संस्कृत है अंगरेजी का मूल : संजीव वर्मा 'सलिल' - Open Books Online2024-03-28T21:47:53Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:316237?groupUrl=hindi_ki_kaksha&commentId=5170231%3AComment%3A695035&x=1&feed=yes&xn_auth=no वाह !! क्या सुन्दर तथ्यों का…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-04:5170231:Comment:6950352015-09-04T07:41:32.233Zkanta royhttp://www.openbooksonline.com/profile/kantaroy
<p> वाह !! क्या सुन्दर तथ्यों का यहां अवलोकन हुआ है। इस जानकारी के लिए आभार आपको आदरणीय संजीव वर्मा 'सलिल' जी। </p>
<p> वाह !! क्या सुन्दर तथ्यों का यहां अवलोकन हुआ है। इस जानकारी के लिए आभार आपको आदरणीय संजीव वर्मा 'सलिल' जी। </p> अपने में अपनेपन का भाव जगा, …tag:www.openbooksonline.com,2013-08-25:5170231:Comment:4208112013-08-25T06:51:39.745Zरमेश कुमार चौहानhttp://www.openbooksonline.com/profile/Rameshkumarchauhan
<p>अपने में अपनेपन का भाव जगा,<br/> अपनों से अपना अनुराग लगा ।<br/><br/></p>
<p>अपने में अपनेपन का भाव जगा,<br/> अपनों से अपना अनुराग लगा ।<br/><br/></p> वंदना जी !
'ईन्' शब्द का प्रय…tag:www.openbooksonline.com,2013-03-01:5170231:Comment:3262362013-03-01T14:19:32.879Zsanjiv verma 'salil'http://www.openbooksonline.com/profile/sanjivvermasalil
<p>वंदना जी !</p>
<p>'ईन्' शब्द का प्रयोग देवी-भागवत् जी में 'शक्ति' के लिए किया गया है और कहा गया है कि शक्ति(देवी) का उद्गम हमारे भारत मे ही हुआ है अर्थात-<br></br> ईन्+दिया<br></br> अपनी उच्चारण शैली के अनुरूप अंग्रेजों ने हमारे देश को 'इन्डिया' नाम दिया।</p>
<p> </p>
<p>उक्त सन्दर्भ में: </p>
<p>इन - पुल्लिंग, संस्कृत, स्वामी, प्रभु, राजा, सूर्य। इस का बहुवचन।</p>
<p>देखें: बृहत् हिंदी कोष, पृष्ठ १४८।</p>
<p>इन - इन्हों, ये।</p>
<p>देखें: समान्तर कोष, हिंदी थिसारस। </p>
<p>प्रथम अर्थ को स्त्रीलिग़…</p>
<p>वंदना जी !</p>
<p>'ईन्' शब्द का प्रयोग देवी-भागवत् जी में 'शक्ति' के लिए किया गया है और कहा गया है कि शक्ति(देवी) का उद्गम हमारे भारत मे ही हुआ है अर्थात-<br/> ईन्+दिया<br/> अपनी उच्चारण शैली के अनुरूप अंग्रेजों ने हमारे देश को 'इन्डिया' नाम दिया।</p>
<p> </p>
<p>उक्त सन्दर्भ में: </p>
<p>इन - पुल्लिंग, संस्कृत, स्वामी, प्रभु, राजा, सूर्य। इस का बहुवचन।</p>
<p>देखें: बृहत् हिंदी कोष, पृष्ठ १४८।</p>
<p>इन - इन्हों, ये।</p>
<p>देखें: समान्तर कोष, हिंदी थिसारस। </p>
<p>प्रथम अर्थ को स्त्रीलिग़ प्रयोग किया जाए तो स्वामिनी अथवा देवी अर्थ पाया जा सकता है. </p>
<p>एक मत के अनुसार 'सिन्धु' नदी का फ़ारसी उच्चारण 'इंदु' हुआ जिसे अंग्रेजों ने 'इंडस' और उसके आधार पर सिन्धु के इस पार के भूभाग को 'इंडिया' कहा. </p>
<p>स्वतंत्रता के बाद हम 'भारत' क्यों नहीं कहते जबकि कतिपय लोग 'हिन्दुस्तान' कहते हैं.</p> आदरेय सादर नमन्!
क्षमा करें म…tag:www.openbooksonline.com,2013-03-01:5170231:Comment:3259202013-03-01T02:49:16.057ZVindu Babuhttp://www.openbooksonline.com/profile/vandanatiwari
आदरेय सादर नमन्!<br />
क्षमा करें महोदय मैं समझ नहीं पाई थी।<br />
इसी श्रंखला में एक निवेदन करना चाहूंगी कृपया अपना विचार देकर और स्पष्ट करें-<br />
'ईन्' शब्द का प्रयोग देवी-भागवत् जी में 'शक्ति' के लिए किया गया है और कहा गया है कि शक्ति(देवी) का उद्गम हमारे भारत मे ही हुआ है अर्थात-<br />
ईन्+दिया<br />
अपनी उच्चारण शैली के अनुरूप अंग्रेजों ने हमारे देश को 'इन्डिया' नाम दिया।<br />
सादर
आदरेय सादर नमन्!<br />
क्षमा करें महोदय मैं समझ नहीं पाई थी।<br />
इसी श्रंखला में एक निवेदन करना चाहूंगी कृपया अपना विचार देकर और स्पष्ट करें-<br />
'ईन्' शब्द का प्रयोग देवी-भागवत् जी में 'शक्ति' के लिए किया गया है और कहा गया है कि शक्ति(देवी) का उद्गम हमारे भारत मे ही हुआ है अर्थात-<br />
ईन्+दिया<br />
अपनी उच्चारण शैली के अनुरूप अंग्रेजों ने हमारे देश को 'इन्डिया' नाम दिया।<br />
सादर प्रिय वंदना जीवन्दे मातरम. मै…tag:www.openbooksonline.com,2013-02-23:5170231:Comment:3233082013-02-23T18:18:30.454Zsanjiv verma 'salil'http://www.openbooksonline.com/profile/sanjivvermasalil
<p>प्रिय वंदना जी<br/>वन्दे मातरम. <br/>मैं यथावसर टंकित कर रहा था, त्रुटि हो गयी. खेद है.</p>
<p>प्रिय वंदना जी<br/>वन्दे मातरम. <br/>मैं यथावसर टंकित कर रहा था, त्रुटि हो गयी. खेद है.</p> आदरणीय श्रीमान सादर अभिनन्दन…tag:www.openbooksonline.com,2013-02-23:5170231:Comment:3231122013-02-23T07:15:59.504ZVindu Babuhttp://www.openbooksonline.com/profile/vandanatiwari
आदरणीय श्रीमान सादर अभिनन्दन स्वीकारें!<br />
एक शब्द मे छिपी इतनी गहन जानकारी प्रदान करने के लिए आपका आभार।<br />
'यात:वासर' का सम्भावित अर्थ तो समझ रही हूं पर महोदय वास्तिक अर्थ से अवगत होना चाहती हूं.<br />
और अगले शब्द की जानकारी के लिए भी स्वागोत्सुक हूं.<br />
सादर
आदरणीय श्रीमान सादर अभिनन्दन स्वीकारें!<br />
एक शब्द मे छिपी इतनी गहन जानकारी प्रदान करने के लिए आपका आभार।<br />
'यात:वासर' का सम्भावित अर्थ तो समझ रही हूं पर महोदय वास्तिक अर्थ से अवगत होना चाहती हूं.<br />
और अगले शब्द की जानकारी के लिए भी स्वागोत्सुक हूं.<br />
सादर प्रिय महिमा जीहिंदी के प्रति…tag:www.openbooksonline.com,2013-02-13:5170231:Comment:3177372013-02-13T11:32:47.390Zsanjiv verma 'salil'http://www.openbooksonline.com/profile/sanjivvermasalil
<p>प्रिय महिमा जी<br/>हिंदी के प्रति रुचि हिंदी से सम्बंधित सामग्री पर आई टिप्पणियों से मिल जाती है. आपकी रुचि हेतु बधाई. यातःवासर ऐसी और सामग्री प्रस्तुत की जाएगी.</p>
<p>प्रिय महिमा जी<br/>हिंदी के प्रति रुचि हिंदी से सम्बंधित सामग्री पर आई टिप्पणियों से मिल जाती है. आपकी रुचि हेतु बधाई. यातःवासर ऐसी और सामग्री प्रस्तुत की जाएगी.</p> आदरणीय संजीव सर ..
समृद्ध संस…tag:www.openbooksonline.com,2013-02-08:5170231:Comment:3162642013-02-08T16:39:04.584ZMAHIMA SHREEhttp://www.openbooksonline.com/profile/MAHIMASHREE
<p>आदरणीय संजीव सर ..</p>
<p>समृद्ध संस्कृत के शब्दकोष के एक छोटी ज्ञानवर्धक झलक से अवगत करने के लिए आपका धन्यवाद और बहुत -२ बधाई .. वाकई में संस्कृत तो सभी भाषाओ की जननी है .. ये जानकार हमेशा गर्व होता है /</p>
<p>आदरणीय संजीव सर ..</p>
<p>समृद्ध संस्कृत के शब्दकोष के एक छोटी ज्ञानवर्धक झलक से अवगत करने के लिए आपका धन्यवाद और बहुत -२ बधाई .. वाकई में संस्कृत तो सभी भाषाओ की जननी है .. ये जानकार हमेशा गर्व होता है /</p>