‘चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता अंक -१५ ' का निर्णय - Open Books Online2024-03-28T08:10:55Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:240001?groupUrl=pop&commentId=5170231%3AComment%3A240978&groupId=5170231%3AGroup%3A68907&feed=yes&xn_auth=no चित्र से काव्य तक प्रतियोगि…tag:www.openbooksonline.com,2012-07-02:5170231:Comment:2433592012-07-02T01:09:33.863ZAbhinav Arunhttp://www.openbooksonline.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<div> चित्र से काव्य <span id="6_TRN_3">तक प्रतियोगिता अपने मेयार पर है | सभी रचनाएँ उच्च स्तर की रहीं | चयनित सम्मानित विजेताओं आदरणीय सर्वश्री अलबेला जी ,उमाशंकर जी और संदीप जी को हार्दिक बढ़ियाँ इस उपलब्धि पर | और साथ ही हार्दिक साधुवाद और बधाई समूह अध्यक्ष श्री अम्बरीश जी को , आयोजन को इस ऊंचाई <span id="6_TRN_1k">तक ले जाने के लिए |</span></span></div>
<div> चित्र से काव्य <span id="6_TRN_3">तक प्रतियोगिता अपने मेयार पर है | सभी रचनाएँ उच्च स्तर की रहीं | चयनित सम्मानित विजेताओं आदरणीय सर्वश्री अलबेला जी ,उमाशंकर जी और संदीप जी को हार्दिक बढ़ियाँ इस उपलब्धि पर | और साथ ही हार्दिक साधुवाद और बधाई समूह अध्यक्ष श्री अम्बरीश जी को , आयोजन को इस ऊंचाई <span id="6_TRN_1k">तक ले जाने के लिए |</span></span></div> अभियंता जी धन्य हैं , आये समय…tag:www.openbooksonline.com,2012-07-01:5170231:Comment:2436082012-07-01T18:12:28.405Zअरुण कुमार निगमhttp://www.openbooksonline.com/profile/arunkumarnigam
<p>अभियंता जी धन्य हैं , आये समय निकाल</p>
<p>आऊंगा अति शीघ्र कह,मुझको किया निहाल</p>
<p>मुझको किया निहाल , काम पर जाते रहिये</p>
<p>भोली सूरत मगर , आप दिखलाते रहिये</p>
<p>सुना चुटकुले हँसा , सके ना संता - बंता</p>
<p>बिना आपके बड़ी , उदासी थी अभियंता |</p>
<p>अभियंता जी धन्य हैं , आये समय निकाल</p>
<p>आऊंगा अति शीघ्र कह,मुझको किया निहाल</p>
<p>मुझको किया निहाल , काम पर जाते रहिये</p>
<p>भोली सूरत मगर , आप दिखलाते रहिये</p>
<p>सुना चुटकुले हँसा , सके ना संता - बंता</p>
<p>बिना आपके बड़ी , उदासी थी अभियंता |</p>
इस बार प्रथम स्थान : पर हा…tag:www.openbooksonline.com,2012-07-01:5170231:Comment:2435462012-07-01T17:14:32.305ZAVINASH S BAGDEhttp://www.openbooksonline.com/profile/AVINASHSBAGDE
<p><span> </span></p>
<p align="center"><span> </span><b>इस बार प्रथम स्थान : पर हास्यसम्राट श्री अलबेला खत्री</b><span> </span><b>जी</b><span> का मत्तगयन्द सवैया प्रतिष्ठित हुआ है |</span>|</p>
<p align="center"><b> </b><b>___________________________________________________________________</b></p>
<p align="center"><b> </b></p>
<p align="center"><b>द्वितीय स्थान</b> <b>;</b><b> </b>पर <b> श्री उमाशंकर मिश्र जी के दोहे</b> विराजमान हैं | </p>
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<p align="center">||…</p>
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<p align="center"><span> </span><b>इस बार प्रथम स्थान : पर हास्यसम्राट श्री अलबेला खत्री</b><span> </span><b>जी</b><span> का मत्तगयन्द सवैया प्रतिष्ठित हुआ है |</span>|</p>
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<p align="center"><b>द्वितीय स्थान</b> <b>;</b><b> </b>पर <b> श्री उमाशंकर मिश्र जी के दोहे</b> विराजमान हैं | </p>
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<p align="center"><b> तृतीय स्थान :</b> श्री <b>संदीप पटेल</b> <b>‘दीप’</b> के दुर्मिल सवैया को जाता है |</p>
<p align="center">teeno rachanakaro ko badhai</p> अभियंता हूँ वास्तुविद,रोज कमा…tag:www.openbooksonline.com,2012-07-01:5170231:Comment:2433472012-07-01T15:34:54.944ZEr. Ambarish Srivastavahttp://www.openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>अभियंता हूँ वास्तुविद,रोज कमाता नाम.</p>
<p>रोजी रोटी के लिए, करना है नित काम.</p>
<p>करना है नित काम, संग साहित्यिक सेवा.</p>
<p>छंदों से है प्रेम, ओबिओ पर है मेवा.</p>
<p>आप सभी जो साथ, सधे साहित्यिक संता.</p>
<p>आऊँगा अति शीघ्र, कहे हर्षित अभियंता..:-)))</p>
<p>अभियंता हूँ वास्तुविद,रोज कमाता नाम.</p>
<p>रोजी रोटी के लिए, करना है नित काम.</p>
<p>करना है नित काम, संग साहित्यिक सेवा.</p>
<p>छंदों से है प्रेम, ओबिओ पर है मेवा.</p>
<p>आप सभी जो साथ, सधे साहित्यिक संता.</p>
<p>आऊँगा अति शीघ्र, कहे हर्षित अभियंता..:-)))</p> स्वागत है भाई संदीप जी ! हार्…tag:www.openbooksonline.com,2012-07-01:5170231:Comment:2434292012-07-01T14:59:27.142ZEr. Ambarish Srivastavahttp://www.openbooksonline.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>स्वागत है भाई संदीप जी ! हार्दिक आभार मित्र .....सफलता आपके कदम चूमे ........और ओ बी ओ पर आप सदैव ही सक्रिय रहें...:-)) </p>
<p>स्वागत है भाई संदीप जी ! हार्दिक आभार मित्र .....सफलता आपके कदम चूमे ........और ओ बी ओ पर आप सदैव ही सक्रिय रहें...:-)) </p> आदरणीय अलबेला खत्री जी, भाई उ…tag:www.openbooksonline.com,2012-07-01:5170231:Comment:2430932012-07-01T06:13:18.748ZPRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHAhttp://www.openbooksonline.com/profile/PRADEEPKUMARSINGHKUSHWAHA
<p>आदरणीय अलबेला खत्री जी, भाई उमा शंकर जी, एवं स्नेही संदीप जी को बहुत बहुत बधाई .</p>
<p>आदरणीय अलबेला खत्री जी, भाई उमा शंकर जी, एवं स्नेही संदीप जी को बहुत बहुत बधाई .</p> प्रिय संदीप कुमार पटेल जी -ईश…tag:www.openbooksonline.com,2012-06-27:5170231:Comment:2410402012-06-27T17:25:00.895ZUMASHANKER MISHRAhttp://www.openbooksonline.com/profile/UMASHANKERMISHRA
<p>प्रिय संदीप कुमार पटेल जी -ईश्वर से यही प्रार्थना है की आप सदैव सफल हो</p>
<p>आपको सादर बधाई</p>
<p>प्रिय संदीप कुमार पटेल जी -ईश्वर से यही प्रार्थना है की आप सदैव सफल हो</p>
<p>आपको सादर बधाई</p> अरुण भाई आभार आभार| पर प्रभु…tag:www.openbooksonline.com,2012-06-27:5170231:Comment:2410392012-06-27T17:21:49.679ZUMASHANKER MISHRAhttp://www.openbooksonline.com/profile/UMASHANKERMISHRA
<p>अरुण भाई आभार आभार| पर प्रभु ये क्या कर दिया आपने...आपने तो मेरी ही कुंडली बना दी</p>
<p>पहलवान थे दुर्ग के , बड़े कुशल तैराक</p>
<p>अपनी संस्था में रहे , हैं नेता बेबाक |</p>
<p>वारि वारि तुम पर उमा ,स्वीकारो मन भाव</p>
<p>सदा जीतते तुम रहो,जीवन में हर दाँव | क्या मिल गया सरकार मेरी कुंडली बना के.. म्हारी कुंडली दिखाके</p>
<p>बोलती बंद करा के ......जय हो अरुण भाई की जय हो</p>
<p>अरुण भाई आभार आभार| पर प्रभु ये क्या कर दिया आपने...आपने तो मेरी ही कुंडली बना दी</p>
<p>पहलवान थे दुर्ग के , बड़े कुशल तैराक</p>
<p>अपनी संस्था में रहे , हैं नेता बेबाक |</p>
<p>वारि वारि तुम पर उमा ,स्वीकारो मन भाव</p>
<p>सदा जीतते तुम रहो,जीवन में हर दाँव | क्या मिल गया सरकार मेरी कुंडली बना के.. म्हारी कुंडली दिखाके</p>
<p>बोलती बंद करा के ......जय हो अरुण भाई की जय हो</p> किस विध होय अनाज, कृषि मन्त्र…tag:www.openbooksonline.com,2012-06-27:5170231:Comment:2410382012-06-27T17:11:55.576ZUMASHANKER MISHRAhttp://www.openbooksonline.com/profile/UMASHANKERMISHRA
<p><b style="color: #990000;">किस विध होय अनाज, कृषि मन्त्री बतलायें <br/> बिजली,पानी,बीज,खाद, हम कहाँ से लायें <br/> कोई बताये बैंक से, किस विध कर्ज़ा लेत <br/> हमें उगाना देश में, अपना सेपरेट खेत</b></p>
<p><b style="color: #990000;">बेहतरीन अलबेला जी बहुत बढ़िया प्रश्न खीचा है आपने आपकी कविता के रूप में तुरंत हाजिरी का कोई <br/></b></p>
<p><b style="color: #990000;">जवाब नहीं बहुत बहुत बधाई इस ठिठोली के लिए ..मजा ही मजा है .....आनंदम आनंदम ...<br/></b></p>
<p><b style="color: #990000;">किस विध होय अनाज, कृषि मन्त्री बतलायें <br/> बिजली,पानी,बीज,खाद, हम कहाँ से लायें <br/> कोई बताये बैंक से, किस विध कर्ज़ा लेत <br/> हमें उगाना देश में, अपना सेपरेट खेत</b></p>
<p><b style="color: #990000;">बेहतरीन अलबेला जी बहुत बढ़िया प्रश्न खीचा है आपने आपकी कविता के रूप में तुरंत हाजिरी का कोई <br/></b></p>
<p><b style="color: #990000;">जवाब नहीं बहुत बहुत बधाई इस ठिठोली के लिए ..मजा ही मजा है .....आनंदम आनंदम ...<br/></b></p> सौरभ जी बन कृष्ण,आज मुझको हैं…tag:www.openbooksonline.com,2012-06-27:5170231:Comment:2412292012-06-27T17:06:41.089ZUMASHANKER MISHRAhttp://www.openbooksonline.com/profile/UMASHANKERMISHRA
<p>सौरभ जी बन कृष्ण,आज मुझको हैं दीखे</p>
<p>रूप भीष्म का कहीं,कहीं हैं द्रोण सरीखे |</p>
<p>हर लाइन दाद देने योग्य बहुत बढ़िया है</p>
<p>सौरभ जी बन कृष्ण,आज मुझको हैं दीखे</p>
<p>रूप भीष्म का कहीं,कहीं हैं द्रोण सरीखे |</p>
<p>हर लाइन दाद देने योग्य बहुत बढ़िया है</p>