मिट्टी - पंकज त्रिवेदी - Open Books Online2024-03-29T05:45:23Zhttp://www.openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:16625?groupUrl=sarokaar&feed=yes&xn_auth=noराणा,
आपके जज़्बे को समज रहा ह…tag:www.openbooksonline.com,2010-08-29:5170231:Comment:170932010-08-29T02:01:03.093ZPankaj Trivedihttp://www.openbooksonline.com/profile/PankajTrivedi
राणा,<br />
आपके जज़्बे को समज रहा हूँ | जिन्हों ने इस मिट्टी का मूल्य पहचाना है, वो भला कैसे अलग हो सकेगा? ये शरीर भी इसी मिट्टी की देन है...!
राणा,<br />
आपके जज़्बे को समज रहा हूँ | जिन्हों ने इस मिट्टी का मूल्य पहचाना है, वो भला कैसे अलग हो सकेगा? ये शरीर भी इसी मिट्टी की देन है...! पंकज सर इस मिटटी की महिमा अपर…tag:www.openbooksonline.com,2010-08-28:5170231:Comment:170442010-08-28T19:04:12.044ZRana Pratap Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/RanaPratapSingh
पंकज सर इस मिटटी की महिमा अपरम्पार है| स्वामी विवेकानंद का अपनी अमेरिका यात्रा के पश्चात भारत वापस आने पर पहला काम इसी राज में लोट पोट हो जाना था|<br />
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युगों युगों से यही हमारी बनी हुई परिपाटी है|<br />
खून दिया है मगर नहीं दी कभी देश की माटी है||
पंकज सर इस मिटटी की महिमा अपरम्पार है| स्वामी विवेकानंद का अपनी अमेरिका यात्रा के पश्चात भारत वापस आने पर पहला काम इसी राज में लोट पोट हो जाना था|<br />
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युगों युगों से यही हमारी बनी हुई परिपाटी है|<br />
खून दिया है मगर नहीं दी कभी देश की माटी है||