग अपनी उपस्थिति वहाँ देते हैं ?</p>
<p>यदि नहीं तो आखिर प्रतियोगिता किसके लिए ?</p> आदरणीये श्री गणेश जी बागी नमस…tag:www.openbooksonline.com,2013-12-05:5170231:Comment:4828992013-12-05T11:44:15.240ZAkhand Gahmarihttp://www.openbooksonline.com/profile/AKHANDPRATAPSINGH
<p>आदरणीये श्री गणेश जी बागी नमस्कार आप के जबाब से हम लोग संतुष्ठ तो है मगर शायद हम जो अब बात कहे उसे हमारे संस्कारो में बड़ो से जबान लड़ाना कहा जाता है, मगर क्या करे मजबूरी है। हम अपने बड़ो से अपनी बात ना कहे तो किससे कहने जायेगें।</p>
<p>किसी विषय पर बहस हो जाती तो आप कहेगे बेकार की बात है मगर मैं आपका छोटा अपनी बातो भी कम शब्दों में रखना चाहॅँता हूँ।</p>
<p>1 आपने कहा पाठक और प्रतियोगी नहीं है तो बेमानी हैं।</p>
<p> पोर्टल के अनुसार आप ही नहीं हमारा का पोर्टल नवम्बर…</p>
<p>आदरणीये श्री गणेश जी बागी नमस्कार आप के जबाब से हम लोग संतुष्ठ तो है मगर शायद हम जो अब बात कहे उसे हमारे संस्कारो में बड़ो से जबान लड़ाना कहा जाता है, मगर क्या करे मजबूरी है। हम अपने बड़ो से अपनी बात ना कहे तो किससे कहने जायेगें।</p>
<p>किसी विषय पर बहस हो जाती तो आप कहेगे बेकार की बात है मगर मैं आपका छोटा अपनी बातो भी कम शब्दों में रखना चाहॅँता हूँ।</p>
<p>1 आपने कहा पाठक और प्रतियोगी नहीं है तो बेमानी हैं।</p>
<p> पोर्टल के अनुसार आप ही नहीं हमारा का पोर्टल नवम्बर 1999 में प्रारम्भ हुआ था जिसमें</p>
<p> 30 नवम्बर को दोपहर 12 बजे अरूण कुमार निगम की रचना ****जीवन क्या है***प्रकाशित हुई जिसको आज तक कुल 8 लोगो ने देखा,</p>
<p> उसके बाद लगभग 10 वर्षो तक यह पोर्टल बन्द रहा या जो भाी कारण हो यह आप सब ही जाने उसके बाद</p>
<p> फरवरी 2010 में जब यह दुबारा प्रारम्भ हुआ तो इसमें श्री अटल बिहारी वाजपेयी श्री बालश्वरुप राही निदा फाज़ली सहित कुल 3 रचना प्रकाशित हुई। ,जिन पर कुल 10 कमेन्ट आये, वक्त के साथ रचनाये बढ़ती गयी जो क्रमस: 34, 90 से बढ़कर धीरे धीरे</p>
<p> </p>
<p> वर्ष 2010 सितम्बर 2010 में 340 रचानाये (यह माह रचना के दृष्टी से सर्वश्रेष्ठ रहा)</p>
<p> दिसम्बर 2010 में 287 रचनाए सहित कुल 2198 प्रकाशित हुई</p>
<p> </p>
<p>वर्ष 2011 नवम्बर 2011 में 75 </p>
<p> मार्च 2011 में 210 रचनायें (यह माह रचना के दृष्टी से सर्वश्रेष्ठ रहा)</p>
<p> दिसम्बर 2011 में 112 रचनायें सहित वर्ष 2012 में कुल 1830 प्रकाशित हुई</p>
<p> </p>
<p>वर्ष 2012 फरवरी 2012 में 117 </p>
<p> अगस्त 2012 में 311 रचनायें (यह माह रचना के दृष्टी से सर्वश्रेष्ठ रहा)</p>
<p> दिसम्बर 2012 में 283 रचनायें सहित वर्ष 2012 में कुल 2659 प्रकाशित हुई</p>
<p> </p>
<p>वर्ष 2013 जनवरी 2013 में 221 </p>
<p> अक्टूबर 2013 में 394 रचनायें (यह माह रचना के दृष्टी से सर्वश्रेष्ठ रहा)</p>
<p> नवम्बर 2013 में 281 रचनायें सहित कुल 3339 प्रकाशित हुई</p>
<p> </p>
<p>इस तरह महोदय वर्ष 1999 से नवम्बर 2013 तक 10027 रचनायें प्रकाशित हुई</p>
<p> </p>
<p>जब कि हिन्दी लगभग 5 राज्यों समेत पूरे उत्तर भारत एंव टूटी-फूटी भाषा में लगभग पूरे भारत में बोला जाता है उसके लिये तो हम हिन्दी की कविता 4 साल में 10 हजार रचनाये पाते है यह मान भी लिया जाये की पूरी की पूरी रचनायें हिन्दी की तो भी 10027 रचनायें 4 साल में 2513 सदस्यों के साथ तो महोदय</p>
<p>हिन्दी की अपेक्षा भोजपुरी जो उत्तर प्रदेश के पूर्वाचल के 25 जिलों एवं बिहार के भोजपुर इलाको में ही बोली और समझी जाती है और यहॅां के लोग अभी भी इस वेवसाइट या नेट की प्रक्रिया को नही समझ पाये है ऐसे में अगर 184 सदस्य है और प्रारम्भ में सफलता ना मिले तो मेरे समझ से ये अधिक परेशान होने की जरूरत नहीं है जबकि इतने लोगो की मॉग की भोजपुरी को भाषा का दर्जा दिया जाये भारत सरकार को हिला कर रख दिया है ऐसे में जब यह एक कार्मशियल वेवसाइट या गुप्र नहीं है तो कम पाठक या कम रचना कार के आधार पर किसी आयोजन को बंद कर दिया जाये आदरणीय यह उचित है या नहीं आप स्वंय निर्णय करे।</p>
<p> </p>
<p>दूसरी बात महोदय महोदय कम पाठक या लेखक तो महोदय हमारे इस पोर्टल में जो अलग अलग भाषाओं का वर्गीकरण कर एक गुप्र बना दिया गया है वह सही तो है मगर भी पाठक की संख्या प्रभावित होती है, महोदय हमारे देश में अभी भी हर जगह नेट के कनेक्शन और स्पीड इतने तेज नही है कि वेव के कई पेज खोल सके, महोदय पाठक या रचना कार जो सामने देखता है वह ही पढ़ कर लिख कर मजबूरी में संतुष्ठ हो जाता है। वह कई पेजो के खोलने का जहमत नही उठाता वह हिन्दी पढ़ कर संतुष्ठ हो जाता है क्योंकि वह पटल के मुख्य पर है पता नही अगला पेज कितने देर में खुले तो यह भी एक कारण हम पूर्वाचल और भोजपुर वालो को पता ही नहीं है कि भोजपुर की साफ सुथरी रचना आज के आश्लीता से उपर की भोजपुरी रचना वह कहॅा पढें और कहा लिखे ।</p>
<p> </p>
<p> इस लिये हम महोदय से पुन: पूरे पूर्वाचल और भोजपुरी एवं समस्त भोजपुरी भाषी/समर्थक और आप के प्यार दुलार की तरफ से आग्रह करते है कि इस आयोजन को पुन: प्रारम्भ किया जाये----आप जैसे किसी बड़े रचनाकार ने लिखा है कि **कौन कहता है आसमा मे सुराख नहीं हो सकता यारो, पर एक पत्थर तो तबियत से उछालों यारोण्***** महोदय क्षमा करेंगें अगर मेरी कोई बात अनुचित लगी हो तो ------आपका अखंड गहमहरी गहमर गाजीपुर</p>
<p> </p> जी हाँ आ०बागी जी!tag:www.openbooksonline.com,2013-12-05:5170231:Comment:4831172013-12-05T10:28:01.589Zवेदिकाhttp://www.openbooksonline.com/profile/vedikagitika
<p>जी हाँ आ०बागी जी!</p>
<p>जी हाँ आ०बागी जी!</p> आदरणीया गीतिका जी, उम्मीद है…tag:www.openbooksonline.com,2013-12-05:5170231:Comment:4829242013-12-05T10:16:02.791ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://www.openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>आदरणीया गीतिका जी, उम्मीद है ऊपर लिखी मेरी टिप्प्णी से आप भी संतुष्ट होंगी |</p>
<p>आदरणीया गीतिका जी, उम्मीद है ऊपर लिखी मेरी टिप्प्णी से आप भी संतुष्ट होंगी |</p> आदरणीय गहमरी जी,
प्रणाम
सर्व…tag:www.openbooksonline.com,2013-12-05:5170231:Comment:4831122013-12-05T10:13:29.884ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://www.openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>आदरणीय गहमरी जी,</p>
<p>प्रणाम</p>
<p></p>
<p>सर्वप्रथम तो इस पोस्ट के लिए मैं आपको बधाई और धन्यवाद देना चाहता हूँ | अब मैं विन्दुआर बात करता हूँ .....</p>
<p>//श्रीमान ना मेरा कद है और ना ही आपके किसी निर्णय के बारे में बोलने का हक ही है//</p>
<p>यह मंच प्रारम्भ से ही निष्पक्षता और पारदर्शिता हेतु जाना जाता है, विचारों को उचित स्थान देने हेतु कई सुविधाएँ यहाँ उपलब्ध है, उसी कड़ी में "सुझाव और शिकायत" समूह भी है |</p>
<p></p>
<p>//पोर्टल के अवलोकन के दौरान एक बात आप के व्यक्तित्व से मेल…</p>
<p>आदरणीय गहमरी जी,</p>
<p>प्रणाम</p>
<p></p>
<p>सर्वप्रथम तो इस पोस्ट के लिए मैं आपको बधाई और धन्यवाद देना चाहता हूँ | अब मैं विन्दुआर बात करता हूँ .....</p>
<p>//श्रीमान ना मेरा कद है और ना ही आपके किसी निर्णय के बारे में बोलने का हक ही है//</p>
<p>यह मंच प्रारम्भ से ही निष्पक्षता और पारदर्शिता हेतु जाना जाता है, विचारों को उचित स्थान देने हेतु कई सुविधाएँ यहाँ उपलब्ध है, उसी कड़ी में "सुझाव और शिकायत" समूह भी है |</p>
<p></p>
<p>//पोर्टल के अवलोकन के दौरान एक बात आप के व्यक्तित्व से मेल खाती नहीं दिखाई दिया वह यह कि ****आपने भोजपुरी लोगन की उदासीनता के कारण और प्रतियोगिता के निराश जनक परिणाम के हतोत्साहित होने से बंद कर दिया//</p>
<p></p>
<p>व्यक्तित्व से मेल नहीं खाती !!! भाई साहब, जब प्रतियोगी ही नहीं तो प्रतियोगिता किसके लिए ? एक पक्ति में उत्तर देने का प्रयास करता हूँ ....</p>
<p>"कापर करूँ श्रृंगार सखी, पिया मोर आन्हर"</p>
<p></p>
<p>//श्रीमान जी मेरा मन लगातार उसके चंद कमीयों की तरफ ईशारा करता है। जो निश्चित तौर पर आप से नहीं, उस प्रतियोगिता के संचालक के तरफ से हुई है।//</p>
<p>कोई संस्था, साईट, आयोजन/प्रतियोगिता सफलता पूर्वक चलाना किसी एक के वश की बात नहीं, यह तो सामूहिक प्रयास से चलता है, ओ बी ओ पर रहकर इस बात को आपने महसूस भी किया होगा, फिर संचालक को दोष क्या देना | भाई जी मैं भी भोजपुरिआ हूँ और भोजपुरिआ टेंडेंसी को अच्छी तरह पहचानता हूँ, कम लिखे को अधिक समझेंगे यह उम्मीद है |</p>
<p>//अत:श्रीमान जी मैं पूरे भोजपुरी समाज की तरफ से आप से आग्रह करता हॅू, कि आप इस प्रतियोगिता को दुबारा प्रारम्भ करने की महती कृपा करें।//</p>
<p>प्रश्न पुनः वही : भोजपुरी प्रतियोगिता या भोजपुरी आयोजन किसके लिए ?</p>
<p>"भोजपुरी साहित्य समूह" में आयी हुई कितनी रचनाओं को पाठक मिल रहे हैं ? क्या इस साईट से जुड़े आप सहित सभी भोजपुरिआ लोग अपनी उपस्थिति वहाँ देते हैं ?</p>
<p>यदि नहीं तो प्रतियोगिता/आयोजन प्रारम्भ करना बेमानी है |</p>
<p>सादर |</p> सुझाव सकारात्मक है| एक निवेदन…tag:www.openbooksonline.com,2013-12-04:5170231:Comment:4825832013-12-04T23:49:00.660Zवेदिकाhttp://www.openbooksonline.com/profile/vedikagitika
<p>सुझाव सकारात्मक है| एक निवेदन करूंगी कि प्रतियोगिता न कह के इसे आयोजन का रूप दिया जाता तो बेहतर| अभोजपुरी चाहे इसमे बतौर रचनाकार सम्मिलित न हो सकें किन्तु प्रतिक्रिया तो अवश्य करेंगे| शेष मंच की सहूलियत पर निर्भर है|</p>
<p>सादर वेदिका!! </p>
<p>सुझाव सकारात्मक है| एक निवेदन करूंगी कि प्रतियोगिता न कह के इसे आयोजन का रूप दिया जाता तो बेहतर| अभोजपुरी चाहे इसमे बतौर रचनाकार सम्मिलित न हो सकें किन्तु प्रतिक्रिया तो अवश्य करेंगे| शेष मंच की सहूलियत पर निर्भर है|</p>
<p>सादर वेदिका!! </p>