"ओ बी ओ भोजपुरी काव्य प्रतियोगिता" के सम्बन्ध में आवश्यक सूचना - Open Books Online2024-03-29T05:09:21Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:383451?groupUrl=bhojpuri_sahitya&commentId=5170231%3AComment%3A400119&x=1&feed=yes&xn_auth=noबड़ी दुख भईल जानि के ! का एक ब…tag:www.openbooksonline.com,2013-07-20:5170231:Comment:4001192013-07-20T11:41:07.900Zपीयूष द्विवेदी भारतhttp://www.openbooksonline.com/profile/2ixxsuhjha9i0
<p>बड़ी दुख भईल जानि के ! का एक बेर अऊर क के देखल संभव ना रहल ह ?</p>
<p>बड़ी दुख भईल जानि के ! का एक बेर अऊर क के देखल संभव ना रहल ह ?</p> आदरणीय, मेरी पोस्ट को कॉपी कर…tag:www.openbooksonline.com,2013-06-23:5170231:Comment:3843112013-06-23T18:04:44.488ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय, मेरी पोस्ट को कॉपी कर पुनः उद्दृत करने के पीछे का औचित्य समझ में नहीं आया.</p>
<p>वैसे मैं कोई गुरु उरु तो एकदम नहीं हूँ. अगर हूँ भी .. तो फिर, एक बड़ा अभागा गुरु हूँ.</p>
<p></p>
<p>सादर</p>
<p></p>
<p>आदरणीय, मेरी पोस्ट को कॉपी कर पुनः उद्दृत करने के पीछे का औचित्य समझ में नहीं आया.</p>
<p>वैसे मैं कोई गुरु उरु तो एकदम नहीं हूँ. अगर हूँ भी .. तो फिर, एक बड़ा अभागा गुरु हूँ.</p>
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<p>सादर</p>
<p></p> अपेक्षाओं से लोभ .. लोभ से मो…tag:www.openbooksonline.com,2013-06-23:5170231:Comment:3841062013-06-23T17:51:55.555ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>अपेक्षाओं से लोभ .. लोभ से मोह.. मोह से क्रोध .. क्रोध से अशांति .. अशांति से दुर्भावना.. दुर्भावना से संबन्ध विच्छेद .. संबन्ध विच्छेद से दुःख होता है. </p>
<p>सादर अनुरोध है कि जितने पर सब ठिठका है, वहीं सबको रोक दिया जाय.</p>
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<p>सादर</p>
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<p>अपेक्षाओं से लोभ .. लोभ से मोह.. मोह से क्रोध .. क्रोध से अशांति .. अशांति से दुर्भावना.. दुर्भावना से संबन्ध विच्छेद .. संबन्ध विच्छेद से दुःख होता है. </p>
<p>सादर अनुरोध है कि जितने पर सब ठिठका है, वहीं सबको रोक दिया जाय.</p>
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<p>सादर</p>
<p></p> आदरणीय प्रदीप जी,मैंने यह टिप…tag:www.openbooksonline.com,2013-06-23:5170231:Comment:3838032013-06-23T17:51:11.136Zबृजेश नीरजhttp://www.openbooksonline.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>आदरणीय प्रदीप जी,<br/>मैंने यह टिप्पणी केवल माहौल को सरस बनाए रखने के लिए मजाक में की थी। आप पर कोई व्यक्तिगत आक्षेप नहीं लगाया था।</p>
<p>आदरणीय प्रदीप जी,<br/>मैंने यह टिप्पणी केवल माहौल को सरस बनाए रखने के लिए मजाक में की थी। आप पर कोई व्यक्तिगत आक्षेप नहीं लगाया था।</p> आदरणीय प्रदीप जी,निर्णय सोच स…tag:www.openbooksonline.com,2013-06-23:5170231:Comment:3838022013-06-23T17:49:02.035Zबृजेश नीरजhttp://www.openbooksonline.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>आदरणीय प्रदीप जी,<br/>निर्णय सोच समझकर ही लिया गया होगा। रचनायें मानकों के अनुरूप नहीं होंगी इसीलिए उन्हें पुरूस्कृत किया जाना उपयुक्त नहीं समझा गया। आदरणीय बागी जी और आदरणीय सौरभ जी ने स्थितियां स्पष्ट की हैं।<br/>प्रतिभागिता पुरूस्कार का मानक नहीं होती।<br/>एक प्रतियोगिता में यदि तीन लोग ही प्रतिभाग करें तो ऐसी प्रतियोगिता का बंद हो जाना ही अच्छा।<br/>मेरा अनुरोध है कि निर्णय को सकारात्मक ढंग से स्वीकारते हुए प्रकरण को यहीं समाप्त कर दिया जाए।<br/>सादर!</p>
<p>आदरणीय प्रदीप जी,<br/>निर्णय सोच समझकर ही लिया गया होगा। रचनायें मानकों के अनुरूप नहीं होंगी इसीलिए उन्हें पुरूस्कृत किया जाना उपयुक्त नहीं समझा गया। आदरणीय बागी जी और आदरणीय सौरभ जी ने स्थितियां स्पष्ट की हैं।<br/>प्रतिभागिता पुरूस्कार का मानक नहीं होती।<br/>एक प्रतियोगिता में यदि तीन लोग ही प्रतिभाग करें तो ऐसी प्रतियोगिता का बंद हो जाना ही अच्छा।<br/>मेरा अनुरोध है कि निर्णय को सकारात्मक ढंग से स्वीकारते हुए प्रकरण को यहीं समाप्त कर दिया जाए।<br/>सादर!</p> आदरणीय प्रदीप जी आपसे सादर अन…tag:www.openbooksonline.com,2013-06-23:5170231:Comment:3840062013-06-23T17:44:59.489Zबृजेश नीरजhttp://www.openbooksonline.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>आदरणीय प्रदीप जी आपसे सादर अनुरोध है कि इस प्रकरण को यहीं समाप्त समझा जाए।<br/>सादर!</p>
<p>आदरणीय प्रदीप जी आपसे सादर अनुरोध है कि इस प्रकरण को यहीं समाप्त समझा जाए।<br/>सादर!</p> आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर जी
स…tag:www.openbooksonline.com,2013-06-23:5170231:Comment:3840782013-06-23T16:24:21.602ZPRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHAhttp://www.openbooksonline.com/profile/PRADEEPKUMARSINGHKUSHWAHA
<p>आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर जी </p>
<p>सादर अभिवादन </p>
<p>भले ही मैं एकलव्य बन्ने की ध्रष्टता करूँ..पर गुरुदेव जी की प्रत्येक बात सर माथे ..मैं कोई भी स्थिति आपसे स्पष्ट नही करूँगा. गुरु शिष्य की मर्यादा और शिष्टता जानता हूँ. गुरु सदैव , प्रत्येक दशा में निष्पक्ष, भेद भाव न रखने वाला होता है. </p>
<p>सादर .</p>
<p></p>
<p>मैं भोजपुरी प्रतियोगिता की निर्णायक समिति के प्रस्तुत निर्णय पर व्यापक परिदृश्य के साथ कुछ तथ्य इंगित करना चाहूँगा.</p>
<p></p>
<p>पहला यह, कि यह किसी मंच के लिए बहुत ही…</p>
<p>आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर जी </p>
<p>सादर अभिवादन </p>
<p>भले ही मैं एकलव्य बन्ने की ध्रष्टता करूँ..पर गुरुदेव जी की प्रत्येक बात सर माथे ..मैं कोई भी स्थिति आपसे स्पष्ट नही करूँगा. गुरु शिष्य की मर्यादा और शिष्टता जानता हूँ. गुरु सदैव , प्रत्येक दशा में निष्पक्ष, भेद भाव न रखने वाला होता है. </p>
<p>सादर .</p>
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<p>मैं भोजपुरी प्रतियोगिता की निर्णायक समिति के प्रस्तुत निर्णय पर व्यापक परिदृश्य के साथ कुछ तथ्य इंगित करना चाहूँगा.</p>
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<p>पहला यह, कि यह किसी मंच के लिए बहुत ही दुर्भाग्य के पल होते हैं जब किसी भाषा-विशेष के आयोजन/प्रतियोगिता को मंच द्वारा अति उत्साह से प्रारंभ किये जाने के बावज़ूद उक्त भाषा-भाषी सदस्यों की अनुपलब्धता और मानद संचालक की अन्यमनस्कता के कारण बन्द करना पड़े.</p>
<p>दूसरा, किसी विशेष भाषा को बोलना किसी क्षेत्र के निवासियों का एकाधिकार नहीं है.</p>
<p>तीसरा, इसके बावज़ूद किसी भाषा के मूल तत्वों और उसके व्याकरण (और लालित्य भी) के साथ कॉम्प्रोमाइज़ नहीं किया जा सकता. ऐसा किया भी नहीं जाना चाहिये.</p>
<p>चौथा, भाषा कोई हो, यदि प्रतियोगिता संचालित हो रही है तो सर्वोत्तम प्रविष्टियों के लिए कतिपय सान्द्र मानक विन्दु नियत हुआ करते हैं. उन्हीं के सापेक्ष निर्णय लिये जाते है. ऐसा न करने वाले मण्डलों से पुरस्कार नहीं रेवड़ियाँ बाँटी जाती हैं. जिसकी कोई अवधारणा ओबीओ के मंच पर ज़िन्दा नहीं है.</p>
<p>पाँचवा, किसी आयोजन के प्रति वर्तमान में लिया गया निर्णय भविष्य के निर्णयों को प्रभावित नहीं करता. करना भी नहीं चाहिये.</p>
<p>छठा तथ्य, जोकि अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाय कि, आयोजन के निर्णायक मण्डल की संस्तुतियों पर प्रबन्धन मण्डल हठात् निर्णय नहीं लेता. अतः, किसी लिये गये निर्णय पर किन्हीं सदस्य द्वारा इस तरह से तर्क-वितर्क करना प्रबन्धन के निर्णयों के प्रति असहमति मानी जा सकती है. ज्ञातव्य हो, कि ओबीओ के पटल पर लिया कोई निर्णय व्यक्तिवाची कत्तई नहीं होता, न किसी व्यक्ति विशेष को संतुष्ट करता हुआ होता है, भले व्यक्ति-विशेष प्रबन्धन या कार्यकारिणी समिति का ही सदस्य क्यों न हो. इसी के परिप्रेक्ष्य में यह भी जाना जाय कि कोई निर्णय समस्त समूह के सापेक्ष होता है.</p>
<p></p>
<p>रचनाकर्म में सदस्यों द्वारा सार्थकता को महत्व दिया जाय. अन्यथा मन में उग आयी अपेक्षाएँ या भ्रान्तियाँ असहमति के भाव उत्पन्न करती हैं.</p>
<p>ओबीओ रचनाकर्म के सापेक्ष किसी रचनाकर्मी को भटकाव के रास्ते ले जाती वाहवाहियों की फूँक से फूला हुआ बलून नहीं बनाना चाहता. साहित्य-सेवा के कालजयी विन्दु तात्कालिक संतुष्टियों या आत्ममुग्धता से बहुत परे हुआ करते हैं.</p>
<p></p>
<p>विश्वास है, कई-कई विन्दु स्पष्ट हुए होंगे</p> दुखद निर्णय है तभी तो पीड़ा व्…tag:www.openbooksonline.com,2013-06-23:5170231:Comment:3837842013-06-23T16:17:43.760ZPRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHAhttp://www.openbooksonline.com/profile/PRADEEPKUMARSINGHKUSHWAHA
<p>दुखद निर्णय है तभी तो पीड़ा व्यक्त की गयी. आज इस मंच पर बतौर अपराधी खड़ा हूँ. जैसी देश की निति </p>
<p>दुखद निर्णय है तभी तो पीड़ा व्यक्त की गयी. आज इस मंच पर बतौर अपराधी खड़ा हूँ. जैसी देश की निति </p> आदरनीय ब्रजेश जी
क्या उक्त ट…tag:www.openbooksonline.com,2013-06-23:5170231:Comment:3840772013-06-23T16:15:59.051ZPRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHAhttp://www.openbooksonline.com/profile/PRADEEPKUMARSINGHKUSHWAHA
<p>आदरनीय ब्रजेश जी </p>
<p>क्या उक्त टिप्पणी चैट का भाग है या पोस्ट पर अंकित टिप्पणी जो सार्वजानिक है .</p>
<p>आदरनीय ब्रजेश जी </p>
<p>क्या उक्त टिप्पणी चैट का भाग है या पोस्ट पर अंकित टिप्पणी जो सार्वजानिक है .</p> यहाँ नेतागीरी कैसी भाई जी.
र…tag:www.openbooksonline.com,2013-06-23:5170231:Comment:3839902013-06-23T16:14:16.737ZPRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHAhttp://www.openbooksonline.com/profile/PRADEEPKUMARSINGHKUSHWAHA
<p>यहाँ नेतागीरी कैसी भाई जी. </p>
<p>राष्ट्रिय चेतना जाग्रत करना गलत है क्या. </p>
<p>सादर </p>
<p>यहाँ नेतागीरी कैसी भाई जी. </p>
<p>राष्ट्रिय चेतना जाग्रत करना गलत है क्या. </p>
<p>सादर </p>